आयुर्वेद प्रश्नोत्तर-०४
सामान्य ज्ञान भास्कर पर लौटें
- आयुर्वेद सिद्धान्त
(1) निम्न लिखित में किसके संयोग को 'आयु' कहते है।
- (क) शरीर, सत्व, बुद्धि, आत्मा
- (ख) सत्व, आत्मा, शरीर
- (ग) शरीर, बुद्धि, आत्मा
- (घ) शरीर, इन्द्रिय, सत्व, आत्मा
(2) ‘चेतनानुवृत्ति’ किसका पर्याय है।
- (क) मन
- (ख) आत्मा
- (ग) शरीर
- (घ) आयु
(3) निम्नलिखित में से कौनसा कथन सत्य हैं ?
- (क) ‘नित्यग’ आयु का पर्याय है एंवकाल का भेद है।
- (ख) ‘अनुबन्ध’ आयु का पर्याय है एंव दोषका भेद है।
- (ग) हितायु, अहितायु, सुखायु एवं असुखायु के लक्षणों का वर्णन चरक संहिता के अर्थेदशमहामूलीय अध्याय में है
- (घ) उपर्युक्त सभी
(4) ‘सत्यवादिन’ कौनसी आयु का लक्षण है।
- (क) हितायु
- (ख) अहितायु
- (ग) सुखायु
- (घ) दुखायु
(5) समदोषः समाग्निश्च समधातुमलक्रियः। प्रसन्नात्मेन्द्रिमनाः स्वस्थ इत्यभिधीयते।- उपरोक्त स्वस्थ की परिभाषा का वर्णन सुश्रुतसंहिता के कौनसे अध्याय में मिलता है।
- (क) शोणित वर्णनीय
- (ख) दोषधातुमल क्षय वृद्धि विज्ञानीय
- (ग) वेदोत्पत्ति
- (घ) शिष्योपनीयन अध्याय
(6) ‘वातपित्तकफा दोषाः शरीरव्याधि हेतवः’ - किस आचार्य का कथन हैं।
- (क) चरक
- (ख) सुश्रुत
- (ग) वाग्भट्ट
- (घ) काश्यप
(7) ‘दोषो की पांच्चभौतिकता’ का वर्णन किस आचार्य ने किया है।
- (क) चरक
- (ख) सुश्रुत
- (ग) वृद्धवाग्भट्ट
- (घ) शांरर्ग्धर
(8) ’आग्नेय पित्तम्’ - किस आचार्य का कथन है।
- (क) चरक
- (ख) सुश्रुत
- (ग) वृद्ध वाग्भट्ट
- (घ) चक्रपाणि
(9) अष्टांग संग्रहकार के अनुसार ‘वात’ दोष का निर्माण कौनसे महाभूत से होता है ?
- (क) वायु
- (ख) आकाश
- (ग) वायु और आकाश
- (घ) उपरोक्त में से कोई नहीं
(10) षडक्रियाकाल निम्नलिखित में से किस आचार्य का योगदान माना जाताहै ?
- (क) चरक
- (ख) सुश्रुत
- (ग)वाग्भट्ट
- (घ) काश्यप
(11) ‘ख वैगुण्य’ का कारण है ?
- (क) दोष
- (ख)धातु
- (ग)मल
- (घ) निदान
(12) षडक्रियाकाल के कौनसे काल में व्याधि के पूर्वरूप प्रकट हो जाते है।
- (क) संचय
- (ख) प्रकोप
- (ग) प्रसर
- (घ) स्थानासंश्रय
(13) ‘विपरीत गुणै इच्छाः’ - षडक्रियाकाल के कौनसे काल का लक्षणहै।
- (क) संचय
- (ख) प्रकोप
- (ग) प्रसर
- (घ) स्थानासंश्रय
(14) ‘अन्नद्वेष, ह्नदयोत्क्लेश’ षडक्रियाकाल में कफ की कौनसी अवस्था के लक्षण है।
- (क) संचय
- (ख) प्रकोप
- (ग) प्रसर
- (घ) स्थानासंश्रय
(15) षडक्रियाकाल के कौनसे काल में ‘दोष-दूष्य सम्मूर्च्छना’ पूर्ण हो जाती है।
- (क) स्थानासंश्रय
- (ख) व्यक्तावस्था
- (ग) भेदावस्था
- (घ) उपर्युक्त में से कोई नहीं
(16) वातका स्थान ‘अस्थि-मज्जा’ किस आचार्य ने बतलायाहै ?
- (क) चरक
- (ख) सुश्रुत
- (ग) वाग्भट्ट
- (घ) काश्यप
(17) पित्तका स्थान ‘हृदय’ किस आचार्य ने मानाहै ?
- (क) चरक
- (ख) सुश्रुत
- (ग) वाग्भट्ट
- (घ) काश्यप
(18) वाग्भट्टानुसार ’पित्त’ का मुख्य स्थान है।
- (क) आमाशय
- (ख) पक्वामाशय मध्य
- (ग) नाभि
- (घ) उर्ध्व प्रदेश
(19) ’उत्साह’ किस दोष का कर्म है।
- (क) वात
- (ख) पित्त
- (ग)कफ
- (घ) उपर्युक्त में से कोई नहीं
(20) चरकानुसार ‘ज्ञान-अज्ञान’ में कौनसा दोष उत्तरदायी होता है।
- (क) वात
- (ख) पित्त
- (ग) कफ
- (घ) आम
(21) वातका गुण ‘दारूण’ किसने माना है।
- (क) चरक
- (ख) सुश्रुत
- (ग) वाग्भट्ट
- (घ) कुश
(22) पित्त को ’मायु’ की संज्ञा किसने दी है।
- (क) चरक
- (ख) सुश्रुत
- (ग) ऋग्वेद
- (घ) अर्थववेद
(23) विदग्धावस्था में कफ का रस होता है।
- (क) कटु
- (ख) मधुर
- (ग) लवण
- (घ) अम्ल
(24) चरकानुसार ‘वमन’ कौनसी वायु का कर्म है।
- (क) प्राण वायु
- (ख) उदानवायु
- (ग) व्यान वायु
- (घ) समान वायु
(25) ‘स्वेद विस्रावण’ कौनसी वायु का कर्म है।
- (क) प्राण वायु
- (ख) उदानवायु
- (ग) व्यान वायु
- (घ) समान वायु
(26) ‘स्वेददोषाम्बुवाहीनि स्रोतांसि समधिष्ठितः’- किसके लिए कहा गया है।
- (क) पाचक पित्त
- (ख) समान वायु
- (ग) व्यान वायु
- (घ) रस धातु
(27) ’कामशोक भयद्वायुः क्रोधात् पित्तम् लोभात् कफम्’- किस आचार्य ने कहा है।
- (क) चरक
- (ख) सुश्रुत
- (ग) हारीत
- (घ) माधव
(28) भेल के अनुसार बृद्धिवैशेषिक आलोचक पित्त का स्थान होता है ?
- (क) हृदय
- (ख) मूर्धा
- (ग) श्रृंगाटक
- (घ) भ्रू मध्य
(29) आचार्य वाग्भ्ट्ट के अनुसार ‘रंजक पित्त’ का स्थान क्या है ?
- (क) यकृत प्लीहा
- (ख) आमाशय
- (ग) यकृत
- (घ) प्लीहा
(30) आचार्य वाग्भट्टके अनुसार ‘बोधक कफ’ का स्थान क्या है ?
- (क) रसना
- (ख) जिहृवामूल
- (ग) कण्ठ
- (घ) जिहृवामूल,कण्ठ
(31) आर्तवको ‘अष्टम धातु’ किस आचार्य ने माना है?
- (क) भावप्रकाश
- (ख) चक्रपाणि
- (ग) काश्यप
- (घ) शांरर्ग्धर
(32) रस धातु के 2 भेद - (1) स्थायी रस,(2) पोषक रस - किस आचार्य ने माने है?
- (क) भावप्रकाश
- (ख) चक्रपाणि
- (ग) डल्हण
- (घ) शांरर्ग्धर
(33) ‘शरीरपुष्टि’ कौनसी धातु का कार्य है।
- (क) रस धातु
- (ख) रक्त धातु
- (ग) मांस धातु
- (घ) मेद धातु
(34) ‘एककाल धातु पोषणन्याय’ के प्रवर्तक है।
- (क) अरूणदत्त
- (ख) सुश्रुत
- (ग) दृढबल
- (घ) भाव प्रकाश
(35) सुश्रुतानुसार स्त्रियों में रस से आर्त्तव निर्माण कितना समय लगता है।
- (क) एक मास
- (ख) एक पक्ष
- (ग) सप्त अहोरात्र
- (घ) षड् अहोरात्र
(36) चरकानुसार ’स्नायु व वसा’ यह क्रमशः किसधातु की उपधातुएॅं हैं ?
- (क) मांस, मज्जा
- (ख) मेद,मज्जा,
- (ग) मांस, मेद
- (घ) मेद, मांस
(37) ‘दोषधातुवहाः’ है ?
- (क) सिरा
- (ख) धमनी
- (ग) नाडी
- (घ) स्रोत्रस
(38) वर्णानुसार ओज के 3 भेद - 1.श्वेत वर्ण 2.तैल वर्ण 3.क्षौद्र वर्ण- किस आचार्य ने बतलाए है।
- (क) चरक
- (ख) चक्रपाणि
- (ग) सुश्रुत
- (घ) डल्हण
(39) दोष च्यवनं वक्रियासन्निरोध - ओज की किस व्यापद् अवस्था कालक्षण है।
- (क) ओजक्षय
- (ख) ओज विस्स्रंस
- (ग) ओज व्यापत
- (घ) उपर्युक्त में से कोई नहीं
(40) ओज के 12 स्थानों का वर्णन किस आचार्य ने किया है।
- (क) हारीत
- (ख) चक्रपाणि
- (ग) भेल
- (घ) डल्हण
(41) वायु और अग्नि को धारण करना - किसका कार्य हैं ?
- (क) पुरीष
- (ख) मूत्र
- (ग) स्वेद
- (घ) उपर्युक्त सभी
(42) सुश्रुतानुसार मूत्र निर्माण प्रक्रिया कहॉ से शुरू होती है।
- (क) वृक्क में
- (ख) वस्ति में
- (ग) अमाशय में
- (घ) पक्वाशय में
(43) ‘स्वेद निर्माण प्रक्रिया’ का वर्णन किस आचार्य किया है ?
- (क) भावप्रकाश
- (ख) चक्रपाणि
- (ग) वाग्भट्ट
- (घ) शांरर्ग्धर
(44) सुश्रुतानुसार वात का प्रकोप किस ऋतु में होता है।
- (क) बर्षा
- (ख) बसंत
- (ग) ग्रीष्म
- (घ) प्रावृट्
(45) चरक मतानुसार पित्त का निर्हरण विरेचन द्वारा किस मास में करना चाहिए ?
- (क) श्रावण मास
- (ख) चैत्र मास
- (ग) आषाढ मास
- (घ) मार्ग शीर्ष मास
(46) वातशामक श्रेष्ठ रस होता है।
- (क) मधुर
- (ख) अम्ल
- (ग) लवण
- (घ) कषाय
(47) ‘तत्रास्थानि स्थितो वायुः, असृक्स्वेदयोः पित्तम्, शेषेषु तु श्लेष्मा।’ - किस आचार्य का कथन है।
- (क) चरक
- (ख) सुश्रुत
- (ग) वाग्भट्ट
- (घ) शारंर्ग्धर
(48) दोषों के कोष्ठ से शाखा और शाखा से कोष्ठ में गमनके कारण सर्वप्रथम किस आचार्य ने बतलाए है।
- (क) चरक
- (ख) सुश्रुत
- (ग) वाग्भट्ट
- (घ) शारंर्ग्धर
(49) चरक ने दोषों के शाखा से कोष्ठ में गमन के कितने कारण बताए है।
- (क) 3
- (ख) 4
- (ग) 5
- (घ) इनमें से कोई नहीं
(50) चरक ने दोषों के शाखा से कोष्ठ में गमन का कौनसा कारण नहीं बताया है।
- (क) वृद्धि
- (ख) विष्यन्दन
- (ग) व्यायाम
- (घ) वायुनिग्रह
(51) चरकानुसार ’धमनी शैथिल्य’ किसका लक्षण है।
- (क) मांसक्षय
- (ख) मेदक्षय
- (ग) रक्तक्षय
- (घ) मज्जाक्षय
(52) चरकानुसार ‘सर्वांगनेत्र गौरव’ं किसका लक्षण है।
- (क) मांसक्षय
- (ख) मांसवृद्धि
- (ग) मज्जाक्षय
- (घ) मज्जावृद्धि
(53) ‘सन्धिवेदना’ किसका लक्षण है ?
- (क) रक्तक्षय
- (ख) कफक्षय
- (ग) मांसाक्षय
- (घ) मेदक्षय
(54) वातवृद्धि का लक्षण नहीं है।
- (क) निद्रानाश
- (ख) कार्श्य
- (ग) मूढ संज्ञता
- (घ) गात्र स्फुरण
(55) ‘वस्तितोद’ किसका लक्षण है ?
- (क) मूत्रक्षय
- (ख) मूत्रवृद्धि
- (ग) पुरीषवृद्धि
- (घ) अ, ब दोनों का
(56) ‘घर्मान्ते’ कौनसी ऋतु का पर्याय है।
- (क) शरद
- (ख) प्रावृट्
- (ग) ग्रीष्म
- (घ) बर्षा
(57) चरक ने निदान के कितने भेद बताए है।
- (क) 2
- (ख) 3
- (ग) 4
- (घ) उपर्युक्त सभी
(58) द्विविधं हि पूर्वरूपं भवति - सामान्य विशिष्टं च। - किस आचार्य का कथन है।
- (क) चरक
- (ख) सुश्रुत
- (ग) माधव
- (घ) अष्टांग हृदय
(59) ‘भाविव्याधि बोधक एव र्लिंंम् पूर्वरूपम्’ - किस आचार्य का कथन है।
- (क) चक्रपाणि
- (ख) डल्हण
- (ग) वाग्भट्ट
- (घ) माधव निदान
(60) व्यंजन और संस्थान किसके पर्याय है।
- (क) हेतु
- (ख) पूर्वरूप
- (ग) रूप
- (घ) सम्प्राप्ति
(61) उपशय के कितने भेद बताये गये है।
- (क) 15
- (ख) 16
- (ग) 17
- (घ) 18
(62) उदावर्त में प्रवाहण करना- उपशय का कौनसा प्रकार है।
- (क) हेतुविपरीत
- (ख) व्याधि विपरीत
- (ग) हेतुविपरीतार्थकारी
- (घ) व्याधिविपरीतार्थकारी
(63) व्यायाम जनित संमूढ वात में जल में तैरना - उपशय का कौनसा प्रकार है।
- (क) हेतुविपरीतार्थकारी
- (ख) व्याधिविपरीतार्थकारी
- (ग) उभयविपरीतार्थकारी
- (घ) उपर्युक्त में से कोई नहीं
(64) वातज उन्माद मे भयदर्शन। - उपशय का कौनसा प्रकार है।
- (क) हेतुविपरीत
- (ख) व्याधि विपरीत
- (ग) हेतुविपरीतार्थकारी
- (घ) व्याधिविपरीतार्थकारी
(65) चरक ने ‘अनुपशय’का अर्न्तभाव किसमें किया है।
- (क) निदान
- (ख) उपशय
- (ग) रूप
- (घ) पूर्वरूप
(66) जाति और आगति किसके पर्याय है।
- (क) हेतु
- (ख) पूर्वरूप
- (ग) रूप
- (घ) सम्प्राप्ति
(67) विधि जाति का सर्वप्रथम वर्णन किस संहिता में किया गयाहै।
- (क) चरक
- (ख) सुश्रुत
- (ग) माधव
- (घ) अष्टांग हृदय
(68) ‘दोषों की अंशांश कल्पना’ किस सम्प्राप्ति के अंतगर्त आती है।
- (क) संख्या
- (ख) प्रधान
- (ग) विधि
- (घ) विकल्प
(69) तैलबिन्दु मूत्रपरीक्षा किस आचार्य ने बतलायी है ?
- (क) योग रत्नाकर
- (ख) चक्रपाणि
- (ग) शांरर्ग्धर
- (घ) डल्हण
(70) मूत्र में तैल बिन्दु डालते ही न फैलकर एक स्थान पर स्थिर रहे तब वह रोग होगा ?
- (क) साध्यरोग
- (ख) कष्टसाध्य रोग
- (ग) याप्य रोग
- (घ) असाध्य रोग
(71) नाडीपरीक्षा का वर्णन शांरर्ग्धरसंहिता के कौनसे खण्ड मेंहै।
- (क) पूर्व खण्ड
- (ख) मध्य खण्ड
- (ग) उत्तर खण्ड
- (घ) उपर्युक्त में से कोई नहीं
(72) लाव, तित्तर और बत्तखके समान नाडी की गति किस दोष में है।
- (क) वात दोष में
- (ख) पित्त दोष में
- (ग) कफ दोष में
- (घ) सन्निपातजदोष में
(73) षडविध परीक्षा किस आचार्य ने बतलायी है ?
- (क) योग रत्नाकर
- (ख) चक्रपाणि
- (ग) भावप्रकाश
- (घ) सुश्रुत
(74) विपाक की परिभाषा सर्वप्रथम किस आचार्य ने दी है ?
- (क) वाग्भट्ट
- (ख) चक्रपाणि
- (ग) भावप्रकाश
- (घ) सुश्रुत
(75) रस के विशेष ज्ञान में कारणहै।
- (क) जल, वायु, पृथ्वी
- (ख) पृथ्वी, जल अग्नि
- (ग) आकाश, जल, पृथ्वी
- (घ) आकाश, वायु, अग्नि
(76) चरक ने कौनसा कोष्टांग नहीं माना हैं।
- (क) गर्भाशय
- (ख) उण्डूक
- (ग) फुफ्फुस
- (घ) उपर्युक्त सभी
(77) डिम्भ को कोष्टांग किसने माना हैं।
- (क) चरक
- (ख) सुश्रुत
- (ग) अष्टांग हृदय
- (घ) अष्टांग संग्रह
(78) पक्वाशय कोष्टांगके स्थान पर फुफ्फुस सम ‘‘निवाप्नहन’’ कोष्ठांग किसने बताया है।
- (क) भाव प्रकाश
- (ख) भेल
- (ग) हारीत
- (घ) वाग्भट्ट
(79) सुश्रुतानुसार ‘हृदय’ का प्रमाण होता है ?
- (क) स्वपाणितल कुच्चित संमिताणि
- (ख) 4 अंगुल
- (ग) 2 अंगुल
- (घ) स्वपाणितल
(80) शांरर्ग्धर के अनुसार प्राण वायु का स्थान होता है ?
- (क) हृदय
- (ख) मूर्धा
- (ग) उरः
- (घ) नाभि
(81) आहार पाक में ‘अम्लपाक अवस्था‘ कहॉ सम्पन्न होती है ?
- (क) ग्रहणी
- (ख) आमाशय
- (ग) पक्वाशय
- (घ) अ, स दोनों में
(82) ‘इन्द्रिय पंचपंचक’ का वर्णन किस आचार्य ने कियाहै।
- (क) चरक
- (ख) सुश्रुत
- (ग)वाग्भट्ट
- (घ) उपरोक्तसभी
(83) ‘अक्षि’है ?
- (क) इन्द्रिय
- (ख) इन्द्रियार्थ
- (ग) इन्द्रियाधिष्ठान
- (घ) इन्द्रिय द्रव्य
(84) किस इन्द्रिय की व्याप्ति सभी इन्द्रियों में है ?
- (क) चक्षु
- (ख) घ्राण
- (ग) त्वक्
- (घ) रासना
(85) गर्भशय्या की आकृति कैसी रहती है।
- (क) शंखनाभिसम
- (ख) रोहितमत्स्य सम मुखाकृति
- (ग) मत्स्यमुख समाकृति
- (घ) शंखसमाकृति।
(86) गर्भाशय में अपरा गर्भाशय के किस भाग से जुडा रहता है।
- (क) ऊपरी भाग
- (ख) निचले भाग
- (ग) मध्य भाग
- (घ) उर्पयुक्त में कोई नहीं
(87) फुफ्फुस कौनसी वायु का आधार है ?
- (क) प्राण वायु
- (ख) उदान वायु
- (ग)व्यान वायु
- (घ) समान वायु
(88) पाचक पित्त का प्रमाण तिल के समान किसने बतलाया है ?
- (क) चक्रपाणि
- (ख) डल्हण
- (ग) वाग्भट्ट
- (घ) शारंर्ग्धर
(89) शारंर्ग्धर के अनुसार प्लीहा शरीर के कौनसे भाग स्थित होता है ?
- (क) वाम भाग
- (ख) दक्षिण भाग
- (ग) दोनों
- (घ) उपरोक्त में से कोई नहीं
(90 ) Natural pacemaker of the hear t is
- (क) S.A. node
- (ख) A.V. node
- (ग) Bunddle of His
- (घ) None of these
(91 ) Tricuspid valve is present in between
- (क) Right atrium & right ventricle
- (ख) Left atrium & left ventricle
- (ग) Right atrium & left ventricle
- (घ) Left atrium & right ventricle
(92 ) Weight of Right lung is
- (क) 1200 gm
- (ख) 650 g m
- (ग) 625 gm
- (ग) 575 gm
(93) Furmula of VITAL CAPACITY is
- (क) IRV + TV
- (ख) ERV + RV
- (ग) IC + ERV
- (घ) IC + FRC
(94 ) The Right & left lobes of the liver is separated by
- (क) Round ligament
- (ख) Falciform ligament
- (ग) Caudate lobe
- (घ) Popliteal ligament
(95 ) Which is the largest gland in the body
- (क) Liver
- (ख) Pancreas
- (ग) Spleen
- (घ) Pituitary
(96 ) Kuffer Cells are found in
- (क) Liver
- (ख) Kidney
- (ग) Lung
- (घ) Heart
(97 ) Weight of Spleen is
- (क) 7ounce
- (ख) 6ounce
- (ग) 5ounce
- (घ) None
(98 ) Islets of Langerhans arepresent in
- (क) Pancrease
- (ख) Liver
- (ग) Kideny
- (घ) Heart
(99 ) The functional & structural unit of kidey is
- (क)Nephron
- (ख) Bowman’scapsule
- (ग) Glomerulus
- (घ) P.C.T.
(100 ) Portal vein is related to which organ
- (क) Liver
- (ख) Heart
- (ग) Spleen
- (घ) Kidney
- उत्तरमाला
1. क | 21. घ | 41. क | 61. घ | 81. क |
2. घ | 22. घ | 42. घ | 62. ख | 82. क |
3. घ | 23. ग | 43. क | 63. ग | 83. ग |
4. ग | 24. ख | 44. घ | 64. ग | 84. ग |
5. ख | 25. ग | 45. घ | 65. क | 85. ख |
6. घ | 26. ख | 46. ग | 66. घ | 86. क |
7. ग | 27. घ | 47. ग | 67. क | 87. ख |
8. ग | 28. ग | 48. क | 68. घ | 88. घ |
9. ग | 29. ख | 49. ग | 69. क | 89. क |
10. ख | 30. क | 50. ग | 70. ख | 90. क |
11. क | 31. क | 51. क | 71. क | 91. क |
12. घ | 32. ख | 52. घ | 72. घ | 92. ग |
13. क | 33. ग | 53. ग | 73. घ | 93. ग |
14. ख | 34. क | 54. ग | 74. क | 94. ख |
15. ख | 35. क | 55. घ | 75. घ | 95. क |
16. घ | 36. घ | 56. ख | 76. घ | 96. क |
17. ख | 37. क | 57. ख | 77. ग | 97. क |
18. ग | 38. घ | 58. ख | 78. ख | 98. क |
19. क | 39. ख | 59. घ | 79. क | 99. क |
20. ग | 40. ग | 60. ग | 80. घ | 100. क |