प्रार्थना/हर देश में तू हर वेश में तू
हर देश में तू, हर वेश में तू, तेरे नाम अनेक तू एक ही है तेरे नाम अनेक तू एक ही है ।। हर देश में तू, हर वेश में तू......
तेरी रंगभूमि, यह विश्व भरा, सब खेल में, मेल में तू ही तो है ॥ हर देश में तू, हर वेश में तू......
सागर से उठा बादल बनके, बादल से गिरा जल हो करके । फिर नहर बना नदियाँ गहरी, तेरे भिन्न प्रकार, तू एक ही है ॥ हर देश में तू, हर वेश में तू.....
हर देश में तू, हर वेश में तू..... तेरे नाम अनेक तू एक ही है, तेरे नाम अनेक तू एक ही है ।
चींटी से भी अणु-परमाणु बना, सब जीव-जगत् का रूप लिया । कहीं पर्वत-वृक्ष विशाल बना, सौंदर्य तेरा, तू एक ही है ॥ हर देश में तू, हर वेश में तू..... तेरे नाम अनेक तू एक ही है, तेरे नाम अनेक तू एक ही है ।
यह दिव्य दिखाया है जिसने, वह है गुरुदेव की पूर्ण दया । तुकड़या कहे कोई न और दिखा, बस मैं और तू सब एकही है ॥ हर देश में तू, हर वेश में तू..... तेरे नाम अनेक तू एक ही है, तेरे नाम अनेक तू एक ही है ।
तेरी रंगभूमि, यह विश्व भरा, सब खेल में, मेल में तू ही तो है ॥....