सदस्य:Harsh kumar(1313)

विकिपुस्तक से

मानव का विकास निश्चित अवस्थाओं में होता है। विकास की प्रत्येक अवस्था की विशेषताएं होती है। मनोवैज्ञानिकों ने अपनी सुविधानुसार विकास को विभिन्न अवस्थाओं में बांटकर उनमें होने वाले परिवर्तनों और विशेषताओं को पहचानकर यह स्पष्ट कर दिया, कि बालक का विकास एक अवस्था से दूसरी अवस्था में अचानक नहीं होता, बल्कि विकास की गति स्वाभाविक रूप से क्रमशः होती रहती है। इन्हें मुख्य रूप से तीन अवस्थाओं में बांटा गया है-

शैशवावस्था (जन्म से 5 वर्ष तक)

बाल्यावस्था (5 से 12 वर्ष)

किशोरावास्था (12 से 18 वर्ष)

भाषा विकास विकास एक प्रक्रिया है जिसे मानवीय जीवन की शुरुआत में शुरू किया जाता है। शिशुओं का विकास भाषा के बिना शुरू होता है, फिर भी 10 महीने तक, बच्चे भाषण की आवाज को अलग कर सकते हैं और वे अपनी मां की आवाज़ और भाषण पैटर्न पहचानने लगते है और जन्म के बाद अन्य ध्वनियों से उन्हें अलग करने लगते है। भाषा के विकास को सीखने की साधारण प्रक्रियाओं के द्वारा आगे बढ़ना माना जाता है जिसमें बच्चों को भाषाई इनपुट से शब्दों, अर्थों और शब्दों के प्रयोग और बोलने का उपयोग होता है। [उद्धरण वांछित] जिस पद्धति में हम भाषा कौशल विकसित करते हैं वह सार्वभौमिक है; हालांकि, मुख्य बहस यह है कि कैसे सिंटैक्स के नियमों का अधिग्रहण किया जाता है। वाक्यविन्यास के विकास के लिए दो प्रमुख दृष्टिकोण हैं, एक अनुभववादी खाता जिसके द्वारा बच्चों ने भाषाई इनपुट से सभी वाक्यविन्यास नियम और एक नैतिकवादी दृष्टिकोण प्राप्त किया है जिसके द्वारा कुछ सिद्धांत वाक्यविन्यास जन्मजात हैं और मानव जीनोम के माध्यम से प्रेषित है।

डॉ.जे.एस.ब्रूनर ने बालमनोवृती को समझने और उस पर गहन अध्ययन किया है। उन्होंने बालविकास के साथ-साथ भाषा में होने वाले परिवर्तन पर अध्ययन किया है। उन्होंने भाषाविकास को बच्चे का विकास के साथ उसमे होने वाले परिवर्तन को सही ढंग से दर्शाया है। उन्होने अपने सिद्धांत में बचपन से बड़े होने तक बच्चे की भाषा और उसके सीखने का तरीको में होने वाले परिवर्तनों को एक साथ प्रस्तुत किया है।