सिविल सेवा प्रारंभिक परीक्षा सहायिका/मुद्रास्फीति

विकिपुस्तक से

जब मांग और आपूर्ति में असंतुलन पैदा होता है तो वस्तुओं और सेवाओं की कीमतें बढ़ जाती हैं। कीमतों में इस वृद्धि को मुद्रास्फीति कहते हैं। भारत अपनी मुद्रास्फीति की गणना दो मूल्य सूचकांकों के आधार पर करता है- थोक मूल्य सूचकांक (Wholesale Price Index- WPI) एवं उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (Consumer Price Index- CPI)। अत्यधिक मुद्रास्फीति अर्थव्यवस्था के लिये हानिकारक होती है, जबकि 2-3% की मुद्रास्फीति दर अर्थव्यवस्था के लिये सही मानी जाती है।