सिविल सेवा प्रारंभिक परीक्षा सहायिका/राष्ट्रीय आय

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[I.A.S-2001]राष्ट्रीय आय निरुपित करता है-बाजार किमतों पर सकल राष्ट्रीय उत्पाद,मूल्य ह्रास,और अप्ररत्यक्ष करों को घटाकर,सब्सिडी जोडकर।

आर्थिक देश की सीमा की संकल्पना:-राष्ट्रीय आय लेखांकन समष्टि अर्थशास्त्र की एक शाखा है और राष्ट्रीय आय तथा संबंधित समुच्चयों का आकलन इसका एक भाग है। राष्ट्रीय आय और इससे संबंधित कोई भी समुच्चय एक देश की उत्पादन क्रियाओं का माप है। आर्थिक सीमा:-संयुक्त राष्ट्र संघ के अनुसार आर्थिक सीमा एक देश की सरकार द्वारा प्रशासित वह भौगोलिक सीमा है जिसमें व्यक्तियों,वस्तुओं और पूंजी का निर्बाध संचालन होता है। इस परिभाषा का आधार व्यक्तियों,वस्तुओं और पूंजी के संचालन की स्वतंत्रता है।

आर्थिक सीमा का क्षेत्र
  1. देश की राजनीतिक सीमा (समुद्री सीमा और आकाशी चित्र सहित)
  2. देश के विदेशों में दूतावास,वाणिज्य दूतावास तथा सैनिक प्रतिष्ठान
  3. देश के निवासियों द्वारा दो या दो से अधिक देशों के मध्य चलाए जाने वाले जलयान व वायुयान।
  4. मछली पकड़ने की नौकाकएं ,तेल व प्राकृतिक गैसयान जो अंतरराष्ट्रीय जलसीमाओं में या उन क्षेत्रोें में चलाए जाते हैं,जिन पर देश का अनन्य अधिकार है।
  5. राष्ट्रीय आय समुच्चयों की दो श्रेणियां होती हैं-देशीय उत्पाद और राष्ट्रीय उत्पाद और राष्ट्रीय उत्पाद। एक देश की आर्थिक सीमा में स्थित उत्पादन इकाइयों द्वारा किया गया उत्पादन देशीय उत्पाद कहलाता है।
निवासी की संकल्पना

नागरिक और निवासी दो भिन्न शब्द हैं। एक व्यक्ति एक देश का नागरिक हो सकता है और अन्य देश का निवासी। जो भारतीय विदेश में रहते हैं,वे भारत के नागरिक हैं और जिस देश में रहते हैं उस के निवासी हैं।

निवासी की परिभाषा

एक व्यक्ति,या एक संस्था उस देश का निवासी कहलाता है जिस देश में रहता है, या स्थित है,व उसी की आर्थिक सीमा में उसके आर्थिक हित का केंद्र है।

आर्थिक हितों का केंद्र में शामिल होती हैं-वह निवासी (व्यक्ति या संस्था) उस देश की आर्थिक सीमा में रहता है या (स्थित है) और (2) उसकी कमाने,खर्च करने और संचय करने की आर्थिक क्रियाएं वहीं से होती हैं।

एक देश के निवासियों द्वारा किया गया उत्पादन,राष्ट्रीय उत्पाद कहलाता है। यह उत्पादन चाहे उस देश की आर्थिक सीमा में किया गया हो या उससे बाहर।

इसकी तुलना में उन सभी उत्पादन इकाइयों द्वारा किया गया उत्पादन जो एक देश की आर्थिक सीमा में स्थित है, देशीय उत्पाद कहलाता है, चाहे यह उत्पादन निवासियों द्वारा किया गया हो या गैर निवासियों द्वारा किया गया हो या गैर निवासियों द्वारा किया गया हो।

राष्ट्रीय उत्पाद और देशीय उत्पाद में संबंध[सम्पादन]

किसी देश की आर्थिक सीमा में किया गया कुल उत्पादन घरेलू उत्पाद होता है। किसी देश के निवासियों द्वारा किया गया कुल उत्पादन राष्ट्रीय उत्पाद होता है।

राष्ट्रीय उत्पाद=देसी उत्पाद +देश के निवासियों द्वारा आर्थिक सीमा से बाहर किया गया उत्पादन - देश की आर्थिक सीमा में गैर निवासियों द्वारा किया गया उत्पादन

या राष्ट्रीय उत्पाद=देशीय उत्पाद + विदेशों से प्राप्त कारक आय -विदेशों को दी गई कारक आय

राष्ट्रीय उत्पाद =देशीय उत्पाद +विदेशों से निवल कारक आय।

यदि विदेशों से प्राप्त कारक आय,विदेशों को दी गई कारक आय से अधिक होती है, तो विदेश से निबल कारक आय धनात्मक होगी। यदि विदेशों से प्राप्त कारक आय,विदेशों की दी गई कारक आय से कम होती है,तो विदेशों से निबल कारक आय ऋण आत्मक होगी।

औद्योगिक वर्गीकरण[सम्पादन]

उत्पादन इकाइयों का अलग-अलग औद्योगिक समूहों या क्षेत्रकों में समूहीकरण औद्योगिक वर्गीकरण कहलाता है।

  1. प्राथमिक क्षेत्र में उन उत्पादन इकाइयों को शामिल किया जाता है,जो प्राकृतिक संसाधनों के दोहन से उत्पादन करती हैं

जैसे कृषि,पशुपालन,मछली पकड़ना,खनिज निकालना,वानिकी आदि। इनसे द्वितीयक क्षेत्रक के लिए कच्चा माल मिलता है।

  1. द्वितीयक क्षेत्रक में वे उत्पादन इकाइयां शामिल की जाती हैं, जो एक प्रकार की वस्तु को दूसरे प्रकार की वस्तु में परिवर्तित करती हैं। कारखाने,निर्माण,बिजली,उत्पादन,जलापूर्ति आदि इसके कुछ उदाहरण हैं।
  2. तृतीयक क्षेत्रक को सेेवा क्षेत्रक भी कहते हैं,इसके अंतर्गत सेवाएं उत्पादन करने वाली उत्पादन इकाइयां आती हैं। परिवहन व्यापार,शिक्षा,होटल,सरकारी प्रशासन,वित्त आदि इसके कुछ उदाहरण हैं। राष्ट्रीय आय लेखांकन में राष्ट्रीय आय संबंधी बहुत से समुच्चय होते हैं।
  3. देशीय व राष्ट्रीय
  4. सकल व निबल
  5. कारक लागत पर आकलित और बाजार कीमत पर आकलित

निबल राष्ट्रीय उत्पाद[सम्पादन]

निबल देशीय उत्पाद= सकल देशीय उत्पाद- मूल्यह्रास
निबल राष्ट्रीय उत्पाद=सकल राष्ट्रीय उत्पाद - मूल्यह्रास

बाजार कीमत पर आकलन और साधन लागत पर आकलन साधन लागत पर देशीय उत्पाद =बाजार मूल्य पर देशीय उत्पाद - अप्रत्यक्ष कर + सरकारी सहायता(आर्थिक सहायता)

अप्रत्यक्ष कर और सरकारी सहायता के अंतर को निवल अप्रत्यक्ष कर कहते हैं।
निबल प्रत्यक्ष कर =अप्रत्यक्ष कर - सरकारी सहायता

साधन लागत पर राष्ट्रीय उत्पाद को राष्ट्रीय आय कहते हैं।

राष्ट्रीय आय =बाजार मूल्य पर सकल देशीय उत्पाद-मूल्यह्रास-निबल अप्रत्यक्ष कर+ विदेशों से निवल कारक आय

राष्ट्रीय आय के आकलन की विधियां[सम्पादन]

राष्ट्रीय आय के चक्रीय प्रवाह से हमें इसके आकलन की तीन विधियां मिलती हैं-उत्पादन(मूल्य संवृद्धि)विधि,आय विधि और व्यय विधि।

  1. उत्पादन(मूल्य संवृद्धि)विधि -इसके अंतर्गत पहले हम प्रत्येक क्षेत्रक में बाजार कीमत पर सकल मूल्य समृद्धि ज्ञात करते हैं और सभी क्षेत्रकों की इस मूल्य समृद्धि का योग करने में हमें बाजार कीमत पर सकल घरेलू उत्पाद ज्ञात हो जाता है।
  2. आय विधि के अंतर्गत पहले क्षेत्रक द्वारा किए गए कुल कारक भुगतान का आकलन करते हैं। फिर तीनों क्षेत्रकों के कारक भुगतानों का योग करने से हमें साधन लागत पर निबल मूल्य वृद्धि (देशीय उत्पाद) या देशीय कारक आय ज्ञात हो जाती है।

देशीय कारक आय (कारक भुगतान) के निम्नलिखित घटक होते हैं-

  1. कर्मचारियों का पारिश्रमिक
  2. किराया और रॉयल्टी
  3. ब्याज
  4. लाभ

मिश्रित आय से तात्पर्य है,सारे कारकों की सम्मिलित आय। अतः साधन लागत पर निबल देशीय उत्पाद = कर्मचारियों का पारिश्रमिक + किराया व रॉयल्टी + ब्याज+लाभ+मिश्रित आय(यदि हो)

व्यय विधि के अंतर्गत हम उपभोग और निवेश पर किए गए व्यय को जोड़ लेते हैं। यह व्यय देशीय उत्पाद पर किया गया व्यय होता है। इसके विभिन्न घटक हैं-
  1. निजी अंतिम उपभोग व्यय
  2. सरकारी अंतिम उपभोग व्यय
  3. सकल देशीय पूंजी निर्माण
  4. निबल निर्यात (निर्यात-आयात)

प्रयोज्य आय उपभोग व्यय और बचत के लिए उपलब्ध को प्रयोज्य आय कहते हैं। इसमें कारक आय और हस्तांतरण (गैर कारक आय )दोनों शामिल होती हैं। राष्ट्रीय आय में केवल कारक आए शामिल की जाती है। यदि राष्ट्रीय आय ज्ञात हो,तो प्रयोज्य आय ज्ञात की जा सकती है। राष्ट्रीय प्रयोज्य आय इससे संबंधित दो समुच्चय होते हैं- सकल राष्ट्रीय प्रयोज्य आय=राष्ट्रीय आय + निबल अप्रत्यक्ष कर + मूल्य ह्रास + विदेशों से निबल चालू हस्तांतरण भारत के संबंध में किसी राष्ट्र के नागरिकों द्वारा एक वर्ष की अवधि में उत्पादित समस्त अंतिम वस्तुओं और सेवाओं का कुल मौद्रिक मूल्य राष्ट्रीय आय कहलाता है। राष्ट्रीय आय की गणना तीन विधियों से की जाती है-

  1. उत्पादन विधि-समस्त संसाधनों द्वारा कुल अंतिम उत्पादन।
  2. आय विधि- समस्त संसाधनों द्वारा अर्जित कुल आय।
  3. व्यय विधि-समस्त उपभोग/व्ययों का योग।

भारत में राष्ट्रीय आय का सर्वप्रथम अनुमान दादा भाई नौरोजी ने 1868 ईस्वी में लगाया था। स्वतंत्रता पूर्व विलियम डिग्वी,फिंडले शिराज,शाह एवं खंभाता ,आर.सी देसाई,वी नटराजन आदि ने भी राष्ट्रीय आय का अनुमान प्रस्तुत किया।

स्वतंत्रता पूर्व सर्वाधिक वैज्ञानिक अनुमान वर्ष 1931-32 में वी.के.आर वी.राव द्वारा प्रस्तुत किया गया।

स्वतंत्रता के पश्चात भारत में राष्ट्रीय आय की गणना हेतु वर्ष 1949 में पी.सी.महालनोविस की अध्यक्षता में राष्ट्रीय आय समिति का गठन किया गया । तीन सदस्यीय इस समिति में डी.आर.गाडगिल एवं वी.के.आर वी.राव भी सदस्य थे। इस समिति द्वारा वर्ष 1951 में पहली बार जबकि वर्ष 1954 में दूसरी रिपोर्ट प्रस्तुत किया गया। वर्तमान में राष्ट्रीय आय की गणना केंद्रीय सांख्यिकी कार्यालय द्वारा की जाती है जो कि केंद्रीय सांख्यिकी एवं कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय के अधीन कार्य करती है।

राष्ट्रीय आय की अवधारणाएं[सम्पादन]

सकल घरेलू उत्पाद किस देश की भौगोलिक सीमा के भीतर एक वित्तीय वर्ष में उत्पादित समस्त अंतिम वस्तुओं एवं सेवाओं का कुल मौद्रिक मूल्यहै।

वर्तमान में क्रय शक्ति क्षमता(PPP) के आधार पर भारत की जीडीपी विश्व की तीसरी (चीन एवं अमेरिका के बाद)सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है। वास्तविक जीडीपी में भारत 6ठी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है।

भारत से बड़ी पांच अर्थव्यवस्थाएं क्रमश:(घटते क्रम में) यूएसए,चीन,जापान,जर्मनी तथा यूनाइटेड किंगडम हैैं।

आर्थिक समीक्षा 2018-19 के अनुसार भारतीय अर्थव्यवस्था वर्ष 2018-19 में विश्व में सबसे तीव्र उभरती हुई मुख्य अर्थव्यवस्था रही, जिसमें इसका सकल घरेलू उत्पाद वर्ष 2017 -18 में 7.2% तथा वर्ष 2018-19 में थोड़ा कम होकर 6.8% रहा।

किसी देश के नागरिकों (निवासी एवं अनिवासी दोनों) द्वारा किसी वित्तीय वर्ष में उत्पादित अंतिम वस्तुओं एवं सेवाओं के कुल मौद्रिक मूल्य को उस देश का सकल राष्ट्रीय उत्पाद कहा जाता है।

सकल राष्ट्रीय आय की गणना में विदेश में कार्यरत देश के नागरिकों की आय को जोड़ा जाता है,जबकि देश के भीतर कार्यरत विदेशी व्यक्तियों की आय को घटा दिया जाता है।

GNP=GDP+विदेशों से अर्जित शुद्ध आय

NNP=GNP-मूल्यह्रास

साधन लागत पर शुद्ध राष्ट्रीय उत्पाद को ही राष्ट्रीय आय कहा जाता है।[I.A.S-1997]