सिविल सेवा प्रारंभिक परीक्षा सहायिका/वर्ष 2040 में भारत की जनसंख्या और उपाय

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भारत की जनसंख्या वृद्धि दर 1971-81 में 2.5 प्रतिशत वार्षिक से घटकर 2011-16 में 1.3 प्रतिशत रह गई है। दक्षिणी राज्यों के साथ-साथ पश्चिम बंगाल,पंजाब,महाराष्ट्र,ओडिशा,असम और हिमाचल प्रदेश में जनसंख्या 1 प्रतिशत की दर से भी कम पर बढ़ रही है | दक्षिणी राज्य,हिमाचल प्रदेश, पंजाब, पश्चिम बंगाल और महाराष्ट्र जनांकिकीय संक्रमण में पहले से इन स्थितियों में आगे है, (1) कुल गर्भधारण दर पहले ही प्रतिस्थापन स्तर से नीचे है, जनसंख्या वृद्धि का मुख्य कारण पूर्व गतिशीलता है, (2) 10 प्रतिशत से अधिक जनसंख्या 60 वर्षीय या अधिक है, और (3) कुल एक-तिहाई जनसंख्या 20 वर्ष से कम आयु की है।

22 प्रमुख राज्यों में से 13 राज्यों में कुल गर्भधारण दर कुल गर्भ धारण दर के प्रतिस्थापन स्तर से कम है वास्तव में दिल्ली,पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, पंजाब और हिमाचल प्रदेश कुल गर्भधारण दर इतनी कम रही है कि यह 1-6-1-7 के बीच आ गई है। यहां तक कि उच्च प्रजनन क्षमता वाले राज्यों जैसे बिहार, झारखंड, राजस्थान, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड में भी इन वर्षों में कुल गर्भ धारण दर में तेज़ी से कमी आई है।

कुल प्रजनन दर: यह एक महिला के संपूर्ण जीवनकाल में प्रसव करने वाली उम्र की महिला से पैदा या पैदा होने वाले कुल बच्चों की संख्या को संदर्भित करता है। यह बिहार के बाद सबसे ज़्यादा यूपी में है और दिल्ली के लिये सबसे कम है।

महिलाओं के एक विशेष वर्ग द्वारा उनकी प्रजनन आयु की अवधि के अंत तक पैदा किये गए बच्चों की औसत संख्या को सकल प्रजनन दर (Total Fertility Rate-TFR) कहा जाता है।

प्रतिस्थापन स्तर,प्रजनन क्षमता का वह स्तर जिस पर एक आबादी खुद को एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी में बदल देती है।प्रति महिला लगभग 2.1 जीवित बच्चों की संख्या को प्रतिस्थापन स्तर की प्रजनन दर कहा जाता है।
प्रभावी प्रतिस्थापन स्तर प्रजनन क्षमता:- प्रतिस्थापन स्तर प्रजनन क्षमता विषम लिंगानुपात के लिये समायोजित की जाती है।

दक्षिणी राज्य, हिमाचल प्रदेश, पंजाब, पश्चिम बंगाल और महाराष्ट्र जननांकिकीय संक्रमण के निम्नलिखित बिन्दुओं पर पहले से आगे है:

  1. सकल प्रजनन दर प्रतिस्थापन स्तर की प्रजनन दर से नीचे है।
  2. गतिशीलता जनसंख्या वृद्धि का मुख्य कारण है।
  3. 10% से अधिक जनसंख्या 59 वर्ष या उससे अधिक आयु की है।
  4. कुल एक-तिहाई जनसंख्या 20 वर्ष से कम आयु की है।

राष्ट्रीय और राज्य स्तर पर विषम लिंगानुपात के कारण प्रतिस्थापन स्तर की प्रजनन दर सामान्य मानदंड 2.1 से अधिक है अर्थात् एक महिला को जनसंख्या का प्रतिस्थापन स्तर बनाए रखने के लिये 2.1 से अधिक की प्रजनन दर से बच्चों को जन्म देना होगा। वर्ष 2021-41 के लिये पूर्वानुमानों के अनुसार राष्ट्रीय स्तर पर सकल प्रजनन दर में लगातार गिरावट जारी रहेगी और वर्ष 2021 तक TFR प्रतिस्थापन स्तर से नीचे गिरकर 1.8 तक पहुँच जाएगी। राज्य स्तर पर पश्चिम बंगाल, पंजाब, महाराष्ट्र, हिमाचल प्रदेश और दक्षिणी राज्यों सहित पहले से ही प्रतिस्थापन स्तर से नीचे TFR वाले राज्यों में भी इसमें गिरावट का अनुमान है जिसके वर्ष 2021 तक 1.5 से 1.6 के निम्न स्तर तक पहुँचने की संभावना है। प्रजनन दर संक्रमण में पीछे रहने वाले राज्यों में भी TFR में लगातार गिरावट जारी रहेगी और इसके प्रतिस्थापन स्तर से नीचे 1.8 तक पहुँचने का अनुमान है। झारखंड, हरियाणा और छत्तीसगढ़ में यह वर्ष 2021 तक और उत्तर प्रदेश, राजस्थान और मध्य प्रदेश में यह वर्ष 2031 तक 1.8 तक पहुँच सकती है। वस्तुत: सभी राज्यों में प्रजनन दर के वर्ष 2031 तक प्रतिस्थापन स्तर से नीचे रहने की आशा है।

कुल प्रजनन दर (TFR) में वर्ष 1980 के मध्य से निरंतर गिरावट देखी गई है।1980 के दशक से भारत में कुल गर्भधारण दर (TFR) में लगातार गिरावट आई है। यह 1984 के 4.5 से आधी होकर वर्ष 2016 में 2.3 हो गई थी।


राष्ट्रीय स्तर पर: जनांकिकीय प्रक्षेपण दर्शाते हैं कि भारत की जनसंख्या वृद्धि अगले दो दशकों में लगातार धीमी रहेगी, यह 2021-31 के बीच 1 प्रतिशत से कम और 2031-41 के बीच 0.5 प्रतिशत से कम गिरेगी। वास्तव में कुल गर्भधारण दर के 2021 तक प्रतिस्थापन स्तर से काफी नीचे गिरने के अनुमान सहित। युवा जनसंख्या (0-19 वर्ष): जनसंख्या के इस हिस्से में पहले से ही कमी प्रारंभ हो गई है तथा यह 2011 के उच्चतम स्तर यानी 41 प्रतिशत से घटकर 2041 तक 25 प्रतिशत रह जाएगी | बुजुर्ग जनसंख्या (60 वर्ष और उससे अधिक): यह लगातार बढ़ेगी और इसके 2011 के 8.6% से बढ़कर 2041 तक 16% होने की उम्मीद है | भारत का जनसांख्यिकीय लाभांश वर्ष 2041 तक लगभग अपने चरम पर होगा, जब कामकाजी-आयु यानी 20-59 वर्ष की जनसंख्या के 59% तक पहुँचने की संभावना है।