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हिंदी कविता आधुनिक काल छायावाद तक/अब जागो जीवन के प्रभात

विकिपुस्तक से
अब जागो जीवन के प्रभात
जयशंकर प्रसाद

जागो जीवन के प्रभात !

           वसुधा पर ओस बने बिखरे
           हिमकन आँसू जो क्षोभ भरे
           उषा बटोरती अरुण गात !
अब जागो जीवन के प्रभात !

           तम नयनों की ताराएँ सब-
           मुद रही किरण दल में हैं अब,
           चल रहा सुखद यह मलय वात !
अब जागो जीवन के प्रभात !

           रजनी की लाज समेटो तो,
           कलरव से उठ कर भेंटो तो ,
           अरुणाचल में चल रही बात,
अब जागो जीवन के प्रभात !