विशिष्ट आपेक्षिकता/समकालिकता, समय विस्फारण और लम्बाई संकुचन
समकालिकता की आपेक्षिकता के बारे में और अधिक[सम्पादन]
उदाहरण: आपेक्षिक मत्कुण पकड़ना[सम्पादन]
एण्ड्रोमेडा विरोधाभास[सम्पादन]
यमल (ट्विन) विरोधाभास[सम्पादन]
एक तरफा यात्रा[सम्पादन]
यदि वेग में परिवर्तन होता है तो उसका क्या परिणाम क्या होता है?[सम्पादन]
"यमल विरोधाभास" में समयान्तराल का वर्णन[सम्पादन]
लम्बाई में संकुचन की प्रकृति[सम्पादन]
समय विस्फारण के बारे में अधिक[सम्पादन]
पोल-बार्न विरोधाभास[सम्पादन]
लम्बाई संकुचन के साक्ष्य, अनन्त सरल रेखीय धारा का क्षेत्र[सम्पादन]
डी-ब्रोगली तरंगे[सम्पादन]
बेल की अंतरिक्षयान विरोधाभास[सम्पादन]
अनुप्रस्थ डॉप्लर प्रभाव[सम्पादन]
कोणों का आपेक्षिक रूपांतरण[सम्पादन]
यदि छड़ प्रेक्षक की ओर अथवा उसके विपरीत अपनी गति की दिशा से किसी कोण पर है तो गति की दिशा में लम्बाई संकुचित होगी। इसका अर्थ यह है कि निर्देश तंत्र को परिवर्तित करने पर प्रेक्षित कोण भी रूपान्तरित हो जाते हैं। यह मानते हुये कि गति केवल x-अक्ष की ओर है, माना कि छड़ की यथार्थ लम्बाई (विरामावस्था में लम्बाई) मीटर है और x'-अक्ष से डिग्री कोण पर स्थित है। अक्ष के साथ कोण का स्पर्शज्या (tangent) मान निम्नलिखित होगा:
- छड़ के विराम अवस्था वाले निर्देश तंत्र में स्पर्शज्या =
- प्रेक्षक के निर्देश तंत्र में स्पर्शज्या =
- अतएव:
- लेकिन
- और
- अतः
इससे प्रदर्शित होता है कि गति की दिशा में प्रेक्षित कोणों के मान वेग के साथ बढ़ते हैं।
गतिशील वस्तु द्वारा x-अक्ष के साथ निर्मित कोण में आपतन कोण के सत्य मान के लिए वेग रूपान्तरण को शामिल करना भी जरूरी होता है।
वेगों का संयोजन[सम्पादन]
परस्पर v मीटर प्रति सेकण्ड सापेक्ष वेग से गतिमान दो प्रेक्षक तीसरी वस्तु के वेग को प्रेक्षित करके कैसे तुलना करेंगे?
माना कि एक प्रेक्षक किसी वस्तु के वेग को प्रेक्षित करता है जहाँ :
निर्देशांक और लोरेन्ट्ज़ रूपांतरण द्वारा दिये जाते हैं :
और
लेकिन
अतः :
इस प्रकार हमें
प्राप्त होता है। यहाँ पद के उपयोग पर ध्यान दें। समीकरण को निम्नलिखित रूप में पुनः लिखा जा सकता है :
जहाँ :
इसे आपेक्षिक वेग संयोजन प्रमेय के रूप में जाना जाता है, ये पारस्परिक गति के समानान्तर वेगों पर लागू होता है।
समय विस्फारण का अस्तित्व का अर्थ यह है कि जब वस्तुयें एक दूसरे के लम्बवत दिशा में गतिशील होती हैं तब भी एक दूसरे के प्रति गतिशील प्रेक्षकों द्वारा प्रेक्षित वेगों में भिन्नता पायी जाती है। यदि वेग का कोई घटक x-दिशा में (, ) है तो समय मापन को कला प्रभावित करता है और इससे x-अक्ष के लम्बवत वेग प्रभावित होते हैं। निम्नलिखित सूची में दिक्काश में विभिन्न दिशाओं में वेगों के आपेक्षिक संयोजन को संक्षिप्त में दिया गया है।
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यहाँ ध्यान रहे कि किसी भी प्रेक्षक के लिए अन्य निर्देश तंत्र में वेगों का योग (u और v) कभी प्रकाश के वेग से अधिक नहीं हो सकता। इसका अर्थ यह हुआ कि प्रकाश का वेग किसी भी निर्देश तंत्र में अधिकतम वेग होगा।