समसामयिकी 2020/सांविधिक आयोग

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  • भारतीय खाद्य निगम (Food Corporation of India- FCI) ‘उपभोक्ता मामले, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण मंत्रालय’ के खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण विभाग के अंतर्गत शामिल सार्वजनिक क्षेत्र का उपक्रम है। भारतीय खाद्य निगम अधिनियम, 1964 के तहत वर्ष 1965 में स्थापित एक सांविधिक निकाय है। देश में भीषण अन्न संकट, विशेष रूप से गेहूँ के अभाव के चलते इस निकाय की स्थापना की गई थी। इसका मुख्य कार्य खाद्यान्न एवं अन्य खाद्य पदार्थों की खरीद, भंडारण, परिवहन, वितरण और बिक्री करना है।
  • कृषकों के लिये लाभकारी मूल्य की सिफारिश करने हेतु वर्ष 1965 में ही कृषि लागत और मूल्य आयोग (Commission for Agricultural Costs and Prices- CACP) का भी गठन किया गया। भारत सरकार के कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय से संलग्न यह आयोग कृषि उत्पादों के न्यूनतम समर्थन मूल्य (Minimum Support Price- MSP) के बारे में सलाह देता है।आयोग द्वारा 24 कृषि फसलों के लिये न्यूनतम समर्थन मूल्य जारी किये जाते हैं। इसके अतिरिक्त गन्ने के लिये न्यूनतम समर्थन मूल्य की जगह ‘उचित एवं लाभकारी मूल्य’ (Fair And Remunerative Price- FRP) की घोषणा की जाती है।
गन्ना मूल्य निर्धारण के लिये अनुमोदन आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति द्वारा किया जाता है। वर्तमान में CACP 23 वस्तुओं के MSPs की सिफारिश करता है, जिनमें 7 अनाज (धान, गेहूँ, मक्का, ज्वार, बाजरा और रागी), 5 दलहन (चना, अरहर, मूँग, उड़द, मसूर), 7 तिलहन (मूँगफली, तोरिया-सरसों, सोयाबीन, तिल, सूरजमुखी, कुसुम, नाइजर सीड) और 4 वाणिज्यिक फसलें (खोपरा, गन्ना, कपास और कच्ची जूट) शामिल हैं।

पीएम-केयर्स फंड और सूचना का अधिकार[सम्पादन]

जून 2020 में प्रधानमंत्री कार्यालय (PMO) ने पीएम-केयर्स फंड (PM-CARES Fund) के संबंध में RTI अधिनियम के तहत दायर आवेदन में मांगी गई सूचना को देने से यह कहते हुए इनकार कर दिया कि सूचना का अधिकार अधिनियम, 2005 के तहत पीएम-केयर्स फंड एक 'सार्वजनिक प्राधिकरण' (Public Authority) नहीं है। COVID-19 महामारी से निपटने हेतु ‘आपात स्थितियों में प्रधानमंत्री नागरिक सहायता और राहत कोष (Prime Minister’s Citizen Assistance and Relief in Emergency Situations Fund)’ अर्थात् ‘पीएम-केयर्स फंड’ (PM-CARES Fund) की स्थापना की थी। याचिकाकर्त्ता ने अपने RTI आवेदन में ‘पीएम-केयर्स फंड’ की ट्रस्ट डीड और इसके निर्माण तथा संचालन से संबंधित सभी सरकारी आदेशों, अधिसूचनाओं और परिपत्रों की प्रतियाँ मांगी थीं।

ट्रस्ट डीड (Trust Deed) के तहत ट्रस्ट का व्यवस्थापक ट्रस्ट की संपत्ति को ट्रस्ट के संरक्षकों अर्थात ट्रस्टियों (Trustees) को हस्तांतरित करता है और ट्रस्टियों को ट्रस्ट डीड में निर्दिष्ट नियमों और शर्तों के अनुसार कार्य कार्य करना अनिवार्य बनाता है।

ट्रस्ट डीड में मुख्यतः निम्नलिखित तथ्य शामिल होते हैं- (1) ट्रस्ट के गठन का उद्देश्य (2) फंड कहाँ से लिया जा सकता है और कहाँ से नहीं (3) ट्रस्टी की शक्तियाँ। इससे पूर्व भी कई अवसरों पर प्रधानमंत्री कार्यालय ने ‘पीएम-केयर्स फंड’ के संबंध में आवश्यक जानकारी उपलब्ध कराने से इनकार कर दिया था।

पीएम-केयर्स फंड एक सार्वजनिक धर्मार्थ ट्रस्ट (Public Charitable Trust) है और प्रधानमंत्री इसके पदेन अध्यक्ष हैं। साथ ही रक्षा मंत्री, गृह मंत्री और वित्त मंत्री इसमें पदेन ट्रस्टीयों के रूप में शामिल हैं, जो कि स्पष्ट तौर पर इसके सार्वजनिक प्राधिकरण होने का संकेत देता है। इस प्रकार ट्रस्ट की संरचना यह दर्शाने के लिये पर्याप्त है कि सरकार का ट्रस्ट पर अत्यधिक नियंत्रण है, जिससे यह एक सार्वजनिक प्राधिकरण बन जाता है।

इस फंड के संबंध में जारी आवश्यक दिशा-निर्देशों में भी यह काफी अस्पष्ट है कि पीएम-केयर्स फंड सूचना के अधिकार अधिनियम के तहत आता है अथवा नहीं?

प्रधानमंत्री राष्ट्रीय राहत कोष (Prime Minister’s National Relief Fund)पाकिस्तान से विस्थापित लोगों की मदद करने के लिये जनवरी, 1948 में तत्कालीन प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू की अपील पर जनता के अंशदान से प्रधानमंत्री राष्ट्रीय राहत कोष की स्थापना की गई थी।

प्रधानमंत्री राष्ट्रीय राहत कोष की धनराशि का इस्तेमाल अब प्रमुखतया बाढ़, चक्रवात और भूकंप आदि जैसी प्राकृतिक आपदाओं में मारे गए लोगों के परिजनों तथा बड़ी दुर्घटनाओं एवं दंगों के पीड़ितों को तत्काल राहत पहुँचाने के लिये किया जाता है। प्रधान मंत्री राष्ट्रीय राहत कोष में किये गये अंशदान को आयकर अधिनियम, 1961 (Income Tax Act, 1961) के तहत कर योग्य आय से पूरी तरह छूट हेतु अधिसूचित किया जाता है।

सूचना के अधिकार की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि

वैश्विक स्तर सूचना के अधिकार को एक नई पहचान तब मिली जब वर्ष 1948 में संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा यूनिवर्सल डिक्लेरेशन ऑफ ह्यूमन राइट्स (Universal Declaration of Human Rights) को अपनाया गया। इसके माध्यम से सभी को मीडिया या किसी अन्य माध्यम से सूचना मांगने एवं प्राप्त करने का अधिकार दिया गया। अमेरिका के तीसरे राष्ट्रपति थॉमस जैफरसन के अनुसार, “सूचना लोकतंत्र की मुद्रा होती है एवं किसी भी जीवंत सभ्य समाज के उद्भव और विकास में महत्त्वपूर्ण भूमिका अदा करती है।” भारतीय लोकतंत्र को मज़बूत करने और शासन में पारदर्शिता लाने के उद्देश्य से भारतीय संसद ने सूचना का अधिकार अधिनियम, 2005 लागू किया।

RTI अधिनियम के उद्देश्य
  1. पारदर्शिता लाना
  2. जवाबदेही तय करना
  3. नागरिकों को सशक्त बनाना
  4. भ्रष्टाचार पर रोक लगाना
  5. लोकतंत्र की प्रक्रिया में नागरिकों की भागीदारी सुनिश्चित करना

RTI की उपलब्धियाँ प्रसिद्ध 2G घोटाला यह घोटाला उच्च पदों पर बैठे अधिकारियों द्वारा शक्तियों के दुरुपयोग का सबसे प्रमुख उदाहरण है। इस घोटाले के कारण भारत सरकार को 1,76,645 करोड़ रुपए का नुकसान हुआ था। उल्लेखनीय है कि यह बड़ा घोटाला तब सामने आया जब एक RTI कार्यकर्त्ता ने अधिनियम का उपयोग कर इसके खिलाफ एक RTI दायर की।

2010 कॉमनवेल्थ गेम एक गैर-लाभकारी संगठन द्वारा दायर एक RTI से पता चला था कि दिल्ली सरकार ने राष्ट्रमंडल खेलों के लिये दलित समुदाय के कल्याण हेतु रखे गए फंड से 744 करोड़ रुपए निकाले थे। साथ ही RTI से यह भी सामने आया कि निकाले गए पैसों का प्रयोग जिन सुविधाओं पर किया गया वे सभी मात्र कागज़ों पर ही थीं।

चुनौतियाँ

औपनिवेशिक हितों के अनुरूप निर्मित वर्ष 1923 का सरकारी गोपनीयता अधिनियम (Official Secrets Act) RTI की राह में प्रमुख बाधा है, द्वितीय प्रशासनिक सुधार आयोग (Second Administrative Reform Commission) ने इस अधिनियम को खत्म करने की सिफारिश की है जिस पर पारदर्शिता के लिहाज से अमल करना आवश्यक है। इसके अलावा कुछ अन्य चुनौतियाँ भी विद्यमान हैं, जैसे-

  1. नौकरशाही में अभिलेखों के रखने व उनके संरक्षण की व्यवस्था बहुत कमज़ोर है।
  2. सूचना आयोगों को चलाने के लिये पर्याप्त अवसंरचना और कर्मियों/स्टाफ का अभाव है।
  3. सूचना का अधिकार कानून के पूरक कानूनों, जैसे- ‘व्हिसल ब्लोअर संरक्षण अधिनियम’ (Whistle Blowers Protection Act) का कुशल क्रियान्वयन नहीं हो पाया है।
राजस्थान सरकार ने हाल ही में जन सूचना पोर्टल (Jan Soochna Portal-JSP) की शुरुआत की है। इस पोर्टल का मुख्य उद्देश्य सरकार तथा सरकारी विभागों से संबंधित जानकरी को आम जनता तक पहुँचाना है।

जानकारों का कहना है कि यह पोर्टल सूचना के अधिकार (RTI) - विशेषकर RTI अधिनियम की धारा (4) - जो कि सूचना के सक्रिय खुलासे या प्रकटीकरण से संबंधित है, को आगे बढ़ाने की दिशा में एक महत्त्वपूर्ण उपलब्धि है। पारदर्शिता के साथ उत्तरदायित्व का होना आवश्यक है और इस दृष्टिकोण से JSP अत्यंत महत्त्वपूर्ण व मूल्यवान है, क्योंकि यह राज्य सरकार को उन सभी लोगों के प्रति उत्तरदायी बनाने की शक्ति रखता है जो पोर्टल पर उपलब्ध सूचनाओं का उपयोग करते हैं। जन सूचना पोर्टल का विकास राजस्थान के सूचना व प्रोद्योगिकी विभाग द्वारा किया गया है। इस पोर्टल पर राजस्थान सरकार के 13 विभागों की 23-24 प्रकार की जानकारियाँ एक ही स्थान पर उपलब्ध हैं। इस पोर्टल के शुभारंभ के साथ ही राजस्थान ऐसा पहला राज्य बन गया है जिसने एक ही प्लेटफॉर्म पर कई विभागों की सूचना उपलब्ध कराई है।

सूचना का अधिकार अधिनियम, 2005 की धारा 2(h) के तहत सार्वजनिक प्राधिकरण से तात्पर्य ऐसी संस्थाओं से है:-
  1. जो संविधान या इसके अधीन बनाई गए किसी अन्य विधान द्वारा निर्मित हो;
  2. राज्य विधानमंडल द्वारा या इसके अधीन बनाई गई किसी अन्य विधि द्वारा निर्मित हो;
  3. केंद्र या राज्य सरकार द्वारा जारी किसी अधिसूचना या आदेश द्वारा निर्मित हो;
  4. पूर्णत: या अल्पत: सरकारी सहायता प्राप्त हो।