कृष्ण काव्य में माधुर्य भक्ति के कवि/नागरीदास का जीवन परिचय
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(नागरीदास का जीवन परिचय से अनुप्रेषित)
नागरीदास हरिदासी सम्प्रदाय के चतुर्थ आचार्य भक्त कवि हैं। महन्त किशोरीदास के अनुसार आप का जन्म वि ० सं ० १६०० में हुआ। इसकी पुष्टि महन्त किशोरी दास द्वारा निजमत सिद्धान्त के निम्न दिए उद्धरण से होती है:
- सम्वत सोरह सै तनु धाऱयो। महा शुक्ल पंचमी बिचारयो।।
ये तत्कालीन बंगाल राजा के मंत्री कमलापति के पुत्र थे। ऐसा है कि इनके पिता पुनः प्राण-दान देने के कारण बिहारिनदेव जी का अपने ऊपर बहुत ऋण मानते थे। उसी ऋण से मुक्त होने के लिए उन्होंने अपने दो विरक्त साधू स्वभाव के पुत्रों को वृन्दावन स्थित श्री बिहारिनदेव की चरण-शरण में भेज दिया। इन पुत्रों में बड़े नागरीदास और छोटे सरसदास थे।
- नागरीदास का सम्बन्ध गौड़ ब्राह्मण जाती से है किन्तु इनके जन्म स्थान आदि के सम्बन्ध में निश्चित रूप से कुछ भी पता नहीं है। लेकिन इनके पिता बंगाल के राजा के मंत्री थे इस आधार पर इनका जन्म बंगाल माना जा सकता है। बिहारिनदेव का शिष्यत्व स्वीकार कर लेने पर शेष जीवन वृन्दावन में बीता। दीक्षा ग्रहण समय इनकी आयु २२ वर्ष की थी और ४८ वर्ष का समय इन्होंने वृन्दावन में भजन-भाव में व्यतीत किया। इस आधार पर इनका परलोक गमन का समय वि सं ० १६७० माना जा सकता है।