कृष्ण काव्य में माधुर्य भक्ति के कवि/विट्ठलविपुलदेव का जीवन परिचय

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विट्ठलविपुल देव की हरिदासी सम्प्रदाय में प्रमुख भक्त कवियों में गिनती की जाती है। ये स्वामी हरिदास के मामा के पुत्र थे। हरिदासी सम्प्रदाय के विद्वानों के अनुसार ये स्वामी हरिदास से आयु में कुछ बड़े थे और इनकी मृत्यु स्वामी जी की मृत्यु के एक वर्ष बाद हुई। इसलिए ये स्वामी जी के समकालीन हैं। इनका निधन-काल वि ० सं ० १६३२ मन जा सकता है । इनका जन्म कहाँ हुआ यह निश्चित नहीं है लेकिन यह सर्वसम्मत है कि स्वामी हरिदास के जन्म के बाद आप उनके पास राजपुर में ही रहते थे और स्वामी जी के विरक्त होकर वृन्दावन आ जाने पर आप भी वृन्दावन आ गये। आयु में बड़े होने पर भी स्वामी हरिदास का शिष्यत्व स्वीकार किया। ये बाल्यकाल से ही स्वामी जी से प्रभावित थे और उन्हें एक महापुरुष मानते थे। स्वामी जी की मृत्यु के उपरान्त ये टट्टी संस्थान की गद्दी पर बैठे किन्तु स्वामी जी के वियोग की भावना इतनी प्रवल थी एक वर्ष बाद ही इनका परलोक गमन हो गया।