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कहीं आपका मतलब प्रसाद शुक्ल तो नहीं था?
  • में यह छन्द दिया गया है: "सबका निचोड़ लेकर तुम सुख से सूखे जीवन में बरसो प्रभात हिमकण-सा आंसू इस विश्व सदन में।" कवि पंत (1900-1970) छायावाद को प्रतिष्ठित...
    ९५ KB (६,६०३ शब्द) - ०५:१६, ३ दिसम्बर २०२१
  • में अभागिनी को संबोधन करके कवि कहता है , चुकती है नहीं निशा तेरी, है कभी प्रभात नहीं होता। तेरे सोहाग का सुख, बाले! आजीवन रहता है सोता हैं फूल फूल जाते...
    २३० KB (१७,७४१ शब्द) - १३:४९, २५ मार्च २०१७
  • संपुष्टि में योग दे रहे हैं। अभी हाल ही में कुछ नाटक प्रकाशित हुए हैं : प्रभात कुमार भट्टाचार्य का ‘काठ महल’, गंगाप्रसाद विमल का ‘आज नहीं कल’, प्रियदर्शी...
    १४८ KB (१०,१३७ शब्द) - १३:२३, २८ मार्च २०२३
  • पदविन्यासयुक्त उपन्यास, जैसे , स्वर्गीय श्री चंडीप्रसाद 'हृदयेश' का 'मंगल प्रभात'। अनुसंधान और विचार करने पर इसी प्रकार की और दृष्टियों से भी कुछ भेद किए...
    १९३ KB (१४,४३२ शब्द) - १३:२९, २४ मार्च २०१७