सदस्य:Subodh khandelwal

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'''श्री मध्यभारत हिन्दी साहित्य समिति, इन्दौर'''


श्री मध्यभारत हिन्दी साहित्य समिति इन्दौर, हिन्दी के प्रचार, प्रसार और विकास के लिये कार्यरत देश की प्राचीनतम सन्स्थाओ मे से एक है. समिति, की स्थापना सन् १९१० में महात्मा गांधी की प्रेरणा से हुई थी। सन १९१८ मे राष्ट्रपिता महात्मा गान्धी ने समिति के इन्दौर स्थित परिसर से ही सबसे पहले हिन्दी को राष्ट्रभाषा बनाने का आव्हान किया था. यहा हुए हिन्दी साहित्य सम्मेलन के दौरान ही पूज्य बापु ने अहिन्दी भाषी प्रदेशो मे हिन्दी के प्रचार के लिये अपने पुत्र देवदत्त गांधी सहित पान्च लोगो को हिन्दी दूत बनाकर तत्कालीन मद्रास प्रान्त मे भेजा था. इसी अधिवेशन मे तत्कालीन मद्रास प्रान्त मे "हिन्दी प्रचार सभा" की स्थापना का सन्कल्प लेकर इस उद्देश्य की पूर्ति हेतु धन सन्ग्रह किया गया था. इस तरह देश के अहिन्दी भाषी राज्यो मे हिन्दी के प्रचार के पहले प्रयास मे श्री मध्यभारत हिन्दी साहित्य समिति की भूमिका अत्यन्त उल्लेखनीय और प्रभावशाली रही है.

सन १९३५ मे समिति मे पुनः हिन्दी साहित्य सम्मेलन का आयोजन किया गया था. इस अधिवेशन की अध्यक्षता भी गांधीजी ने की. समिति द्वारा प्रकाशित मासिक पत्रिका "वीणा" देश की एकमात्र पत्रिका है जो सन १९२७ से निरन्तर प्रकाशित हो रही है. आचार्य रामचन्द्र शुक्ल, हजारीलाल द्विवेदी, 'निराला','दिनकर' सुमित्रानन्दन पन्त, महादेवी वर्मा,प्रेमचन्द,जयशन्कर प्रसाद, व्रन्दावन लाल वर्मा, अम्रतलाल नागर तथा माखनलाल चतुर्वेदी सहित देश के लगभग सभी शीर्षस्थ लेखक, कवि, निबन्धकार, कहानीकार और आलोचक नियमित रूप से "वीणा" मे लिखते रहे है. यही कारण है कि विख्यात कवियत्री महादेवी वर्मा अक्सर ये कहा करती थी कि "हिन्दी भाषा और साहित्य का इतिहास समिति और वीणा के जिक्र के बिना सदैव अपूर्ण रहेगा".

समिति की स्थापना एक पुस्तकालय के रूप मे हुई थी. अभी भी समिति का पुस्तकालय मध्यप्रदेश के सबसे सम्रद्ध पुस्तकालयो मे से एक है. इसमे लग्भग २५ हजार किताबे सन्ग्रहित है. इस पुस्तकालय का कम्पुटरीकरण कर इसे ई लायब्रेरी के रूप मे विकसित करने के प्रयास किये जा रहे है. हिन्दी भाषा और साहित्य मे उच्च स्तरीय शोध कार्यो को बढावा देने के उद्देश्य से समिति द्वारा डा. पी.डी.शर्मा शोध केन्द्र की स्थापना की गई है. देवी अहिला वि.वि. से मान्यता प्राप्त इस केन्द्र से अप्रेल २०१० तक ५ शोधार्थी अपना शोध पूरा कर पी.एच.डी. की उपाधि प्राप्त कर चुके है.

संस्कृत के वैज्ञानिक आयामो पर शोध को प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से समिति ने संस्कृत शोध संस्थान की स्थापना की है। इस शोध केन्द्र का शुभारम्भ भारत के महामहिम राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल ने मध्यप्रदेश के मुख्यमन्त्री शिवराज सिन्ह चौहान, राज्यपाल बलराम जाखड, और इन्दौर की सान्सद श्रीमती सुमित्रा महाजन की उपस्थिति मे किया था. .


समिति के एक विभाग "समसामयिक अध्ययन केन्द्र" द्वारा ज्ञान - विज्ञान, तकनीक, सामाजिक और आर्थिक क्षेत्र मे आ रहे नये बदलावो की जानकारी लोगो तक हिन्दी मे पहुचाने का प्रयास किया जाता है. केन्द्र द्वारा आयोजित कार्यक्रमो मे अब तक देश के वरिष्ठ वैज्ञानिक डा. सन्दीप बसु और डा. माशेलकर,न्यायमूर्ति श्री, जे.एस.वर्मा, श्री वी. डी. ज्ञानी, और श्री वी.एस.कोगजे, वरिष्ठ पत्रकार प्रभाष जी, वेद प्रताप वेदिक, श्री बी.जी.वर्गीज और श्री राहुल देव सान्सद श्री नवीन जिन्दल, पूर्व प्रधानमन्त्री, श्री चन्द्रशेखर, पूर्व उपराष्ट्रपति श्री, क्रष्णकान्त, श्री भैरोसिन्ह शेखावत,पूर्व लोकसभा अध्यक्ष श्री सोमनाथ चटर्जी तथा पूर्व उपप्रधानमन्त्री श्री लालक्रष्ण आडवाणी सहित देश के कई गणमान्यजन समिति के कार्यक्रमो मे भाग ले चुके है.

वर्तमान सन्दर्भो मे समिति, हिन्दी के प्रसार के साथ साथ सभी भारतीय भाषाओ के बीच सम्वाद प्रक्रिया आरम्भ कर भाषायी समन्वयन तथा कम्पुटर एवम सूचना तकनीक के क्षेत्र मे हिन्दी के प्रयोग को बढावा देने की दिशा मे काम कर रही है. इस उद्देश्य की पूर्ति हेतु समिति ने हिन्दी ब्लागिन्ग के प्रशिक्षण हेतु कई कार्यशालाए आयोजित की है. जिनमे श्री रवि रतलामी और श्री प्रतीक श्रीवास्तव ने हिन्दी मे ब्लाग बनाने की विधा का प्रशिक्षण दिया है.

पता

श्री मध्यभारत हिंदी साहित्य समिति

11, रवींद्रनाथ टैगोर मार्ग, इंदौर- (म.प्र)

फोनः 0731-2516657,4279624,

फैक्सः 0731-2529511

ई मेल:samiti.indore@gmail.com

बाहरी कड़ियाँ

   * श्री मध्यभारत हिन्दी साहित्य समिति, इन्दौर का जालघर
   * श्री मध्यभारत हिन्दी साहित्य समिति, इन्दौर का ब्लाग
   * महात्मा गांधी जी द्वारा दिनांक 28 मार्च, 1918 को ‘हिन्दी साहित्य सम्मेलन, इन्दौर’ में पढ़ा ‘‘अध्यक्षीय भाषण’’
   * संस्कृत शोध संस्थान