भारतीय काव्यशास्त्र प्रश्नोत्तर--०१
दिखावट
- भारतीय काव्यशास्त्र महत्त्वपूर्ण प्रश्नोत्तर
- वास्तविक काव्यलक्षण का प्रारंभ किस आचार्य से होता है जिन्होंने शब्द और अर्थ के सहभाव (शब्दार्थोसहितौ काव्यम् ) को काव्य की संज्ञा दी है --> भामह से
- शब्द अर्थ संगम सहित भरे चमत्कृत भाय।
- जग अद्भुत में अद्भुतहिँ , सुखदा काव्य बनाए ॥
- पंक्ति है --> ग्वाल कवि (रसिकानंद)
- प्रतिभा के दो भेद (सहजा और उत्पाद्या ) किसने किये --> रुद्रट ने
- प्रतिभा को काव्य निर्माण का एकमात्र हेतु मानने के कारण किस आचार्य के प्रतिभावादी कहा जाता है --> पंडितराज जगन्नाथ को
- प्रतिभा के दो भेद 'कारयित्री' और 'भावयित्री' किस आचार्य ने किए हैं --> राजशेखर ने
- भावयित्री प्रतिभा किसमे होती है --> सहृदय में
- भारतीय काव्यशात्र में 'भावक' से अभिप्राय है? --> सहृदय या आलोचक से
- "शरीरं तावदिष्टार्थ व्यवच्छिन्ना पदावली" कथन किसका है--> दण्डी का
- रीति सिद्धांत की उपलब्धि है --> शैली तत्वों को महत्व देना
- वामन के अनुसार गुण और रिति का संबंध है --> अभेद
- आचार्य कुंतक के अनुसार वक्रोक्ति के कितने भेद हैे --> 6
- वक्रोक्ति सिद्धांत की महत्वपूर्ण उपलब्धि है--> कलावाद की प्रतिष्ठा
- कवः कर्म काव्यम् , (कवि का कर्म ही काव्य है ) कथन किसका है --> कुन्तक का
- औचित्य विचार चर्चा , ग्रंथ किस आचार्य का है --> क्षेमेंद्र का
- क्षेमेंद्र के अनुसार औचित्य के प्रधान भेद हैं--> 27
- क्षेमेंद्र ने रस का प्राण किसे माना है --> औचित्य को
- ध्वन्यालोक की टीका 'ध्वन्यालोकलोचन' किसने लिखी --> अभिनवगुप्त ने
- ध्वनि सिद्धांत का प्रादुर्भाव व्याकरण के स्पोट सिद्धांत से हुआ है
- वैयाकरण ने वाक् (वाणी) के कितने प्रकार माने है?--> 4
- १• परा, 2• पश्यंती, ३• मध्यम, ४• बैखरी
- आनन्दवर्धन का समय है --> नवीं शती का मध्य
- आनन्दवर्धन ने व्यंग्यार्थ के तारतम्य के आधार पर काव्य के कितने भेद किये है--> 3 ; ध्वनि, गुणिभूत व्यंग, चित्र
- आनन्दवर्धन ने ध्वनि के कितने प्रकार माने है--> 3 ; वस्तु ध्वनि, अलंकार ध्वनि,रसध्वनि
- आनंद वर्धन के अनुसार रीति के चार नियामक है --> वक्त्रोचित्य , वाच्योचित्य , विषयोचित्य , रसोचित्य
- अभिनव गुप्त ने ध्वनि के कितने भेद किए हैं --> 35
- मम्मट ने के ध्वनि के शुद्ध भेदों की संख्या स्वीकार की है --> 51
- पंडित राज जगन्नाथ काव्य के कितने भेद किए हैं --> 4
- उत्तमोत्तम--> उत्तम--> मध्यम--> अधम
- आचार्यो ने व्यंग्यार्थ की प्रधानता गौणता एवं अभाव के आधार पर काव्य के कितने भेद किए हैं --> 3 ; उत्तम --> मध्यम--> अधम
- आधुनिक काल के प्रारंभिक समय में से सेठ कन्हैयालाल पौद्दार ने काव्यकल्पद्रुम नामक ग्रंथ की रचना की जो आगे चलकर रसमंजरी और अलंकार मंजरी के रुप में प्रकाशित हुआ
- हृदयदर्पण नामक ग्रंथ की रचना किसने की --> भट्टनायक ने
- हिंदी वक्रोक्ति जीवित की भूमिका किसने लिखी --> नगेंद्र ने
- रस निरुपण के प्रथम व्याख्याता और रस निरुपण का प्रथम ग्रंथ किसे माना जाता है --> भरत मुनि व उनके नाट्यशास्त्र को
- भरत ने 8 स्थाई भाव , 8 सात्विक भाव, 33 संचारी भावों का उल्लेख किया है
- किस आचार्य ने रीती को काव्य की आत्मा मान कर रस के गुण के अंतर्गत स्थान दिया है और कांति गुण का वर्णन करते हुए रस से युक्त माना है --> वामन
- आचार्य रुद्रट ने शांत रस का स्थाई भाव किसे माना है --> समयक ज्ञान
- रस को ध्वनि के साथ युक्त करने का श्रेय किसे है --> आनंद वर्धन को
- भोज ने 12 रसों का विवेचन किया है जिनमें चार नवीन है --> प्रेयस--> शांत--> उदात्त--> उध्दात
- भोज ने रस का मूल किसे माना है--> अहंकार को
- वाक्य रसात्मक काव्यम् कथन किसका है --> विश्वनाथ का
- आचार्य शुक्ल ने काव्य की आत्मा किसे माना है--> रस को
- भट्टलोल्लक ने रस की अवस्थिति किसमें मानी है--> अनुकार्य में
- किस आचार्य ने रस सूत्र की व्याख्या के संधर्भ में काव्य में तीन शक्तियों की कल्पना की (अभिधा, भावक्त्व, भोजकत्व) -->भट्टनायक ने
- अभिनव गुप्त रस को मानते हैं --> व्यंग
- किस आलोचक के मतानुसार साधारणीकरण कवि की अनुभूति का होता है --> नगेंद्र के अनुसार
- भारतीय काव्यशास्त्र में भावक से अभिप्राय है --> सहृदय या आलोचक से
- भावक(सहदय्) के कितने प्रकार माने गए है --> 4
- १ अरोचकी [विवेकी], २ सतृणाभ्यव्हारि [अविवेकी], ३ मत्सरी [पक्षपात पूर्ण आलोचना करने वाला], ४ तत्त्वाभिनिवेशी
- विभाव के कितने भेद हैं --> 2[आलम्बन और उद्दीपन ]
- आलंबन विभाव के कितने भेद हैं --> 2 ; १•आलंबन २•आश्रय
- सात्विक अनुभाव की संख्या कितनी मानी गई है --> आठ
- आचार्य शुक्ल ने विरोध और अविरोध के आधार पर संचारियों के कितने वर्ग किये हैं --> चार ;
- १• सुखात्मक २• दु:खात्मक ३• उभयात्मक ४• उदासीन
- श्रृंगार को मूल रस किस आचार्य ने माना है--> भामह ने
- भक्ति रस का रस को मूल रास किसने माना है--> मधुसूदन सरस्वती एव रूप गोस्वामी ने
- शंकुक के अनुसार भरतमुनि के रस सूत्र में आये “संयोग ” शब्द का अर्थ है --> अनुमान
- रस सिद्धांत के संबंध में तन्मयतावाद के प्रतिष्ठापक है--> अभिनव भरत
- एक के बाद एनी अनेक भावों का उदय होता है तो उसे कहते है --> भाव सबलता
- अवहित्था और अपस्मार क्या है ?--> संचारी भाव का एक प्रकार
- किस आलोचक के मतानुसार साधारणीकरण कवि भावना का होता है --> नगेंद्र
- अभिधा, भावकत्व और भोग काव्य के तीन व्यापार किस आचार्य ने माने हैं --> भट्टनायक ने
- भाव-सन्धि, भाव सबलता तथा भाव-शांति किस भाव की प्रमुख स्थितियां है --> संचारी भाव की
- अलंकार संप्रदाय के प्रतिष्ठापक आचार्य है --> भामह
- भरत मुनि ने कितने अलंकारों का उल्लेख किया है ? --> 4
- १• उपमा २• रूपक ३• दीपक ४• यमक
- अलंकार रत्नाकर नामक ग्रंथ के रचयिता है --> शोभाकर मित्र
- दण्डी ने गुणों की संख्या कितनी मानी है --> 10
- आचार्य भोज ने अनुसार गुणों की संख्या है --> 24
- वामन ने गुणों की संख्या मानी है --> 20
- मम्मट, भामह तथा आनंद वर्धन ने गुणों के भेद माने है --> 3
- गुणों के प्रमुख भेद है --> 3
- १• माधुर्य, १• औज, ३• प्रसाद
- वृत्ति का सर्वप्रथम वर्णन किस ग्रंथ में मिलता है--> नाट्यशास्त्र में
- भारतीय काव्यशास्त्र में कितनी काव्य वृत्तियां मानी ग मानी गई है --> 3
- १• परुषा
- २• कोमल
- ३• उपनागरी
- सर्वप्रथम दोष की परिभाषा किस आचार्य ने प्रस्तुत की--> वामन ने
- दंडी में कितने काव्य दोषों का वर्णन किया है --> 10
- वामन ने कितने काव्य दोषों का वर्णन किया है --> 20
- विश्वनाथ ने कितने दोषों का वर्णन किया है --> 70
- काव्य दोषो का सर्वप्रथम निरुपण किस ग्रंथ में मिलता है --> भारत कृत नाट्य शास्त्र में
- दस के स्थान पर तीन काव्य गुणों की स्वीकृति प्रथम किस आचार्य ने की--> भामह ने
- प्रेयान नामक नवीन रस की उद्भावना किस आचार्य ने की।--> रुद्रट
- आलोक का हिंदी भाष्य किसने लिखा--> आचार्य विश्वेश्वर ने
- भावप्रकाश नामक ग्रंथ के रचयिता है--> शारदातनय
- दण्डी ने कितने काव्य हेतु माने है --> 3
- १• नैेसर्गिकी प्रतिभा
- २• निर्मल शास्त्र ज्ञान
- ३• अमंद अभियोग [अभ्यास]
- रुद्रट और कुंतक ने कितने काव्य हेतु माने है --> 3
- १• शक्ति, २•व्युत्तपत्ति, ३• अभ्यास
- वामन ने कितने काव्य हेतु माने है --> 3
- १• लोक, २• विद्या , ३• प्रकीर्ण
- व्यंग के तारत्मय के आधार पर काव्य के कितने भेद माने जाते है --> 3
- १•ध्वनि, २• गुणीभूत व्यंगचित्र, ३• चित्र
- काव्यरुप(इंद्रियगम्यता) के आधार पर काव्य के कितने भेद है --> 2
१• दृश्य काव्य, २•श्रव्यकाव्य
- दृश्यकाव्य[ रूपक] के कितने प्रमुख भेद है --> 10
- श्रव्यकाव्य के कितने भेद हैं --> 3
१•गद्य, •२ पद्य ,३ चंपू [ गद्य-पद्यमय काव्य]
- लक्षणा के कुल कितने भेद माने जाते हैं --> 12
- किस लक्षणा को अभिधा पुच्छभूता कहते है--> रूढ़ि लक्षणा को
- किस आचार्य ने लक्षणा के 80 भेदों का उल्लेख किया है --> विश्वनाथ ने
- मम्मट ने लक्षणा के कितने भेदों का उल्लेख किया है --> 12
- किस काव्य को चित्रकाव्य कहा जाता है --> अधम काव्य को
- बंध के आधार पर काव्य के कितने भेद हैं --> 2 ( १• प्रबंध २• मुक्त्तक)
- पूर्वापर सम्बन्ध निरपेक्ष काव्य -रचना को कहते हैं--> मुक्त्तक
- पूर्वापर सम्बन्ध निर्वाह -सापेक्ष रचना को कहते है --> प्रबंध
- संस्कृत में साहित्य के लिए किस शब्द का प्रयोग होता है --> वाङ्मय
- तात्पर्य, क्या है --> अभिधा, लक्षणा, व्यंजना की तरह चौथे प्रकार की नई शब्द-शक्ति
- भामह 'अभाववादी' कहलाते है क्योंकि --> उन्होंने काव्य में ध्वनि की सत्ता स्वीकार नहीं की है
- प्रतिभा मात्र को ही काव्य का हेतु आवश्यक सर्वप्रथम किसने माना --> हेमचंद्र ने
- गुणिभूत व्यंग के कितने भेद होते हैं --> 8
- वाच्यता असह,का अन्य नाम है --> रस ध्वनि
- भरत ने हास्य रस के कितने भेद माने हैं --> 6
- कुंतक ने वक्रोति के भेद व उपभेद माने है --> 6 भेद व 41 उपभेद
- हेतुर्न तु हेतव:’ पंक्ति है--> मम्मट की
- जनश्रुति के आधार पर किस आचार्य कोरस के प्रवर्तक होने का श्रेय दिया जाता है --> नंदिकेश्वर को
- भरत के नाट्यशास्त्र में भावों की संख्या 49 गिनाई है -->
- १• स्थाई भाव--> 8
- २• व्याभिचारी भाव--> 33
- ३• सात्विक भाव--> 8
- 8+33+8--> 49
- आचार्य भामह ने काव्य हेतु किसे माना है --> प्रतिभा को
- किस आचार्य का कथन है कि संसार में जो कुछ पवित्र उज्जवल एव दर्शनीय है ,वह श्रृंगार के भीतर समाविष्ट हो सकता --> भरत मुनि
- श्रृंगार रस को रसराज माना जाता हैे --> कार्य -व्यापार की व्यापकता के कारण
- भरत मुनि के रस सूत्र के प्रथम व्याख्याता भटलोल्लट के रस- विवेचन का सैद्धांतिक आधार है --> मीमांसा
- रस को दो वर्गो (सुखकारक व दुःख कारक )में बाँटकार किन आचार्य ने करुण ,भयानक,वीभत्स और रौद्र को दुःखकारक तथा शेष को सुख का कारक माना --> रामचंद्र एव गुणचन्द्र ने
- नवरस नामक ग्रंथ के लेखक हे --> बाबू गुलामराय
- 'रस कलश' नामक ग्रंथ के लिए के लेखक है--> अयोध्या सिंह उपाध्याय हरिऔध
- सर्वप्रथम किस आचार्य ने रस को काव्य आत्मा घोषित किया--> विश्वनाथ
- रुद्रट तथा कुंतक ने काव्य-हेतुओं की संख्या मानी है--> 3
- १• शक्ति, २•व्युत्पत्ति ”३•अभ्यास
- राज शेखर ने रस का प्रतिष्ठाता किसे माना है --> नंदीकेश्वर को
- भरत मुनि ने कितने रस, कितने गुण, कितने दोष तथा कितने अलंकारों का उल्लेख किया है --> रस--> 8, गुण--> 10, दोष--> 20, अलंकार--> 4
- शब्दार्थो सहित काव्यम् , काव्य काव्य की इस परिभाषा में दोष है--> अतिव्याप्ति
- प्रेयान नामक नवीन रस की उद्भावना किस आचार्य ने की।--> रुद्रट
- आलोक का हिंदी भाष्य किसने लिखा--> आचार्य विश्वेश्वर ने
- भावप्रकाश नामक ग्रंथ के रचयिता है--> शारदातनय
- दण्डी ने कितने काव्य हेतु माने है --> 3
- १• नैेसर्गिकी प्रतिभा
- २• निर्मल शास्त्र ज्ञान
- ३•अमंद अभियोग[अभ्यास]
रुद्रट और कुंतक ने कितने काव्य हेतु माने है --> 3
- १•शक्ति
- २•व्युत्तपत्ति
- ३• अभ्यास
- वामन ने कितने काव्य हेतु माने है --> 3
- १• लोक,
- २•विद्या ,
- ३•प्रकीर्ण
- व्यंग के तारत्मय के आधार पर काव्य के कितने भेद माने जाते है --> 3
- १• ध्वनि,
- २• गुणीभूत व्यंगचित्र ,
- ३• चित्र
- काव्यरुप(इंद्रियगम्यता) के आधार पर काव्य के कितने भेद है --> 2
- १• दृश्य काव्य,
- २• श्रव्यकाव्य
- दृश्यकाव्य[ रूपक] के कितने प्रमुख भेद है --> 10
- श्रव्यकाव्य के कितने भेद हैं --> 3
- १• गद्य,
- २. पद्य ,
- ३. चंपू [गद्य-पद्यमय काव्य]
- लक्षणा के कुल कितने भेद माने जाते हैं --> 12
- किस लक्षणा को अभिधा पुच्छभूता कहते है--> रूढ़ि लक्षणा को
- किस आचार्य ने लक्षणा के 80 भेदों का उल्लेख किया है --> विश्वनाथ ने
- मम्मट ने लक्षणा के कितने भेदों का उल्लेख किया है --> 12
- किस काव्य को चित्रकाव्य कहा जाता है --> अधम काव्य को
- बंध के आधार पर काव्य के कितने भेद हैं --> 2
- १• प्रबंध,
- २• मुक्त्तक
- पूर्वापर सम्बन्ध निरपेक्ष काव्य -रचना को कहते हैं--> मुक्त्तक
- पूर्वापर सम्बन्ध निर्वाह -सापेक्ष रचना को कहते है --> प्रबंध
- संस्कृत में साहित्य के लिए किस शब्द का प्रयोग होता है --> वाङ्मय
- 'तात्पर्य' क्या है --> अभिधा, लक्षणा, व्यंजना की तरह चौथे प्रकार की नई शब्द-शक्ति
- भामह 'अभाववादी' कहलाते है क्योंकि --> उन्होंने काव्य में ध्वनि की सत्ता स्वीकार नहीं की है
- प्रतिभा मात्र को ही काव्य का हेतु आवश्यक सर्वप्रथम किसने माना --> हेमचंद्र ने
- गुणिभूत व्यंग के कितने भेद होते हैं --> 8
- वाच्यता असह, का अन्य नाम है --> रस ध्वनि
- भरत ने हास्य रस के कितने भेद माने हैं --> 6
- कुंतक ने वक्रोति के भेद व उपभेद माने है --> 6 भेद , व 41 उपभेद
- 'हेतुर्न तु हेतव:' पंक्ति है--> मम्मट की
- जनश्रुति के आधार पर किस आचार्य कोरस के प्रवर्तक होने का श्रेय दिया जाता है --> नंदिकेश्वर को