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कहीं आपका मतलब कामयाब माधव तो नहीं था?
  • करते हैं जब वह माखन चुराकर खाया करते थे। कृष्ण इस पद मे कहते हैं मइया मैंने माखन नही खाया यह माखन जो तू मेरे मुँह पर लगा देख रही है वह माखन तो मेरे दोस्तों...
    १९ KB (१,५२५ शब्द) - ०४:४३, २५ जुलाई २०२१
  • श्रोता उस मार्मिकता को अचूक तौर पर ग्रहण कर लेते हैं। मैया मोरी मैं नहिं माखन खायो- यह पांक्ति मार्मिक क्यों है? समूचे जीवन-चित्र के संदर्भ में ही रखकर...
    २३ KB (१,७२८ शब्द) - ०४:५०, २५ जुलाई २०२१
  • श्रोता उस मार्मिकता को अचूक तौर पर ग्रहण कर लेते हैं। मैया मोरी मैं नहिं माखन खायो- यह पांक्ति मार्मिक क्यों है? समूचे जीवन-चित्र के संदर्भ में ही रखकर...
    २३ KB (१,७२८ शब्द) - ०४:५३, २५ जुलाई २०२१
  • धोखो यहै, को लागै केहि काम॥147॥ भूप गनत लघु गुनिन को, गुनी गनत लघु भूप। रहिमन गिर तें भूमि लौं, लखों तो एकै रूप॥148॥ मथत मथत माखन रहै, दही मही बिलगाय। रहिमन...
    ४८ KB (३,९७२ शब्द) - ०८:२६, २२ नवम्बर २०१६
  • ‘महाभारत-पूर्वाद्धर्’ (1916), हरिदास माणिक का ‘पाण्डव-प्रताप’ (1917) तथा माखन लाल चतुर्वेदी का ‘कृष्णार्जुन-युद्ध (1918) महत्वपूर्ण हैं। इन नाटकों का विषय...
    १४८ KB (१०,१३७ शब्द) - १३:२३, २८ मार्च २०२३