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  • व्यवस्था का दल कागजी है। काम उसके दफ्रतरी है। मत पता लगने दो कि नीचे जान है। दिलेरी डर से पैदा होती है। उस नीयत का मुंह बाहर चाहे न दीखता हो, पेट में छिपी उसकी...
    ५२ KB (३,६३१ शब्द) - ११:३४, २ सितम्बर २०१९