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  • प्रमुख हैं। इस क्रम को आगे बढ़ाने वालों में जालौर के गुर्जर-प्रतिहार रहे और बाद में चौहानों, परमारों और गुहिलों ने मंदिर शिल्प को समृद्ध बनाया। सुरंगा बावड़ी...
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  • में जालौर के गुर्जर प्रतिहार रहे और बाद में चौहानों, परमारों और गुहिलों ने मन्दिर शिल्प को समृद्ध बनाया। 16. इस युग के कुछ मन्दिर गुर्जर-प्रतिहार शैली...
    १०५ KB (७,३४२ शब्द) - १२:१८, ३१ जनवरी २०२४