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इस विकि पर "बाँसुरी भी हूँ तुम्हारी" नाम का पृष्ठ बनाएँ! आपकी खोज से मिला पृष्ठ भी देखें।
- ने सोचा, चोर को क्या मारें; चोर की माँ को ही न मारें; न रहे बाँस न बजे बाँसुरी। लगीं प्रार्थनाएँ होने , 'मा देहि राम! जननीजठरे निवासम्।' और यह उस देश...१९० KB (१४,२९१ शब्द) - ०१:५८, १३ फ़रवरी २०२०