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अर्ध चक्रासन

विकिपुस्तक से

इसमे शरीर आधा चक्र बनाता है इसलिए इसे अर्धचक्रासन कहते हैं। यह शरीर को संपूर्ण लाभ पहुंचाता है। इस आसन में सबसे अहम हमारी सांस लेने की क्रिया पर जोर देना होता है। इसकी एक वजह यह है कि अर्ध चक्रासन के दौरान सांस की गति में हेरफेर होने से हमारे स्वास्थ्य पर इसका गहरा असर पड़ सकता है। इसे सामान्यतः विशेषज्ञ की देखरेख की जरूरत नहीं पड़ती। बावजूद इसके इसमें लापरवाही बरतना सही नहीं है। इस आसन के तहत अपने पोस्चर का ख्याल रखना आवश्यक है। गलती करने से हड्डी पर असर दिखता है। यहां तक कि कमर को पीछे की ओर ज्यादा मोड़ने की कोशिश भी खतरनाक साबित हो सकती है। यह रीढ़ की हड्डी को प्रभावित कर सकता है।

अर्धचक्रासन करने की विधि

  1. सर्वप्रथम सीधे खड़े हो जाए।
  2. पैरों को पास,हाथों को पास अब हथेलियों को कमर पर रखे।
  3. अंगूठों को कमर के निचले हिस्से पर रखे।
  4. पीठ को सहारा दीजिए ।साँस लेते हुए पीछे की ओर झुकिए। कुछ देर रुके।
  5. रुकने की स्थिति में साँस सामान्य बनाए रखें। धीरे से वापिस आ जाए

अर्धचक्रासन के फायदे

  1. इससे पीठ, गर्दन और कमर की मांसपेशियों को बल मिलता है।
  2. इस आसन से कंधे चौड़े और छाती बाहर की तरफ हो जाती है।
  3. अर्ध चक्रासन के जरिये हम सीधा चलना व बैठना सीख जाते हैं।

सावधानी

  1. गर्दन कभी झटके से पीछे न ले जाएं। इससे गर्दन के अकड़ने की आशंका बढ़ जाती है।
  2. इस आसन को करते हुए यह ध्यान रखें कि कभी भी अपनी कमर को अतिरिक्त ना मोड़