आर्थिक सर्वेक्षण 2019-20/बैंकों के राष्ट्रीयकरण की स्वर्ण जयंती

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आर्थिक समीक्षा के इस अध्याय में भारत के बैंकिंग क्षेत्र की स्थिति और मुद्दों को रेखांकित किया गया है और इनकी तुलना इनके समकक्ष के साथ की गई है इसमें सर्वाधिक क्षेत्र इसमें सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों की दक्षता संवर्धन हेतु रैंकिंग कार्यों में वित्तीय प्रौद्योगिकी फिनटेक और समस्त स्तरों पर कर्मचारी स्टॉक स्वामित्व के उपयोग का सुझाव दिया गया है यह सार्वजनिक क्षेत्र बैंकिंग नेटवर्क के विचार से भविष्य में बैंकिंग क्षेत्र में कृत्रिम बुद्धिमता आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस एवं लर्निंग मशीन लर्निंग के उपयोग को भी दर्शाती है।

वर्ष 2019 में भारत में बैंकों के राष्ट्रीयकरण का 50वाँ वर्ष पूर्ण हुआ, इसलिये यह आवश्यक है कि सार्वजनिक क्षेत्रो के बैंकों का एक वस्तुनिष्ठ मूल्यांकन किया जाए। वर्ष 1969 में बैंकों के राष्ट्रीयकरण की शुरुआत से ही भारत ने आर्थिक क्षेत्र में महत्त्वपूर्ण प्रगति की है जिससे भारत का स्थान विश्व की 5 सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में से एक है किंतु अर्थव्यवस्था के आकार की दृष्टि से भारत का बैंकिंग क्षेत्र उस अनुपात में विकसित नहीं हो पाया है।

परिचय(introduction)[सम्पादन]

भारतीय अर्थव्यवस्था के आकार(GDP),अर्थव्यवस्था के विकास (GDPप्रति व्यक्ति) और जनसंख्या के अनुपात की तुलना में भारतीय बैंक असमान रूप से लघु हैं।
वर्ष 2019 में जबकि भारत की अर्थव्यवस्था पाँचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है, भारत का सिर्फ भारतीय स्टेट बैंक विश्व के शीर्ष 100 बैंकों की श्रेणी में 55वें स्थान पर है वहीं शीर्ष 100 बैंकों में चीन के 18 बैंक शामिल हैं।

किसी भी देश को आर्थिक संवृद्धि का समर्थन करने के लिये एक कुशल बैंकिंग क्षेत्र की आवश्यकता होती है।

समीक्षा में कहा गया है कि वर्ष 2013 के बाद से सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक के बीच ॠण वृद्धि मे तेजी से गिरावट आई है। क्योंकि नए निजी बैंकों की ॠण वृद्धि प्रति (15-29%) के बीच अधिक थी।

वहीं वर्ष 2010-19 के बीच नए निजी बैंकों (New Private Banks) ने प्रति वर्ष 15-29% के बीच साख वृद्धि दर्ज की किंतु वर्ष 2014 के बाद सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों की साख वृद्धि वर्ष 2019 में एकल अंकों (4.03%) तक पहुँच गई जबकि वर्ष 2010-13 में यह 15-28% थी।

सन्दर्भ[सम्पादन]