आर्थिक सर्वेक्षण 2019-20/राजकोषीय घटनाक्रम
वर्ष 2019-20 में केंद्र सरकार का राजकोषीय घाटा 3.3% था,जो वर्ष 2018-19 के 3.4% से कम है। वर्ष के पूर्वार्ध में संवृद्धि दर में गिरावट के कारण वर्ष 2019-20 भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए चुनौतीपूर्ण रहा है। सरकार द्वारा अर्थव्यवस्था की संवृद्धि को पुन: बढाने की अनिवार्य वरीयता को देखते हुए वर्तमान वर्ष के राजकोषीय घाटे के लक्ष्य को परिवर्तित करना पड़ सकता है। बजट 2019-20 के साथ प्रस्तुत मध्यावधि राजकोषीय नीति (Medium Term Fiscal Policy:MTFP) विवरण में वर्ष 2019-20 का राजकोषीय घाटे का लक्ष्य GDP का 3.3% और वर्ष 2020-21 में GDP का 3% वर्ष 2021-22 तक इसी स्तर पर बने रहने की अपेक्षा की गई है। यह भी अनुमानित है कि केंद्र सरकार की देयताएं कम होकर वर्ष 2019-20 में GDP का 48%,वर्ष 2020-21 में GDP का 46.2% तथा वर्ष 2021-22 में GDP का 44.4% हो जाएगी।
केंद्र सरकार के वित्तीय साधन
[सम्पादन]बजट 2019-20 में केंद्र सरकार की गैर-ॠण प्राप्तियों में उच्च वृद्धि को लक्षित किया गया है,जोकि निवल कर राजस्व और गैर-कर राजस्व में अपेक्षित उच्च वृद्धि से प्रेरित है।
- केंद्र सरकार की प्राप्तियों को ॠण और गैर ॠण प्राप्तियों विभाजित किया जाता है।
- गैर ॠण प्राप्तियों में कर राजस्व,गैर-कर राजस्व,गैर-ॠण पूंजीगत प्राप्तियां (जैसे ॠणों की वसूली और विनिवेश प्राप्तियां) शामिल हैं।
- ॠण प्राप्तियों में अधिकांशत:बाजार से लिया गया उधार और अन्य देयताएं शामिल होती हैंं। इन्हें सरकार भविष्य में चुकाती है।
वर्ष 2019-20 के दौरान प्रत्यक्ष करों के लिए किए गए प्रमुख उपाय उ
कर राजस्व(Tax Revenue)
[सम्पादन]प्रत्यक्ष कर में मुख्यतः कारपोरेट एवं वैयक्तिक आयकर शामिल है जो सकल कर राजस्व का लगभग 54% है।