कार्यालयी हिंदी/कार्यालयी हिन्दी के स्वरूप और कार्य-पध्दति

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कार्यालयी हिन्दी के स्वरूप[सम्पादन]

भारत एक लोकतांत्रिक गणराज्य है। संविधान के अनुसार भारतीय शासन प्रणाली का केन्द्रीय सरकार और राज्य सरकारों के रूप में विभाजन किया गया ताकि कार्य को सफल एवं सुगम संचालन किया जा सके। जिसमें प्रयोजनमूलक हिन्दी के मुख्य कानून अनुपालन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। आज सरकारी कामकाज के विभिन्न मंत्रालयों, विभागों, संस्थानों, बैंकों तथा अन्य सम्बन्धित कार्यालयों में देख सकते है। अत: राजभाषा नियम 1976 के अन्तर्गत स्पष्ट किया गया,कि केन्द्रीय सरकार द्दारा नियुक्त किसी आयोग, समिति या नियन्त्रण के अधीन केन्द्रीय सरकार के कार्यालय के अन्तर्गत आते है। ऐसे समस्त कार्य सुरक्षा, अन्तर्राष्टीय सम्बन्ध, यातायात, संचार, मुद्रा-प्रचलन, बैंकिग, आयात-निर्यात और उच्च स्तरीय न्यायाधिकरण के मामले केन्द्र सरकार के अधीन हैं और पुलिस, जन स्वास्थ्य, शिक्षा, कृषि, तथा वन आदि के कार्य राज्य सरकार के अधीन हैं। तथापि कुछ ऐसे मामले आर्थिक, सामाजिक अभ्युत्थान श्रम हित और मूल्य-निर्धारण आदि दोनों कानून बना सकते है।

कार्यालयी हिन्दी के कार्य-पध्दति[सम्पादन]

  • संघीय कार्य-पध्दित:- केर्न्द्रीय सरकार के सभी मंत्रालयों, सचिवालयों, विभागों तथा उनके अधीन सभी कार्यालयों की कार्य-प्रणाली लगभग एक-सी होती है। परन्तु सरकारी नियन्त्रण के बैंकों, निगमों, संस्थाओं तथा कम्पनियों आदि की कार्य-पध्दति भिन्न-भिन्न होती है। सरकारी कार्यालयों में टिप्पण-लेखन एवं मसौदा-लेखन को अत्यधिक प्रधानता प्राप्त है, किन्तु सरकारी क्षेत्र के बैंकों, निगमों, संस्थाओं तथा कम्पनियों आदि के कार्यालयों में गौण है।

भारतीय शासन प्रणाली में राष्ट्र्पति और प्रधानमंत्री का स्थान अपनी-अपनी व्यवस्था में सर्वोपरि होता है। राष्ट्र्पति संघ का कार्यकारी प्रमुख होता है। प्रधानमंत्री मंत्रिपरिषद (Council of Ministers) का अध्यक्ष होता है। केन्द्रीय सरकार का कार्यालयीन कामकाज विभिन्न मंत्रालयों के माध्यम से किया जाता है। कैबिनेट मंत्री(Cabinet Minister) सम्बन्धित मंत्रालय का प्रमुख होता है जिसकी सहायता राज्य मंत्री(Minister of State) अथवा उपमंत्री(Deputy Minister) करते हैं। भारतीय संघ विधान के अनुच्छेद 77(3) के अधीन मंत्रिपरिषद के मंत्रियों के माध्यम से सरकारी कार्य को सुचारू रूप से चलाने एवं शासन की सुविधा हेतु 'कार्यसंचालन नियमावली' बनाई गई है। प्रत्येक मंत्रालय के अधीन विशिष्ट कार्य सौंपा जाता है। सरकार की निति के निर्धारन, कार्यान्वयन तथा समीक्षण आदि के लिए सम्बन्धित मंत्रालय उत्तरदायी होते है। प्रधानमंत्री की सलाह पर विभिन्न मंत्रालयों के कार्य का आबंटन भारत के राष्ट्र्पति करते हैं। प्रत्येक मंत्रालय का कामकाज केबिनेट मंत्री, राज्यमंत्री या उपमंत्री, सचिव, उपसचिव, संयुक्त सचिव, विभागप्रमुख निदेशक तथा वरिष्ठ अधिकारी आदि की सहायता से सम्पन्न होता है। सरकारी क्षेत्र के नियमों, बैंकों, उधमों तथा कम्पनियों की कार्य-प्रणाली शासकीय कार्य-पध्दति से भिन्न होती है। इनमें कार्यालय या निगम अथवा कम्पनी के प्रमुख के रूप में अध्यक्ष एवं निदेशक कार्य करता है जिसकी सहायता कार्याकारी या कार्यापालक निदेशक, महाप्रबंधक, उपमहाप्रबंधक, आंचलिक प्रबंधक, क्षेत्रीय प्रबंधक तथा अन्य वरिष्ठ अधिकारी करते हैं।

  • 'राज्य-शासन कार्य-पध्दित':- जिस प्रकार भारतीय संघ का संवैधानिक अध्यक्ष राष्ट्रपति होता है, उसी प्रकार राज्यों का संविधानिक अध्यक्ष राज्पाल होता है, जो राज्यस्तर विधान सभा और विधान-परिषद द्दारा बहुमत से चुने गये मुख्यमंत्री के परामर्श से राज्य-सरकार के विभागीय कार्यों का विनियोजन कर, मंत्रियों की नियुक्ति करता है। केन्द्र सरकार की भाँति राज्य सरकार के भी तीन प्रकार के मंत्री होते हैं- कैबिनेट मंत्री, राज्यमंत्री तथा उपमंत्री।

राज्य-सरकारों के कार्य-संचालन के लिए भी केन्द्रीय सचिवालय होते हैं, जिसका प्रशासनिक अध्यक्ष राज्य का मुख्य सचिव होता है। उससे संलग्न शाखा-कार्यालयों के सचिव, उपसचिव होते है। अलग-अलग कार्यालय अधिकारी अपने विभाग के क्लकों की सहायता से अपने-अपने अधिकार-क्षेत्र में कार्य-सम्पादन करते है।

  • सचिवालय कार्य-पध्दति:- केन्द्रीय सरकार के विभिन्न मंत्रालयों के प्रशासन की महत्वपूर्ण कडी़ उनके सचिवालय होते हैं जिनके माध्यम से सरकारी कामकाज का सूत्र-संचालन किया जाता है। केन्द्रीय सरकार के प्रत्येक मंत्रालय, विभाग अथवा प्रधान में एक केन्द्रीय पंजीकरण अनुभाग होता है। जो बाहर के स्थानों से आई डाक को प्राप्त कर उचित कार्यवाही करता है। गोपनीय अंकित पत्रों को छोड़कर शेष सभी बंद लिफाफों के पत्रों खोलता है। तथा पत्रों के प्राप्त होने की तिथि की तारिख-मुहर लगाकर अनुभागों के अनुसार छंटनी होने के बाद पत्रों का आवक रजिस्टर दर्ज किया जाता है। सचिवालय में सामान्यता सचिव ही प्रमुख प्रशासनिक अधिकारी होता है।सचिव के अतिरिक्त संयुक्त सचिव, उपसचिव, अवर सचिव, अनुभाग अधिकारी, सुपरिटेंडेंट, सहायक, उच्चश्रेणी लिपिक, निम्नश्रेणी लिपिक, निजि सचिव, वैयक्तिक सहायक, अशुलिपिक तथा टंकक आदि अधिकारी-कर्मचारी होते हैं।

संदर्भ[सम्पादन]

१. प्रयोजनमूलक हिन्दी: सिध्दान्त और प्रयोग--- दंगल झाल्टे। पृष्ठ-- १५६-१५९

२. प्रयोजनमूलक हिन्दी--- माधव सोनटक्के। पृष्ठ-- १३२-१३४