कार्यालयी हिंदी/वैज्ञानिक एवं तकनीकी शब्दावली के विकास और निर्माण-सिध्दान्त
वैज्ञानिक एवं तकनीकी शब्दावली
[सम्पादन]वैज्ञानिक एवं तकनीकी शब्दावली का सम्बन्ध अधिकांश रूप में अंग्रेजी और अंतर्राष्टीय शब्दावली से है। अंतर्राष्टीय शब्दावली में विभिन्न तत्वों तथा उनके यौगिकों के प्रतिक, गणित में काम आने वाले अनेकविध चिन्ह, माप-तोल की इकाइयाँ, ज्ञान-विज्ञान के सूत्र, वनस्पति एवं प्राणियों की द्वि-नामावली और वैज्ञानिकों आदि के व्यक्तिगत नामों पर आधारित शब्दों का समावेश रहता है। तकनीकी एवं वैज्ञानिक क्षेत्र में उनकी प्रगति के लिए शोध व अनुसंधान की प्रकिया अवरित चलती रहती है और उनकी सेवाओं का विस्तार सामान्य व्यक्तियों तक होता है। ऐसे तकनीकी तथा वैज्ञानिक क्षेत्र में समान स्तर पर विचार-विमर्श और समान्य जन के स्तर पर अभिव्यक्ति के लिए विशिष्ट एवं निश्चित अर्थ में जो शब्द प्रयुक्त किए जाते हैं, उन्हें तकनीकी शब्दावली कहते है। भाषाओं की रचना प्रक्रिया के अनुसार तकनीकी शब्दों में अत्यल्प परिवर्तन आदि भी देखने को मिलता है। कभी-कभी अंग्रेजी भाषा की तकनीकी शब्दावली को ही अंतर्राष्टीय शब्दावली मान लेने की गलती की जाती है। वस्तुत: अंतर्राष्टीय शब्दावली में अंग्रेजी, रूसी, फ्रेंच, जापानी, तुर्की, फारसी, जर्मन, लैटिन आदि विविध भाषाओं के शब्दों का समावेश रहता है।
वैज्ञानिक एवं तकनीकी शब्दावली का विकास
[सम्पादन]हिन्दी में तकनीकी और वैज्ञानिक शब्दावली विगत दो-तीन दशकों से प्रचलित है। केन्द्रीय शिक्षा सलाहकार समिति ने सन् 1940 में हुए पाँचवें अधिवेशन में तकनीकी तथा वैज्ञानिक शब्दावली पर विचार-विमर्श करते हुए सिफारिश की थी कि जहाँ तक सम्भव हो अन्तर्राष्टीय शब्दावली को भारतीय(हिन्दी) वैज्ञानिक शब्दावली में सम्मिलित कर लेना चाहिए। इस सिफारिश के तहत 1948 में "अखिल भारतीय शिक्षा परिषद" ने निर्णय लिया कि---
(अ) अंतर्राष्टीय क्षेत्र में प्रयुक्त होने वाले शब्द, यथासम्भव ग्रहण किए जाएँ, किन्तु जो शब्दावली अंतर्राष्टीय नहीं हैं, उनके लिए भारतीय भाषाओं के शब्द अपनाए जाएँ।
(आ) सभी आधुनिक भारतीय भाषाओं की वैज्ञानिक शब्दावली का कोश बनाने के लिए केन्द्रीय सरकार एक बोर्ड का गठन करें। उसमें भाषाशास्त्री तथा वैज्ञानिकों को लिया जाए। वैज्ञानिक तथा तकनीकी शब्दावली के बारे में जो अनेक प्रकार की समस्याएँ उत्पन्न हुई थीं, उन पर डाँ. राधाकृष्णन की अध्यक्षता में "विश्वविधालय आयोग", जो 1948 में स्थापित हुआ था और विचार-विमर्श करते हुए निम्न सिफारिशें की थी--
(क) अंतर्राष्टीय पारिभाषिक और वैज्ञानिक शब्दावली को अपना लिया जाए; दूसरी भाषाओं से आए हुए शब्द आत्मसात कर लिया जाए, उन्हें भारतीय भाषाओं की ध्वनि प्रणाली के अनुरूप बना लिया जाए और उनका वर्ग-विन्यास भारतीय लिपियों के ध्वनि-संकेतों के अनुसार निश्चित कर लिया जाए।
(ख) राजभाषा और प्रादेशिक भाषाओं को विकसित करने के लिए तत्काल कार्यवाही की जाए।
इन सिफारिशों को दृष्टिगत रखते हुए वैज्ञानिक तथा तकनीकी शब्दावली के निर्माण के लिए भारत सरकार ने शिक्षा मंत्रालय के अधीन सन् 1950 में "वैज्ञानिक तथा तकनीकी शब्दावली बोर्ड" की स्थापना की थी। 1955 में गठित "संसदीय राजभाषा समिति" की सिफारिशों को मानते हुए भारत के राष्टपति ने सन् 1960 में एक आदेश निकाला। इस आदेश के अनुसार भारत सरकार के शिक्षा मंत्रालय के अधीन 1961 में "वैज्ञानिक तथा तकनीकी शब्दावली आयोग" की स्थापना की गई । इस आयोग को निम्न कार्यभार सौंपा गया--
(अ) राष्ट्र्पति के 1960 के आदेश में उल्लिखित सिध्दान्तों के आधार पर वैज्ञानिक तथा तकनीकी शब्दावली के क्षेत्र में तब तक किए गए कार्य का पुनरीक्षण हो।
(आ) हिन्दी तथा अन्य भारतीय भाषाओं की वैज्ञानिक तथा तकनीकी शब्दावली के निर्माण से सम्बन्धित सिध्दान्तों का प्रतिपादन हो।
(इ) विभिन्न राज्यों की सहमति से या उनके निर्देश पर राज्यों के विभिन्न अभिकरणों द्दारा वैज्ञानिक तथा तकनीकी शब्दावली के क्षेत्र में किए गए कार्यों का समन्वय तथा प्रयोग-व्यवहार के लिए अनुमोदन हो।
(ई) आयोग द्दारा निर्मित या अनुमोदित शब्दावली के आधार पर मानक पाठ्यपुस्तकों का लेखन, वैज्ञानिक और तकनीकी कोशों का संकलन तथा विदेशी भाषाओं में उपलब्ध वैज्ञानिक पुस्तकों का भारतीय भाषाओं में अनुवाद करना।
इन उद्देश्यों की पूर्ति में वैज्ञानिक तथा तकनीकी शब्दावली आयोग अत्यंत सफल रहा है। इस आयोग में विभिन्न आधुनिक भारतीय भाषाओं के भाषाविदों के अतिरिक्त लब्धप्रतिष्ठ विद्दान, यूरोपीय भाषाओं के भाषाविज्ञानी, प्राध्यापक आदि सम्मिलित किए गए थे। हिन्दी मानक वर्तनी आदि के साथ पारिभाषिक तथा तकनीकी शब्दावली के भाषा वैज्ञानिक स्वरूप पर विचार-विमर्श करने के लिए अलग संगोष्ठी का भी आयोजन किया गया था। कहना न होगा कि 1961 के पश्चात तकनीकी शब्दावली के हर क्षेत्र खुल गये।प्रारम्भिक स्थिति में यह कार्य अत्यन्त जटिल और कठिन था, परन्तु आयोग ने पूरी कर्तव्यनिष्ठा, भगीरथ प्रयास के कारण सफल हुआ। अब तक भौतिकी, प्राणि-विज्ञान, गणित, भूगोल, भूविज्ञान, वनस्पति विज्ञान, रसायन, अनुप्रयुक्त विज्ञान,, अर्थशास्त्र, राजनीतिशास्त्र, समाजविज्ञान आदि निर्माण हो चुके है। तथा विविध विषयों से सम्बन्धित "बृहत् पारिभाषिक शब्द-संग्रह के अनेक खण्ड भी प्रकाशित किए गए है।
वैज्ञानिक एवं तकनीकी शब्दावली के निर्माण-सिध्दान्त
[सम्पादन]भारत के राष्ट्र्पति के अप्रैल, 1960 के आदेश के अनुसार अन्यान्य कार्यों के अलावा हिन्दी तथा अन्य भारतीय भाषाओं की वैज्ञानिक तथा तकनीकी शब्दावली के निर्माण से सम्बन्धित सिध्दान्तों के प्रतिपादन आदि हेतु "वैज्ञानिक तथा शब्दावली आयोग" की स्थापना अक्टूबर, 1961 में की गई। इस आयोग द्दारा वैज्ञानिक तथा तकनीकी शब्दावली के निर्माण के लिए कुछ महत्वपूर्ण मार्गदर्शी सिध्दान्त अपनाये गये हैं जो इस प्रकार है---
१) अन्तर्राष्टीय शब्दों को यथासम्भव उनके प्रचलित अंग्रेजी रूपों में ही अपनाना चाहिए और हिन्दी व अन्य भारतीय भाषाओं की प्रकृति के अनुसार ही उनका लिप्यन्तरण करना चाहिए। अन्तर्राष्टीय शब्दावली के अन्तर्गत निम्नलिखित उदाहरण दिए जा सकते है---
(क) तत्वों और यौगिकों के नाम जैसे-हाइड्रोजन, कार्बन, कार्बन-डाय-आक्साइड आदि हो।
(ख) तौल और माप की इकाइयाँ और भौतिकी परिणाम की इकाइयाँ, जैसे- डाइन, कैलारी, ऐम्पियर आदि।
(ग) ऐसे शब्द जो व्यक्तियों के नाम पर बनाए गए है, जैसे- फारेनहाइट के नाम पर फारेनाहाइट तापक्रम, ऐम्पियर के नाम पर ऐम्पियर आदि।
(घ) ऐसे अन्य शब्द जिनका आम तौर पर संसार में व्यवहार हो रहा है, जैसे-रेडियो, पेट्रोल, रेडार, न्यूट्रान आदि।
(ङ) गणित और विज्ञान की अन्य शाखाओं के संख्यांक, प्रतीक, चिन्ह जैसे- साइन, कोसाइन, लांग आदि।
२) प्रतीक रोमन लिपि में अंतर्राष्ट्रीय रूप में ही रखे जाएँगे परन्तु संक्षिप्त रूप नागरी और मानक रूपों में भी, विशेषत: साधारण तौल और माप में लिखे जा सकते हैं, जैसे सेंटीमीटर का प्रतीक cm हिन्दी में भी ऐसे ही प्रयुक्त होगा परन्तु इसका नागरी संक्षिप्त रूप सेमी. होगा।
३) ज्यामितीय आकृतियों में भारतीय लिपियों में अक्षर प्रयुक्त किए जा सकते हैं,परन्तु त्रिकोणिमितीय सम्बन्धों में केवल रोमन अथवा ग्रीक अक्षर ही प्रयुक्त करने चाहिए जैसे- साइन A क्रास B आदि।
४) ऐसे देशी शब्द जो सामान्य प्रयोग के वैज्ञानिक शब्दों के स्थान पर हमारी भाषाओं में प्रचलित हो गए हैं, जैसे-telegraph, telegram के लिए तार, continent के लिए महाद्दीप, atom के लिए परमाणु आदि।
५) अंग्रेजी, पुर्तगाली, फ्राँसीसी आदि भाषाओं के ऐसे विदेशी शब्द जो भारतीय भाषाओं म़े प्रचलित हो गये हैं जैसे- इंजन, मशीन, लावा, मीटर, लीटर, प्रिज्म।
६) लिंग: हिन्दी में अपनाए गए अंतर्राष्ट्रीय शब्दों को, अन्यथा कारण न होने पर पुल्लिंग रूप में ही प्रयुक्त करना चाहिए।
७) संकर शब्द: वैज्ञानिक शब्दावली में संकर शब्द जैसे- ionization के लिए आयनीकरण, voltage के लिए वोल्टता, saponifier, के लिए साबुनीकारक आदि।
८) हलंत: नए अपनाए हुए शब्दों में आवश्यकतानुसार हलंत का प्रयोग करके उन्हें सही रूप में लिखना चाहिए।
इस प्रकार उपयुक्त सिध्दान्तों के आधार पर वैज्ञानिक तथा तकनीकी शब्दावली का निर्माण किया जाना चाहिए।
संदर्भ
[सम्पादन]१. प्रयोजनमूलक हिन्दी: सिध्दान्त और प्रयोग--- दंगल झाल्टे । पृष्ठ-- ८१-८६