कृष्ण काव्य में माधुर्य भक्ति के कवि/भूमिका
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कृष्ण काव्य में माधुर्य भक्ति के कवि (विक्रम संवत १५५०-१६५० तक)---पृष्ठ-१
- कृष्ण-काव्य में माधुर्य भक्ति के अन्तर्गत सम्प्रदायों का विशेष महत्व है। इस पुस्तक में सभी सम्प्रदायों के विक्रम संवत १५५०-१६५० तक के भक्त कवियों का विस्तृत विवेचन किया गया है। इसके अतिरिक्त कई युग प्रवर्तक भक्त कवि जैसे सूरदास आदि कवियों का भी विस्तृत विवेचन किया गया है। आशा है कि यह पुस्तक पाठकों में उपयोगी सिद्ध होगी।
- अशर्फी लाल मिश्र :(सेवानिवृत्त-प्रवक्ता:हिन्दी)
- कानपुर