गीता

विकिपुस्तक से
श्लोक
हिन्दी अनुवाद
अंग्रेजी अनुवाद

संजय उवाच-

तं तथा कृपयाविष्टमश्रुपूर्णाकुलेक्षणम्।
विषीदन्तमिदं वाक्यमुवाच मधुसूदनः ॥२- १॥

संजय बोले-
उस प्रकार करुणा से व्याप्त और आँसुओं से पूर्ण तथा व्याकुल नेत्रों वाले शोकयुक्त उस अर्जुन के प्रति भगवान् मधुसूदन ने यह वचन कहा!

Sanjaya said:

Lord Krishna then addressed the following words to Arjuna, who was as mentioned before
overhelmed with pity, whose eyes were filled with tears and agitated, and who was full of sorrow

श्रीभगवानुवाच,

कुतस्त्वा कश्मलमिदं विषमे समुपस्थितम्।
अनार्यजुष्टमस्वर्ग्यमकीर्तिकरमर्जुन ॥२- २॥

हे अर्जुन ! तुझे इस असमय में यह मोह किस हेतु से प्राप्त हुआ ? क्योंकि न तो यह श्रेष्ठ पुरुषों द्वारा आचरित है, न स्वर्ग को देने वाला है और न कीर्ति को करने वाला ही है। Arjuna, how has this infatuation overtaken you at this odd hour ? It is shunned by noble souls; neither will it bring heaven, nor fame, to you.