गुल सनोबर/८ दानवों से युद्ध

विकिपुस्तक से

शाम के समय तक शहजादा साफ जमीन’ पर आ पंहुँचा। लाल रंग की मिटटी के उस मैदान के मध्य में एक छोटा सा तालाब था। उसके किनारे बड़े-बड़े पेड़ थे

जमीलाबानु के कहे अनुसार शहजादे ने बहुत से जानवरों का शिकार कर मांस जमा किया और वहीं एक पेड़ के नीचे बाघ की राह देखते हुए बैठ गया। चारो तरफ रात का घना अँधेरा फैला हुवा था। रातकिडे की आवाज किरकिर कर रही थी।। उसी समय शांत रात के बीच बाघ की एक डरावनी आवाज गूँजी। वह आवाज इतनी डरावनी थी की उस जंगल के एक-एक पेड़ की डाल तूफान आने के समान हिलने लगी। सभी जानवर, पशु घबराकर इधर-उधर भागने लगे। सारे जंगल में भयानक भूचाल सा मच गया। थोड़ी ही देर में वहाँ पर ८० फीट का एक बहुत मजबूत और डरावना बाघ आया। अचानक आये बाघ को देखकर शहजादा भी भयभीत हो उठा। लेकिन फिर उसने अपने आपको संभालते हुए शिकार किये मांस को उस बाघ के सामने डाल दिया। अपने आगे मांस के टुकड़े देखकर व्याग्रराज को बेहद ख़ुशी हुयी। क्योकि उसका शिकार करने का काम कम हो गया था। देखते ही देखते उसी क्षण वह बाघ पुरे मांस को चट कर गया। उसके खाने के तुरंत बाद शहजादे ने बाघ के पंजे और मुह को साफ़ किया। शहजादे की सेवा देखकर बाघराज बहुत खुश हुआ। उसने पेट भरकर पानी पिया और भयानक जंगल ख़त्म होने तक शहजादे के साथ रहा। साक्षात बाघराज के साथ होने की वजह से शहजादे को किसी हिंसक जानवर ने छूने की हिम्मत नहीं की। शहजादे ने मन ही मन बाघ को धन्यवाद दिया और आगे बढ़ा।

आगे रास्ते में दो मोड़ आए।जमीलाबानु के बताए अनुसार शहजादा बाएं हाथ की तरफ आगे बढ़ा। थोड़ी ही देर में उसे एक बहुत बड़ा किला दिखाई दिया। वह पथ्थरो से बना हुआ था। उसके आजू-बाजु में बड़े-बड़े पेड़ खड़े थे।

शहजादा उस चमत्कारी किले को देखने लगा। तभी एक विचित्र घटना घटी। उन पेड़ों के पीछे से चालीस-पचास प्रचंड अक्राल विक्राल दानव निकलने लगे। वे जोर जोर से चिल्लाते हुए शहजादे पर आक्रमण करने के लिए झपट पड़े। शहजादा तुरंत एक पेड़ के पीछे छुप गया। उसने अपना सामर्थ्यशाली धनुष निकाला और एक के बाद एक तीर उन दानवो पर चला दिए। उन अभिमंत्रित तीरों ने अपना काम बखूबी किया। उन दानवो को कुछ समज में आये उससे पहले ही उनकी छाती में तीक्ष्ण बाण घुस चुके थे। एकाएक सभी दानव कराहते हुए जमीन पर गिरने लगे, कुछ क्षण बाद सभी ने अपने प्राण त्याग दिए। लेकिन उनके चिल्लाने और कराहने से वहाँ और भी हजारों बड़े-बड़े दानव निकलने लगे। शहजादे के सामने सवाल खड़ा हो गया कि आखिर वह अब क्या करे? लेकिन उसका नसीब अच्छा था। उसी क्षण बाघराज वहा हजारो बाघों के साथ आ पहुँचा।

देखते ही देखते सभी बाघ एक-एक कर दानवों पर टूट पड़े। दानव घबराने लगे। तभी शहजादे ने अपनी जादुई तलवार निकाली। हर तरफ मिटटी का तूफान उठने लगा। इतना बड़ा किला भी अब हिलने लगा था। यह सब चमत्कारिक दृश्य देखकर दानव घबरा गए और वहाँ से भागने लगे।

सब तरफ शांति होने पर शहजादे ने आराम की साँस ली। लेकिन यह सांस उसकी कुछ ही क्षण की थी। दुसरे ही क्षण उन दानवो का मुखिया विशाल दैत्य ‘तरमताक’ पैर पटकते हुए वहाँ पर प्रकट हुआ। वह विशाल दानव बेहद गुस्से में था। उसके शरीर के सारे बाल गुस्से से खड़े हो गए थे। लाल-लाल गुसैल आखो से घूरते हुए, अपने दांतों को पीसते हुए, जोर जोर से चिल्लाकर वह बोला- ‘हे मुर्ख इन्सान तुमने बहुत समय से मेरे क्षेत्र में तूफान मचा कर रखा है, मेरे राज्य में इतना नुकसान करने वाला तुही एक अकेला इन्सान है। लेकिन इसकी सजा तुम्हे अब भुगतनी होगी। इतना कहकर उस प्रचंड विशाल दानव ने अपनी कँटीली गदा शहजादे के सिर पर गुस्से से दे मारी। लेकिन शहजादे पर उस प्रहार का कोई असर ही नहीं हुआ। तभी शहजादे को समज आया की यह कमाल उस खंजर का है जो जमीला ने दिया था। इस प्रहार का इन्सान पर कोई असर नहीं होते देखकर ‘तमताक दानव’ और भी अधिक गुस्सैल हो उठा। लेकिन तभी शहजादे ने उस दानव से कहा ‘हे तरमताक महाराज’ आपने कोई गलतफहमी पाल ली है। मैं नम्रता से आपसे सच कह रहा हूँ। मैंने आपके दानव सैनिकों पर आक्रमण नहीं किया बल्कि उन्होंने इस रस्ते से जाते समय मुझपर आक्रमण किया है। अगर मैं प्रतिकार नही करता तो मैं बेकार में ही मारा जाता। महाराज मेरा दानवों से युद्ध का कोई विचार नहीं था। हे मुर्ख इन्सान मुझे तुम्हारा ज्ञान सुनने की बिलकुल भी इच्छा नही है। तुमने ही दानवों से युद्ध शुरू किया या नही मुझे इससे कोई मतलब नहीं है। तुमने उन्हें ख़त्म किया है तो तुम्हे इसकी सजा मिलेगी, तरमताक चिल्लाते हुए बोला।

इतना कहकर उस विशाल दानव ने शहजादे को गुडिया की तरह अपने पंजो में उठाया और तेजी से भागने लगा। तब शहजादे ने सोचा की अब मेरे पास कोई रास्ता नही है। अब इस दानव का भी विनाश करना जरुरी है वरना मेरा लक्ष अधुरा रह जायेगा। शहजादे ने अपने कमर से तैमुसी खंजर निकाला और तरमताक की गर्दन पर खचाखच वार किये। उसी क्षण वह विशाल दानव कहराते हुए जमीन पर गिर पड़ा। उस विशाल दानव के गिरने के साथ मानो पूरी धरती कुछ सेकंड के लिए कांप गयी। तरमताक दानव का संकट दूर होते ही शहजादे ने उस खुमाश किले में प्रवेश किया। उस किले में शहजादे ने तरमताक की बेटी को सारी सच्चाई बयान की की किस तरह दानवों से युद्ध हुआ और किस तरह उसके बाद तुम्हारे पिता को मारना पड़ा। इतना कहते हुए शहजादे ने उसे हिम्मत बंधाई।