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जनपदीय साहित्य सहायिका/छठ गीत

विकिपुस्तक से

NAME- KISHAN ROLL NO -233

छठ पर्व, छठ या षष्‍ठी पूजा कार्तिक शुक्ल पक्ष के षष्ठी को मनाया जाने वाला एक हिन्दू पर्व है। सूर्योपासना का यह अनुपम लोकपर्व मुख्य रूप से बिहार, झारखण्ड, पूर्वी उत्तर प्रदेश और नेपाल के तराई क्षेत्रों में मनाया जाता है। कहा जाता है यह पर्व बिहारीयों का सबसे बड़ा पर्व है ये उनकी संस्कृति है। छठ पर्व बिहार मे बड़े धुम धाम से मनाया जाता है। ये एक मात्र ही बिहार या पूरे भारत का ऐसा पर्व है जो वैदिक काल से चला आ रहा है और ये बिहार कि संस्कृति बन चुका हैं। यहा पर्व बिहार कि वैदिक आर्य संस्कृति कि एक छोटी सी झलक दिखाता हैं। ये पर्व मुख्यः रुप से ॠषियो द्वारा लिखी गई ऋग्वेद मे सूर्य पूजन, उषा पूजन और आर्य परंपरा के अनुसार बिहार मे यहा पर्व मनाया जाता हैं। छठ पूजा सूर्य, उषा, प्रकृति,जल, वायु और उनकी बहन छठी म‌इया को समर्पित है ताकि उन्हें पृथ्वी पर जीवन की देवतायों को बहाल करने के लिए धन्यवाद और कुछ शुभकामनाएं देने का अनुरोध किया जाए। छठ में कोई मूर्तिपूजा शामिल नहीं है। त्यौहार के अनुष्ठान कठोर हैं और चार दिनों की अवधि में मनाए जाते हैं। इनमें पवित्र स्नान, उपवास और पीने के पानी (वृत्ता) से दूर रहना, लंबे समय तक पानी में खड़ा होना, और प्रसाद (प्रार्थना प्रसाद) और अर्घ्य देना शामिल है। परवातिन नामक मुख्य उपासक (संस्कृत पार्व से, जिसका मतलब 'अवसर' या 'त्यौहार') आमतौर पर महिलाएं होती हैं। हालांकि, बड़ी संख्या में पुरुष इस उत्सव का भी पालन करते हैं क्योंकि छठ लिंग-विशिष्ट त्यौहार नहीं है। छठ महापर्व के व्रत को स्त्री - पुरुष - बुढ़े - जवान सभी लोग करते हैं। कुछ भक्त नदी के किनारों के लिए सिर के रूप में एक प्रोस्टेशन मार्च भी करते हैं

छठ पूजा के कुछ गीत इस तरह के होते हैं:-

गीत : 1 – काच्चे ही बांस के बहंगिया

काच्चे ही बांस के बहंगिया ,

बहंगी लचकत जाए,

होए ना बलम जी कहरिया ,

बहंगी घाटे पहुंचाए,

कांच ही बांस के बहंगिया,

बहंगी लचकत जाए,

बाट जे पूछे ना बटोहिया ,

बहंगी केकरा के जाय,

तू तो आंध्र होवे रे बटोहिया ,

बहंगी छठ मैया के जाए,

वह रे जे बाड़ी छठी मैया ,

बहंगी उनका के जाए,

कांच ही बांस के बहंगिया

बहंगी लचकत जाए,

होए ना देवर जी कहरिया ,

बहंगी घाटे पहुंचाई ,

वह रे जो बाड़ी छठी मैया

बहंगी उनका के जाए ,

बाटे जे पूछे ना बटोहिया

बहंगी केकरा के जाय ,

तू तो आन्हर होय रे बटोहिया

बहंगी छठ मैया के जाए ,

वह रे जय भइली छठी मैया ,

बहंगी उनका के जाए,

गीत : 2 – केलवा के पात पर उगे सुरुजमल

केलवा के पात पर उगे लन सुरुजमल झांके

केलवा के पात पर उगे लन सुरुजमल झांके – झुके।

के करेलू छठ बरतिया से झांके – झुके।

के करेलू छठ बरतिया से झांके – झुके। ।

हम तोहसे पूछी बरतिया ए बरतिया के केकरा लागी,

हम तोहसे पूछी बरतिया ए बरतिया के केकरा लागी। ।

के करेलू छठ बरतिया से केकरा लागी।
के करेलू छठ बरतिया से केकरा लागी। ।

हमरो जे बेटवा तोहन अइसन बेटावा से उनके लागी।

हमरो जे बेटवा तोहन अइसन बेटावा से उनके लागी। ।

से करेली छठ बरतिया से उनके लागी।