नवंबर समसामयिकी/पर्यावरण
आंध्र प्रदेश के कोल्लेरू स्थित अटापका पक्षी अभयारण्य
[सम्पादन]दो प्रवासी पक्षियों (ग्रे पेलीकल और सारस) का अकेला सुरक्षित प्रजनन स्थल बन गया है। पक्षियों का स्वर्ग नाम से प्रसिद्ध यह पश्चिमी गोदावरी और कृष्णा ज़िलों की सीमा पर कोल्लेरू झील में अवस्थित है। कोल्लेरू झील(Kolleru Lake) देश की सबसे बड़ी ताजे़ पानी की झीलों में से एक है। यह कृष्णा और गोदावरी नदी के डेल्टा के मध्य स्थित है। यह झील दोनों नदियों के लिये प्राकृतिक बाढ़-संतुलन जलाशय का कार्य करती है। इसे वर्ष 1999 में भारत के वन्य जीवन संरक्षण अधिनियम, 1972 के तहत एक वन्यजीव अभयारण्य के रूप में अधिसूचित किया गया था। यह एक रामसर स्थल है।
चीन में ब्यूबोनिक प्लेग (Bubonic Plague) के कुछ मामले
[सम्पादन]ब्यूबोनिक प्लेग संक्रमित पिस्सू के काटने से फैलता है। यह येर्सिनिया पेस्टिस बैक्टीरियम (Yersinia Pestis Bacterium) के कारण होता है। सामने आए हैं। सामान्यतः ब्यूबोनिक प्लेग के अलावा प्लेग के दो संस्करण और हैं- न्यूमोनिक प्लेग (Pneumonic Variant) सेप्टिकैमिक प्लेग ( Septicaemic Plague) प्लेग एक जीवाणु संक्रमित महामारी है,प्रारंभिक अवस्था में ही प्लेग के लक्षणों को पहचान कर प्रभावी एंटीबायोटिक दवाओं द्वारा इसका उपचार किया जा सकता है।
1981में स्धापित,पन्ना टाइगर रिज़र्व,22वाँ
[सम्पादन]इसमें बाघों की वर्तमान आबादी 55 तक पहुँच गई है। मध्य प्रदेश के उत्तरी भाग में विंध्य पर्वत शृंखलाओं में पन्ना और छतरपुर ज़िलोंके लगभग 576 वर्ग किमी में फैला हुआ है। इसके मध्य में उत्तर से दक्षिण की ओर केन नदी बहती है। व्यापक खुले वुडलैंड्स के साथ-साथ सूखी और छोटी घास पाई जाती है। यहाँ पठारों की सूखी खड़ी ढलानों पर बबूल के वृक्ष बहुतायत में पाए जाते हैं। बाघ के अलावा यह तेंदुए, नीलगाय,चिंकारा,चौंसिंगा, चीतल, चित्तीदार बिल्ली, साही और सांभर जैसे अन्य जानवरों का निवास स्थान भी है। यहाँ केन नदी में घड़ियाल और मगर भी पाए जाते हैं।
इदरीस एल्बा (Idris Elba),मैक्सिको में खोजा गया ततैया (Wasp) की एक प्रजाति
[सम्पादन]- वैज्ञानिकों द्वारा यह नाम दिया गया।
- ब्रिटिश अभिनेता इदरीस एल्बा को थोर नामक एक हॉलीवुड फिल्म में हेमडाल के किरदार के लिये जाना जाता है।
- हेमडाल,एक नोर्वेगियाई देवता हैं, जिन्हें मानव और देवताओं को जोड़ने वाले माध्यम का एकमात्र रक्षक माना जाता है।
- इसे बैग्रडा बग (Bagrada Bug) नामक अन्य परजीवी के अंडों पर जीवित पाया गया जो कि पत्तेदार सब्जियों का एक प्रमुख कीट है।
- वर्तमान में इदरीस वर्ग में 300 से अधिक प्रजातियाँ शामिल हैं जिनमें सबसे नई खोजी गई प्रजाति को एल्बा नाम दिया गया है।
समीर एप्लीकेशनSAMEER Application
[सम्पादन]- केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण ब्यूरो द्वारा विकसित यह 100 से अधिक शहरों की वायु गुणवत्ता की जानकारी प्रदान करता है।
- यह एप्लीकेशन चिह्नित किये गए शहरों को वायु गुणवत्ता सूचकांक के आधार पर एक कोड (Code) रंग के प्रारूप में प्रदर्शित कर राष्ट्रीय वायु गुणवत्ता सूचकांक की वास्तविक जानकारी उपलब्ध कराता है।
- वायु गुणवत्ता सूचनाओं का संग्रहण और प्रसार एक केंद्रीकृत स्थान से किया जाता है।
- इसका प्रयोग किसी क्षेत्र विशेष में कचरा डंपिंग,सड़क की धूल,वाहनों के उत्सर्जन या अन्य प्रदूषण के मुद्दों से संबंधित शिकायतों को दर्ज करने या ट्रैक करने के लिये भी किया जा सकता है।
जल शक्ति मंत्रालय द्वारा द्वारा स्वच्छ सर्वेक्षण ग्रामीण पुरस्कार-2019
[सम्पादन]19 नवंबर,2019 को विश्व शौचालय (World Toilet Day) दिवस के अवसर पर प्रदान किये गए।
लेह में नेशनल इंस्टीट्यूट फॉर सोवा-रिग्पा(National Institute of Sowa Rigpa- NISR)की स्थापना को मंज़ूरी
[सम्पादन]केंद्रीय कैबिनेट ने प्रदान दी। आयुष मंत्रालय के तहत 47.25 करोड़ रुपये की लागत से स्धापित स्वायत्तशासी संस्थान। NISR सोवा-रिग्पा से संबंधित अनुसंधान और शिक्षा को बढ़ावा देने में मदद करेगा। सोवा-रिग्पा भारत में हिमालयी क्षेत्र की एक पारंपरिक चिकित्सा प्रणाली है। यह सिक्किम, अरुणाचल प्रदेश, दार्जिलिंग (पश्चिम बंगाल), हिमाचल प्रदेश, केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख के साथ-साथ पूरे भारत में प्रचलित हो रहा है। NISR की स्थापना से सोवा-रिग्पा को न सिर्फ भारतीय उपमहाद्वीप में नया जीवन मिलेगा बल्कि भारत के साथ-साथ अन्य देशों के छात्रों को भी इस पारंपरिक चिकित्सा पद्धति को सीखने का अवसर मिलेगा।
आंध्र प्रदेश के श्रीशैलम बांध
[सम्पादन]एक रिपोर्ट के अनुसार, श्रीशैलम बांध (Srisailam Dam) की स्थिति खराब होने के कारण इसके मरम्मत, संरक्षण और रख-रखाव कार्यों की तत्काल आवश्यकता है। यह बाँध आंध्र प्रदेश के कुन्नूर ज़िले में कृष्णा नदी पर अवस्थित है। वर्ष 1960 में शुरू की गई यह परियोजना देश में दूसरी, सबसे अधिक क्षमता वाली पनबिजली परियोजना है। इस बाँध का निर्माण समुद्र तल से लगभग 300 मीटर की ऊँचाई पर नल्लामलाई पहाड़ियों की एक गहरी खाई में किया गया है।
पावूर उलिया द्वीप(Pavoor-Uliya Island)
[सम्पादन]कर्नाटक के मैंगलोर में नेतरावती नदी के बीच में अवस्थित एक द्वीप है। नेथरावती नदी का उद्गम कर्नाटक के चिक्कमगलुरु (Chikkamagaluru) से होता है। अरब सागर में गिरने से पहले यह नदी उप्पनंगडी में कुमारधारा नदी से मिल जाती है। नेथरावती नदी बंतवाल और मैंगलोर में जल का मुख्य स्रोत है।
जयकवाड़ी बांध
[सम्पादन]- महाराष्ट्र में अवस्थित जयकवाड़ी बांध (Jayakwadi Dam) पर लगे भूकंपमापी उपकरण ने र्काय करना बंद कर दिया है।
- इस भुकंपमापी उपकरण को वर्ष 1993 में लातूर ज़िले के किलारी में आए विनाशकारी भूकंप के बाद स्थापित किया गया था।
- भूकंपीय तरंगों को मापने और रिकॉर्ड करने के लिये सिस्मोमीटर (Seismometer) नामक उपकरण का प्रयोग किया जाता है।
- यह बाँध महाराष्ट्र के औरंगाबाद ज़िले में गोदावरी नदी पर अवस्थित है।औरंगाबाद शहर को ‘दरवाज़ों का शहर’ भी कहा जाता है।
- इस बांध का उद्देश्य मराठवाडा जैसे क्षेत्र में वर्षाकाल के दौरान आई बाढ़ तथा बाकी समय में पड़ने वाले सूखे जैसी समस्याओं से निपटना है।
दुधवा नेशनल पार्क
[सम्पादन]यह पार्क पर्यटकों के लिये प्रतिवर्ष 15 नवंबर को खोला जाता है और 15 जून को बंद कर दिया जाता है। यह उत्तर प्रदेश के लखीमपुर-खीरी ज़िले में भारत-नेपाल सीमा पर स्थित है तथा यह उत्तर प्रदेश के तराई क्षेत्र में प्राकृतिक जंगलों और घास के मैदानों का प्रतिनिधित्व करता है। इसके अंतर्गत तीन महत्त्वपूर्ण संरक्षित क्षेत्र शामिल हैं: दुधवा नेशनल पार्क किशनपुर वन्यजीव अभयारण्य कतर्निया घाट वन्यजीव अभयारण्य राज्य में रॉयल बंगाल टाइगर के अंतिम व्यवहार्य निवास होने के कारण इन तीनों संरक्षित क्षेत्रों को प्रोजेक्ट टाइगर (Project Tiger) के तहत संयुक्त करके दुधवा टाइगर रिज़र्व के रूप में गठित किया गया है। दुधवा नेशनल पार्क और किशनपुर वन्यजीव अभयारण्य को वर्ष 1987 में तथा कतर्निया वन्यजीव अभयारण्य को वर्ष 2000 में दुधवा टाइगर रिज़र्व में शामिल किया गया था। पार्क की जैव-विविधता दुधवा नेशनल पार्क में दलदल, घास के मैदान और घने वृक्ष हैं। यह क्षेत्र मुख्यतः बारहसिंगा और बाघों की प्रजातियों के लिये प्रसिद्ध है। इसके अलावा पक्षियों की विभिन्न प्रजातियाँ भी यहाँ पाई जाती हैं।
नागार्जुनसागर श्रीशैलम टाइगर रिज़र्व
[सम्पादन]- एक अवधि तक लगातार गिरावट के बाद आंध्र प्रदेश के नागार्जुनसागर श्रीशैलम टाइगर रिज़र्व (Nagarjunasagar Srisailam Tiger Reserve- NSTR) में बाघों की संख्या में वृद्धि हो रही है।
- अखिल भारतीय बाघ अनुमान (All India Tiger Estimation-AITE) के चौथे चक्र के अनुसार, आंध्र प्रदेश और तेलंगाना में बाघों की संख्या में वृद्धि हुई है।
- भारत का सबसे बड़ा टाइगर रिज़र्व है।
- NSTR को वर्ष 1978 में अधिसूचित किया गया था तथा वर्ष 1983 में इसे प्रोजेक्ट टाइगर के संरक्षण के तहत शामिल किया गया।
- वर्ष 1992 में इसका नाम परिवर्तित कर राजीव गांधी वन्यजीव अभयारण्य कर दिया गया था।
- कृष्णा नदी के तट पर अवस्थित है तथा आंध्र प्रदेश और तेलंगाना के 5 ज़िलों में विस्तारित है।
- इसके अलावा बहुउद्देशीय जलाशय- श्रीशैलम और नागार्जुनसागर NSTR में ही अवस्थित हैं।
- यहाँ बंगाल टाइगर के अलावा, तेंदुआ, चित्तीदार बिल्ली, पेंगोलिन, मगर, इंडियन रॉक पायथन और पक्षियों की असंख्य किस्में पाई जाती हैं।
WAYU and Hepa Air Purifiers
[सम्पादन]इन उपकरणों ने दिल्ली में वायु प्रदूषण की गंभीर स्थिति के कारण काम करना बंद कर दिया है।
- वायु वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद(CSIR) की नागपुर स्थित राष्ट्रीय पर्यावरण इंजीनियरिंग अनुसंधान संस्थान प्रयोगशाला द्वारा ‘वायु’ का विकास किया गया है।
- यह उपकरण लगभग आधे घंटे में पीएम 10 (PM10) को 600 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर (ug/m3) से घटाकर 100 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर तथा PM2.5 को 300 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर से माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर कर सकता है।
- यह लगभग 500 वर्ग मीटर तक के दायरे में वायु को शुद्ध कर सकता है।
- इसमें एक पंखा लगा होता है जो हवा को सोखकर उसमे से धूल तथा PM तत्त्वों को अलग करता है।
- इस प्रक्रिया में कार्बन मोनोऑक्साइड और हाइड्रोकार्बन का टाइटेनियम डाइऑक्साइड के साथ सक्रिय कार्बन का लेप करके कम हानिकारक कार्बन डाइऑक्साइड में ऑक्सीकरण किया जाता है।
- फिर शुद्ध वायु को वापस वायुमंडल में छोड़ दिया जाता है।
- हेपा 0.3 माइक्रोन के 99.9% कणों को शुद्ध करने में सक्षम है।
- यह वायु संदूषकों को तंतुओं के एक ज़टिल ज़ाल में फँसा लेता है।