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नवजागरण और स्वाधीनता आंदोलन/सारांश

विकिपुस्तक से

सारांश


इस इकाई में आपने नवजागरण और स्वाधीनता संघर्ष के बारे में अध्ययन किया है। सत्रहवीं सदी में यूरोप की व्यापारिक कंपनियाँ भारत में व्यापार के लिए आईं । इनमें ब्रिटेन की ईस्ट इंडिया कंपनी भी थी। 1757 के प्लासी के युद्ध में नवाब सिराजुद्दौला को हराकर अंग्रेजों ने भारत में अंग्रेजी साम्राज्य की नींव रखी । अंग्रेजों ने भारत को राजनीतिक रूप से ही अपने अधीन नहीं किया बल्कि वे यहाँ ऐसी शासन व्यवस्था भी कायम करना चाहते थे जिसे भारतीय अपने उद्धारक के रूप में ग्रहण करें। वे शिक्षित भारतीयों का ऐसा वर्ग पैदा करना चाहते थे जो रक्त और मांस से तो भारतीय हो लेकिन अपनी सोच में वे पूरी तरह से अंग्रेज हों। लेकिन अंग्रेज भारत की संपदा का जिस तरह दोहन कर रहे थे और यहाँ के लोगों के साथ जिस तरह का अत्याचार कर रहे थे, उससे यह मुमकिन ही नहीं था कि भारतीय अंग्रेजों के शासन को वरदान के रूप में लेते | भारतीयों ने आरंभ से ही अंग्रेजों को यहाँ से खदेड़ने का प्रयास किया। यहाँ के किसान, आदिवासी और दूसरे समुदायों ने इसके लिए निरंतर संघर्ष किया। इन संघर्षों की परिणति 1857 के महाविद्रोह में हुई। इसे भारत का पहला स्वतंत्रता संग्राम कहा गया । लेकिन भारतीय इस संग्राम जीत नहीं सके। अंग्रेजों के संपर्क में आने से भारत पर कुछ सकारात्मक असर भी पड़ा। भारतीयों को इस बात का एहसास हुआ कि उनके सामाजिक जीवन में कई बुराइयाँ घर कर गई हैं। धार्मिक अंधविश्वास और रूढ़िवाद, सामाजिक कुप्रथाएँ मसलन, पर्दा प्रथा, बाल विवाह, अनमेल विवाह, सती प्रथा, जातिप्रथा, छुआछूत, अशिक्षा वैधव्य आदि ऐसी ही बुराइयाँ थीं जिनसे मुक्ति के बिना भारत तरक्की नहीं कर सकता था । नवजागरण के पुरोधाओं ने विभिन्न सामाजिक और धार्मिक संगठन बनाकर भारतीयों को मध्ययुगीन रूढ़ियों से मुक्त कराने की कोशिश की। इसी के नतीजतन भारत आज कई सामाजिक बुराइयों से काफी हद तक मुक्त हो चुका है। भारतीयों ने इसी दौर में इस बात को समझा कि विज्ञान और प्रौद्योगिकी का कितना महत्व है और बिना उद्योगीकरण के भारत दूसरे देशों के समकक्ष नहीं पहुंच सकता। इसके लिए व्यापक शिक्षा का प्रसार जरूरी है।

इस नई चेतना ने ही भारतीयों को इस बात का एहसास कराया कि हम एक राष्ट्र है, स्वतंत्रता और संप्रभुता हमारा लक्ष्य है और इसे हम हर हाल में हासिल करके रहेंगे। 1885 में कांग्रेस की स्थापना ने भारतीयों की आजादी की महत्वाकांक्षा को पूरा करने का एक मंच प्रदान किया। आजादी की लड़ाई में कांग्रेस ने सदैव अग्रणी भूमिका निभाई । इसने दादा भाई नौरोजी, गोपालकृष्ण गोखले, बाल गंगाधर तिलक, महात्मा गांधी, जवाहरलाल नेहरू, सुभाषचंद्र बोस, मौलाना अबुलकलाम आजाद , रोजिनी नायडू जैसे महान नेता दिए। आजादी की लड़ाई में क्रांतिकारियों का भी योगदान अविस्मरणीय है।

आजादी की लड़ाई सिर्फ राजनीतिक मुक्ति की लड़ाई नहीं थी बल्कि आर्थिक, सामाजिक और सांस्कृतिक मुक्ति की भी लड़ाई थी। आजादी की लड़ाई के दौरान भारतीय समाज के कई अंतर्विरोध भी उभरकर सामने आए । इन अंतर्विरोधों को अंग्रेजी साम्राज्यवाद ने भारतीय समाज में विभाजन पैदा करने के लिए इस्तेमाल किया। इसका परिणाम धर्म के आधार पर देश के विभाजन में निकला। आजाद भारत एक धर्मनिरपेक्ष और लोकतांत्रिक गणराज्य बना।

इस प्रकार नवजागरण और स्वाधीनता के संघर्ष के इस संक्षिप्त परिचय से आपको आधुनिक हिंदी साहित्य की पृष्ठभूमि को समझने में मदद मिलेगी ।