पशु व्यवहार/भाषा
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मनुष्यों में भाषा का गुण बहुत अधिक विकसित हो चुका है। इससे वह एक दूसरे से बात करने और आसानी से अपने मन की बात एक दूसरे तक भेजने में सक्षम है। इसके साथ ही यह कई अलग अलग भाषाओं में बोल भी सकता है और समझ भी सकता है। किसी भी मनुष्य को उसके सही विकास के लिए सर्वप्रथम उसके मातृ भाषा का ज्ञान उसे मिलना आवश्यक होता है। यदि जन्म के कुछ वर्षों तक उसे पढ़ाई में शुरू से ही उसके मातृ भाषा की शिक्षा नहीं मिलती है तो उसका सही विकास नहीं हो पाता है। ठीक उसी प्रकार यह पशुओं में भी होता है।
यदि कोई पशु बचपन में ही अपने माता-पिता से पिछड़ जाता है तो वह उनकी भाषा सीख नहीं पाता है और बड़े होने के बाद भी उस पर कहीं न कहीं इसका बुरा प्रभाव पड़ता ही है।