बिहार का परिचय/मौर्योत्तर काल
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गुप्त शासकों ने परमभट्टारक और महाराजाधिराज जैसे गर्वित उपाधियों को अपनाया। लघु प्रांतों पर शासन करने वाले सामंती शासकों के साथ प्रशासन पूर्ण रूप से विकेंद्रीकृत था। कुमारामात्सय सबसे महत्वपूर्ण अधिकारी था, लेकिन गुप्तों के पास मौर्यों जैसी विस्तृत प्रशासनिक व्यवस्था का अभाव था। इनके कार्यालय की प्रकृति में वंशानुगत हो गई। नागरिक और आपराधिक कानूनों का अत्यधिक सीमांकन किया गया।