बैंकिंग लोकपाल योजना, 2006

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बैंकिंग लोकपाल योजना, 2006

अक्सर पूछे जानेवाले प्रश्नों को निम्नलिखित कोटियों में बाँटा गया है

परिचय[सम्पादन]

1. बैंकिंग लोकपाल योजना, 2006 क्या प्रस्तावित करती है?

बैंकिंग लोकपाल योजना, 2006 बैंकों द्वारा दी जा रही कतिपय सेवाओं से संबंधित बैंक ग्राहकों की शिकायतों के समाधान पर कार्रवाई करती है

2. क्या बैंकिंग लोकपाल योजना लागू हो गई है?

यह योजना 1 जनवरी 2006 से लागू है

3. बैंकिंग लोकपाल कौन है?

बैंकिंग लोकपाल भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा नियुक्त वह व्यक्ति है जो बैंकिंग सेवाओं में कतिपय कमियों के संबंध में ग्राहकों की शिकायतों का समाधान करता है

4. क्या बैंकिंग लोकपाल को कोई कानूनी अधिकार प्राप्त है?

बैंकिंग लोकपाल अद्र्ध न्यायिक प्राधिकारी है विचार-विमर्श के माध्यम से शिकायतों के समाधान को सुविधाजनक बनाने के लिए इसे दोनों पक्षों-बैंक और ग्राहक को बुलाने का अधिकार है

5. कितने बैंकिंग लोकपालों की नियुक्ति की गई है और वे कहाँ-कहाँ स्थित हैं?

आज की तारीख तक 15 बैंकिंग लोकपालों की नियुक्ति की गई है जिनके कार्यालय अधिकांशतः राज्यों की राजधानियों में स्थित हैं बैंकिंग लोकपाल कार्यालयों के पते भारतीय रिज़र्व बैंक की वेबसाइट पर उपलब्ध हैं

6. बैंकिंग लोकपाल योजना,2006 के अंतर्गत कौन से बैंक शामिल हैं?

इस योजना के अंतर्गत सभी अनुसूचित वाणिज्यिक बैंक,क्षेत्रीय ग्रमीण बैंक और अनुसूचित प्राथमिक सहकारी बैंक शामिल हैं

7. नई बैंकिंग लोकपाल योजना, 2006 पुरानी बैंकिंग लोकपाल योजना, 2002 से किस प्रकार भिन्न है?

नई योजना का विस्तार और क्षेत्र 2002 की पूर्व योजना से व्यापक है नई योजना में शिकायतों का ऑनलाइन प्रस्तुतीकरण भी उपलब्ध है नई योजना लोकपाल द्वारा पारित अधिनिर्णय के विरूद्ध अपील हेतु बैंक तथा शिकायतकर्ता दोनों के लिए अतिरिक्त रूप से `अपीलीय प्राधिकार' नामक एक संस्था भी उपलब्ध कराती है

बैंकिंग लोकपाल के समक्ष शिकायतों के प्रकार[सम्पादन]

8. बैंकिंग लोकपाल किस प्रकार के मामलों पर विचार कर सकता है?

बैंकिंग लोकपाल बैंकिंग सेवाओं में निम्नलिखित कमियों के संबंध में किसी भी शिकायत को प्राप्त कर सकता है और विचार कर सकता है

  • अदायगी न होना या चेकों, ड्राप्टों, बिलों आदि की वसूली अथवा भुगतान में असाधारण विलम्ब,
  • किसी भी प्रयोजन हेतु अदायगी के लिए प्रदत्त कम मूल्य वर्ग के नोटों का बिना किसी पर्याप्त कारण के स्वीकार नहीं किया जाना तथा उनके सम्बन्ध में किसी भी तरह का कमीशन वसूल करना,
  • सिक्कों को बिना किसी पर्याप्त कारण के स्वीकार न करना तथा उसके संबंध में कमीशन लेना ,
  • आवक परेषणों के भुगतान में विलम्ब अथवा भुगतान न करना,
  • ड्राप्ट,भुगतान आदेश अथवा बैंकर्स चेक जारी करने में विलम्ब अथवा जारी न करना,
  • कामकाज के निर्धारित समय का पालन न किया जाना,
  • गारंटी या साखपत्र संबंधी प्रतिबध्दताओं को सकारने में असफल रहना ,
  • बैंक अथवा उसके सीधे बिक्री एजेंटों द्वारा लिखित रूप में वचन दी गई बैंकिंग सुविधाएँ (ऋणों और अग्रिमों के अतिरिक्त) प्रदान करने में विलम्ब अथवा उपलब्ध न कराना ,
  • बैंक द्वारा अनुरक्षित बचत, चालू या अन्य खाते में जमाराशियों पर लागू ब्याज दर के संबंध में रिज़र्व बैंक के निर्देश, यदि कोई हों, का पालन न करना, जमाराशियों का भुगतान न करना, पार्टियों के खातों में आय जमा न करना, विलम्ब करना ,
  • निर्यातकों के लिए निर्यात प्राप्तियाँ मिलने, निर्यात बिलों पर कार्रवाई, बिलों की वसूली आदि में विलंब बशर्ते कि ऐसी शिकायतें बैंक के भारत में परिचालन से संबंधित हों —
  • इन्कार करने के लिए किसी वैध कारण के बिना जमा खाता खोलने हेतु इन्कार,
  • ग्राहक को पर्याप्त पूर्व सूचना दिए बिना प्रभार लगाना ,
  • एटीएम / डेबिट कार्ड परिचालन या क्रेडिट कार्ड परिचालन पर रिज़र्व बैंक के अनुदेशों का बैंक अथवा उनके अनुषंगियों द्वारा अनुपालन न होना ,
  • पेंशन संवितरण में विलंब अथवा संवितरण न करना (कुछ हद तक इस शिकायत हेतु संबंधित बैंक द्वारा की गई कार्रवाई के लिए बैंक को उत्तरदायी ठहरा सकते हैं लेकिन उनके कर्मचारियों के मामले में नहीं) ,
  • रिज़र्व बैंक / सरकार द्वारा की गई अपेक्षा के अनुसार करों के प्रति भुगतान स्वीकार करने में विलंब अथवा इन्कार करना ,
  • सरकारी प्रतिभूतियाँ जारी करने से इन्कार अथवा विलंब, या सेवा प्रदान करने में असमर्थता अथवा सेवा प्रदान करने या शोधन में विलंब ,
  • बिना पर्याप्त सूचना अथवा बिना पर्याप्त कारण के जमा लेखों को जबरन बंद करना ,
  • लेखे बंद करने से इन्कार या बंद करने में विलंब ,
  • बैंक द्वारा अपनाई गई बेहतर व्यवहार संहिता का अनुपालन न करना , तथा
  • बैंकिंग अथवा अन्य सेवाओं के संबंध में रिज़र्व बैंक द्वारा जारी निदेशों के उल्लंधन से संबंधित अन्य कोई मामला
9. क्या बैंकिंग लोकपाल अनिवासी भारतीयों की शिकायतों पर विचार कर सकता है?

हाँ, बैंकिंग लोकपाल भारत में अपना खाता रखनेवाले अनिवासी भारतीयों से विदेश से उनके विप्रेषणों,जमाराशियों और बैंक-संबंधी अन्य मामलों के संबंध में प्राप्त शिकायतों पर विचार कर सकता है

बैंकिंग लोकपाल को आवेदन करना[सम्पादन]

10. शिकायतकर्ता कब अपनी शिकायत दर्ज करा सकता है?

वह बैंकिंग लोकपाल के समक्ष तभी शिकायत दर्ज करा सकता है यदि संबंधित बैंक द्वारा उसका अभ्यावेदन प्राप्त करने के बाद बैंक से उसे एक महीने के भीतर जवाब नहीं प्राप्त हुआ है या बैंक ने शिकायत खारिज़ कर दी हे या बैंक द्वारा दिये गये जवाब से शिकायतकर्ता संतुष्ट नहीं है

11. क्या शिकायतकर्ता को बैंकिंग लोकपाल के समक्ष शिकायत दर्ज कराते समय किसी शर्त का पालन करना होता है?

बैंकिंग लोकपाल के समक्ष शिकायत दर्ज कराने हेतु शिकायतकर्ता के लिए यह आवश्यक है कि पहले वह शिकायत में नामित बैंक को एक लिखित अभ्यावेदन प्रस्तुत करते हुए सीधे बैंक से एक संतोषप्रद समाधान प्राप्त करने का प्रयास करे तथापि, कार्रवाई आरंभ किए जाने के कारणों के बाद एक वर्ष की अवधि के भीतर शिकायत दर्ज की जाए

12. क्या किसी अन्य बैंकिंग लोकपाल के समक्ष पूर्ववर्ती कार्रवाईयों के माध्यम से निपटाए गए उसी विषय वस्तु पर बैंकिंग लोकपाल को शिकायत की जा सकती है?

नहीं उसी विषय वस्तु पर शिकायत नहीं की जा सकती जिसका निपटान किन्हीं पूर्ववर्ती कार्यवाहियों में बैंकिंग लोकपाल के कार्यालय द्वारा किया गया हो

13.क्या बैंकिंग लोकपाल के समक्ष उसी विषयवस्तु पर शिकायत की जा सकती है जिसके लिए कोई कार्यवाही किसी न्यायालय,अधिकरण या मध्यस्थ या किसी अन्य मंच पर लम्बित हो अथवा ऐसे न्यायालय, अधिकरण, मध्यस्थ या मंच द्वारा निर्णय या अधिनिर्णय या अंतिम आदेश पारित किया गया है?

नहीं

14. क्या बैंकिंग लोकपाल के समक्ष शिकायत दर्ज कराने के लिए कोई प्रक्रिया है?

कोई शिकायतकर्ता केवल सादे कागज पर लिखकर बैंकिंग लोकपाल के पास शिकायत दर्ज करा सकता है वह बैंकिंग लोकपाल को ैैै.ंaहव्iहुदस्ंल््ेस्aह.ींi.दीु.iह पर ऑनलाइन अथवा इ-मेल भेजकर भी अपनी शिकायत दर्ज करा सकता है शिकायत दर्ज कराने के लिए एक निर्धारित फॉर्म भी है जो बैंकों की सभी शाखाओं में उपलब्ध है तथापि, यह आवश्यक नहीं है कि इसी फॉर्मेट का उपयोग किया जाए फिर भी, शिकायतकर्ता को सभी अपेक्षित सूचना शामिल करनी चाहिए

15. क्या कोई शिकायत शिकायतकर्ता के किसी प्राधिकृत प्रतिनिधि द्वारा दर्ज कराई जा सकती है?

हॉ शिकायतकर्ता अपने किसी प्राधिकृत प्रतिनिधि (किसी वकील के अलावा) शिकायत दर्ज करा सकता है

16. क्या बैंकिंग लोकपाल के पास शिकायत दर्ज कराने में कोई लागत शामिल है?

नहीं बैंकिंग लोकपाल ग्राहकों की शिकायतों का समाधान करने के लिए कोई शुल्क प्रभारित नहीं करता है

17. आवेदनपत्र में कौन से ब्यौरे अपेक्षित हैं?

शिकायत में शिकायतकर्ता के नाम और पते, उस बैंक की शाखा अथवा कार्यालय का नाम और पता जिसके विरूद्ध शिकायत की गई है, शिकायत के कारण के लिए तथ्य और उसके समर्थन में दस्तावेज़, यदि कोई हो, शिकायतकर्ता को हुई हानि का स्वरूप और सीमा, बैंकिंग लोकपाल से माँगी गई राहत और उन शर्तो के अनुपाल के बारे में एक धोषणा जो शिकायतकर्ता द्वारा अनुपालन के लिए अपेक्षित है

बैंकिंग लोकपाल के समक्ष कार्रवाईयाँ[सम्पादन]

18. क्या होता है जब बैंकिंग लोकपाल को कोई शिकायत प्राप्त होती है?

बैंकिंग लोकपाल शिकायतकर्ता और शिकायत में नामित बैंक के बीच करार द्वारा समाधान अथवा विचार-विमर्श के माध्यम से एक निपटान कराने हेतु प्रयत्न करता है

19. क्या होगा यदि बैंक समझाौते का कोई प्रस्ताव देता है?

यदि समझाौते की शर्ते (बैंक द्वारा प्रस्तुत की गई) शिकायतकर्ता को पूरी तरह और अपनी शिकायत के अंतिम समझाौते के रूप में स्वीकार्य हैं तो बैंकिंग लोकपाल समझाौते की शर्तो के अनुसार एक आदेश पारित करेगा जो बैंक तथा शिकायतकर्ता दोनों पर बाध्यकारी होगा

20. क्या होगा यदि शिकायत का करार द्वारा समझाौता नहीं होता है?

यदि कोई शिकायत किसी करार द्वारा एक महीने की अवधि के भीतर नहीं निपटाई जाती है तो बैंकिंग लोकपाल कोई अधिनिर्णय पारित करने की कार्रवाई करता है कोई अधिनिर्णय पारित करने के पहले बैंकिंग लोकपाल शिकायतकर्ता और बैंक दोनों को अपना मामला प्रस्तुत करने के लिए उचित अवसर उपलब्ध कराता है

21. कोई अधिनिर्णय पारित करने के लिए बैंकिंग लोकपाल क्या विचार करेगा?

कोई अधिनिर्णय पारित करने के लिए बैंकिंग लोकपाल पक्षों द्वारा उसके समक्ष प्रस्तुत किए गए दस्तावेज़ी साक्ष्य, बैंकिंग विधि और व्यवहार के सिद्धांत, दिशानिर्देशों, भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा जारी किए गए अनुदेशों और मार्गदर्शी सिद्धांतों तथा ऐसे अन्य कारकों द्वारा निर्देशित होता है जो उसकी राय में न्याय के हित में आवश्यक है

बैंकिंग लोकपाल द्वारा दिया गया अधिनिर्णय[सम्पादन]

22. क्या होगा जब बैंकिंग लोकपाल कोई अधिनिर्णय पारित करता है?

कोई अधिनिर्णय पारित किए जाने के बाद उसकी प्रति शिकायतकर्ता और शिकायत में नामित बैंक को भेजी जाती है शिकायतकर्ता के लिए यह खुला विकल्प है कि वह अपनी शिकायत के पूर्ण और अंतिम समझाौते के रूप में इस अधिनिर्णय को स्वीकार करे अथवा अस्वीकार कर दे

23. शिकायतकर्ता क्या करता है जब अधिनिर्णय उसे स्वीकार्य हो?

यदि शिकायतकर्ता को अधिनिर्णय स्वीकार्य है तो उससे यह अपेक्षित है कि वह अपने अधिनिर्णय की प्रति की प्राप्ति की तारीख से पंद्रह दिनों के भीतर अपनी शिकायत के पूर्ण और अंतिम समझाौते के रूप में स्वीकार्यता का एक पत्र संबंधित बैंक को भेजे

24. क्या कोई शिकायतकर्ता अधिनिर्णय स्वीकार्यता का अपना पत्र भेजने के लिए समय-विस्तार की माग कर सकता है?

हाँ, कोई शिकायतकर्ता बैंकिंग लोकपाल को ऐसे समय-विस्तार माँगने के कारणों सहित एक लिखित अनुरोध कर सकता है

25. किसी शिकायतकर्ता से अधिनिर्णय की स्वीकार्यता का अपना पत्र भेजने हेतु समय-विस्तार की माँग के लिए अनुरोध प्राप्त करने पर बैंकिंग लोकपाल क्या करता है?

यदि बैंकिंग लोकपाल शिकायतकर्ता द्वारा समय-विस्तार (अधिनिर्णय की स्वीकार्यता का अपना पत्र भेजने हेतु) के अपने अनुरोधपत्र में बताए गए कारणों से संतुष्ट है तो वह ऐसे अनुपालन के लिए पंद्रह दिनों तक के और समय-विस्तार की स्वीकृति दे सकता है

26. क्या होगा यदि शिकायतकर्ता अपने दावे के पूर्ण और अंतिम समझाौते के रूप में अधिनिर्णय की स्वीकार्यता का पत्र भेजता है?

यदि बैंक अधिनिर्णय से संतुष्ट है तो एक महीने के अवधि के भीतर (इस मामले में अपने दावे के पूर्ण और अंतिम समझाौते के रूप में इस अधिनिर्णय के शिकायतकर्ता से स्वीकार्यता का पत्र प्राप्त करने की तारीख से) बैंक से अपेक्षित है कि वह इस अधिनिर्णय का अनुपालन करे और इस अनुपालन की सूचना बेंकिंग लोकपाल को दें

27. क्या शिकायतकर्ता को अन्य कोई उपाय उपलब्ध है यदि वह बैंकिंग लोकपाल के अधिनिर्णय को अस्वीकार करता है?

यदि शिकायतकर्ता, बैंकिंग लोकपाल द्वारा पारित अधिनिर्णय से संतुष्ट नहीं है तो वह बैंकिंग लोकपाल के निर्णय के विरूद्ध अपीलीय प्राधिकारी से संपर्क कर सकता है

28. क्या शिकायतकर्ता द्वारा अधिनिर्णय के अस्वीकार किए जाने पर उसकी शिकायतों के संबंध में उपाय और समाधान के लिए उसे उपलब्ध न्यायालय, मंच अथवा लागू विधियों के अनुसार किसी अन्य प्राधिकार के समक्ष कोई प्रतिबंध भी है?

शिकायतकर्ता द्वारा किसी अधिनिर्णय की अस्वीकृति विधि के अनुसार उसे उपलब्ध अन्य उपाय और / अथवा समाधानों को प्रभावित नहीं करती है

29. क्या होगा यदि अधिनिर्णय बैंक को स्वीकार्य नहीं है?

बैंक के पास यह विकल्प है कि वह इस योजना के अंतर्गत अपीलीय प्राधिकारी के समक्ष कोई अपील दर्ज करे

अधिनिर्णय के विरूद्ध अपील[सम्पादन]

30. अपीलीय प्राधिकारी कौन है?

अपीलीय प्राधिकारी भारतीय रिज़र्व बैंक में उप गवर्नर हैं

31. क्या कोई अपील दर्ज कराने के लिए कोई समय-सीमा है?

इस अधिनिर्णय से पीडि़त दोनों पक्ष इस अधिनिर्णय की प्राप्ति की तारीख से तीस दिनों के भीतर अपीलीय प्राधिकारी के समक्ष इस अधिनिर्णय के विरूद्ध अपील कर सकते है अपीलीय अधिकारी यदि वह इस बात से संतुष्ट है कि समय के भीतर अपील हेतु आवेदन करने के लिए आवेदनकर्ता के पास पर्याप्त कारण है तो वह तीस दिनों तक की एक और अवधि की अनुमति दे सकता है

बैंक अपने अध्यक्ष अथवा उनकी अनुपस्थिति में प्रबंध निदेशक अथवा कार्यपालक निदेशक अथवा मुख्य कार्यपालक अधिकारी अथवा समान श्रेणी के किसी अन्य अधिकारी की पूर्व संस्वीकृति के साथ अपील कर सकते है

32. अपील के साथ अपीलीय प्राधिकारी किस प्रकार कार्रवाई करता है?

अपीलीय प्राधिकारी

  • अपील खारिज़ कर सकता है; अथवा
  • अपील की अनुमति दे सकता है और अधिनिर्णय को अलग रख सकता है; अथवा
  • ऐसे निर्देशों जिसे अपीलीय प्राधिकारी आवश्यक अथवा उचित समझाता हो, के अनुसार नए निपटान के लिए मामले को बैंकिंग लोकपाल को भेज सकता है; अथवा
  • अधिनिर्णय को आशोधित कर सकता है और ऐसे निर्देश पारित कर सकता है जो आशोधित अधिनिर्णय पर प्रभाव डालने के लिए आवश्यक हो; अथवा
  • जैसा उचित समझो कोई अन्य आदेश पारित कर सकता है

अन्य[सम्पादन]

33. क्या बैंकिंग लोकपाल के लिए यह खुला विकल्प है कि वह किसी शिकायत को किसी भी स्तर पर अस्वीकार कर दे?

हाँ. बैंकिंग लोकपाल किसी शिकायत को किसी भी स्तर पर अस्वीकार कर सकता है यदि उसे ऐसा प्रतीत हो कि उसके पास की गई शिकायत:

  • ओछे, परेशान करने वाले, दुर्भावपूर्ण अथवा बिना किसी पर्याप्त कारण के है; अथवा
  • कि विवेकपूर्ण औचित्य के साथ शिकायतकर्ता द्वारा अनुपालित नहीं हैं; अथवा
  • बैंकिंग लोकपाल की राय में शिकायतकर्ता को कोई हानि अथवा क्षति अथवा असुविधा नहीं हुई है; अथवा
  • बैंकिंग लोकपाल के विवेकसम्मत क्षेत्राधिकार के बाहर है; अथवा
  • बैंकिंग लोकपाल की राय में शिकायत के जटिल स्वरूप के लिए अत्यधिक दस्तावेज़ी और मौखिक साक्ष्य पर विचार की अपेक्षा है और उसके समक्ष कार्यवाही ऐसी शिकायत के न्यायनिर्णयन के लिए समुचित नहीं है
34. किस योजना के द्वारा दर्ज की गई लंबित शिकायतें (वर्ष 2006 की नई योजना के परिचालन में आने से पहले) अभिशासित की जाएंगी?

लंबित शिकायतों का न्यायनिर्णयन तथा अधिनिर्णय का कार्यान्वयन (बैंकिंग लोकपाल योजना 2006 के परिचालन में आने से पहले ही पारित) पूर्व की बैंकिंग लोकपाल योजनाएं 1995 और 2002 के प्रावधानों द्वारा अभिशासित किया जाता रहेगा

35. इस योजना के संबंध में रिज़र्व बैंक की क्या भूमिका है?

भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा बैंकिंग लोकपाल योजना का गठन बैंकों के ग्राहकों को एक शीध्र शिकायत निवारण व्यवस्था उपलब्ध कराने के लिए किया गया है यह बैंकिंग सेवाओं से संबंधित शिकायतों तथा इस योजना में यथा निर्दिष्ट अन्य मामलों के समाधान हेतु एक सांस्थिक और विधिक ढाँचा उपलब्ध कराता है यह योजना भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम, 1949 की धारा 35क के अनुसार रिज़र्व बैंक द्वारा जारी निदेशक के माध्यम से लागू की गई है रिज़र्व बैंक अपने सेवारत वरिष्ठ अधिकारियों को भी बैंकिंग लोकपाल के रूप में नियुक्त करेगा और बेहतर प्रभाव के लिए इसे पूर्ण रूप से निधि भी प्रदान करेगा

36. बैंकिंग लोकपाल योजना कब लागू की गई?

बैंकिंग लोकपाल योजना पहली बार वर्ष 1995 में लागू की गई और इसे वर्ष 2002 में संशोधित किया गया विगत पाँच वर्षो के दौरान बैंकिंग लोकपालों द्वारा लगभग 36,000 शिकायतों पर कार्रवाई की गई है