भारतीय अर्थव्यवस्था/विकास

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भारतीय अर्थव्यवस्था
विकास ब्रिटिश शासन के समय भारतीय अर्थव्यवस्था → 
1850 से 2009 तक की अमेरिका की अर्थव्यवस्था के लिए क्लार्क का क्षेत्रक मॉडल[१]

किसी अर्थव्यवस्था में आर्थिक विकास,मात्रात्मक और गुणात्मक प्रगति ही है।इसका तात्पर्य यह है कि वृद्धि शब्द जहाँ मात्रात्मक प्रगति की बात करते हैं।वहीं विकास मात्रात्मक के साथ गुणात्मक प्रगति की बात करते हैं।[२] विभिन्न श्रेणी के लोगों के विकास के लक्ष्य पंजाब का समृद्ध किसान-किसानों को उनकी उपज के लिए ज्यादा समर्थन मूल्य और मेहनती और सस्ते मजदूरों द्वारा उच्च पारिवारिक आय सुनिश्चत करना ताकि वे अपने बच्चों को विदेशों में बसा सकें। भूमिहीन ग्रामीण मजदूर -काम करने के अधिक दिन और बेहतर मजदूरी ,स्थानीय स्कूल उनके बच्चोम को उत्तम शिक्षा प्रदान करने में सक्षम कोई सामाजिक भेदभाव नहीं शहर के अमीर परिवार की एक लड़की-उसे अपने भाई के जौसी आजादी और वह अपने फैसले खुद कर सकती है। वह अपनी पढ़ाई विदेश में कर सकती है।[३] उपरोक्त उदाहरण से स्पष्ट है कि लोग नियमित काम ,बेहतर मजदूरी और अपनी उपज के लिए अच्छी कीमत चाहते हैं।अधीक आय के अलावा लोग बराबरी का व्यवहार ,स्वतंत्रता ,सुरक्षा और दूसरों से आदर मिलने की इच्छा भी रखते हैं।विकास के लिए,लोग मिले-जुले लक्ष्य को देखते हैं।जैसे वेतनभोगी महिलाओं का घर और समाज में आदर बढ़ता है।

राष्ट्रीय विकास[सम्पादन]

लोगों के लक्ष्य भिन्न होने के कारण उनकी राष्ट्रीय विकास के बारे में धारणा भी भिन्न होगी।देश के विकास के विषय में विभिन्न लोगों की धारणाएँ भिन्न या परस्पर विरोधी हो सकती है। सामान्यतया हम व्यक्तियों की एक या दो महत्वपूर्ण विशिष्टताएँ लेकर उनके आधार पर तुलना करते हैं।परन्तु तुलना के लिए क्या महत्वपूर्ण है इसपर मतभेद हो सकती हैं- विद्यार्थियों का मित्रतापूर्ण व्यवहार और सहयोग भावना,उनकी रचनात्मकता या उनके द्वारा प्राप्त अंक?[४] यही बात विकास पर भी लागू होती है।

प्रतिव्यक्ति आय(per-capita-income) का तुलनात्मक अध्ययन[सम्पादन]

विभिन्न देशों तथा राज्यों के विकास का तुलनात्मक अध्ययन करने के लिए उनकी आय सबसे महत्वपूर्ण विशिष्टता समझी जाती है। जिन देशों या राज्यों की आय अधिक है उन्हें कम आय वाले देशों या राज्यों से अधिक विकसित समझा जाता है।इसलिये अधिक आय अपने आप में एक महत्वपूर्ण लक्ष्य समक्षा जाता है।

देश की औसत आय(प्रतिव्यक्ति आय )=देश की कुल आय/कुल जनसंख्या विश्व बैंक की विश्व विकास रिपोर्ट 2019 के अनुसार भारत की प्रतिव्यक्ति आय में 10% की वृद्धि हुई है। यह 2017-18 के 9580 से बढ़कर 10534 रूपये प्रति माह हो गई है।[५] लोग बेहतर आय के साथ अपनी सुरक्षा,दूसरों से आदर और समानता का व्यवहार पाना,आजादी इत्यादि लक्ष्य के बारे में भी सोचते हैं।

सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय (MoSPI) द्वारा जारी वार्षिक राष्ट्रीय आय और GDP 2019-20 के आंकड़ों के अनुसार “प्रति व्यक्ति शुद्ध राष्ट्रीय आय 2019-20 के दौरान 1,35,050 रुपये अनुमानित है, जो 6.8 प्रतिशत की वृद्धि दर्शाती है, जबकि 2018-19 के दौरान 1,26,406 रुपये की वृद्धि दर 10.0 प्रतिशत है।” देश की प्रति व्यक्ति मासिक आय वर्ष 2019-20 के दौरान 6.8 प्रतिशत बढ़कर 11,254 रुपये होने का अनुमान है। भारत की प्रति व्यक्ति आय 1,35,048 होने की उम्मीद है। 6.8% की दर से बढ़ने की उम्मीद है जो पिछले विकास पैटर्न की तुलना में धीमी थी।[६]

राज्य 2017-18 के लिए वार्षिक PCI(रूपयों में)
हरियाणा 225110
केरल 203093
बिहार 41992

तालिका के आधार पर हम हरियाणा को सबसे अधिक विकसित तथा बिहार को सबसे कम विकसित माना जाएगा।[७]

सार्वजनिक सुविधाएँ[सम्पादन]

हरियाणा में प्रति व्यक्ति औसत आय केरल से अधिक होने के बाबजूद वहाँ शिशु मृत्यु दर अधिक तथा साक्षरता दर और निवल उपस्थिति अनुपात केरला से कम है।तात्पर्य यह है कि यह आवश्यक नहीं कि जेब में रखा रूपया वे सब वस्तुएँ और सेवाएँ खरीद सके,जिनकी आपको एक बेहतर जीवन के लिए आवश्यकता ता हो सकती है।उदाहरणस्वरूप आपका रूपया आपके लोए प्रदूषण मुक्त वातावरण नहीं खरीद सकता या बिना मिलाबट की दवाएँ आपको नहीे दिला सकता।केरल में स्वास्थ और शिक्षा की मौलिक सुविधाएँ पर्याप्त मात्रा में उपलब्थ होने के कारण यहाँ शिशु मृत्यु दर कम है। [८]आंध्र प्रदेश और तमिलनाडु में सार्वजनिक वितरण प्रणाली के ठीक ढंग से कार्य करने के कारण लोगों के स्वास्थय और पोषण स्तर में सुधार हुआ है। तमिलनाडु में 90% ग्रामीण राशन की दुकानों का प्रयोग करते हैं,जबकि पश्चिम बंगाल में 35%। शरीर द्रव्यमान सूचकांक=व्यक्ति का भार/व्यक्ति के लंबाई का वर्ग 18.5से कम होने पर व्यक्ति अल्पपोषित तथा 25 से अधिक होने पर व्यक्ति अतिभारित माना जाएगा।

शिशु मृत्यु दर-किसी वर्ष में पैदा हुए 1000 जीवित बच्छों में से एक वर्ष की आयु से पहले मर जाने वाले बच्चों का अनुपात। साक्षरता दर --7वर्ष और उससे अधिक आयु के लोगों में साक्षरता जनसंख्या का अनुपात। निवल उपस्थति अनुपात-14 और 15 वर्ष की आयु के स्कूल जाने वाले कुल बच्चोम का उस आयु वर्ग के कुल बच्चों के साथ प्रतिशत।

विकास की धारणीयता[सम्पादन]

"हमने विश्व को अपने पूर्वजों से उत्तराधिकार में प्राप्त नहीे किया है-हमने इसे अपने बच्चों से उधार लिया है।" और आगे भी यही धारणा चलती रहेगी।

सन्दर्भ[सम्पादन]

  1. "Who Makes It? Clark's Sector Model for US Economy 1850–2009". पहुँच तिथि 29 December 2011.
  2. भारतीय अर्थव्यवस्था रमेश सिंह,पेज-२.4
  3. पेज-४,कक्षा-१०,आर्थिक विकास की समझ
  4. http://www.ncert.nic.in/ncerts/l/jhss201.pdf,p-5 और 6
  5. https://www.businesstoday.in/current/economy-politics/india-per-capita-income-rises-10-to-rs-10534-a-month-in-fy19/story/352805.html
  6. [१]
  7. http://statisticstimes.com/economy/gdp-capita-of-indian-states.php
  8. http://www.ncert.nic.in/ncerts/l/jhss201.pdf,p-11