भारतीय इतिहास का विकृतीकरण/परिशिष्ट:महाभारत के बाद भारत के विभिन्न राजवंशों के राजागण

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महाभारत के बाद भारत के विभिन्न राजवंशों के राजागण - भारत के विभिन्न राजवंशों के राजागण विभिन्न पुराणों में दिए गए विवरणों के अनुसार महाभारत के युद्ध के बाद अयोध्या, हस्तिनापुर और मगध राज्यों की गद्दियों पर बैठे राजाओं के वंशावली के साथ-साथ मगध की गद्दी पर बैठने वाले विभिन्न अन्य राजवंशों के राजाओं के नाम इस प्रकार हैं-

अयोध्या के सूर्यवंशी राजा[सम्पादन]

कुल 30 राजाओं के नाम मिलते हैं, जो इस प्रकार हैं-

1. वृहन्क्षण/वृहद्रण/वृहत्क्षण, 2. उरुक्षेप/उरुकिय/उरुयक्ष, 3. वत्सव्यू/ वत्सवृद्ध/वत्सव्यूह, 4. प्रतिव्योम, 5. दिवाकर, 6. सहदेव, 7. वृहदश्व/ध्रुवाश्व,8. भानुरथ/भानुमान, 9. प्रतिताश्व/प्रतिपाथ/प्रतिकाश्व, प्रतितस्य, 10. सुप्रतीक, 11. मरुदेव, 12. सुनक्षत्र, 13. किन्नर या पुष्कर, 14. अन्तरिक्ष/अनथरक्षक, 15. सुवर्ण/ सुपर्ण/सुतया, 16. अमित्रजित, 17. बृहद्राज/ब्रहदभज, 18. धर्मी/वीर्यवान/बर्हि, 19. कृतंजय/धनंजय, 20. रणंजय, 21. संजय, 22. शाक्य, 23. शुद्धोदन, 24. सिद्धार्थ/ गौतम बुद्ध (राजा नहीं बने थे), 25. राहुल/लागल/पुष्पकल, 26. प्रसेनजित, 27. क्षुद्रक/विरुद्रक/कहुद्रक/विरुढक, 28. कुण्डक/रणक/कुलक, 29. सुरथ, 30. सुमित्र।

हस्तिनापुर के चन्द्रवंशी राजा[सम्पादन]

कुल 31 राजाओं के नाम मिलते हैं, जो इस प्रकार है -

1. युधिष्ठिर, 2. परीक्षित, 3. जनमेजय, 4. शतानीक (प्रथम), 5. सहस्रानीक, 6. अश्वमेधदत्त, 7. अधिसीमकृष्ण, 8. निचक्षु/निचक्ष, 9. उष्ण या भूरि, 10. चिद्धरथ/चित्ररथ, 11. शुचिद्रथ/सुचिद्रव, 12. वृष्णिवत/वृष्णिमान्, 13. सुषेण, 14. सुनीथ या सुतीर्थ, 15. रुथ/रुच, 16. वृवधु/वृचक्षु, 17. सुखीबल, 18. परिष्णव/परिप्लव, 19. सुपतस/सुनय, 20. मेधावी/मेधाविन, 21. पुरंजय/नृपंजय, 22. उर्व/मृदु/दुर्व, 23. तिग्मात्मा/निग्म/ निमि, 24. बृहद्रथ, 25. वसुदान/वसुदामन, 26. शतानीक (द्वितीय), 27. उदयन/ उद्भव, 28. वहीनर, 29. दण्डपाणि, 30. निरामित्र, 31. क्षेमक

मगध के विभिन्न राजवंश[सम्पादन]

महाभारत युद्ध के पश्चात अर्थात 3138 ई. पू. में मगध की गद्दी पर बार्हद्रथ वंश के मार्जारि के बैठने से लेकर गुप्त वंश से पूर्व तक के 8 वंशों के कुल 97 राजाओं ने 2811 वर्ष तक राज्य किया।

अलग-अलग वंशों के राजाओं के नाम इस प्रकार हैं -

प्रथम राजवंश : बार्हद्रथ वंश के 22 राजा (राज्यकाल 1006 वर्ष)[सम्पादन]

1. मार्जारि/सोमाधि, 2. श्रुतश्रवा/श्रुतवान, 3. अप्रतायु/अयुतायु, 4. निरामित्र/ निरमित्र, 5. सुक्षत्र/सुरक्ष, 6. वृहत्कर्मा, 7. सेनाजित/सेनजित, 8. श्रुतंजय, 9. महाबल/ महाबाहु, 10. शुचि, 11. क्षेम, 12. सुव्रत/अनुव्रत, 13. सुनेत्र/धर्मनेत्र, 14. निर्वृत्ति/ निवृत्ति, 15. त्रिनेत्र/सुव्रत, 16. दु्रर्हसेन/दृढ़सेन/द्युमत्सेन, 17. सुमति/सुचल, 18. सुचल/अबल, 19. सुनेत्र, 20. सत्यजित, 21. वीरजित/विश्वजित, 22. रिपुुंजय

द्वितीय राजवंश : प्रद्योत वंश के 5 राजा (राज्यकाल 138 वर्ष)[सम्पादन]

1. प्रद्योत, 2. पालक, 3. विशाखयूप, 4. सूर्यक/राजक/जयक, 5. नंदिवर्धन/ कीर्तिवर्धन

तृतीय राजवंश : शिशुनाग वंश के 10 राजा (राज्यकाल 360 वर्ष)[सम्पादन]

1. शिशुनाग, 2. काकवर्ण/काकवर्णा, 3. क्षेमधर्मा/क्षेमवर्मा, 4. क्षेत्रज/क्षेत्रज्ञ/ क्षेत्रोजा, 5. बिम्बिसार, 6. अजातशत्रु, 7. दर्भक/दर्शक, 8. उदीयन/उदायी, 9. नन्दिवर्धन, 10. महानन्दिन

चतुर्थ राजवंश : नन्द वंश के राजा (राज्यकाल 100 वर्ष)[सम्पादन]

1. महापद्मनन्द, 2. सुमाल्य आदि पुत्र

पंचम राजवंश: मौर्य वंश के 12 राजा (राज्यकाल 316 वर्ष)[सम्पादन]

1. चन्द्रगुप्त मौर्य, 2. बिन्दुसार, 3. अशोक/अशोकवर्धन, 4. सुपार्श्व/सुयश/ कुणाल, 5. दशरथ/बन्धुपालित, 6. इन्द्रपालित, 7. हर्षवर्धन, 8. संगत/सम्प्रति, 9. शालिशूलक/बृहस्पति, 10. सोमशर्मा/देवधर्मा, 11. शतधन्वा/शतधनु, 12. बृहद्रथ

षष्ठम राजवंश: शुंग-वंश के 10 राजा (राज्यकाल 300 वर्ष)[सम्पादन]

1. पुष्यमित्र, 2. अग्निमित्र, 3. वसुमित्र, 4. सुज्येष्ठ/वसुमित्र, 5. भद्रक/अन्ध्रक, 6. पुलिन्दक/पुलिन्द, 7. घोषवसु/घोष/घोषसुत, 8. वज्रमित्र, 9. भागवत, 10. देवभूति/क्षेमभूमि

सप्तम राजवंश : कण्व वंश के 4 राजा (राज्यकाल 85 वर्ष)[सम्पादन]

1. वसुदेव, 2. भूमिमित्र, 3. नारायण, 4. सुशर्मा

अष्टम राजवंश : आंध्र वंश के 32 राजा (राज्यकाल 506 वर्ष)[सम्पादन]

1. श्रीमुख/शिमुक/शिशुक, 2. श्री कृष्ण शातकर्णि, 3.श्रीमल्ल शातकर्णि, 4. पूर्णोत्संग, 5. श्रीशातकर्णि, 6. स्कन्धस्तविन/स्तम्भी, 7. लम्बोदर, 8. अपिलक/आपितक, 9. मेघस्वाति, 10. सतस्वाति, 11. स्कन्द स्वाति/स्कन्द शातकर्णि, 12. मृगेन्द्र स्वातिकर्ण/ मृगेन्द्र शातकर्णि, 13. कुन्तल शातकर्णि, 14. सौम्य शातकर्णि, 15. सत शातकर्णि/ स्वातिकर्ण, 16. पुलोमनशातकर्णि/पुलोमावि, 17. मेघ शातकर्णि, 18. अरिष्ट शातकर्णि, 19. हल, 20. मन्तलक/पत्तलक, 21. पुरीन्द्रसेन/पुलिन्दसेन, 22. सुन्दर शातकर्णि, 23. चकोर शातकर्णि, 24. महेन्द्र शातकर्णि, 25. शिव शातकर्णि/स्वाति, 26. गौतमीपुत्र श्रीशातकर्णि, 27. पुलोमन/पुलोमावि-।।, 28. शिवश्री शातकर्णि, 29. शिवस्कन्द शातकर्णि, 30. यज्ञश्री शातकर्णि, 31. विजयश्री शातकर्णि, 32. चन्द्रश्री शातकर्णि, 33. पुलोमन/ पुलोमावि-।।।

नवम राजवंश : गुप्त वंश के 7 राजा (राज्यकाल 245 वर्ष)[सम्पादन]

1. चन्द्रगुप्त-।, 2. समुद्रगुप्त, 3. चन्द्रगुप्त-।।, 4. कुमारगुप्त, 5. स्कन्दगुप्त, 6. नरसिंहगुप्त, 7. कुमारगुप्त-।।

उक्त वंशावली के संदर्भ में यह उल्लेखनीय है कि कई राजाओं को अलग-अलग पुराणों में अलग-अलग नामों से सम्बोधित किया गया है। यहाँ या तो अलग-अलग नाम दे दिए हैं या अधिकतर रचनाओं में उपलब्ध एक जैसे नाम को ले लिया है। विभिन्न पुराणों में दिए गए नामों के साथ-साथ उक्त सूची में सूर्यवंश के राजाओं के लिए श्रीराम साठे की पुस्तक ‘डेट्स ऑफ बुद्ध‘, चन्द्रवंश के लिए आचार्य रामदेव कृत ‘भारतवर्ष का इतिहास‘, खण्ड-2 और मगध साम्राज्य के विभिन्न वंशों के राजाओं के नामों और उनके राज्यकालों के लिए उक्त स्रोतों के अतिरिक्त पं. कोटावेंकटचलम की पुस्तक ‘दि प्लाट इन इण्डियन क्रोनोलोजी‘ तथा पं. भगवद्दत्त के ‘भारतवर्ष का बृहद इतिहास‘, भाग-2 से भी सहयोग लिया गया है।