भारतीय साहित्य/बांग्ला साहित्य
: भारतीय आर्यभाषा के मध्ययुग में जो अनेक प्रादेशिक भाषाएँ विकसित हुई उनका सामान्य नाम प्राकृत है और उन भाषाओं
बांग्ला साहित्य बेहद प्राचीन है। यह 11वीं सदी से 13वीं साड़ी के मध्य संस्कृत भाषा से निकला है। बांग्ला साहित्य भारत बांग्ला प्रदेश और बांग्लादेश में प्रचलित है। बांग्ला साहित्य का विकास लगभग 1300 वर्ष के दौरान हुआ। यह बौद्ध धर्म से संबंध रखता है, बांग्ला को साधारण एवं निम्न वर्गीय लोगों ने अपनाया और यहां बांग्ला साहित्य में साधारण वर्ग उभर कर सामने आया। बांग्ला साहित्य की सबसे प्राचीन कृति बौद्ध साहित्य का संग्रह चर्यापद है। इसके अंतर्गत धर्म साधना का उल्लेख, समाज के नियमों का वर्णन, बांग्लादेश की छवि एवं जनजीवन के साथ श्रृंगार का भी वर्णन है। चर्यापद बांग्ला साहित्य की प्राचीन रचना है। जिसे महान बंगाली के भाषा विद हरप्रसाद शास्त्री ने पहली रचना माना है। चर्यापद मूलत है धर्म साधना से जुड़ा है।