भारत का भूगोल/खरीफ फसल

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बुवाई जून-जुलाई कटाई अक्टूबर-नवंबर।
प्रमुख फसल-चावल ज्वार बाजरा,अधिकतर दक्षिण-पश्चिम मानसून(जून से सितम्बर) के साथ बोई जाती है। जिसमें उष्ण कटिबंधीय फसलें सम्मिलित हैं, जो इस प्रकार हैं:
कृषि उत्तरी भारत राज्य दक्षिणि राज्य
खरीफ(जून से सितंबर) चावल, कपास,बाजरा,मक्का,ज्वार,अरहर,जूट चावल,मक्का,रागी,ज्वार,तिल मूंगफली।
उदाहरण उदाहरण
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धान के लिए आवश्यक तापमान 24 डिग्री सेल्सियस वर्षा 150 सेंटीमीटर।

  • चावल की खेती के अंतर्गत सर्वाधिक क्षेत्र उत्तर प्रदेश(5.87मिलीयन हेक्टेयर)> पश्चिम बंगाल> उड़ीसा।
  • भारत में प्रति चावल का औसत उत्पादन वर्ष 2014-15 में 2391 किलोग्राम।
  • पंजाब सर्वाधिक उत्पादकता 3838 किलोग्राम।
  • कृष्णा गोदावरी डेल्टा चावल का कटोरा तेलंगाना और रायलसीमा चावल के प्रमुख उत्पादक क्षेत्र जो कृष्णा गोदावरी डेल्टा क्षेत्र में विस्तृत है।

आर्थिक समीक्षा 2015-2016 के अनुसार प्रति हेक्टेयर सर्वाधिक चावल का उत्पादन करने वाला राज्य पंजाब (6000 kg/ha) है। इसके बाद क्रमशः तमिलनाडु, हरियाणा, आन्ध्र प्रदेश, पश्चिम बंगाल तथा केरल आते हैं। हालाँकि पंजाब प्रति हेक्टेयर उत्पादन में चीन (6700 kg/ha) से पीछे है।कुल उत्पादन की दृष्टि से पश्चिम बंगाल (146.05) लाख टन के साथ पहले स्थान पर है इसके बाद क्रमशः उत्तर प्रदेश (140.22) लाख टन, आन्ध्र प्रदेश (128.75) लाख टन, पंजाब (105.42) लाख टन, तमिलनाडु (74.58) लाख टन का स्थान है।

  • 2017-18 के आंकड़ों के अनुसार चार शीर्ष चावल उत्पादक राज्य

पश्चिम बंगाल>पंजाब>>उत्तर प्रदेश।

  • जमुना,करुणा,जया,कांची, जगन्नाथ, कृष्णा, कावेरी,हंसा,विजया,पद्मा अन्नपूर्णा,बाला और रत्ना-धान की प्रमुख किस्म।
  • अमन धान जून-जुलाई में बोया जाता है,और नवंबर दिसंबर में काटा जाता है।
  • माही सुगंधा धान की एक प्रजाति है अन्य प्रजाति आभा अभय आदित्य आकाशी अंबिका दीप्ति गजपति गरिमा गीतांजलि पीएनआर 546।

जायद मार्च जुलाई ग्रीष्मकालीन फसल तरबूज खरबूजा ककड़ी खीरा भिंडी।

COVID-19 महामारी के चलते लगाए गए लॉकडाउन के चलते कर्नाटक सहित अनेक राज्यों में मानसून-पूर्व फसल (Pre-monsoon Crop) के प्रभावित होने की संभावना है।

सामान्यतः मानसून-पूर्व फसलों की बुवाई का कार्य अप्रैल के प्रथम सप्ताह से प्रारंभ हो जाता है।

कर्नाटक राज्य में फसल उत्पादन :- रागी तथा मक्का (खरीफ फसल) का उत्पादन किया जाता है तथा रागी उत्पादन में यह अग्रणी राज्य है। राज्य में मानसून पूर्व मौसम में हरे चने, काले चने तथा तिल की खेती मैसूर, चामराजनगर, मांड्या तथा हासन ज़िलों में की जाती है।

मानसून पूर्व फसल का कर्नाटक राज्य के कुल कृषि उत्पादन में 10% से कम योगदान है परंतु फिर भी इसका बहुत अधिक महत्त्व है।