भारत का भूगोल/भारतीय कृषि
देश की कृषि-जलवायु विशेषताओं, विशेष रूप से तापमान और वर्षा सहित मृदा कोटि, जलवायु एवं जल संसाधन उपलब्धता के आधार पर इसे निम्नलिखित 15 कृषि जलवायु क्षेत्रों में बाँटा गया है:
कृषि-जलवायु क्षेत्रों का वर्गीकरण मुख्यतः क्षेत्रों की विशेषताओं जैसे-तापमान, वर्षा, मृदा कोटि, जलवायु और जल संसाधन उपलब्धता के आधार पर किया गया है।
भूसंसाधन
[सम्पादन]भू-राजस्व विभागः-भू-उपयोग संबंधी अभिलेख रखता है। भारतीय सर्वेक्षण विभागःभारत की प्रशासकीय इकाइयों के भौगोलिक क्षेत्र की सही जानकारी देने का दायित्व भारतीय सर्वेक्षण विभाग पर है। भारतीय सर्वेक्षण विभाग तथा भू - राजस्व विभाग में मूलभूत अंतर यह है कि भू-राजस्व द्वारा प्रस्तुत क्षेत्रफल पत्रों के अनुसार रिपोर्टिंग क्षेत्र पर आधारित है ,जो कि कम या ज़्यादा हो सकता है। जबकि कुल भौगोलिक क्षेत्र भारतीय सर्वेक्षण विभाग के सर्वेक्षण पर आधारित है तथा यह स्थायी है। बंज़र व व्यर्थ भूमि (Barren add waste lands):-वह भूमि जो प्रचलित प्रौद्योगिकी की मदद से कृषि योग्य नहीं बनाई जा सकती कहलाती है,जैसे-बंज़र, पहाड़ी भू-भाग, मरुस्थल, खड्ड आदि को कृषि अयोग्य व्यर्थ भूमि में वर्गीकृत किया गया है। वर्तमान परती भूमिः वह भूमि जो एक वर्ष या उससे कम समय तक कृषि रहित रहती है,भूमि की गुणवत्ता बनाए रखने हेतु भूमि को परती रखना एक सांस्कृतिक चलन है। इस विधि से भूमि की क्षीण उर्वरकता या पौष्टिकता प्राकृतिक रूप से वापस आ जाती है।
कृषि
[सम्पादन]कृषि पद्धतियों से संबंधित विगत वर्षों के प्रश्न
- प्र. निम्नलिखित कृषि पद्धतियों पर विचार कीजिये: (2012)
- समोच्च बाँध
- अनुपद सस्यन
- शून्य जुताई
वैश्विक जलवायु परिवर्तन के संदर्भ में उपर्युक्त में से कौन-सा/से मृदा में कार्बन प्रच्छादन/संग्रहण में सहायक है/हैं?:- (b) केवल 3 प्र. निम्नलिखित फसलों पर विचार कीजिये: (2013)
- कपास
- मूँगफली
- धान
- गेहूँ
इनमें से कौन-सी खरीफ की फसलें हैं?:-(c) 1, 2 और 3
- प्र. सूक्ष्म-सिंचाई की पद्धति के संदर्भ में निम्नलिखित में से कौन-सा/से कथन सही है/हैं? (2011)
- मृदा से उर्वरक/पोषक हानि कम की जा सकती है।
- यह वर्षाधीन खेती की सिंचाई का एकमात्र साधन है।
- इससे कुछ कृषि क्षेत्रें में भौम जलस्तर को कम होने से रोका जा सकता है।
नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये:
- (a) केवल 1
- (b) केवल 2 और 3
- (c) केवल 1 और 3
- (d) 1, 2 और 3
- 55% आबादी संलग्न।GVA में योगदान 16.4%।
- नेहरू द्वारा 17 नवंबर 1960 को पंतनगर (उत्तराखंड)कृषि विश्वविद्यालय के रूप में गोविंद बल्लभ पंत कृषि एवं प्रौद्योगिकी की स्थापना।
- भारत में 15 कृषि जलवायु क्षेत्र हैं।
- नेशनल ब्यूरो आफ सॉइल सर्वे के अनुसार भारत को 20 कृषि पारिस्थितिक क्षेत्रों में तथा 60 कृषि-पारिस्थितिक उपक्षेत्रों में विभाजित किया गया है।
- मोहिंदर सिंह रंधावा द्वारा भारतीय कृषि का इतिहास पुस्तक लिखी गई। हरित क्रांति के कारण भारतीय कृषि व्यापारिक तथा बाजार उन्मुख स्वरूप ग्रहण कर सकी।
- FAO के अनुसार खाद्यान्नों के सुरक्षित भंडारण के समय 14% तक आद्रता
- युग्म पैदावार (डबल क्रॉपिंग) दो या दो से अधिक फसल एक ही भूमि पर एक ही फसल वर्ष में उगाना।
- अंतर्फसली इंटरक्रॉपिंग एक ही साथ एक भूमि पर दो या दो से अधिक फसल उगाना।
- मिश्रित खेती- खेती और पशुपालन
बहुफसली पद्धति (Multi Cropping) के अंतर्गत किसान भूमि के एक ही हिस्से में दो या दो से अधिक फसलें उगाते हैं। बहुफसली पद्धति के माध्यम से रासायनिक उर्वरकों और कीटनाशकों के उपयोग को कम किया जा सकता है। बहुफसली पद्धति खरपतवार के रोकथाम में भी काफी सहायक होती है, क्योंकि खरपतवार को कुछ फसलों के साथ उगने में मुश्किल होती हैं। एक साथ कई प्रकार की फसलें उगाने से कीट की समस्याएँ कम होती हैं और मिट्टी के पोषक तत्त्वों, पानी और भूमि का कुशल उपयोग होता है।
- पंजाब ठेकेदारी कृषि कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग लागू करने में अग्रणी राज्य।
- सिक्किम में 10% से कम कृषि हेतु भूमि 125 सेंटीमीटर औसत वार्षिक वर्षा।
- उत्तर प्रदेश, पंजाब तथा हरियाणा प्रमुख उत्पादक राज्य।
- 2013 से 14 कृषि मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार
शुद्ध बुवाई क्षेत्र 43% वन क्षेत्र-21.8% अन्य क्षेत्र-35.2%
- विश्व के दस शीर्ष चावल उत्पादक देशों में चावल की कृषि का लगभग 32.7% भारत में।
- 33.7% भाग पर चावल[खाद्यान्न के सकल क्षेत्र में से]
- सर्वाधिक उर्वरक उपभोग करने वाले राज्य उत्तर प्रदेश>महाराष्ट्र> मध्य प्रदेश>पंजाब> कर्नाटक।
- प्रति हेक्टेयर की दृष्टि से सर्वाधिक उर्वरक करने वाला राज्य:- तेलंगाना>पंजाब> आंध्रप्रदेश>हरियाणा>बिहार।
- बीजग्राम संकल्पना समान विचारों वाले किसानों को स्वयं सहायता समूह में एक साथ प्रशिक्षण प्रदानकरना।
- हरी खाद वाली फसलों में से नाइट्रोजन की सर्वाधिक मात्रा बोडा(लोबिया)लोहिया में 0.49% होता है।ढैंचा-0.42%,रानई-0.43%।
- चालू जोतों का सबसे बड़ा औसत आकार है:- राजस्थान>महाराष्ट्र>उत्तर प्रदेश।
- विश्व में कुल क्षेत्र में होने वाली चावल की कृषि का लगभग 29% भारत में होता है।भारत 23.7%चावल उत्पन्न करता है।
- दक्षिण भारत में उच्च कृषि उत्पादकता क्षेत्र आंध्र प्रदेश और तमिलनाडु का तटवर्ती भाग,गुजरात का सूरत और महाराष्ट्र के कोल्हापुर एवं सातारा है।
- पुनर्भरण योग्यं जल संसाधन संपन्न राज्य
आंध्र प्रदेश-35.89 सेंटीमीटर मध्य प्रदेश-35.04सेमी उत्तर प्रदेश-77.19सेमी पश्चिम बंगाल-29.25सेमी
आर्द्रता के प्रमुख उपलब्ध स्रोत के आधार पर कृषि को सिंचित कृषि तथा वर्षा निर्भर कृषि में वर्गीकृत किया जाता है। सिंचित कृषि में भी सिंचाई के उद्देश्य के आधार पर अंतर पाया जाता है- यह दो प्रकार की है। 1. रक्षित सिंचाई 2. उत्पादक सिंचाई
रक्षित सिंचाई का मुख्य उद्देश्य आर्द्रता की कमी के कारण फसलों को नष्ट होने से बचाना है जिसका अभिप्राय यह है कि वर्षा के अतिरिक्त जल की कमी को सिंचाई द्वारा पूरा किया जाता है। उत्पादक सिंचाई का उद्देश्य फसलों को पर्याप्त मात्रा में पानी उपलब्ध कराकर अधिकतम उत्पादकता प्राप्त करना है। उत्पादक सिंचाई में जल निवेश की मात्रा रक्षित सिंचाई की अपेक्षा अधिक होती है। प्रमुख शुष्क भूमि कृषि फसलें- रागी, बाजरा, मूँग, चना तथा ग्वार (चारा फसलें) आदि उगाई जाती हैं। प्रमुख आर्द्र कृषि फसलें- चावल, गन्ना, जूट आदि जिन्हें पानी की अत्यधिक मात्रा में आवश्यकता पड़ती है। ज्वार उत्तर भारत में मुख्यतः चारा फसल के रूप में उगाई जाने वाली फसल है। यह दक्षिण राज्यों में खरीफ तथा रबी दोनों ऋतुओं में बोया जाता है परंतु उत्तर भारत में खरीफ की फसल है।
हरित क्रांति
[सम्पादन]- हरित क्रांति के जनक नॉर्मल अर्नेस्ट बोरलॉग हैं।इनका जन्म 25 मार्च 1914 को अमेरिका के आइवोआ में हुआ।मेक्सिको इनका कर्म क्षेत्र इनके द्वारा विकसित गेहूं की उच्च उत्पादकता भारत-पाकिस्तान और मेक्सिको में।
- यह विश्व के उन 7 व्यक्तियों में शामिल हैं जिन्हें नोबेल पुरस्कार,अमेरिकी राष्ट्रपति का मेडल ऑफ फ्रीडम तथा कांग्रेसनल गोल्ड मेडल तीनों प्राप्त हुआ है।
- बोरलॉग को 2006 में भारत का पद्म विभूषण प्रदान किया गया।
- एम एस स्वामीनाथन भारत में हरित क्रांति के पिता।
- भारत में उन्नत बीजों के प्रयोग के कार्यक्रम की शुरुआत यूएसए आधारित रॉकफेलर फाउंडेशन के सहयोग से की गई।
- हरित क्रांति प्रथम चरण की शुरूआत 1966-81=हरियाणा पंजाब और पश्चिम उत्तर प्रदेश में
- द्वितीय चरण की शुरुआत-1981-95
- तीसरे चरण की शुरुआत-1995..
- उत्पादन एवं उत्पादकता दोनों में सर्वाधिक लाभ गेहूं को प्राप्त हुआ।
- हरित क्रांति के प्रारंभ से पूर्व
12.3 मिलियन टन गेहूं का उत्पादन 69.68मिलियन टन उत्पादन(2000-01) 95.51..उत्पादन 2013-14)
- गेहूं के बाद चावल पर हरित क्रांति का सर्वाधिक प्रभाव पड़ा।
- हरित क्रांति में मुख्य पादप मैक्सिकन प्रजाति का गेहूं था जिसे बोरलॉग के मेक्सिको स्थित अंतरराष्ट्रीय मक्का एवं गेहूं संवर्धन केंद्र से मंगाया गया था।
- वर्ष 2015-16 गेहूं की पैदावार प्रति हेक्टेयर 3034 किलोग्राम तक पहुंच गई है।
- 1965 के बाद उत्पादन देने वाली किस्म के बीजों,उर्वरक,सिंचाई और तकनीकी प्रयोग को बढ़ावा देना(ग्रामीण विद्युतीकरण कृषि उत्पादों की बाजार तक पहुंच सुनिश्चित करने के लिए ग्रामीण सड़कों और विपणन कार्यों को बढ़ावा देन)ा हरित क्रांति के नाम से जाना जाता है।
- 28 जुलाई 2000 को केंद्र सरकार ने नई राष्ट्रीय कृषि नीति की घोषणा की।
- इंद्रधनुष क्रांति
- सुनहरी क्रांति-फल एवं सब्जी उत्पादन
- भूरी क्रांति- उर्वरक उत्पादन/गैर परंपरागत
- लाल क्रांति-मांस/टमाटर उत्पादन
- काली क्रांति-पेट्रोलियम/तेल का उत्पादन
- गुलाबी क्रांति-मांस निर्यात/झींगा मछली उत्पादन/प्याज उत्पादन
- हरित क्रांति सातवें दशक के दौरान वर्ष 1966 से 67 से प्रारंभ हुई।
रबी फसल
[सम्पादन]- शीत ऋतु में अक्टूबर से नवंबर के मध्य बोया जाता है ग्रीष्म ऋतु में मार्च से अप्रैल के मध्य काटा जाता है।गेहूं चना मटर सरसों मसूर और आलू इसमें शामिल।
- गेहूं भारत की दूसरी सबसे महत्वपूर्ण खाद्यान्न फसल है इसकी खेती उत्तर और उत्तर पश्चिम भाग में की जाती है इसके लिए तापमान 10 से 25 डिग्री सेल्सियस वर्षा 80 सेंटीमीटर मध्यम ताप मध्यम वर्षा।
- 30.23 मिलीयन हेक्टेयर(2015-16)भाग पर खेती।
- सोनालिका,अर्जुन, कुंदन, अमर भवानी चंद्रिका देशरत्न कंचन, गोमती इसके प्रमुख क़िस्म।
- प्रमुख उत्पादक राज्य:- उत्तर प्रदेश>मध्य प्रदेश> पंजाब
- गेहूं की बोनी प्रजाति लर्मा रोसो 64A,सोनोरा-63&64,मेयो-64,S-227।
- नोरिन-10 गेहूं में बौनेपन का जीन है।
- मैक्रोनी गेहूं असिंचित परिस्थितियों अथवा सूखा प्रभावित क्षेत्रों के लिए।
- राज 3077-गेहूं की प्रजाति।
- जायद (अप्रैल से जून) एक अल्पकालिक ग्रीष्मकालीन फसल ऋतु है, जो रबी की कटाई के बाद प्रारंभ होती है। इस ऋतु में तरबूज, खीरा, ककड़ी, सब्जियाँ व चारे की फसलों की कृषि सिंचित भूमि पर की जाती है।
- इस प्रकार की पृथक् फसलें दक्षिण भागों में नहीं पाई जाती।