मध्यकालीन भारत/मुस्लिम आक्रमण
पैगम्बर मुहम्मद की मृत्यु के बाद प्रथम शताब्दी में दक्षिण एशिया के अंदर इस्लाम का आरंभिक प्रवेश हुआ। उमायद खलीफा ने डमस्कस में बलूचिस्तान और सिंध पर ७११ में मुहम्मद बिन कासिन के नेतृत्व में चढ़ाई की। उन्होंने सिंध और मुलतान पर कब्जा कर लिया। उनकी मौत के ३०० साल बाद सुल्तान महमूद ग़ज़नवी, जो एक खूख्वार नेता थे, उन्होंने राजपूत राजशाहियों के विरुद्ध तथा धनवान हिन्दू मंदिरों पर छापामारी की एक श्रृंखला आरंभ की तथा भावी चढ़ाइयों के लिए पंजाब में अपना एक आधार स्थापित किया। वर्ष १०२४ में सुल्तान ने अरब सागर के साथ काठियावाड़ के दक्षिणी तट पर अपना अंतिम प्रसिद्ध खोज का दौर शुरु किया, जहां उसने सोमनाथ शहर पर हमला किया और साथ ही अनेक प्रतिष्ठित हिंदू मंदिरों पर आक्रमण किया।[१][२][३]
मुख्य रूप से फ़ारस पर अरबी तथा तुर्कों के विजय के बाद ११वीं सदी में इन शासकों का ध्यान भारत की ओर गया। मोहम्मद गोरी ने मुल्तान और पंजाब पर विजय पाने के बाद ११७५ में भारत पर आक्रमण किया, वह दिल्ली की ओर आगे बढ़ा। उत्तरी भारत के बहादुर राजपूत राजाओं ने पृथ्वी राज चौहान के नेतृत्व में ११९१ में तराइन के प्रथम युद्ध में उसे पराजित किया। एक साल चले युद्ध के पश्चात मोहम्मद गोरी अपनी पराजय का बदला लेने दोबारा आया। वर्ष ११९२ के दौरान तराइन में एक अत्यंत भयानक युद्ध लड़ा गया, जिसमें राजपूत पराजित हुए और पृथ्वी राज चौहान को पकड़ कर मौत के घाट उतार दिया गया। तराइन का दूसरा युद्ध एक निर्णायक युद्ध सिद्ध हुआ और इसमें उत्तरी भारत में मुस्लिम शासन की आधारशिला रखी। मोहम्मद गौरी पृथ्वीराज चौहान को पराजित कर लौट आए गया था किन्तु उसके एक गुलाम कुतुबुद्दीन ऐबक ने दिल्ली सल्तनत को स्थापित कर राज किया।[४]
सन्दर्भ
[सम्पादन]- ↑ Peter Jackson (2003), The Delhi Sultanate: A Political and Military History, Cambridge University Press, ISBN 978-0521543293, pp 3-30
- ↑ T. A. Heathcote, The Military in British India: The Development of British Forces in South Asia:1600-1947, (Manchester University Press, 1995), pp 5-7
- ↑ Barnett, Lionel (1999), Antiquities of India: An Account of the History and Culture of Ancient Hindustan, पृ. 1, गूगल पुस्तक पर, Atlantic pp. 73–79
- ↑ MUHAMMAD B. SAM Mu'izz AL-DIN, T.W. Haig, Encyclopaedia of Islam, Vol. VII, ed. C.E.Bosworth, E.van Donzel, W.P. Heinrichs and C. Pellat, (Brill, 1993)