लेख प्रकाशन के लिए दिशानिर्देश

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“वैज्ञानिक” पत्रिका में प्रकाशन के लिए मानक दिशानिर्देश (Standard guidelines)

वस्तुपरक: वैज्ञानिक, राष्ट्रीय भाषा हिंदी में विज्ञान विषय पर प्रकाशित लेखों की तिमाही पत्रिका है. जिसका प्रकाशन ‘हिंदी विज्ञान साहित्य परिषद’, मुंबई द्वारा किया जाता है. इसमें पर्यावरण, प्राकृतिक विज्ञान, प्रौद्योगिकी, इंजीनियरिंग, और परमाणु विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी के शांतिपूर्ण उपयोग पर आधारित लेख शामिल हैं। इस पत्रिका में विभिन्न अनुभार्गों में लेख जैसे संपादकीय, शोध पत्र, समीक्षा लेख, लघु लेख, विज्ञान समाचार, अन्वेषण नोट, विज्ञान प्रश्नोत्तरी, भेंटवार्ता इत्यादि पर विज्ञान विशेषज्ञों, इंजीनियरों, विज्ञान शिक्षाविदों और छात्रों के लाभार्थ लेख प्रकाशित होते है। टाइपस्क्रिप्ट: शोधपत्र/अन्य लेख (अधिकतम: 3000 शब्द) को मूल शोध निष्कर्षों को स्पष्ट और संक्षिप्त रूप में अभिव्यक्त किया जाए। सैद्धांतिक, तथ्य, प्रयोगात्मक विधियों, परिकल्पना, अवलोकन, गणना और क्षेत्रीय सर्वेक्षण के परिणामों की रिपोर्ट पर आधारित लेखों को वरीयता दी जाती है.

समीक्षा लेख (अधिकतम: 5000 शब्द): विशिष्ट विषय क्षेत्र में अद्यतन और ऐतिहासिक पृष्ठभूमि की जानकारी विशेषज्ञ द्वारा समीक्षा करने की उम्मीद की जाती है। विषय विशेषज्ञों के लेखों की समीक्षा भी संपादक द्वारा की जाती है.

लघु संचार लेख/ नोट्स (अधिकतम: 2000 शब्द) चल रहे अनुसंधान की प्रगति पर सामान्य रूप से संक्षिप्त रिपोर्ट या तकनीकी नोट या कोई एप्लिकेशन से संबंधित लेख होते है. लेख प्रक्रिया शुल्क: “वैज्ञानिक” हिंदी पत्रिका में प्रकाशन के लिए कोई शुल्क नहीं लिया जाता है। वास्तव में, हम 300 रुपये का भुगतान करते हैं। साहित्यिक-चोरी (Plagiarism) चेक/प्राथमिक जांच: जमा की गयी पांडुलिपियों को मूल (ओरिजिनल)/अप्रकाशित होना चाहिए। अगर पांडुलिपि में साहित्यिक चोरी स्वीकार्य सीमा से अधिक पाई जाती है तो कृति को संपादकीय बोर्ड द्वारा अस्वीकार कर दिया जाएगा। लेखक साहित्यिक चोरी / स्वयं-साहित्यिक संबंधित क़ानूनी एवं कॉपीराइट मुद्दों के लिए पूरी तरह जिम्मेदार होगा। पांडुलिपियां जमा करना:

• पांडुलिपि को एम.एस. वर्ड (MS Word) यूनिकोड या पीडीएफ प्रारूप में प्रस्तुत की जानी चाहिए। यूनिकोड पांडुलिपि को ई-मेल: hvsp@barc.gov.in पर या डाक द्वारा भेजा जा सकता है.
• पांडुलिपि को मंगल या गूगल के 12 फोंट , A 4 प्रारूप (210 मिमी x 297 मिमी) तथा प्रत्येक किनारे पर 25 मिमी के मार्जिन के साथ प्रस्तुत करना चाहिए। कृति का लेखन की रिपोर्टिंग आम तौर पर तीसरे व्यक्ति में होनी चाहिए।
लेखक द्वारा प्रावरण पत्र/घोषणा पत्र की अनिवार्य प्रस्तुति:
पांडुलिपि को प्रकाशित करने के समय लेखक को एक प्रावरण पत्र (covering letter) के साथ, प्रमाण पत्र प्रस्तुत करना अनिवार्य है।

यह प्रमाणित किया जाता है कि "वैज्ञानिक" पत्रिका में प्रकाशन के लिए प्रस्तुत" …………………………………………………......................................................................" नामक शीर्षक के तहत दी गई समस्त जानकारी, एक मौलिक (ओरिजिनल) रचना है और कहीं और प्रकाशन के लिए विचाराधीन/प्रस्तुत नहीं की गयी है। मैं/हम आगे यह भी प्रमाणित करते हैं कि उचित उद्धरण के लिए उपर्युक्त संदर्भ दिया गया है और अन्य प्रकाशनों से कोई भी डेटा/तालिकाओं/आंकड़े/चित्र-बिना-आभार या लेखक की बिना अनुमति के उद्धृत नहीं किए गए हैं। इस लेख के सभी लेखकों की सहमति लेकर "वैज्ञानिक" पत्रिका में प्रकाशित करने के लिए भेजा गया है। जिम्मेदार प्राधिकारियों द्वारा स्पष्ट रूप से मंजूरी दी गई है जहां कार्य किया गया था। [सभी लेखकों के हस्ताक्षर और नाम]

लेख संरचना
शीर्षक: शीर्षकों का उपयोग सूचना-पुनर्प्राप्ति प्रणालियों में किया जाता है। शीर्षक संक्षिप्त और सूचनात्मक होने चाहिए जहां तक संभव हो, शब्द-संक्षेप ( abbreviations) और सूत्रों से बचें।

लेखक के नाम और संबद्धता (कार्यालय का पता): प्रत्येक लेखक के पूर्ण नामों को स्पष्ट रूप से बताएं और जांच लें कि सभी नामों की सही वर्तनी हैं। नाम के नीचे लेखकों के संबद्धता पते (जहां वास्तविक कार्य किया गया था) प्रस्तुत करें। सभी लेखकों के ई-मेल को इंगित करें।

पत्राचार लेखक: स्पष्ट रूप से सुनिश्चित करें कि प्रकाशन के सभी चरणों और प्रकाशन के बाद में भी पत्राचार कौन करेगा?, पत्राचार लेखक का ई-मेल व पता दिया जाना चाहिए।
आलेख के अनुभाग और उप-अनुभाग: परिभाषित वर्गों में अपने लेख को विभाजित करें प्रत्येक उपधारा को एक संक्षिप्त शीर्षक दिया गया है। प्रत्येक शीर्षक को अपनी अलग लाइन पर दिखना चाहिए
सार: एक संक्षिप्त सार आवश्यक है। सार संक्षेप में अनुसंधान का उद्देश्य, विधि और प्रमुख निष्कर्ष देना चाहिए। साथ ही, गैर-मानक या असामान्य संक्षेपों को टाला जाना चाहिए, लेकिन । शोध पत्रों के लिए लगभग 200 शब्दों का सार, समीक्षा लेखों के लिए लगभग 150 शब्द और शोध नोट्स और संक्षिप्त संचार के लगभग 100 शब्द कागज के साथ प्रदान किए जाने चाहिए।

कुंजीश्ब्द (Keywords): भरतीय वर्तनी का उपयोग करके अधिकतम 6 कीवर्ड प्रदान करें, सामान्य और बहुवचन शब्दों और कई अन्य अवधारणाओं से बचें। ('और', 'के' व शब्द-संक्षेप) से बचें। इन कीवर्ड को अनुक्रमण उद्देश्यों के लिए उपयोग किया जाएगा।

शोधपत्रों में सामान्यता निम्न अनुभाग होते है :

परिचय: कार्य का उद्देश्य का वर्णन और एक पर्याप्त पृष्ठभूमि प्रस्तुत करें, विस्तृत साहित्य सर्वेक्षण या परिणामों का सारांश से बचें। सामग्री और विधि: काम को पुन: प्रस्तुत करने की अनुमति देने के लिए पर्याप्त विवरण प्रदान करें। पहले से ही प्रकाशित किए गए तरीकों को एक संदर्भ से सूचित किया जाना चाहिए। केवल उपयोग किये गए उपकरण, सॉफ्टवेयर, डेटा संग्रह विधि का उल्लेख किया जाना चाहिए।

चर्चा: इस काम के परिणामों के महत्व का पता लगाना चाहिए, उन्हें दोहराना नहीं। एक संयुक्त परिणाम और चर्चा अनुभाग अक्सर उपयुक्त होता है व्यापक उद्धरणों और प्रकाशित साहित्य की चर्चा से बचें।

निष्कर्ष: अध्ययन के मुख्य अंश और परिणाम की उपयोगित संक्षिप्त निष्कर्ष अनुभाग में प्रस्तुत किए जा सकते हैं परिशिष्ट (Appendices): यदि एक से अधिक परिशिष्ट हैं, तो उन्हें क और ख आदि के रूप में लिखा जाना चाहिए। तालिकायें /आंकड़े/चित्रण: तालिकाओं को पूरक-पाठ में दी गई जानकारी को डुप्लिकेट नहीं करना चाहिए। संक्षिप्त शीर्षक के साथ तालिका में स्पष्ट रूप से संख्यात्मक क्रम में टेक्स्ट में निर्दिष्ट किया जाना चाहिए। कॉलम शीर्षकों को संक्षिप्त, बोल्ड और माप की इकाइयां कोष्ठकों में शीर्षकों के नीचे रखा जाना चाहिए। सभी तालिकायें और ग्राफ शीर्षक के साथ उपलब्ध होने चाहिए। सभी आंकड़े (चार्ट, चित्र, रेखा चित्र, और फोटोग्राफिक छवियां) उच्च गुणवत्ता की होनी चाहिए। प्रतीकात्मक शब्दावली: लेख में प्रयुक्त गणितीय प्रतीकों और चिह्नों की शब्दावली दी जानी चाहिए। लेखक अपने क्षेत्रों में अंतरराष्ट्रीय एजेंसियों द्वारा विकसित किसी भी मानक इकाई और प्रतीकों का अनुसरण कर सकते हैं। संपूर्ण लेख में संक्षिप्ताक्षरों की स्थिरता सुनिश्चित करें।

भाषा (उपयोग और संपादन): कृपया अपने लेख के विषय को अच्छी हिंदी में लिखें (भारत सरकार या ‘हिंदी विज्ञान साहित्य परिषद’ द्वारा मान्यता प्राप्त मानक वैज्ञानिक शब्दावली) और उद्धरणों में अंग्रेजी के तकनीकी शब्दों की अनुमति है. जमा करने से पहले, अपने लेख की वर्तनी की त्रुटियों को अच्छी तरह से जांचें। संपूर्ण लेख में तकनीकी शब्दावली में उचित व्याकरण का उपयोग करें। समीक्षा, आंकड़ों व अलंकारों का उचित उपयोग सुनिश्चित करें। दशमलव बिंदु (10.5) के उपयोग में संगतता रक्खे।
लेख में संदर्भ और उद्धरण

कृपया सुनिश्चित करें कि टेक्स्ट में दिए गए प्रत्येक संदर्भ, संदर्भ सूची में मौजूद हैं। उद्धरणमें दिए गए किसी भी संदर्भ को पूर्ण रूप से दिया जाना चाहिए। पाठ में उद्धरण होना चाहिए ( (Devasagayam 2014), (मिश्रा 2015) अप्रकाशित परिणाम और व्यक्तिगत संचार संदर्भ सूची में उद्धृत नहीं करे। लेखक संबद्धता के साथ ही संदर्भ में डॉ., श्रीमती आदि का उपयोग न करें। संदर्भ सूची को वर्णानुक्रमिक क्रम में व्यवस्थित किया जाना चाहिए। उदाहरण: 1. Devasagayam, T.P.A.; Tilak, J.C.; Boloor, K.K.; Sane, K.S.; Ghaskadbi, S.S.; Lele, R.D. (2014) Free radicals and antioxidants in human health: Current status and future prospects; Journal of Association of Physicians of India , Vol. 52 (10) , October 2004, Pages 794-804 2. मिश्रा, हृषीकेश (2015) रेडियो रासायनिक संयंत्र में रासायनिक/ज्वलनशील सामग्री के भण्डारण में आकस्मित नि:स्समन टैंक के फूटने का पर्यावरण पर प्रभाव , वैज्ञानिक, वर्ष-47 अंक-1, जन.–सित., पेज 16-19. http://www.barc.gov.in/hindi/publication/vaigaynik_2015_01_12.pdf _____________________________________________________________________________________________ यह सामग्री क्रियेटिव कॉमन्स ऍट्रीब्यूशन/शेयर-अलाइक लाइसेंस (Creative Commons Attribution 4.0 International License) के तहत उपलब्ध है. आप वाणिज्यिक उद्देश्यों के लिए सामग्री का उपयोग नहीं कर सकते हैं. अन्य शर्ते की जानकारी हेतु विस्तार से देखें: http://creativecommons.org/licenses/by/4.0/. (This work is licensed under the Creative Commons Attribution 4.0 International License. To view a copy of this license, visit http://creativecommons.org/licenses/by/4.0/.)