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  • उठे॥ में निहित रस है - भय, भयानक देखि सुदामा की दीन दसा, करूणा करि के करूणानिधि रोये। में रस है - शोक, करूण मैं सत्य कहता हूं सखे! सुकुमार मत जानो मुझे।...
    ६६ KB (४,७३७ शब्द) - १३:०१, २३ फ़रवरी २०१९
  • उसके लिए ये नाम ही काव्य हैं। नीलदेवी में यह कैसी करुण पुकारहै , कहाँ करुणानिधि केशव सोये? जागत नाहिं अनेक जतन करि भारतवासी रोये यहाँ पर यह कह देना आवश्यक...
    १३२ KB (९,९७४ शब्द) - १३:३१, २४ मार्च २०१७