शिशु को स्तनपान कराने हेतु तैयारी

विकिपुस्तक से

माँ का दूध, आपके शिशु के लिए परिपूर्ण आहार है। यही एकमात्र आहार है, जिसकी आपके शिशु को जीवन के प्रारंभिक 6 महीनों में आवश्यकता होती है। स्तनपान किस प्रकार कराया जाए, यह सीखने में समय लग सकता है। धैर्य रखें। आप और आपका शिशु दोनों कुछ नया सीख रहे हैं।

आपका शरीर प्रारंभ में जो दुग्ध निर्मित करता है, वह कोलोस्ट्रम कहलाता है। कोलोस्ट्रम ऐसे पोषकों तथा एंटीबॉडीज़ से समृद्ध होता है, जो आपके शिशु की संक्रमणों तथा रोगों से रक्षा करते हैं। जैसे-जैसे आपका शिशु बड़ा होता जाता है, आपके स्तनों से निकलने वाला दूध बदलता जाता है। यह पतला एवं सफेद द्रव बन जाता है, जो कभी-कभी नीलापन लिए भी लग सकता है।

शिशुओं को अतिरिक्त जल की आवश्यकता नहीं होती। उन्हें केवल दूध की ही आवश्यकता होती है। अपने शिशु को उसके जीवन के प्रारंभ के कुछ सप्ताहों में बोतल, शांत करने वाले अन्य साधन देने अथवा निप्पल शील्ड के प्रयोग से बचें, बशर्ते चिकित्सक द्वारा ऐसा करने के लिए न कहा गया हो। आप जितना अधिक स्तनपान कराएंगी आपके शरीर में उतना ही अधिक दूध उत्पादित होगा। प्रारंभ में शिशुओं द्वारा, प्रत्येक 1 से 3 घंटों में स्तनपान करना सामान्य बात है।

स्तनपान कराने हेतु तैयार होना[सम्पादन]

अपने हाथ धोकर साफ करें तथा आराम से बैठें। अपने शिशु को पकड़ने तथा सहारा देने के लिए तकियों का प्रयोग करें। कुछ माताएं स्तनपान कराने से पहले, अपने स्तनों की हल्की मालिश करती हैं।

शिशु को स्तनपान कराने हेतु, गोदी में लेना[सम्पादन]

ऐसी अनेक स्थितियां हैं जिनमें आप अपने शिशु को स्तनपान कराने हेतु, गोदी में ले सकती हैं। यह सुनिश्चित करें कि आपने अपने शिशु को अपने स्तनों की ऊंचाई पर उठाया हुआ है, जिससे आपको अपने शिशु के ऊपर झुकना न पड़े। हमेशा अपना स्तन शिशु के मुंह में डालने का प्रयास करने के स्थान पर, शिशु को अपने स्तन तक लाएं।

'फुटबाल' तथा ‘क्रास क्रैडल’ मुद्राओं में पकड़ने से, नवजात शिशु के सिर को सर्वश्रेष्ठ तरीके से सुरक्षित रूप से पकड़ा जा सकता है।

फुटबाल अथवा हाथ के नीचे पकड़

1. शिशु को अपनी बगल में, तकिए पर लिटाएं।

2. अपने स्तन को, नीचे चार उंगलियां तथा ऊपर अंगूठा रखकर अंग्रेजी अक्षर ष्ब्ष् का आकार बनाते हुए, सहारा दें। यह सुनिश्चित करें कि आपकी उंगलियां, आपके निप्पल के गहरे रंग के भाग ‘एरेओला’ के पीछे हैं।

3. अपने शिशु को अपनी बांह के नीचे लपेटकर रखें। अपनी हथेली, शिशु की पीठ के ऊपरी भाग में कंधों के बीच रखें। अपने शिशु के सिर को गर्दन पर तथा कानों के नीचे नियंत्रित रखें।

4. शिशु को अपने स्तनों के स्तर तक ऊपर उठाएं।

5. अपने शिशु के होठों पर, अपने निप्पल गुदगुदाएं तथा शिशु द्वारा मुंह खोले जाने की प्रतीक्षा करें।

6. शिशु को अपने स्तनों तक लाएं।

क्रास क्रैडल पकड़

1. शिशु को अपनी गोदी में तकिए पर लिटाएं, जिससे वह आपके स्तन के सामने रहे।

2. अपने स्तन को, उस तरह से हाथ द्वारा, ऊपर अपनी उंगलियों से तथा नीचे अंगूठे द्वारा, अंग्रेजी अक्षर ‘U’ का आकार बनाते हुए सहारा दें।

3. अपने शिशु के पांव, उस स्तन से दूसरी तरफ के हाथ के नीचे रखें, जिससे वह स्तनपान करेगा।

4. अपने शिशु के सिर तथा पीठ को, अपनी उस बांह एवं हाथ द्वारा सहारा दें, जिसके नीचे आपके शिशु के पांव हैं।

क्रैडल (झूला) पकड़

बहुत सी महिलाओं को प्रारंभ में यह पकड़ कठिन महसूस होती है। जैसे-जैसे आपका शिशु कुछ बड़ा होता है, तथा पालन प्राप्त करने में कुशल हो जाता है, यह पकड़ आसान होती जाती है।

1. अपने शिशु को तकिये का प्रयोग करते हुए, उसका पेट अपनी तरफ करके अपनी एक तरफ इस प्रकार लिटाएं, कि वह आपके स्तन के स्तर पर हो।

2. अपने शिशु के सिर को अपनी बांह के अग्रभाग का सहारा दें।

3. अपने शिशु की पीठ को सहारा दें तथा उसके निचले भाग को अपने हाथ से पकड़ें।

बगल में लिटाकर पकड़ना

पकड़ने का यह तरीका भी प्रारंभ में कठिन होता है, जब तक आपको सहायता न प्राप्त हो।

1. उसी तरफ होकर आराम से लेट जाएं, जिस तरफ के स्तन से आप दुग्धपान कराएंगी।

2. सहारे के लिए तकियों का प्रयोग करें।

3. शिशु को उसकी तरफ, अपने स्तन के सामने लिटाएं।

4. शिशु के सिर के निचले भाग को, अपनी मुड़ी हुई बांह में झूले की तरह से टिका लें।

चिपकना (लैंचिग ऑन)[सम्पादन]

जब आपका शिशु एक स्थिति में स्थिर हो जाता है तथा आपके स्तन को सहारा मिला हुआ हो, तब आप इसके लिए तैयार होती हैं कि शिशु आपके निप्पल को कसकर जकड़ ले।

• अपना हाथ, अपने स्तन के नीचे, अपने निप्पल के चारों तरफ के गहरे रंग के क्षेत्र, एरेओला के पीछे रखें। धीरे से स्तन को ऊपर उठाएं। अपने निप्पल को शिशु के मुंह की ओर ले जाएं।

• शिशु के होठों को अपने निप्पल से गुदगुदाएं। धीरे से दबाकर कुछ दूध निकालें। आपके बच्चे द्वारा अपना मुंह खोला जाना चाहिए। अपने निप्पल को ऊपर तथा पीछे, अपने शिशु के मुंह के भीतर तक ले जाएं।

• जब आपका शिशु अपना मुंह चौड़ा करके खोलता/खोलती है, जैसे जमुहाई लेते हैं, तब शिशु को अपनी ओर खींच लें। इससे आपको ऐरेओला का अधिकाधिक भाग शिशु के मुंह के भीतर ले जाने में सहायता मिलेगी।

• अपने शिशु के शरीर को अपने पेट से लगाकर इस प्रकार पकड़ें, कि शिशु की नाक का अग्रभाग तथा ठोड़ी, आपके स्तन के निकट हो। अपने स्तन को पकड़े रहें, जिससे इसके भार को सहारा मिलता रहे तथा जिससे आपका निप्पल, शिशु के मुंह से बाहर न निकल जाए।

• दूसरे स्तन से पिलाना प्रारंभ करने से पूर्व, शिशु को डकार दिलाएं। अगले स्तनपान हेतु, उस तरफ से प्रारंभ करें, जिस तरफ आपने पिछली बार बंद किया था।

मुझे कितनी बार स्तनपान कराना चाहिए?[सम्पादन]

दिन में प्रत्येक 2 से 3 घंटे बाद स्तनपान कराएं, जिससे आपका शिशु, रात में स्तनपान हेतु न जागे। दिन में कम बार स्तनपान कराने का अर्थ है कि आपके शिशु को रात के समय, और स्तनपान की आवश्यकता होगी। पहले 3 माह के दौरान, शिशुओं को 24 घंटो की अवधि में 8 से 10 बार स्तनपान की आवश्यकता होती है। स्तनपान कराने से आपको अधिक दूध उत्पन्न करने में सहायता मिलती है, तथा आपके स्तनों का अधिक भरे होने अथवा फूल जाने से बचाव होता है।

शिशु के जन्म होने के बाद मुझे कितनी देर बाद स्तनपान कराना चाहिए?[सम्पादन]

यदि संभव हो तो प्रसव के तुरंत बाद स्तनपान कराना चाहिए। प्रत्येक 2-3 घंटों बाद स्तनपान कराती रहें, भले ही दूध न आ रहा हो। जीवन के प्रारंभिक दिनों में, स्तनपान बहुत महत्वपूर्ण होता है। एक साथ बार-बार अभ्यास करने से आप और आपका शिशु एक दूसरे को जानने लगते हैं। स्वयं के लिए तथा अपने शिशु के संबंध में धैर्य रखें।

मैं अपने शिशु को कितनी देर तक स्तनपान कराऊं ?[सम्पादन]

प्रारंभ के 24 से 48 घंटों में अधिकांश शिशु 15 से 20 मिनट तक स्तनपान करते हैं। इसके बाद, शिशु 20 मिनट तक एक स्तन से स्तनपान करना चाह सकता है तथा अगले 20 मिनट तक दूसरे स्तन से दुग्धपान करता रह सकता है। स्तनपान कब संपन्न करना है, इसका निर्णय घड़ी के स्थान पर, अपने शिशु पर छोड़ दें।

कुछ सहायक उपाय[सम्पादन]

• अपने शिशु को पहले स्तन से स्तनपान कराएं जब तक कि वह संतुष्ट न हो जाए। संभव है कि शिशु धीमी गति से स्तनपान करने लगे तथा आराम से चूसे, निप्पल छोड़ दे, अथवा सोने लगे, जब कि निप्पल अभी भी उसके मुंह में हो।

• अपने शिशु को थपकी दें तथा दूसरे स्तन पर ले जाएं।

• कुछ शिशु प्रत्येक स्तनपान के समय, दोनों स्तनों से दूध पीते हैं। जबकि अन्य एक ही स्तन से पी सकते हैं। यदि आपका शिशु दूसरे स्तन पर जाता है, तो उसे स्तन से दूध पीने दें, जब तक कि उसका पेट न भर जाए।

• जब वह स्तनपान कर चुकेगा तो आपका शिशु, भरे पेट आराम से और संतुष्ट हो ऐसा व्यवहार करेगा।

मैं अपने शिशु को स्तन से कैसे हटाऊं?[सम्पादन]

आपके शिशु को स्तन से दूर हटाना अथवा उसका दूध पीना बंद करना दो प्रकार से किया जा सकता हैः

• अपनी उंगली शिशु के मुंह के किनारे से, शिशु के दोनों मसूड़ों के बीच ले जाएं।

• अपने शिशु के निचले होंठ को उसके निचले मसूड़े के ऊपर घुमाएं जब तक कि आप यह महसूस न करें कि शिशु की जीभ ने आपके निप्पल को छोड़ दिया है। इसके बाद शिशु के सिर को धीरे से अपने स्तन से दूर ले जाएं।

मैं यह कैसे जानूं कि मेरे शिशु को पर्याप्त आहार मिल रहा है ?[सम्पादन]

आपका शरीर उतना दूध बनाता है जितनी आपके शिशु को आवश्यकता होती है। यदि आप प्रत्येक 2-3 घंटे बाद अपने प्रत्येक स्तन से 20 मिनट तक दूध पिलाती हैं, तो आपका शरीर आपके शिशु के लिए पर्याप्त मात्रा से अधिक दूध पैदा करेगा। यदि आपके शिशु को पर्याप्त दूध मिल रहा है, तो आपके स्तन दूध से भरे रहेंगे, दूध पिलाने के बाद मुलायम तथा दूध पिलाने की दो अवधियों के बीच ये पुनः भर जाएंगे। आपके शिशु केः

• 24 घंटों में 6 अथवा अधिक बार डायपर भीग जाएंगे।

• वह स्तनपान के बीच की अवधियों में सो जाएगा।

• वह प्रतिदिन 2 से अधिक बार शौच करेगा।

• उसका वजन बढ़ेगा।

यदि आपको लगता है कि आपके शिशु को पर्याप्त आहार नहीं मिल रहा है, तो अपने शिशु के चिकित्सक, क्लीनिक अथवा दुग्धपान विशेषज्ञ से संपर्क करें।