शोध : प्रविधि और प्रक्रिया/शोध के रूप
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शोध के रूप
[सम्पादन]- अन्वेषण- इस शब्द की उत्पत्ति 'अनु' उपसर्ग 'इष्' धातु तथा ल्युट् (अन्) के प्रत्यय के मिलने से हुई है। बैजनाथ सिंहल के अनुसार "अन्विष का अर्थ है ढूँढ़ना, खोजना, अभीष्ट की खोज आदि आदि। इस प्रकार अन्वेष या अन्वेषण का अर्थ हुआ-खोज या अभीष्ट की जाँच पड़ताल।"[१] उनके अनुसार 'अन्वेषण' शब्द विज्ञान संबंधी सभी शाखाओं तथा प्रशाखाओं में की जाने वाली खोज का बोधक है।
- गवेषणा- गवेषणा शब्द की व्युत्पत्ति 'गो' शब्द 'इष्' धातु तथा 'ल्युट्' (अन्) प्रत्यय से होती है। विद्वानों के अनुसार यह शब्द 'गाय की इच्छा करना या उनकी खोज' का सूचक है। वेदों में 'गवेषणा' शब्द इसी अर्थ में प्रयुक्त हुआ है। भाषा के विकास के साथ ही अर्थ-परिवर्तन के कारण 'गवेषणा' से 'गो' का लोप हो गया। इससे यह शब्द 'खोजने' या 'ढूँढ़ने' के अर्थ में प्रसिद्ध हो गया। इस शब्द की सीमा है कि यह साहित्यिक शोध के लिए उपयुक्त नहीं किया जा सकता है। 'गवेषणा' शब्द का संबंध पुरातात्विक खोज, शिलालेख, प्राचीन ग्रंथों की तथा उनके संदर्भों की खोज से है।
- खोज- बैजनाथ सिंहल के अनुसार-"खोज की व्युत्पत्ति प्राकृत के 'खोज्ज' शब्द से हुई है जिसका अर्थ है पदचिह्न। अर्थ-विस्तार की दृष्टि से यह शब्द 'चिह्न', 'निशान', 'तलाश', 'गवेषणा', 'अनुसंधान' इत्यादि के अर्थ में प्रयुक्त होता रहा है, लेकिन सदैव ही यह शब्द भौतिक क्षेत्र तक सीमित रहा है।"[२]
- सर्वेक्षण-
डॉ. नगेन्द्र 'अन्वेषण' और 'गवेषणा' को संयुक्त रूप से उपयोग में लाते हैं। इन दोनों शब्दों के संयुक्त अर्थ का उल्लेख वे इन शब्दों में करते हैं-"अन्वेषण अथवा गवेषणा अर्थात् अज्ञात का ज्ञापन। दूसरे शब्दों में, लुप्त एवं गुप्त सामग्री को प्रकाश में लाना।"[३]
संदर्भ
[सम्पादन]- ↑ बैजनाथ सिंहल-शोध:स्वरूप एवं मानक व्यावहारिक कार्यविधि, वाणी प्रकाशन, 2017, पृ.11-12
- ↑ बैजनाथ सिंहल-शोध:स्वरूप एवं मानक व्यावहारिक कार्यविधि, वाणी प्रकाशन, 2017, पृ.16
- ↑ नगेन्द्र, डॉ. (1980). आस्था के चरण (PDF). नयी दिल्ली: नेशनल पब्लिशिंग हाउस. पृ. 49.