संयुक्त राष्ट्र संघ और वैश्विक संघर्ष/सिद्धांत और उद्देश्य
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सिद्धांत (Principle)
[सम्पादन]चार्टर की धारा 2 में संयुक्त राष्ट्र संघ के मार्गदर्शन के लिए सात सिद्धांत उल्लेखनीय है :–
- संयुक्त राष्ट्र संघ के सभी सदस्यों के बीच समानताएं।
- संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा स्वीकृत किये गये चार्टर के सभी उत्तरदायित्वों का स्वेच्छा अनुसार पालन करना।
- अंतर्राष्ट्रीय विवादों का शांतिपूर्ण समाधान। जिससे अंतर्राष्ट्रीय शांति, सुरक्षा और न्याय खतरे में ना पड़े।
- सभी सदस्य ऐसा कोई काम नहीं करेंगे जिससे अन्य देशों की प्रादेशिक अखंडता पर आँच आये।
- सभी सदस्य संयुक्त राष्ट्र संगठन को हर संभव सहायता उपलब्ध कराएँगे । एवं ऐसे देश को किसी प्रकार की सहायता प्रदान नहीं करेंगे जिसके विरुद्ध संयुक्त राष्ट्र संगठन कोई कार्यवाही कर रहा हों।
- संयुक्त राष्ट्र संघ का प्रयास रहेगा कि जो देश संगठन के सदस्य नहीं है वे भी संगठन के सिद्धांतों के अनुकूल कार्य करे।
- जो मामले मूल रूप से किसी भी देश के आंतरिक क्षेत्राधिकार (घरेलू अधिकारिता) में आते हैं, उनमें संयुक्त राष्ट्र हस्तक्षेप नहीं करेगा।
उद्देश्य(Aims)
[सम्पादन]संयुक्त राष्ट्र घोषणा पत्र की धारा एक के अनुसार संयुक्त राष्ट्र संघ के निम्नलिखित उद्देश्य हैं :-
- विश्व में शांति की स्थापना करना।
- मानव अधिकारों की रक्षा करना।
- सामाजिक एवं आर्थिक विकास ।
- अंतरराष्ट्रीय शान्ति और सुरक्षा बनाए रखना।
- राष्ट्रों के बीच उनके सम्मान, अधिकार और आत्म निर्णय के आधार पर मैत्रीपूर्ण संबंधों का विकास करना।
- आर्थिक, सामाजिक, सांस्कृतिक और मानव हितवादी, अंतर्राष्ट्रीय समस्याओं को सुलझाने और मानवीय अधिकारों तथा सबके मौलिक स्वाधीनता के प्रति सम्मान भावना बढ़ाने मे अंतर्राष्ट्रीय सहयोग करना।
- इन सामूहिक लक्षणों की प्राप्ति में राष्ट्रों के क्रियाकलाप में सहमति बनाने वाले केंद्र के रूप में अपनी पहचान बनाना।
- इन सामान्य उद्देश्यों की प्राप्ति के लिए विभिन्न राष्ट्रों के कार्यों में समन्वय बनाने के लिए एक केंद्र के रूप मे कार्य करना ।