सदस्य:SM7/notebook
भूगोल पृथिवी तल पर विभिन्न चीजों के असमान स्थानिक वितरणों का वर्णन, उनके कारण एवं प्रतिरूपों का विश्लेषण, एवं स्थानिक सिस्टम्स और क्षेत्रीय इकाइयों के रूप में उनकी कार्यप्रणाली का अध्ययन करता है; ऐसे असमान वितरणों से निर्मित विभिन्न पर्यावरणों की मनुष्य के साथ अंतर्संबंधों का अध्ययन करता है।
एक अकादमिक शाखा और औपचारिक शिक्षण के विषय के रूप में भले ही भूगोल का आरंभ आधुनिक विश्वविद्यालयों एवं शिक्षण-प्रणाली के साथ हुआ है, प्राचीन काल के लोगों को अपने परिवेश का, अपने आसपास की चीजों के स्थानिक सेटअप का ज्ञान अवश्य था। साथ ही जब अन्य दूरस्थ प्रदेशों के भौगोलिक स्वरूप का ज्ञान एकत्रित होने लगा और ऐसी जानकारियाँ और विवरण लिखे जाने लगे - भूगोल का ज्ञान की शाखा के रूप में आरंभ हो गया। ऐसे विवरण अलग से लिखे गये हों ऐसा ज़रूरी नहीं, बल्कि बिलकुल शुरूआत में ऐसे विवरण हमें कथाओं और मिथकों में मिलते हैं, बाद में काव्यों और अन्य रचनाओं में मिलते हैं।
इसीलिए जब हम ग्रीक महाकाव्य इल्लियड और ओडिस्सी में अथवा महाभारत और पुराणों में भूगोल का ज़िक्र करते हैं तो हमें सावधानी पूर्वक यह याद रखना चाहिए कि तब भूगोल नाम का कोई अलग से विषय नहीं था जिसे स्कूलों, कॉलेजों और यूनिवर्सिटीज़ में पढ़ाया जाता था; ये तो बस भौगोलिक विवरण हैं जो उस समय की रचनाओं में पाये जाते हैं। इन विवरणों से, और कभी-कभी कुछ तार्किक निष्पत्तियों से भी, जो इन प्राचीन ग्रंथों में हैं, हमें उस समय के लोगों का अपने परिवेश और पृथिवी के विभिन्न हिस्सों के बारे में क्या और किस प्रकार का ज्ञान था। अतः भूगोल के इतिहास की शुरूआत में हम ऐसे विवरणों की प्रमुख बातों का ज़िक्र करते हैं।
मिथकों-महाकाव्यों और पौराणिक ग्रंथों के बाद बारी आती है, यात्रा विवरणों की। अपने क्षेत्र से बाहर कहीं दूरदेश की यात्रा से लौटे यात्रियों के द्वारा उन इलाकों का विवरण, ऐसे विवरणों का एकत्र किया जाना और उनको क्रमबद्ध तरीके से पृथिवी के क्षेत्रों के बारे में ज्ञान के रूप में लिखा जाना भूगोल का बिलकुल आरंभिक दौर ही है। इस दौर के ज्ञान में यात्रियों द्वारा जो विवरण प्रस्तुत किये गये वे काफ़ी अतिरंजित और कल्पनायुक्त थे। इसके बावजूद, यात्रा विवरणों का भूगोल के ज्ञान में बहुत उल्लेखनीय योगदान रहा है। यहाँ, यात्राओं से तात्पर्य प्राचीन युग के यात्रियों द्वारा की गयी यात्राओं से है, भूगोल में एक दूसरे युग का आरंभ यूरोप के लोगों द्वारा खोज-यात्राओं से शुरू होती है, इसका विवरण हम अगले खंड में पढ़ेंगे। अभी हम विश्व की प्राचीन सभ्यताओं में भूगोल के ज्ञान के बारे में पढ़ेंगे।