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समसामयिकी नवंबर 2019/सामाजिक,जनसंख्या एवं संबद्ध मुद्दे

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UN की अंतर्राष्ट्रीय प्रवासी संगठन(IOM) के वैश्विक प्रवास रिपोर्ट 2020 के अनुसार विश्व में भारतीय प्रवासियों की संख्या सर्वाधिक

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  • भारत के 17.5 मिलियन (1 करोड़ 75 लाख) प्रवासी लोगों द्वारा प्रेषित धन (Remittance) प्राप्त करनेवाला विश्व में पहले स्थान पर है।
प्रेषित धन प्राप्तकर्ता धन प्रेषण करने वाला
1.भारत(78.6 बिलियन$) 1.अमेरिका(68 बिलियन$)
2.चीन(67.4 बिलियन$) 2.संयुक्त अरब अमीरात (44.4 बिलियन $)
3.मैक्सिको (35.7 बिलियन$) 3.सऊदी अरब (36.1 बिलियन$)
  • प्रवासियों की संख्या लगभग 270 मिलियन(27 करोड़)है,जो कि विश्व की कुल जनसंख्या का 3.5% है।प्रवासियों की कुल संख्या में 0.1 प्रतिशत की वृद्धि हुई।(2018 से)
  • गरीब या विकासशील देशों के अधिकांश प्रवासी अमेरिका के अलावा फ्राँस, रूस, संयुक्त अरब अमीरात तथा सऊदी अरबआदि देशों में जाते हैं।
  • मध्य-पूर्व में हुए सर्वेक्षण के अनुसार,अस्थायी प्रवासी मज़दूरों की संख्या खाड़ी देशों में सर्वाधिक है।संयुक्त अरब अमीरात में प्रवासी मज़दूर वहाँ की जनसंख्या के 80 प्रतिशत तथा कार्यबल के 90 प्रतिशत हैं।
  • केंद्रीय अफ्रीकी गणराज्य,कांगो,म्याँमार,दक्षिणी सूडान,सीरिया तथा यमन में चल रहे आतंरिक संघर्ष एवं हिंसा के कारण पिछले दो वर्षों में लगभग 4 करोड़ 13 लाख लोग अपना घर छोड़ने को मजबूर हुए हैं।
  • देश में आतंरिक रूप से विस्थापित हुए लोगों में पहले स्थान पर सीरिया (61 लाख),2nd कोलंबिया (58 लाख) तथा 3rd कांगो (31 लाख) है।
  • विश्व में लगभग 2 करोड़ 60 लाख की आबादी शरणार्थी के रूप में रह रही है।पहले स्थान पर सीरिया(लगभग 60 लाख)तथा दूसरे स्थान पर अफगानिस्तान (25 लाख)है।
  • वर्ष 2018 के अंत में फिलिपींस में आए मांगखुत चक्रवात की वजह से लगभग 38 लाख लोग विस्थापित हुए।

संसद द्वारा ट्रांसजेंडर व्यक्तियों के सामाजिक,आर्थिक एवं शैक्षणिक सशक्तीकरण के लिये एक विधेयक ट्रांसजेंडर व्यक्तियों (अधिकारों का संरक्षण) विधेयक, 2019पारित

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हाशिये पर खड़े इस वर्ग के विरूद्ध लांछन,भेदभाव और दुर्व्यवहार कम होने तथा इन्हें समाज की मुख्य धारा से जोड़ने से अनेक ट्रांसजेंडर व्यक्तियों को लाभ पहुँचेगा। इससे समग्रता को बढ़ावा मिलेगा और ट्रांसजेंडर व्यक्ति समाज के उपयोगी सदस्य बन जाएंगे। ट्रांसजेंडर व्यक्तियों को सामाजिक बहिष्कार से लेकर भेदभाव, शिक्षा सुविधाओं की कमी, बेरोज़गारी, चिकित्सा सुविधाओं की कमी, जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ता है। यह एक प्रगतिशील विधेयक है क्योंकि यह ट्रांसजेंडर समुदाय को सामाजिक,आर्थिक और शैक्षिक रूप से सशक्त बनाएगा।

दिल्ली में संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम(UNDP) द्वारा एक्सलेरेटर प्रयोगशाला((Accelerator Lab))स्धापित।

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  • UNDP तथा भारत सरकार के अटल नवाचार मिशन (Atal Innovation Mission) के आपसी समन्वय से की गई है।
  • इसकी स्थापना के बाद UNDP और भारत ने‘डेट फॉर डेवलेपमेंट’ (#DateForDevelopment,28 NOV),जो एक तरह का "मैचमेकिंग प्लेटफॉर्म (Matchmaking Platform) है का भी आयोजन किया।
  • इसका लक्ष्य स्थानीय नवाचारियों को अनुभवी और विकसित नवाचारियों से जोड़ना है।
  • यह प्रयोगशाला कुछ प्रमुख मुद्दों, जैसे- वायु प्रदूषण, सतत् जल प्रबंधन जैसी समस्याओं का समाधान नवाचारों के माध्यम से करने की कोशिश करेगी।
  • इसके अलावा नवाचारी देश के सामने आने वाली आम समस्याओं के समाधान के लिये ज़मीनी स्तर के ऊर्जा/नवाचारों को एक साथ लाने की कोशिश कर सकेंगे।
  • इसका उद्देश्य वर्ष 2030 तक सतत् विकास लक्ष्य को प्राप्त करने के लिये तेज़ी से प्रगति करना है।

एक्सलेरेटर प्रयोगशाला

  1. UNDP,जर्मनी और कतर द्वारा 21वीं सदी की जटिल नई चुनौतियों का हल खोजने के लिये शुरू की गई एक नई पहल है।
  2. भारत की एक्सीलरेटर प्रयोगशाला 60 वैश्विक प्रयोगशालाओं के एक नेटवर्क का हिस्सा होगी जो जलवायु परिवर्तन और असमानता जैसी वैश्विक चुनौतियों के नए समाधानों का परीक्षण और पैमाना करेगी।
  3. एक्सलेरेटर प्रयोगशाला विभिन्न देशों जैसे- इराक, जॉर्डन, अर्जेंटीना, कोलंबिया, सर्बिया, नेपाल, मैक्सिको और वियतनाम आदि में स्थित हैं।

UNDP का मुख्यालय न्यूयॉर्क में अवस्थित है।यह गरीबी उन्मूलन,असमानता और बहिष्कार को कम करने हेतु लगभग 70 देशों में कार्य करता है। यह देश के विकास को बढ़ावा देने के लिये नीतियों, नेतृत्व कौशल, साझेदारी क्षमताओं, संस्थागत क्षमताओं को विकसित करने और लचीलापन बनाने में मदद करता है।

तेलंगाना के संगारेड्डी ज़िले की महिला साक्षरता दर में वृद्धि हुई

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  • जिला प्रशासन ने “अम्माकु अक्षर माला” (माँ के लिये वर्णमाला ‘माला’) विकसित कर कक्षा 7 से 10 तक के छात्रों को इसमें शामिल किया था।
  • इन बच्चों को घर पर अपनी माताओं (अधिकतर स्वयं सहायता समूहों के सदस्यों को,जो साक्षर नहीं हैं) को तेलुगु वर्णमाला को पढ़ने और लिखने में सक्षम बनाने के लिये कहा गया।
  • यह प्रयास साक्षर भारत मिशन (Saakshar Bharat Mission-SBM) के सहायतार्थ किया गया क्योंकि साक्षर भारत कार्यक्रम के सफल क्रियान्वयन के लिये पर्याप्त संख्या में समन्वयकों की कमी थी।
साक्षर भारत (Saakshar Bharat):
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  • ‘साक्षर भारत’ कार्यकम की शुरुआत अंतर्राष्ट्रीय साक्षरता दिवस 8 सितंबर, 2009 को की गई थी।
  • इसके अंतर्गत 15 वर्ष से अधिक आयु वर्ग के निरक्षरों को आच्छादित किया जा रहा है।
  • इसका विज़न राष्ट्रीय स्तर पर 80 प्रतिशत साक्षरता दर प्राप्त करना है।
  • इसके अलावा साक्षरता दर में वर्तमान लैंगिक अंतर को कम करते हुए 10 प्रतिशत तक लाने का प्रयास किया जा रहा है।
  • लक्ष्य:-इस कार्यक्रम के केंद्र में महिलाएँ हैं। इसका लक्ष्य प्रौढ़ शिक्षा, विशेष रूप से प्रौढ़ महिलाओं की शिक्षा को समुन्नत और सुदृढ़ करना है।

उद्देश्य:

  1. निरक्षर वयस्कों को कार्यात्मक साक्षरता और गणित की जानकारी देना।
  2. नवसाक्षर वयस्कों को उनकी बुनियादी साक्षरता से आगे की शिक्षा जारी रखने तथा औपचारिक शिक्षा व्यवस्था के समतुल्य शिक्षा ग्रहण करने योग्य बनाना।
  3. जीवन स्तर तथा आर्थिक स्थिति में सुधार लाने हेतु नवसाक्षरों और निरक्षरों में आवश्यक कौशल विकसित करना।
  4. नवसाक्षर वयस्कों के साथ-साथ पंचायत की पूरी आबादी को सतत् शिक्षा के लिये अवसर प्रदान करते हुए समाज को अध्ययन की दिशा में अग्रसर करना।

जनसंख्या स्थिरता कोष

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स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय का यह स्वायत्त निकाय,जनसंख्या नियंत्रण हेतु कुछ योजनाएँ लागू कर रहा है।

  1. प्रेरणा योजना (विवाह, प्रसव और रिक्ति (Spacing) में देरी के लिये)
  2. संतुष्टि योजना (नसबंदी सेवाओं के लिये सार्वजनिक निजी भागीदारी)
  3. राष्ट्रीय हेल्पलाइन (परिवार नियोजन की जानकारी के लिये)

जनसंख्या को नियंत्रित करने के लिये सरकार द्वारा उठाये गए कदम:

  1. मिशन परिवार विकास:

सरकार ने 7 उच्च जनसंख्या वृद्धि वाले राज्यों के 146 उच्च उर्वरता (High Fertility) वाले ज़िलों {जिनमें कुल प्रजनन दर (Total Fertility Rate- TFR) 3 से अधिक है} में गर्भ निरोधकों और परिवार नियोजन सेवाओं की लगातार पहुँच को बढ़ाने के लिये मिशन परिवार विकास की शुरुआत की। ये उच्च उर्वरता वाले 146 ज़िले: 7 राज्यों उत्तर प्रदेश, बिहार, राजस्थान, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, झारखंड और असम राज्यों से हैं, जहाँ देश की कुल जनसंख्या का 44% हिस्सा निवास करता है।

  1. पुन: डिज़ाइन की गई गर्भनिरोधक पैकेजिंग (Redesigned Contraceptive Packaging):

कंडोम, OCPs (Oral Contraceptive Pill) और ECPs (Emergency Contraceptive Pills) की पैकेजिंग में सुधार किया गया है ताकि इनकी मांग बढ़ाई जा सके।

  1. नसबंदी स्वीकार करने वालों के लिये मुआवज़ा योजना (Compensation scheme for Sterilization Acceptors):

इस योजना के तहत लाभार्थी को मज़दूरी के नुकसान की क्षतिपूर्ति की जाएगी।

  1. क्लीनिकल आउटरीच टीम्स योजना

इस योजना के माध्यम से 146 उच्च उर्वरता वाले ज़िलों में मान्यता प्राप्त संगठनों की मोबाइल टीमों के माध्यम से दूर-दराज़ और भौगोलिक रूप से कठिन क्षेत्रों में परिवार नियोजन सेवाएँ प्रदान की जा रही है।

  1. फैमिली प्लानिंग लॉजिस्टिक मैनेजमेंट एंड इंफॉर्मेशन सिस्टम (Family Planning Logistic Management and Information System- FPLMIS):

यह स्वास्थ्य सुविधाओं के सभी स्तरों पर परिवार नियोजन से संबंधित वस्तुओं की खरीद और वितरण को सुनिश्चित करने के लिये समर्पित एक सॉफ्टवेयर है। राष्ट्रीय परिवार नियोजन क्षतिपूर्ति योजना (National Family Planning Indemnity Scheme- NFPIS) इस योजना के तहत लाभार्थियों की मृत्यु और नसबंदी की विफलता की स्थिति में बीमा किया जाता है।