समसामयिकी 2020/ई-शासन

विकिपुस्तक से


राज्य सरकार की पहल[सम्पादन]

  • द्वार प्रदाय योजना मध्य प्रदेश सरकार द्वारा इंदौर में शुरू एक पायलट परियोजना है। इसके तहत इंदौर नगर निगम क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले लोग ऑनलाइन आवेदन करके 24 घंटे के भीतर घर बैठे पाँच प्रकार के दस्तावेज़ (आय प्रमाण पत्र, मूल निवास प्रमाण पत्र, जन्म प्रमाण पत्र, मृत्यु प्रमाण पत्र,खसरा-खतौनी की नकल) प्राप्त कर सकते हैं।
इसके लिये प्रशासन द्वारा एक स्थानीय कूरियर एजेंसी की सेवा ली जा रही है जो दस्तावेज़ों को सार्वजनिक सेवा केंद्रों से एकत्र करने के बाद लोगों तक पहुँचाती है।

इसका मुख्य उद्देश्य सरकार के सेवा वितरण तंत्र में सुधार करना है।

  • पंजाब के महात्मा गांधी स्टेट इंस्टीट्यूट ऑफ पब्लिक एडमिनिस्ट्रेशन (MGSIPA) और नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ स्मार्ट गवर्नमेंट (NISG) ने पंजाब में ई-गवर्नमेंट सेवाओं हेतु क्षमता निर्माण के लिये एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किये।

NISG राज्य में डिजिटल परिवर्तन के बुनियादी ढाँचे में कंप्यूटर हार्डवेयर, विशेष कर्मियों एवं सिविल सेवकों तथा अन्य संगठनों के सिविल अधिकारियों के प्रशिक्षण के लिये सॉफ्टवेयर जैसी कंप्यूटर और इंटरनेट-आधारित प्रौद्योगिकियों के उपयोग में प्रशिक्षण देगा।

नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ स्मार्ट गवर्नमेंट (NISG)को वर्ष 2002 में कंपनी अधिनियम 1956 की धारा 25 के तहत एक सार्वजनिक-निजी साझेदारी के रूप में बनाया गया था। इसमें 51% हिस्सा निजी क्षेत्र का और 49% हिस्सा सार्वजनिक क्षेत्र का है।

NISG केंद्र एवं राज्य सरकारों को ई-गवर्नेंस के क्षेत्र में नागरिकों को बेहतर सेवा देने में मदद के लिये परामर्श प्रदान करता है।

विज़न:-ई-गवर्नेंस के क्षेत्र में स्वयं को उत्कृष्टता केंद्र के रूप में स्थापित करना। ई-गवर्नेंस को जन केंद्रित बनाना जिससे उनको सरकारी सुविधाओं का लाभ मिल सके।

मिशन:-सार्वजनिक और निजी संसाधनों के अनुप्रयोग को ई-गवर्नेंस के क्षेत्र में सुविधाजनक बनाने के लिये-

  1. रणनीतिक योजना बनाना।
  2. परियोजना परामर्श देना।
  3. क्षमता निर्माण।
  4. अनुसंधान एवं नवाचार को बढ़ावा देना।

इसने ई-गवर्नेंस के क्षेत्र में श्रीलंका,दक्षिण अफ्रीका और वियतनाम सरकार के साथ भी काम किया है।

  • ओडिशा सरकार द्वारा प्रारंभ किए गए वर्चुअल पुलिस स्टेशन (ई-पुलिस स्टेशन) में लोग बिना ज़िले के पुलिस स्टेशनों में गए वाहन चोरी से संबंधित शिकायत दर्ज करा सकते हैं। सड़क दुर्घटना मामले के दस्तावेज़ मॉड्यूल और ओडिशा पुलिस की मेडिको लीगल ओपिनियन सिस्टम परियोजनाओं के साथ वर्चुअल पुलिस स्टेशन की सुविधा शुरू। भुवनेश्वर में राज्य अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो के तहत कार्य करेगा। इस पहल से स्थानीय नागरिकों के पुलिस स्टेशन आने-जाने में लगने वाले समय की बचत होगी।इस सुविधा से मोटर वाहन चोरी मामलों में बीमा का दावा करने वाले लोगों को लाभ होगा।

वैश्विक परिप्रेक्ष्य[सम्पादन]

  • कृत्रिम बुद्धिमत्ता, रोबोटिक्स, 3D प्रिंटिंग और इंटरनेट ऑफ थिंग्स (IoT) इत्यादि को फ्रंटियर प्रौद्योगिकी में शामिल किया जाता है। दक्षिण कोरिया में यातायात प्रदूषण को कम करने, ऊर्जा एवं जल की बचत करने तथा एक स्वच्छ वातावरण बनाने के लिये इंटरनेट ऑफ थिंग्स (IoT) के माध्यम से सोंगदो (Songdo) स्मार्ट सिटी बनाई गई है।
  • जून में प्रथम ‘भारत-ऑस्ट्रेलिया आभासी शिखर सम्मेलन’ आयोजित किया गया था। भारतीय प्रधानमंत्री ने COVID-19 महामारी के बाद अनेक द्विपक्षीय तथा बहुपक्षीय सम्मेलनों में आभासी माध्यमों से भाग लेकर ई-कूटनीति को आगे बढ़ाया है। ई-कूटनीति (e-Diplomacy) अर्थात इलेक्ट्रॉनिक कूटनीति का तात्पर्य राजनयिक लक्ष्यों एवं उद्देश्यों की पूर्ति के लिये विभिन्न देशों द्वारा प्रौद्योगिकी का प्रयोग करने से है।


केंद्र सरकार की पहल[सम्पादन]

  • भारत सरकार के जनजातीय कार्य मंत्रालय को ‘मंत्रालय के छात्रवृत्ति प्रभाग की IT सक्षम छात्रवृत्ति योजनाओं के माध्यम से आदिवासियों के सशक्तीकरण’ के लिये ‘SKOCH गोल्ड अवॉर्ड’ (SKOCH Gold Award) प्रदान किया गया।

यह पुरस्कार नई दिल्ली में आयोजित 66वीं SKOCH 2020 प्रतियोगिता का एक भाग है जिसका शीर्षक 'डिजिटल गवर्नेंस के माध्यम से COVID-19 का मुकाबला कर रहा भारत' था और जनजातीय कार्य मंत्रालय ने ‘डिजिटल इंडिया एंड ई-गवर्नेंस-2020’ प्रतियोगिता में भाग लिया था। 'डिजिटल इंडिया' को बढ़ावा देने और ई-गवर्नेंस के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिये जनजातीय कार्य मंत्रालय ने प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण (DBT) मिशन के अंतर्गत सभी 5 छात्रवृत्ति योजनाओं को ‘DBT पोर्टल’ के साथ एकीकृत किया है। वर्ष 2019-20 के दौरान, सभी 5 छात्रवृत्ति योजनाओं के तहत 31 राज्यों एवं केंद्र शासित प्रदेशों के लगभग 30 लाख छात्रों के बैंक खातों में लगभग 2500 करोड़ रुपए DBT के माध्यम से भेजे गये थे। ‘SKOCH गोल्ड अवॉर्ड’ (SKOCH Gold Award): SKOCH अवार्ड की शुरुआत वर्ष 2003 में की गई थी। यह पुरस्कार भारत को बेहतर राष्ट्र बनाने के लिये अतिरिक्त प्रयास करने वाले व्यक्तियों, परियोजनाओं तथा संस्थानों को प्रदान किया जाता है। यह किसी स्वतंत्र संगठन (SKOCH फाउंडेशन) द्वारा प्रदान किया जाने वाला देश का सर्वोच्च नागरिक सम्मान है। यह पुरस्कार डिजिटल, वित्तीय एवं सामाजिक समावेशन के क्षेत्र में किये गए सर्वश्रेष्ठ प्रयासों के लिये प्रदान किया जाता है।

  • राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) द्वारा राष्ट्रीय स्तर पर पुलिस के माध्यम से नागरिकों के लिये दो सेवाओं की शुरूआत की गई है। जिसे NCRB और आपराधिक ट्रैकिंग नेटवर्क और सिस्टम (Crime and Criminal Tracking Network & Systems-CCTNS ) के माध्यम से संचालित किया जाएगा। इसका मुख्य उद्देश्य लापता व्यक्तियों की खोज तथा वाहनों के लिये अनापत्ति प्रमाण पत्र प्राप्त करना है।

‘मिसिंग पर्सन सर्च’ और ‘जनरेट व्हीकल NOC’ दोनों ही सेवाओं को लोगों द्वारा नागरिक ऑनलाइन पोर्टल के माध्यम से प्राप्त किया जा सकेगा। राज्यों में इस तरह की सेवाएँ पहले से ही राज्य नागरिक पोर्टल्स के माध्यम संचालित की जा रही हैं। यह पहली बार है जब केंद्र द्वारा इस तरह की सवाओं को राष्ट्रीय स्तर पर शरू किया गया है। ये दोनों सेवाएँ नागरिकों को 'digitalpolicecitizenservices.gov.in' पोर्टल या फिर पहले से मौजूद 'डिजिटल पुलिस पोर्टल' की मदद से प्राप्त हो सकेगीं । मिसिंग पर्सन सर्च सेवा के तहत लोगों की खोज के लिये पोर्टल में ज़रूरी विवरण दिया जा सकता है जिसके बाद यह सिस्टम देश में मौजूदा राष्ट्रीय डेटाबेस के माध्यम से खोज का कार्य शरू करेगा तथा फोटो और अन्य विवरण के साथ संबंधित परिणाम के बारे में जानकारी प्रदान करेगा। जनरेट व्हीकल NOC सेवा नागरिकों को अन्य व्यक्ति से वाहन खरीदते समय यह सुनिश्चित करने में मदद करेगी कि खरीदा गया वाहन पुलिस के रिकॉर्ड में दर्ज है अथवा नहीं। यह जानकारी वाहन के विवरण के आधार पर राष्ट्रीय डेटाबेस में दर्ज की जा सकेगी। वाहन के स्वामित्व के हस्तांतरण से पहले RTO के लिये आवश्यक प्रासंगिक NOC को कोई भी जनरेट और डाउनलोड कर सकता है।

  • भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, दिल्ली के शोधकर्त्ताओं ने भारत में COVID-19 के प्रसार की भविष्यवाणी करने के लिये एक वेब-आधारित डैशबोर्ड ‘प्रकृति’ (PRACRITI) विकसित किया है। प्रकृति (PRACRITI) का पूर्ण रूप ‘PRediction and Assessment of CoRona Infections and Transmission in India’ है। यह भारत में तीन सप्ताह की अवधि तक COVID-19 मामलों की राज्य एवं ज़िलेवार विस्तृत भविष्यवाणियाँ प्रदान करता है।

प्रशासनिक हस्तक्षेप, वायरस संक्रमण का संकट, मौसम के पैटर्न में बदलाव के कारण विभिन्न प्रभावों को समायोजित करने के लिये डेटा को साप्ताहिक आधार पर अपडेट किया जाता है। यह विभिन्न लॉकडाउन परिदृश्यों जैसे- ज़िले की सीमाओं को बंद करने और एक ज़िले के भीतर लॉकडाउन के विभिन्न स्तरों को लागू करने के प्रभावों का भी उल्लेख करता है। इसमें COVID-19 के मद्देनज़र ज़िला/राज्य की सीमाओं में लोगों की आवाजाही का प्रभाव भी शामिल किया गया है। प्रकृति (PRACRITI), केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय (Union Ministry of Health and Family Welfare), राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (NDMA) और विश्व स्वास्थ्य संगठन से उपलब्ध आँकड़ों के आधार पर प्रत्येक ज़िले एवं राज्य के R0 परिणामों (R0 Values) को प्रदान करता है। पुनुरुत्पादक संख्या (Reproduction number- R0) जिसका उच्चारण ‘आर नाॅट’ (R naught) के रूप में किया जाता है, उन लोगों की संख्या को बताता है जिनमें संक्रमण से संबंधित बीमारी किसी एक संक्रमित व्यक्ति से फैलती है। उदाहरण के लिये यदि एक COVID-19 रोगी दो व्यक्तियों को संक्रमित करता है तो R0 मान दो होता है।

  • मई में ‘गूगल प्ले स्टोर’ ने ‘बेव क्यू’ (Bev Q) एप को मंज़ूरी दे दी जिसका उपयोग केरल में शराब वितरित करने के लिये किया जाएगा। इस नव-विकसित मोबाइल एप के माध्यम से केरल राज्य में शराब की बिक्री के लिये आभासी कतार प्रणाली शुरू की जा सकेगी। इससे शराब की दुकानों पर भीड़ कम हो जाएगी और साथ ही सामाजिक दूरी के नियमों का उल्लंघन भी न हो सकेगा।

इसका उपयोग केरल के ‘बीवरेजेस कॉरपोरेशन’ (Beverages Corporation- BEVCO) द्वारा राज्य में शराब वितरित करने के लिये किया जाएगा। इस एप को कोच्चि स्थित एक स्टार्टअप ‘फेयरकोड टेक्नोलॉजीज़ प्राइवेट लिमिटेड’ द्वारा विकसित किया गया है।

  • जीईएम संवाद (GeM Samvaad) नामक एक राष्ट्रीय आउटरीच कार्यक्रम की शुरुआत सार्वजनिक खरीद मंच 'गवर्नमेंट ई-मार्केटप्लेस (Government e-Marketplace-GeM)' के तहत किया गया। इसका उद्देश्य देश भर में फैले हितधारकों के साथ-साथ स्थानीय विक्रताओं तक पहुँच सुनिश्चित करना या उनसे संपर्क साधना है। इसके माध्यम से भारत सरकार खरीदारों की आवश्यकताओं की पूर्ति के लिये बाज़ार में स्थानीय विक्रेताओं को ऑन-बोर्डिंग की सुविधा प्रदान करने हेतु देश भर के हितधारकों और स्थानीय विक्रेताओं तक पहुँचने की कोशिश कर रही है।
'वॉइस ऑफ कस्टमर’ (Voice of Customer) पहल के तहत जीईएम विभिन्‍न उपयोगकर्त्ताओं (यूज़र्स) से आवश्‍यक जानकारियाँ एवं सुझाव प्राप्‍त करने की आशा कर रहा है जिनका उपयोग इस पूरी प्रणाली में बेहतरी सुनिश्चित करने हेतु किया जाएगा।
  • COVID-19 के मद्देनज़र राज्यों द्वारा अपने राज्यों की सीमाओं को बंद करने का निर्णय लेने के बाद देश भर में फंसे ट्रकों की स्थिति को देखते हुए ट्रांसपोर्टरों ने एक्स्पायर्ड ई-वे बिल (E-way Bill) पर संभावित दंड को लेकर चिंता जताई है। लाकडाउन के कारण ट्रक ड्राइवरों के पास ट्रांजिट या गोदामों में माल के लिये ई-वे बिल की अवधि समाप्त हो रही है और उन्हें नियत तारीख पर नवीनीकृत भी नहीं किया जा सकता है।

अधिसूचित ई-वे बिल नियमों के अनुसार, प्रत्येक पंजीकृत आपूर्तिकर्त्ता को इन सामानों की आवाजाही के लिये ई-वे बिल पोर्टल पर पूर्व ऑनलाइन पंजीकरण की आवश्यकता होती है। ई-वे बिल से संबंधित नियम यह भी निर्दिष्ट करते हैं कि पारंपरिक खेप हेतु परमिट एक दिन के लिये (100 किमी. के लिये माल की आवाजाही हेतु) मान्य है और बाद के दिनों में उसी अनुपात में परमिट जारी किये जाते हैं। कर अधिकारियों के पास कर चोरी की जाँच करने के लिये पारगमन के दौरान किसी भी समय ई-वे बिल की जाँच करने का अधिकार होता है। सामान्य तौर पर ई-वे बिल की वैधता को बढ़ाया नहीं जा सकता है किंतु एक आयुक्त केवल कुछ श्रेणियों के लिये अधिसूचना जारी करके वैधता अवधि को बढ़ा सकता है। यदि वैध ई-वे बिल निर्गमित किये बिना माल ले जाया जाता है तो कर अधिकारी उस पर 10,000 रुपए का जुर्माना या कर की राशि जो भी अधिक हो, लगा सकते है। ऐसी स्थिति में माल साथ उस वाहन को भी हिरासत में लिया जा सकता है।

ई-वे बिल जी.एस.टी. के तहत एक बिल प्रणाली है जो वस्तुओं के हस्तांतरण की स्थिति में जारी की जाती है। इसमें हस्तांतरित की जाने वाली वस्तुओं का विवरण तथा उस पर लगने वाले जी.एस.टी. की पूरी जानकारी होती है। नियमानुसार 50000 रुपए से अधिक मूल्य की वस्तु, जिसका हस्तांतरण 10 किलोमीटर से अधिक की दूरी तक किया जाना है, उस पर इसे आरोपित करना आवश्यक होता है। नागरिकों की सुविधा के लिये लिक्विड पेट्रोलियम गैस, खाद्य वस्तुओं, गहने इत्यादि 150 उत्पादों को इससे मुक्त रखा गया है।
  • COVID-19 वैश्विक महामारी के कारण राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन की स्थिति में भारत के विभिन्न हिस्सों में फंसे विदेशी पर्यटकों की पहचान, सहायता एवं सुविधा के लिये भारत सरकार के पर्यटन मंत्रालय ने 31 मार्च, 2020 को ‘स्ट्रैंडेड इन इंडिया’ पोर्टल (‘Stranded in India’ Portal) की शुरूआत की। इसके माध्यम से पर्यटकों को अपनी बुनियादी संपर्क जानकारी प्रदान करनी होगी तथा उनके द्वारा सामना किये जा रहे मुद्दों (यदि कोई हो तो) की प्रकृति को बताना होगा।

इस पोर्टल के शुरू होने के शुरूआती 5 दिनों में देश भर में 769 विदेशी पर्यटकों ने इस पर पंजीकरण किया। प्रत्येक राज्य सरकार एवं केंद्रशासित प्रदेश ने ऐसे विदेशी पर्यटकों की सहायता के लिये एक नोडल अधिकारी की नियुक्ति की है। केंद्रीय पर्यटन मंत्रालय के 5 क्षेत्रीय कार्यालय पोर्टल पर भेजे जाने वाले अनुरोधों के अनुरूप विदेशी पर्यटकों को आवश्यक सहायता पहुँचाने के लिये इन नोडल अधिकारियों के साथ लगातार समन्वय कर रहे हैं।

  • MyGov कोरोना हेल्पडेस्क(MyGov Corona Helpdesk) भारत सरकार की इस समर्पित व्हाट्सएप चैटबॉट का उपयोग अब तक 2 करोड़ से अधिक उपयोगकर्त्ताओं द्वारा किया गया है।

इसका उद्देश्य नागरिकों को COVID-19 से संबंधित सूचनाओं का समय-समय पर अपडेट प्रदान करना एवं इससे संबंधित नागरिकों के प्रश्नों का जवाब देना है। भारत सरकार द्वारा 20 मार्च 2020 को लॉन्च इस चैटबॉट का विकास आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) चैटबॉट कंपनी हैप्टिक इन्फोटेक प्राइवेट लिमिटेड (Haptik Infotech Pvt Ltd) द्वारा किया गया है जिसके 87% शेयर रिलायंस जियो के पास हैं। COVID-19 से संबंधित गलत सूचना तथा अफवाहों को दूर करना इस चैटबॉट का प्राथमिक लक्ष्य है। इसके लिये हैप्टिक इन्फोटेक प्राइवेट लिमिटेड ने व्हाट्सएप नंबर +919013151515 भी प्रदान किया है। यह सेवा शुरू में अंग्रेजी भाषा में शुरू की गई थी किंतु देश में लाखों हिंदी भाषी उपयोगकर्त्ताओं की सहायता के लिये बाद में इसमें हिंदी भाषा को भी जोड़ा गया। MyGov कोरोना हेल्पडेस्क का उपयोग सभी व्हाट्सएप उपयोगकर्त्ता मुफ्त में कर सकते हैं।

  • COVID-19 फैक्ट-चेक यूनिट वेब पोर्टल की स्थापना COVID-19 महामारी के मद्देनज़र भारत सरकार के सूचना प्रसारण मंत्रालय और पत्र सूचना कार्यालय द्वारा 2 अप्रैल 2020 को की गई।

यह वेब पोर्टल COVID-19 से संबंधित सूचनाएँ प्रदान करने के लिये लोगों के ईमेल संदेशों को प्राप्त करेगा एवं उनकी सटीकता से जाँच करने के बाद प्रतिक्रिया भेजेगा। भारत सरकार के स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय (Ministry of Health and Family Welfare) ने COVID-19 महामारी के किसी भी तकनीकी पहलू से संबंधित नागरिकों के संदेह को स्पष्ट करने के लिये अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (AIIMS) जैसे संस्थानों के पेशेवरों को मिलाकर एक तकनीकी समूह का गठन किया है। यह तकनीकी समूह वेब पोर्टल ‘COVID-19 फैक्ट-चेक यूनिट’ के माध्यम से नागरिकों को सूचनाएँ प्रेषित करेगा। हाल ही में भारत सरकार के स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय ने प्रवासी मज़दूरों से संबंधित मनोवैज्ञानिक मुद्दों से निपटने के लिये दिशा-निर्देश भी जारी किये हैं। इसके अतिरिक्त पत्र सूचना कार्यालय (PIB) COVID-19 से निपटने के लिये भारत सरकार के निर्णयों एवं इस दिशा में किये जा रहे प्रयासों पर नागरिकों को सूचित करने के लिये प्रत्येक दिन रात 8 बजे एक दैनिक बुलेटिन भी जारी करेगा। पहला बुलेटिन 1 अप्रैल, 2020 को शाम 6:30 बजे जारी किया गया था।

पत्र सूचना कार्यालय(Press Information Bureau-PIB):-भारत सरकार की नीतियों, कार्यक्रम, पहल तथा उपलब्धियों के बारे में समाचार-पत्रों तथा इलेक्ट्रॉनिक मीडिया को सूचना देने वाली प्रमुख एजेंसी है।

इसकी स्थापना वर्ष 1919 में वायसराय लार्ड चेम्सफोर्ड के समय की गई थी। वर्तमान में इसके 8 क्षेत्रीय कार्यालय और 34 शाखाएँ हैं।

  • प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने 22 जनवरी, 2020 को सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी आधारित सक्रिय शासन और सामयिक कार्यान्वयन (Pro-Active Governance and Timely Implementation) के लिये बहु उद्देश्यीय मंच ‘प्रगति’ (PRAGATI) के जरिये 32वें संवाद की अध्यक्षता की।
प्रगति (PRAGATI - Pro-Active Governance and Timely Implementation)एक बहु उद्देश्यीय मंच है जो प्रधानमंत्री को विभिन्न मुद्दों पर जानकारी प्राप्त करने के लिये केंद्र एवं राज्य के अधिकारियों के साथ चर्चा करने में सक्षम बनाता है।

इसे वर्ष 2015 में लॉन्च किया गया था और यह एक तीन-स्तरीय प्रणाली है- पीएमओ, केंद्र सरकार के सचिव और राज्यों के मुख्य सचिव। उद्देश्य: इस मंच के तीन उद्देश्य हैं-

  1. शिकायत निवारण
  2. कार्यक्रम कार्यान्वयन
  3. परियोजना की निगरानी

प्रौद्योगिकी समन्वय:-यह मंच तीन प्रौद्योगिकियों (डिजिटल डेटा प्रबंधन, वीडियो कॉन्फ़्रेंसिंग और भू-स्थानिक प्रौद्योगिकी) को एक साथ लाता है। यह सहकारी संघवाद को बढ़ावा देता है क्योंकि यह भारत सरकार के सचिवों और राज्यों के मुख्य सचिवों को एक मंच पर लाता है। हालाँकि राज्य की राजनीतिक कार्यकारिणी को शामिल किये बिना राज्य सचिवों के साथ प्रधानमंत्री की सीधी बातचीत राज्य की राजनीतिक कार्यकारिणी को कमज़ोर कर रही है। इसके अलावा यह भी कहा जाता है कि यह पीएमओ जैसे संविधानेत्तर कार्यालय में शक्ति के संकेद्रण का कारण बन रहा है। यह मंच रियल टाइम उपस्थिति और प्रमुख हितधारकों के बीच विनिमय के साथ ई-पारदर्शिता एवं ई-जवाबदेही हेतु एक मज़बूत प्रणाली है। यह ई-शासन और सुशासन हेतु एक अभिनव परियोजना है।

  • दिल्ली उच्च न्यायालय ने डिजीलॉकर (DigiLocker) के संचालन से संबंधित नियमों के खिलाफ एक याचिका पर इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय की प्रतिक्रिया मांगी है।

याचिका में कहा गया है कि डिजीलॉकर एप पर पंजीकृत व्यक्ति की अनुपस्थिति में या उपयोगकर्त्ता की मृत्यु पर इसमें अपलोड किये गए सभी दस्तावेज़ उसके परिजनों के लिये सुलभ नहीं होंगे बल्कि ये स्वचालित तरीके से सरकार को हस्तांतरित हो जाएंगे। जिससे सूचना प्रौद्योगिकी नियम 2016 (डिजीलॉकर सुविधा प्रदान करने वाले मध्यस्थ द्वारा सूचना का परिरक्षण एवं निगहबानी करना) का उल्लंघन होता है क्योंकि इस नियम के तहत डिजीलॉकर उत्तराधिकारी के पंजीकरण की सुविधा प्रदान नहीं करता है। अतः किसी डिजीलॉकर उपयोगकर्त्ता को उसकी मृत्यु के बाद इस सुविधा को जारी रखने के लिये उत्तराधिकारी नामित करने की अनुमति न देना असंवैधानिक है।

ट्राइफेड के महत्त्वाकांक्षी डिजिटाइज़ेशन ड्राइव[सम्पादन]

6 अगस्त, 2020 को भारतीय जनजातीय सहकारी विपणन विकास परिसंघ (Tribal Cooperative Marketing Development Federation of India-TRIFED) द्वारा 33 वाँ स्थापना दिवस मनाया गया तथा अपने स्वयं का आभासी कार्यालय का भी उदघाटन किया गया। आभासी कार्यालय में 81 ऑनलाइन वर्क स्टेशन एवं 100 अतिरिक्त कन्वर्जिंग स्टेट एजेंसी वर्क स्टेशन शामिल हैं जो आदिवासी लोगों को मुख्यधारा के विकास के करीब लाने की दिशा में देश भर में अपने भागीदारों के साथ मिलकर TRIFED की टीम के सदस्यों की मदद करेंगे।

कर्मचारियों में आपसी तालमेल के स्तर का पता लगाने तथा उनके प्रयासों को अधिक सुगम्य बनाने के लिये, डैशबोर्ड लिंक के साथ एक ‘एम्प्लॉई इंगेजमेंट एंड वर्क डिस्ट्रिब्यूशन मैट्रिक्स’ (Employee Engagement and Work Distribution Matrix) को भी लॉन्च किया गया है।

COVID -19 महामारी के कारण , खरीददारी, बैंकिंग, तथा अन्य कार्य ऑनलाइन हो गए हैं तथा यह देखा गया है कि लॉकडाउन के बाद भी ऑनलाइन कार्यों में वृद्धि हुई है। ये सभी संगठनात्मक पहल ट्राइफेड के महत्त्वाकांक्षी डिजिटाइज़ेशन ड्राइव (Digitisation Drive) का एक अभिन्न अंग है जो अंतर्राष्ट्रीय मानकों पर आधारित आर्ट ई-प्लेटफ़ॉर्म (Art e-Platforms) मानकों पर आदिवासियों की वाणिज्यिक गतिविधियों को बढ़ावा देने, आदिवासियों के ग्रामीण उत्पादों तथा आदिवासी कारीगरों को राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय बाज़ारों से जोड़ने, के लिये प्रोत्साहित करता है । भारतीय जनजातीय सहकारी विपणन विकास परिसंघ (TRIFED) का गठन वर्ष 1987 में जनजातीय कार्य मंत्रालय के तत्त्वावधान में राष्ट्रीय नोडल एजेंसी के रूप में किया गया। इसे बहु-राज्य सहकारी समिति अधिनियम, 1984 (Multi-State Cooperative Societies Act) के तहत पंजीकृत गया था। इसने अपने कार्यों की शुरुआत वर्ष 1988 में नई दिल्ली स्थित मुख्य कार्यालय से की। उद्देश्य: जनजातीय लोगों का सामाजिक-आर्थिक विकास, आर्थिक कल्याण को बढ़ावा देना, ज्ञान, उपकरण और सूचना के साथ जनजातीय लोगों का सशक्तीकरण एवं क्षमता निर्माण करना। कार्य: यह मुख्य रूप से दो कार्य करता है पहला-लघु वन उपज ( Minor Forest Produce (MFP) विकास, दूसरा खुदरा विपणन एवं विकास (Retail Marketing and Development) हैं।

पहल और भागीदारी:-
  • TRIFED द्वारा वर्ष 1999 में नई दिल्ली में ट्राइब्स इंडिया (Tribes India) नामक अपने पहले रिटेल आउटलेट के माध्यम से आदिवासी कला और शिल्प वस्तुओं की खरीद और विपणन का कार्य शुरू किया गया।
  • TRIFED द्वारा वन धन योजना (Van Dhan Yojana) के तहत उत्पादन को बढ़ाने के लिये वन धन इंटर्नशिप कार्यक्रम (Van Dhan Internship Programme) का आयोजन किया गया है।
  • TRIFED द्वारा जनजातियों में उद्यमशीलता को विकसित करने के लिये राष्ट्रीय महत्व के संस्थानों (Institutes of National Importance-INI) के साथ मिलकर एक परिवर्तनकारी टेक फॉर ट्राइबल्स प्रोग्राम (Transformational Tech For Tribals Program) को शुरू किया गया है।
  • सूक्ष्म वन उत्पादों के संवर्द्धित मूल्य को बढ़ावा देने के लिये ट्राईफूड योजना (TRIFOOD Scheme) खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्रालय, जनजातीय मामलों के मंत्रालय और TRIFED की एक संयुक्त पहल है।
  • सूक्ष्म वन उत्पादों (Minor Forest Produce-MFP) के विपणन के लिये न्यूनतम समर्थन मूल्य (Minimum Support Price-MSP) के माध्यम से एक तंत्र विकसित किया गया तथा वर्ष 2013 में MFP के लिये एक मूल्य श्रृंखला को लागू किया गया था ताकि वन निवासी अनुसूचित जनजाति (Scheduled Tribes-STs) और अन्य पारंपरिक वनवासियों के उत्पादों का उचित मूल्य सुनिश्चित किया जा सके।
  • TRIFED द्वारा संयुक्त राष्ट्र बाल कोष (United Nations Children’s Fund- यूनिसेफ) एवं विश्व स्वास्थ्य संगठन (World Health Organisation- WHO) के सहयोग से COVID -19 महामारी पर वेबिनार का आयोजन किया है।
  • इस वेबिनार में COVID -19 के लिये बेसिक दिशा-निर्देशों के संदर्भ में TRIFED प्रशिक्षक और स्वयंसेवक संघों (Self Help Groups-SHG) के लिये एक आभासी प्रशिक्षण का आयोजन किया गया।

ऑनलाइन विवाद समाधान[सम्पादन]

जून में नीति आयोग ने ‘आगामी और ओमिदयार नेटवर्क इंडिया’ (Agami and Omidyar Network India) के साथ मिलकर ‘ऑनलाइन विवाद समाधान’ (Online Dispute Resolution- ODR) को आगे बढ़ाने हेतु वर्चुअल बैठक आयोजित की गई । वर्चुअल बैठक में सर्वोच्च न्यायालय के वरिष्ठ न्यायाधीश, प्रमुख सरकारी मंत्रालयों के सचिव, उद्योगजगत के अग्रणी लोग, कानून के विशेषज्ञ और प्रमुख उद्यमियों ने भाग लिया। इस बैठक का सामान्य विषय भारत में ‘ऑनलाइन विवाद समाधान’ को आगे बढ़ाने के प्रयास सुनिश्चित करने के लिये सहयोगपूर्ण रूप से कार्य करने की दिशा में बहु-हितधारक सह‍मति कायम करना था। ‘ऑनलाइन विवाद समाधान’ (Online Dispute Resolution- ODR)तंत्र से तात्पर्य वैकल्पिक विवाद समाधान (Alternate Dispute Resolution- ADR) की डिजिटल तकनीक का उपयोग कर विशेष रूप से छोटे और मध्‍यम किस्‍म के विवादों का बातचीत, बीच-बचाव और मध्यस्थता के माध्यम से समाधान करना है। इस विधि में विवादों के समाधान की सुविधा के लिये सभी पक्षों द्वारा ऑनलाइन प्रौद्योगिकियों का उपयोग किया जाता है। ऑनलाइन विवाद समाधान विवादों को कुशलतापूर्वक और किफायती तरीके से सुलझाने में मददगार साबित हो सकता है। ‘ऑनलाइन विवाद समाधान’ सुविधाजनक, सटीक, समय की बचत करने वाला और किफायती है।

  • 02 अगस्त, 2020 को केंद्रीय संचार मंत्री ने महाराष्ट्र के अकोला में ‘भारत एयर फाइबर सेवाओं’ (BHARAT AIRFIBER SERVICES) का उद्घाटन किया। इसके माध्यम से महाराष्ट्र के अकोला एवं वाशिम ज़िले में वायरलेस इंटरनेट कनेक्शन की सुविधा पहुँचाई जा सकेगी।

भारत एयर फाइबर सेवाएँ भारत संचार निगम लिमिटेड (BSNL) द्वारा भारत सरकार की डिजिटल इंडिया पहलों के एक हिस्से के रूप में प्रस्तुत की गई हैं और इनका लक्ष्य BSNL की मौजूदगी वाले स्थान से 20 किमी. के दायरे में वायरलेस इंटरनेट कनेक्टिविटी उपलब्ध कराना है। BSNL स्थानीय ‘टेलीकॉम इंफ्रास्ट्रक्चर पाटनर्स’ (TIP) की सहायता से सस्ती इंटरनेट सेवाएँ उपलब्ध कराती है। भारत एयर फाइबर सेवाएँ विशिष्ट हैं क्योंकि BSNL इन सेवाओं में असीमित नि:शुल्क वायस कॉलिंग की सुविधा प्रदान कर रही है। इन सेवाओं में BSNL, 100 mbps स्पीड तक की भारत एयर फाइबर कनेक्टिविटी उपलब्ध कराती है। COVID-19 के दौरान जुलाई, 2020 में BSNL ने महाराष्ट्र सर्किल में 15000 FTTH कनेक्शन तथा पूरे भारत में 162000 FTTH कनेक्शन उपलब्ध कराए हैं।

वित्त मंत्रालय द्वारा ‘आइसडैश’ (ICEDASH) तथा ‘अतिथि’ (ATITHI) नामक दो नई सूचना तकनीकी पहलें प्रारंभ[सम्पादन]

वित्त मंत्रालय द्वारा केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर एवं सीमा शुल्क बोर्ड (Central Board of Indirect Taxes & Customs- CBIC) के अंतर्गत भारतीय बंदरगाहों तथा हवाई-अड्डों पर आयातित वस्तुओं के ‘कस्टम क्लियरेंस’ (Custom Clearance) को गति प्रदान करने तथा उसकी निगरानी करने के लिये ‘आइसडैश’ नामक ऑनलाइन डैशबोर्ड तथा भारत में आने वाले अंतर्राष्ट्रीय यात्रियों की सुविधा के लिये ‘अतिथि’ नामक मोबाइल एप लॉन्च किया गया।

आइसडैश’ नामक ऑनलाइन डैशबोर्ड सीमा शुल्क विभाग द्वारा भारत में कारोबार की सुगमता की निगरानी करने के लिये CBIC के अंतर्गत शुरू किया गया। इसकी सहायता से आयातक तथा सामान्य लोग यह देख सकेंगे कि देश के किस बंदरगाह अथवा हवाई-अड्डे पर आयातित सामान के ‘कस्टम क्लियरेंस’ की क्या स्थिति है। CBIC ने राष्ट्रीय सूचना विज्ञान केंद्र के साथ मिलकर इस डैशबोर्ड को विकसित किया है। ‘कस्टम क्लियरेंस’ संबंधी प्रक्रियाओं में पारदर्शिता के साथ-साथ हस्तक्षेप में कमी आएगी।
‘अतिथि’ एप के माध्यम से अंतर्राष्ट्रीय पर्यटक अग्रिम रूप से सीमा शुल्क विभाग को यह जानकारी दे सकेंगे कि वे अपने साथ कौन-कौन सी कर योग्य वस्तु तथा कितनी मुद्रा लेकर आ रहे हैं। इसके द्वारा अंतर्राष्ट्रीय पर्यटकों को हवाई अड्डों पर सीमा शुल्क विभाग द्वारा त्वरित क्लियरेंस और सुगम आगमन की सुविधा दी जाएगी जिससे हमारे हवाई-अड्डों पर अंतर्राष्ट्रीय पर्यटकों तथा अन्य आगंतुकों की संख्या में वृद्धि होगी। इसके द्वारा भारतीय सीमा शुल्क विभाग की विश्व में ‘टेक सेवी’ [(Tech Savvy) तकनीक प्रेमी ] छवि बनेगी, जिसके माध्यम से भारत में पर्यटन और व्यापार यात्राओं को प्रोत्साहन मिलेगा।
केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर एवं सीमा शुल्क बोर्ड(Central Board of Indirect Taxes & Customs- CBIC) वित्त मंत्रालय के अधीन राजस्व विभाग का एक अंग है। यह बोर्ड सीमा शुल्क, केंद्रीय उत्पाद शुल्क, केंद्रीय वस्तु एवं सेवा कर और IGST का उद्ग्रहण तथा संग्रह का कार्य करता है।

सीमा शुल्क, केंद्रीय उत्पाद शुल्क, केंद्रीय वस्तु एवं सेवा कर और IGST तथा नारकोटिक्स से जुड़े तस्करी तथा प्रशासन संबंधी मुद्दे CBIC के विस्तार क्षेत्र के अंतर्गत आते हैं। पूर्व में इसका नाम केंद्रीय उत्पाद एवं सीमा शुल्क बोर्ड था।

DTH v/s OTT[सम्पादन]

1 अप्रैल 2019 से लागू नई DTH टैरिफ व्यवस्था से ग्राहक आधार में गिरावट उन चुनौतियों को उजागर करती है जिनका सामना DTH ऑपरेटरों को नई टैरिफ व्यवस्था लागू करने के क्रम में करना पड़ता है। इस बीच OTT सेवाओं के प्रसार का असर भी DTH सदस्यता संख्या पर पड़ा है। इस क्षेत्र में उच्च प्रतिस्पर्द्धा के बीच OTT सेवा प्रदाता उपभोक्ताओं को आकर्षक कंटेंट और सदस्यता पैकेज, दोनों की पेशकश एक साथ कर रहे हैं। हालाँकि OTT प्लेटफॉर्मों का विनियमन अभी भी एक विवादित मुद्दा है जिस पर सरकार विचार कर रही है। हाल के एक सर्वेक्षण से पता चला है कि लगभग 55% भारतीय DTH सेवाओं के स्थान पर OTT सेवाओं को वरीयता देते हैं और लगभग 87% भारतीय इन दिनों वीडियो देखने के लिये मोबाइल का उपयोग करते हैं।

DTH और OTT में समानता एवं असमानता
DTH ‘डायरेक्ट टू होम’ (Direct To Home) सेवा का संक्षिप्त नाम है। यह एक डिज़िटल उपग्रह सेवा है जो देश में कहीं भी उपग्रह द्वारा प्रसारण के माध्यम से प्रत्यक्षतः ग्राहकों को टेलीविज़न पर कार्यक्रमों को देखने की सुविधा प्रदान करती है। इसके सिग्नल डिज़िटल प्रकृति के होते हैं और सीधे उपग्रह से प्राप्त होते हैं।

'ओवर द टॉप' (Over The Top- OTT) एक ऐसा ऑनलाइन कंटेंट प्रदाता मीडिया सेवा है जो एक स्टैंडअलोन उत्पाद के रूप में स्ट्रीमिंग मीडिया की पेशकश करती है। इस शब्द का प्रयोग आमतौर पर वीडियो-ऑन-डिमांड प्लेटफॉर्म के संबंध में किया जाता है, लेकिन ऑडियो स्ट्रीमिंग, मैसेज सर्विस या इंटरनेट-आधारित वॉयस कॉलिंग सोल्यूशन के संदर्भ में भी इसका प्रयोग होता है। इसे इंटरनेट और स्मार्टफोन, टैबलेट, लैपटॉप/कंप्यूटर तक अभिगम्यता/पहुँच की आवश्यकता होती है।

  1. DTH और OTT की सामग्री (Content) और संदर्भ पूरी तरह से अलग हैं। OTT प्लेटफॉर्म अत्यंत व्यक्तिगत प्रकृति के हैं, जबकि DTH कनेक्शन अपनी प्रकृति में अधिक सामाजिक होते हैं।
  2. ये एक-दूसरे के पूरक भी हैं, जैसे OTT प्लेटफॉर्म विज्ञापनों द्वारा DTH पर उपलब्ध सामग्री के बारे में सूचना देते हैं।

केंद्रीय मंत्रिमंडल ने राष्ट्रीय सॉफ्टवेयर उत्पाद नीति को मंज़ूरी दे दी[सम्पादन]

इससे सॉफ्टवेयर उत्पाद उद्योग में 2025 तक 35 लाख रोज़गार सृजन करने के साथ-साथ लगभग 40% तक इस उद्योग की वृद्धि दर को पहुँचने में मदद करना। साथ ही अगले सात वर्षों में नीति के तहत विभिन्न योजनाओं में ₹1500 करोड़ के परिव्यय के साथ 2025 तक 70 से 80 बिलियन डॉलर के व्यापार को सुनिश्चित करना। इस नीति के प्रमुख उद्येश्य निम्न है:-

  1. उभरती हुई प्रौद्योगिकी जैसे- इंटरनेट ऑफ थिंग्स, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, ब्लॉक चेन, बिग डाटा, रोबोटिक्स को बढ़ावा देना।
  2. ₹1500 करोड़ के एक फंड (सॉफ्टवेयर उत्पाद विकास कोष) का निर्माण,जिसमें सरकारी अंशदान ₹1000 करोड़ का होगा। ये कोष वित्तीय रूप से एक पेशेवर वित्तीय संस्थान द्वारा प्रबंधित किया जाएगा।
  3. वैश्विक बाज़ार में भारतीय सॉफ्टवेयर उत्पादों की हिस्सेदारी को दस गुना तक बढ़ाने पर भी ध्यान देगी। सॉफ्टवेयर उत्पाद उद्योग में 10,000 प्रौद्योगिकी स्टार्ट अप (जिसमें 1000 स्टार्ट अप टियर II और III से जुड़े हैं) के वित्तीय पोषण पर भी ध्यान दिया गया है।
  4. 10 लाख आईटी पेशेवरों के कौशल विकास के साथ-साथ 10,000 नेतृत्व दायक पेशेवरों के विकास पर भी ध्यान दिया गया है।
  5. इस नीति में सामाजिक चुनौतियों को हल करने के लिये नवाचार प्रोत्साहन एवं बौद्धिक संपदा से जुड़े साफ्टवेयर उत्पादों पर भी ध्यान दिया गया है।
  6. राष्ट्रीय साफ्टवेयर उत्पाद मिशन (National Software Product Mission ) की भी शुरुआत करने की योजना है जिसमें सरकार के साथ शैक्षणिक संस्थानों और औद्योगिक संस्थानों द्वारा सहयोग किया जाएगा।

वर्तमान समय में आईटी-आईटीईएस उद्योग का कुल राजस्व 168 बिलियन डॉलर है। इसमें साफ्टवेयर उत्पाद उद्योग से मात्र 7.1 बिलियन डॉलर का ही राजस्व प्राप्त होता है, जबकि 2.3 बिलियन डॉलर का निर्यात होता है।

ग्रामनेट के ज़रिये वाई-फाई से जुड़ेंगे सभी गाँव[सम्पादन]

सरकार ने सी-डॉट (C-Dot) के 36वें स्थापना दिवस (2019) के अवसर पर ग्रामनेट के ज़रिये सभी गाँवों में वाई-फाई उपलब्ध कराने की प्रतिबद्धता को दोहराया, जिसकी कनेक्टिविटी स्पीड 10 Mbps से 100 Mbps के बीच होगी। वर्तमान में भारतनेट 01 Gbps कनेक्टिविटी उपलब्ध करा रहा है, जिसे 10 Gbps तक बढ़ाया जा सकता है। C-DOT ने स्थापना दिवस के अवसर पर तीन नवीनतम नवाचारों की शुरुआत की, जो इस प्रकार हैं:-

  1. XGSPON (10 G सिमेट्रिकल पैसिव ऑप्टिकल नेटवर्क) उपयोगकर्त्ताओं को IPTV, HD वीडियो स्ट्रीमिंग, ऑनलाइन गेमिंग जैसे नए आयामों हेतु उच्च नेटवर्क गति की बढ़ती मांगों को पूरा कर सकता है। यह अन्य क्लाउड-आधारित सेवाओं के लिये भी सहायक हो सकता है जिसमें उच्च बैंडविड्थ की सहज उपलब्धता की आवश्यकता होती है।
  2. C-Sat-Fi (C-DOT सैटेलाइट वाईफाई)कनेक्टिविटी का विस्तार करने के लिये वायरलेस और उपग्रह संचार के इष्टतम उपयोग पर आधारित है। यह तैनाती में आसानी प्रदान करता है, जो कि आपदा और आपात स्थिति से निपटने हेतु आदर्श रूप से अनुकूल है, जब संचार का कोई अन्य साधन उपलब्ध नहीं है। इसके लिये महंगे सैटेलाइट फोन की आवश्यकता नहीं है और यह किसी भी वाईफाई-सक्षम फोन पर काम कर सकता है।
  3. CiSTB (C-DOT का इंटरऑपरेबल सेट-टॉप बॉक्स) एक मोबाइल सिम की तरह पोर्टेबल स्मार्ट कार्ड है जो कि केबल टीवी ऑपरेटरों को उच्च विकल्प और सुविधा प्रदान करके क्रांति लाएगा।

टेलीमैटिक्स के विकास के लिये केंद्र (C-DOT) की स्थापना वर्ष 1984 में हुई थी। यह भारत सरकार के DoT का एक स्वायत्त दूरसंचार R & D केंद्र है। यह सोसायटी पंजीकरण अधिनियम, 1860 के तहत एक पंजीकृत सोसायटी है। यह भारत सरकार के वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान विभाग (DSIR) के साथ एक पंजीकृत सार्वजनिक वित्त पोषित अनुसंधान संस्थान है। सार्वजानिक ब्रॉडबैंड पहुँच को सुनिश्चित करने के लिये ‘ग्रामनेट’ राष्ट्रीय ब्रॉडबैंड मिशन का एक हिस्सा है। इसके अलावा कुछ अन्य पहलें भी इसी दिशा में कार्यरत है:

भारतनेट (BharatNet)- ग्राम पंचायतों को 1 Gbps इंटरनेट मुफ्त उपलब्ध कराना जो 10 Gbps तक सीमित हो।
नगरनेट (NagarNet)- शहरी क्षेत्रों में 1 मिलियन सार्वजनिक वाई-फाई हॉटस्पॉट स्थापित करना

भारतीय राष्ट्रीय भुगतान प्रणाली(National Payment Corporation of India- NPCI)[सम्पादन]

NPCI देश में खुदरा भुगतान और निपटान प्रणाली के संचालन के लिये एक समग्र संगठन है। इसे भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) और भारतीय बैंक संघ (IBA) द्वारा भारत में भुगतान एवं निपटान प्रणाली अधिनियम, 2007 के प्रावधानों के तहत एक मज़बूत भुगतान और निपटान अवसंरचना के विकास हेतु स्थापित किया गया है। इसे कंपनी अधिनियम 1956 की धारा 25 के प्रावधानों के तहत ‘गैर-लाभकारी संगठन’ के रूप में शामिल किया गया है। NPCI की कुछ प्रमुख पहलें निम्नलिखित है:-

  1. *99#: NPCI की असंरचनात्मक पूरक सेवा डेटा (Unstructured Supplementary Service Data-USSD) आधारित मोबाइल बैंकिंग सेवा को नवंबर 2012 में शुरू किया गया था। इस सेवा की सीमित पहुँच थी तथा केवल दो TSPs (टेलीकॉम सर्विस प्रोवाइडर) यानी MTNL एवं BSNL ही इस सेवा को मुहैया करा रहे थे। वित्तीय समावेशन में मोबाइल बैंकिंग के महत्त्व को समझते हुए इसे 'प्रधानमंत्री जन धन योजना' के भाग के रूप में माननीय प्रधानमंत्री द्वारा 28 अगस्त, 2014 को राष्ट्र को समर्पित किया गया।
  2. 'नेशनल ऑटोमेटेड क्लियरिंग हाउस’ (NACH) NPCI द्वारा बैंकों को दी जाने वाली एक सेवा है सब्सिडी, लाभांश, ब्याज, वेतन, पेंशन आदि के वितरण के लिये इसका उपयोग किया जाता है।
  3. आधार सक्षम भुगतान सेवा (AEPS) के कारण आधार से जुड़े बैंक खाते वाला कोई भी आम इंसान नकद निकासी और शेष राशि की जाँच जैसी बुनियादी बैंकिंग सेवाओं का लाभ उठा सकता है, भले ही उसका खाता किसी भी बैंक में हो। इन सेवाओं का फायदा लेने के लिये आधार से जुड़े खाताधारक अपने भुगतान को पूरा करने के लिये केवल फिंगरप्रिंट स्कैन और आधार प्रमाणन के साथ अपनी पहचान को पुष्ट कर सकता है।
  4. नेशनल फाइनेंशियल स्विच (National Financial Switch-NFS) बैंकों के ATMs के इंटर-कनेक्टेड नेटवर्क द्वारा नागरिकों को किसी भी बैंक के ATM के माध्यम से लेन-देन की सुविधा उपलब्ध कराता है।
  5. एकीकृत भुगतान प्रणाली (United Payments Interface-UPI) के अंतर्गत एक मोबाईल एप्लीकेशन के माध्यम से कई बैंक खातों का संचालन, विभिन्न बैंकों की विशेषताओं को समायोजन, निधियों का निर्बाध आवागमन और व्यापारिक भुगतान किया जा सकता है।
  6. भीम एप (BHIM App)के ज़रिये लोग डिजिटल तरीके से पैसे भेज सकते हैं और प्राप्त कर सकते हैं। यह UPI आधारित भुगतान प्रणाली पर काम करता है।
  7. तत्काल भुगतान सेवा (Immediate Payment Service-IMPS): IMPS का इस्तेमाल 24*7 किया जा सकता है। यह सेवा ग्राहकों को बैंकों और RBI द्वारा अधिकृत प्रीपेड पेमेंट इंस्ट्रूमेंट जारीकर्त्ताओं (PPI) के माध्यम से तुरंत पैसा ट्रांसफर करने की सुविधा देती है।
  8. भारत बिल भुगतान प्रणाली (Bharat Bill Payment System-BBPS): BBPS भारतीय रिज़र्व बैंक की एक अवधारणात्मक प्रणाली है, जिसका संचालन NPCI द्वारा किया जाता है। यह प्रणाली सभी प्रकार के बिलों के लिये एक अंतिम भुगतान प्लेटफॉर्म के रूप में कार्य करती है। इस प्रकार यह देशभर के ग्राहकों को भुगतान अंतरण, विश्वसनीयता और सुरक्षा के साथ-साथ एक बेहतर एवं सुलभ बिल भुगतान सेवा उपलब्ध कराती है।
  9. चेक ट्रंगकेशन सिस्टम (Cheque Truncation System-CTS): CTS या ऑनलाइन इमेज-आधारित चेक क्लियरिंग सिस्टम, चेकों के तेज़ी से क्लियरिंग के लिये भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) द्वारा शुरू किया गया एक चेक क्लियरिंग सिस्टम है। यह चेक के प्रत्यक्ष संचालन से संबद्ध लागत को समाप्त करता है।