समसामयिकी 2020/महत्वपूर्ण दिवस और व्यक्ति

विकिपुस्तक से


महत्वपूर्ण भारतीय व्यक्ति[सम्पादन]

  • दिल्ली की एक 13 वर्षीय स्कूली छात्रा फ्रेया ठकराल (Freya Thakral) को वर्ष 2020 के डायना पुरस्कार (Diana Award) के लिये चुना गया है जो वेल्स की राजकुमारी डायना की जयंती पर युवाओं के मानवीय प्रयासों के लिये दिया जाने वाला सम्मान है। यह पुरस्कार ‘रिसाइकलर एप’ विकसित करने के लिये प्रदान किया जाएगा। यह वेब-आधारित मोबाइल एप्लिकेशन उपयोगकर्त्ताओं को अपशिष्ट-संचालकों से जोड़ने का काम करता है।

डोर-टू-डोर अपशिष्ट उठाने की यह प्रक्रिया पुन: प्रयोज्य कचरे के आसान निपटान में उन लोगों की मदद करती है जिनके पास अपने कचरे को छोड़ने के लिये साधन या समय नहीं है। यह एप उन अपशिष्ट संचालकों के लिये भी मददगार है जिनकी कमाई आमतौर पर कम होती है और अपशिष्ट के अनुचित रखरखाव के कारण स्वास्थ्य संबंधी कठिनाइयाँ भी उत्पन्न होती हैं। अपशिष्ट के सतत् पुनर्चक्रण के लिये फ्रेया ठकराल का योगदान गरीबी उन्मूलन, नवाचार, बुनियादी ढाँचा, खपत एवं जलवायु कार्रवाई हेतु सतत् विकास लक्ष्यों को प्राप्त करने की दिशा में एक महत्त्वपूर्ण कदम है। डायना पुरस्कार: डायना पुरस्कार की स्थापना वर्ष 1999 में तत्कालीन चांसलर गॉर्डन ब्राउन (Gordon Brown) की अध्यक्षता वाले एक बोर्ड द्वारा की गई थी। जिनके अनुसार यह पुरस्कार युवा लोगों की उत्कृष्ट उपलब्धियों के समर्थन में वेल्स की राजकुमारी ‘डायना’ की व्यक्तिगत रुचि को दर्शाता है। यह पुरस्कार 9-25 वर्ष की आयु के युवाओं को उनके सामाजिक अथवा मानवीय कार्य के लिये प्रदान किया जाता है। यह पुरस्कार राजकुमारी डायना के दो बेटों ‘प्रिंस विलियम’ और ‘प्रिंस हैरी’ द्वारा समर्थित डायना अवार्ड चैरिटी (Diana Award Charity) द्वारा दिया जाता है।

  • सेंट्रल ड्रग रिसर्च इंस्टीट्यूट (CDRI),लखनऊ की एक वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. नीति कुमार को एसईआरबी महिला उत्कृष्टता पुरस्कार- 2020 (SERB Women Excellence Award- 2020) के लिये चुना गया है।

28 फरवरी, 2020 को राष्ट्रीय विज्ञान दिवस समारोह के दौरान भारत के राष्ट्रपति द्वारा यह पुरस्कार दिया गया।

भारत में प्रत्येक वर्ष 28 फरवरी को राष्ट्रीय विज्ञान दिवस मनाया जाता है। इस वर्ष की थीम ‘विज्ञान के क्षेत्र में महिलाएँ’ (Women in Science) है। इसका मूल उद्देश्य छात्रों को विज्ञान के प्रति आकर्षित एवं प्रेरित करना तथा लोगों को विज्ञान व वैज्ञानिक उपलब्धियों से अवगत कराना है।
28 फरवरी को रमन प्रभाव (Raman Effect) की खोज के उपलक्ष्य में राष्ट्रीय विज्ञान दिवस मनाया जाता है। इस खोज की घोषणा 28 फरवरी को भारतीय वैज्ञानिक सर चंद्रशेखर वेंकट रमन (Sir CV Raman) ने की थी।
रमन प्रभाव के अनुसार,प्रकाश की प्रकृति और स्वभाव में तब परिवर्तन होता है जब वह किसी पारदर्शी माध्यम से गुज़रता है। यह माध्यम ठोस, द्रव और गैसीय, कुछ भी हो सकता है। यह घटना तब घटती है जब माध्यम के अणु प्रकाश ऊर्जा के कणों को प्रकीर्णित कर देते हैं।
रमन प्रभाव के लिये सी.वी. रमन को वर्ष 1930 में भौतिकी के नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया था।

यह पुरस्कार 40 वर्ष से कम आयु की उन महिला वैज्ञानिकों को दिया जाता है जिन्हें किसी एक या अधिक राष्ट्रीय अकादमियों जैसे- युवा वैज्ञानिक मेडल, युवा एसोसिएट आदि से सम्मानित किया जा चुका हो। अनुदान:-इसके तहत महिला शोधकर्त्ताओं को केंद्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय के अंतर्गत आने वाले विज्ञान एवं इंजीनियरिंग अनुसंधान बोर्ड (Science and Engineering Research Board- SERB) द्वारा 3 वर्षों के लिये 5 लाख रुपए प्रतिवर्ष का अनुसंधान अनुदान दिया जाएगा।

डॉ. नीति कुमार का अनुसंधान समूह मलेरिया के निवारण के लिये वैकल्पिक दवा लक्ष्यों की खोज हेतु मानव मलेरिया परजीवी में प्रोटीन गुणवत्ता नियंत्रण मशीनरी को समझने का प्रयास कर रहा है।

डॉ. नीति कुमार पहले भी कई सम्मान व पुरस्कार प्राप्त कर चुकी हैं। इसमें इनोवेटिव यंग बायोटेक्नोलॉजिस्ट अवार्ड, इंडियन नेशनल साइंस अकादमी द्वारा यंग साइंटिस्ट (2010) के लिये आईएनएसए मेडल, रामलिंगस्वामी फेलोशिप (2013-2018), ईएमबीओ पोस्ट-डॉक्टरल फेलोशिप (2010-2012), अलेक्जेंडर वॉन हम्बोल्ट फेलोशिप (2010), मैक्स प्लैंक इंस्टीट्यूट ऑफ बायोकेमिस्ट्री (2009) में मैक्स प्लैंक पोस्ट-डॉक्टरल फेलोशिप व 6वें फ्रेमवर्क प्रोग्राम के तहत यूरोपीय संघ द्वारा मैरी क्यूरी अर्ली रिसर्च फेलोशिप (2005-2006) शामिल हैं।

महत्वपूर्ण वैश्विक व्यक्ति[सम्पादन]

  • प्रख्यात भारतीय मूल के अमेरिकी मृदा वैज्ञानिक डॉ. रतन लाल (Dr Rattan Lal) को कृषि क्षेत्र में नोबेल पुरस्कार के समान माने जाने वाले प्रतिष्ठित 'विश्व खाद्य पुरस्कार' के लिये चुना गया है। डॉ. रतन लाल को यह सम्मान मृदा केंद्रित दृष्टिकोण रखते हुए खाद्य उत्पादन बढ़ाने के उपाय विकसित करने हेतु दिया जा रहा है। डॉ. रतन लाल द्वारा विकसित उपायों के माध्यम से न केवल प्राकृतिक संसाधनों का संरक्षण संभव हो पाया है, बल्कि इनसे जलवायु परिवर्तन के प्रभाव को भी कम किया जा सका है। डॉ. रतन लाल द्वारा विकसित तकनीक से विश्व भर के करोड़ों किसानों को लाभ हुआ है, डॉ. रतन लाल वर्तमान में ओहियो स्टेट यूनिवर्सिटी (Ohio State University) में प्रोफेसर के तौर पर कार्यरत हैं। गौरतलब है कि डॉ. रतन लाल ने कृषि भूमि को ऊर्वर बनाए रखने की नई तकनीक को बढ़ावा देने के लिये लगभग चार महाद्वीपों में पचास वर्ष से भी अधिक समय तक कार्य किया है। विश्व खाद्य पुरस्कार (World Food Prize) एक अंतर्राष्ट्रीय पुरस्कार है जो कि विश्व में भोजन की गुणवत्ता, मात्रा या उपलब्धता में सुधार करके मानव विकास को बढ़ावा देने वाले व्यक्ति को प्रदान किया जाता है। इस पुरस्कार के तहत विजेता को 2, 50,000 अमेरिकी डॉलर की राशि प्रदान की जाती है।
  • वर्ष 2020 को विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा फ्लोरेंस नाइटिंगेल की 200वीं जयंती के उपलक्ष्य में नर्स एवं मिडवाइफ के अंतर्राष्ट्रीय वर्ष (International Year of Nurse and Midwife) के रूप में घोषित किया गया है।प्रति वर्ष 7 अप्रैल को विश्व स्वास्थ्य दिवस (World Health Day) लोगों को स्वास्थ्य के प्रति अधिक जागरूक करने के लिये विश्व स्वास्थ्य संगठन (World Health Organization- WHO) द्वारा शुरू की गयी एक पहल है।विश्व स्वास्थ्य संगठन के स्थापना दिवस (7 अप्रैल, 1948) की वर्षगांठ पर मनाया जाता है।
इस वर्ष की थीम है-‘नर्सों एवं मिडवाइफों का समर्थन करें’ (Support Nurses and Midwives)।

इसका उद्देश्य वैश्विक स्वास्थ्य एवं उससे संबंधित समस्याओं पर विचार-विमर्श करना तथा विश्व में समान स्वास्थ्य देखभाल सुविधाओं के बारे में जागरूकता फैलाने के साथ स्वास्थ्य संबंधी अफवाहों एवं मिथकों को दूर करना है। विश्व स्वास्थ्य संगठन की प्रथम विश्व स्वास्थ्य सभा वर्ष 1948 में आयोजित हुई थी तथा विश्व स्वास्थ्य दिवस मनाने की शुरुआत वर्ष 1950 में हुई थी। हालाँकि विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) द्वारा आठ अभियानों को आधिकारिक रूप से चिह्नित किया गया है। जिनमें विश्व स्वास्थ्य दिवस,विश्व मलेरिया दिवस,विश्व क्षय रोग दिवस,विश्व टीकाकरण सप्ताह, विश्व तंबाकू निषेध दिवस, विश्व एड्स दिवस, विश्व हेपेटाइटिस दिवस और विश्व रक्तदाता दिवस शामिल हैं। इस दिवस के अवसर पर विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा ‘स्टेट ऑफ द वर्ल्ड नर्सिंग रिपोर्ट 2020’ (State of the World’s Nursing Report 2020) भी जारी की गई। इस रिपोर्ट में नर्सिंग कार्यबल की एक वैश्विक तस्वीर प्रदान की गई और सभी के लिये स्वास्थ्य के उद्देश्य से इस कार्यबल के योगदान को बढ़ावा देने का समर्थन किया गया। गौरतलब है कि वर्तमान में वैश्विक स्तर पर COVID-19 से निपटने में नर्स एवं अन्य स्वास्थ्यकर्मी सबसे आगे हैं।

  • विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने फ्लोरेंस नाइटिंगेल की 200वीं जयंती के उपलक्ष्य में वर्ष 2020 को "नर्स और मिडवाइफ वर्ष" के रूप में नामित किया है।

“नर्स और मिडवाइफ वर्ष” की घोषणा सार्वभौमिक स्वास्थ्य कवरेज के लिये नर्सिंग और मिडवाइफ से संबंधित संस्थाओं को मज़बूत करने में मदद करेगी। नर्सिंग को मजबूत करने से सतत् विकास लक्ष्यों (विशेष रूप से एसडीजी-3,5,8) को प्राप्त करने में मदद मिलेगी। विश्व के कई देशों में स्वास्थ्य कर्मचारियों का 50% नर्स और मिडवाइफ हैं।

  1. एसडीजी-3 (SDG-3) - सभी आयु के लोगों में स्वास्थ्य,सुरक्षा और स्वस्थ जीवन को बढ़ावा देना।
  2. एसडीजी-5 (SDG-5)- लैंगिक समानता की स्थिति प्राप्त करने के साथ ही महिलाओं और लड़कियों को सशक्त करना।
  3. एसडीजी-8 (SDG-8)- सभी के लिये निरंतर समावेशी और सतत् आर्थिक विकास, पूर्ण और उत्पादक रोज़गार तथा बेहतर कार्य को बढ़ावा देना।

विश्व स्वास्थ्य संगठन की यह घोषणा ‘The NursingNow!’ अभियान का समर्थन करती है। The NursingNow! एक तीन साल (2018-2020) का अभियान है जिसका उद्देश्य विश्व स्तर पर स्वास्थ्य में सुधार करने के लिये नर्सिंग की स्थिति को सुदृढ़ करना है।

फ्लोरेंस नाइटिंगेल (Florence Nightingale) एक ब्रिटिश नर्स,सांख्यिकीविद् और समाज सुधारक थीं जिन्हें ‘आधुनिक नर्सिंग का संस्थापक’ के रूप में भी जाना जाता है।

उनका जन्म 12 मई, 1820 को इटली के फ्लोरेंस में हुआ था। उन्होंने और उनकी नर्सों की टीम ने क्रीमियन युद्ध के दौरान ब्रिटिश बेस अस्पताल में विषम परिस्थितियों में घायलों की देखभाल की जिससे काफी संख्या में सैनिकों को मरने से बचाया जा सका। इनके लेखन से विश्व भर में स्वास्थ्य देखभाल में सुधार को प्रोत्साहन मिला। वह घायलों की सहायता रात में करती थीं, इसलिये इन्हें 'लेडी विद द लैंप' के रूप में जाना जाता था।

  • टोनी लुईस:-वर्षा से प्रभावित सीमित ओवरों के क्रिकेट मैचों के नतीजे के लिये प्रयोग होने वाले डकवर्थ-लुईस स्टर्न पद्धति (Duckworth-Lewis-Stern Method) अर्थात् DLS नियम के सूत्रधार और गणितज्ञ टोनी लुईस का 78 वर्ष की उम्र में निधन हो गया है। टोनी लुईस ने अपने गणितज्ञ साथी फ्रेंक डकवर्थ के साथ मिलकर वर्ष 1997 में डकवर्थ-लुईस स्टर्न पद्धति का प्रतिपादन किया था। अंतर्राष्‍ट्रीय क्रिकेट परिषद (ICC) ने वर्ष 1999 में इसे आधिकारिक स्‍वीकृति दी। गणित पर आधारित इस पद्धति का इस्‍तेमाल वर्षा से खेल बाधित होने पर सीमित ओवरों के अंतर्राष्‍ट्रीय क्रिकेट मैचों में किया जाता है। ध्यातव्य है कि क्रिकेट के सबसे छोटे प्रारूप T20 मैचों के अनुकूल न होने के कारण इस पद्धति की आलोचना भी होती रही है। डकवर्थ और लुईस के पश्चात् स्टीवन स्टर्न इस प्रणाली से जुड़े और वर्ष 2014 में इस पद्धति को डकवर्थ-लुईस-स्टर्न नाम दिया गया। लुईस ने शेफील्ड विश्वविद्यालय से गणित और संख्यिकी में स्नातक की परीक्षा उत्तीर्ण की और ऑक्सफोर्ड ब्रूक्स विश्वविद्यालय से सेवानिवृत्त हुए जहाँ वह ‘क्वांटिटेटिव रिसर्च मेथड्स’ के लेक्चरर थे। लुईस को क्रिकेट और गणित में योगदान के लिये वर्ष 2010 में ब्रिटिश साम्राज्य के विशिष्ट सम्मान एमबीई (MBE) से सम्मानित किया गया था।

महत्वपूर्ण दिवस[सम्पादन]

  • 1 अप्रैल, 2020 को ओडिशा में उत्कल दिवस अथवा ओडिशा दिवस का आयोजन किया गया। ध्यातव्य है कि 1 अप्रैल, 1936 को ओडिशा अस्तित्त्व में आया था। वर्ष 1947 में स्वतंत्रता के पश्चात् ओडिशा तथा आस-पास की रियासतों ने नवगठित भारत सरकार को अपनी सत्ता सौंप दी थी। राज्य को एक अलग ब्रिटिश भारत प्रांत के रूप में स्थापित किया गया था और उसी के स्मरण में तथा राज्य के सभी नागरिकों के बीच एकता की भावना को बढ़ावा देने के लिये इस दिवस का आयोजन किया जाता है। उल्लेखनीय है कि आदिवासियों की जनसंख्या के मामले में ओडिशा भारत का तीसरा राज्य है। प्राचीन भारत में उड़ीसा कलिंग साम्राज्य का हिस्सा था, 250 ईसा पूर्व में अशोक द्वारा इसे जीत लिया गया, जिसके पश्चात् लगभग एक सदी तक यहाँ मौर्य वंश के शासन रहा।
  • 3 मार्च संयुक्त राष्ट्र विश्व वन्यजीव दिवस (UN World Wildlife Day):-

साल 2020 का थीम ‘पृथ्वी पर सभी जीवन को बनाए रखना’ (Sustaining all life on Earth) है। वन्यजीव दिवस के इतिहास में पहली बार साल 2020 में जलीय जीवों की प्रजातियों पर ध्यान केंद्रित किया गया। इस वर्ष के वन्यजीव दिवस का सीधा संबंध संयुक्त राष्ट्रों द्वारा प्रतिपादित 14वें सतत विकास लक्ष्य है, जो पानी के बिना जीवन है,जो समुद्री प्रजातियों पर ध्यान केंद्रित करता है। यह विषय हमारे रोजमर्रा के जीवन हेतु समुद्री वन्यजीवों की समस्याओं, महत्वपूर्ण मुद्दों पर प्रकाश डालता है।[१]

20 दिसंबर,2013 को संयुक्त राष्ट्र महासभा (UNGA) ने दुनिया के वन्यजीवों और वनस्पतियों के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिये 3 मार्च को संयुक्त राष्ट्र विश्व वन्यजीव दिवस (UN World Wildlife Day) के रूप में मनाने की घोषणा की।

विश्व वन्यजीव दिवस 2019 की थीम ‘लाइफ बिलो वाटर: फॉर पीपल एंड प्लैनेट’ (Life below Water: for People and Planet) है। यह थीम :सतत् विकास लक्ष्यों (Sustainable Development Goals) के लक्ष्य संख्या 14 (सतत् विकास के लिये महासागरों, समुद्रों और समुद्री संसाधनों का संरक्षण और निरंतर उपयोग करना) के उद्देश्यों की पूर्ति करता है। वन्य जीवों को विलुप्त होने से रोकने हेतु सर्वप्रथम साल 1872 में जंगली हाथी संरक्षण अधिनियम (वाइल्ड एलीफेंट प्रिजर्वेशन एक्ट) पारित हुआ था।

महत्वपूर्ण दिवस[सम्पादन]

  • प्रवासी भारतीय दिवस-9 जनवरी को विदेश मंत्रालय द्वारा भारत के विकास में प्रवासी भारतीय समुदाय के योगदान को चिह्नित करने के लिये हर वर्ष को मनाया जाता है। इस दिवस को मनाने का निर्णय पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय अटल बिहारी वाजपेयी ने लिया था।

9 जनवरी, 1915 को महात्‍मा गांधी दक्षिण अफ्रीका से भारत वापस आए थे, इसलिये 9 जनवरी को प्रवासी भारतीय दिवस के आयोजन के लिये चुना गया था। पहले प्रवासी भारतीय दिवस का आयोजन 9 जनवरी, 2003 को नई दिल्ली में हुआ था। पद्म पुरस्कार 2020 Padma Award 2020 भारत के राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद ने वर्ष 2020 के 141 पद्म पुरस्कारों को प्रदान करने की स्वीकृति दी। देश के सर्वोच्च नागरिक पुरस्कारों में से एक पद्म पुरस्कार तीन श्रेणियों (पद्म विभूषण, पद्म भूषण और पद्म श्री) में प्रदान किये जाते हैं।


ये पुरस्कार विभिन्न विषयों/गतिविधियों के क्षेत्रों अर्थात कला, सामाजिक कार्य, सार्वजनिक मामलों, विज्ञान और इंजीनियरिंग, व्यापार और उद्योग, चिकित्सा, साहित्य और शिक्षा, खेल, सिविल सेवा आदि में दिए जाते हैं। पद्म विभूषण (Padma Vibhushan): यह पुरस्कार असाधारण और विशिष्ट सेवा के लिये प्रदान किया जाता है। पद्म भूषण (Padma Bhushan): यह पुरस्कार उच्च स्तर की विशिष्ट सेवा के लिये प्रदान किया जाता है। पद्म श्री (Padma Shri): यह पुरस्कार किसी भी क्षेत्र में विशिष्ट सेवा के लिये प्रदान किया जाता है। इन पुरस्कारों की घोषणा प्रत्येक वर्ष गणतंत्र दिवस के अवसर पर की जाती है। ये पुरस्कार प्रत्येक वर्ष मार्च/अप्रैल के आसपास को भारत के राष्ट्रपति द्वारा राष्ट्रपति भवन में आयोजित समारोह में प्रदान किये जाते हैं। इस बार 7 पद्म विभूषण, 16 पद्म भूषण और 118 पद्मश्री प्रदान किये जायेंगे। पद्म पुरस्कार सूची में 34 महिलाएँ हैं और इस सूची में 18 व्यक्ति विदेशी/एनआरआई/पीआईओ / ओसीआई श्रेणी के हैं और 12 व्यक्ति मरणोपरांत पुरस्कार पाने वालों की श्रेणी में हैं।

पद्म विभूषण (Padma Vibhushan): इस बार पदम् विभूषण पुरस्कार 7 लोगों को दिया जायेगा।

क्रम संख्या नाम क्षेत्र राज्य/देश 1. श्री जार्ज फर्नांडिज (मरणोपरांत) राजनीति बिहार 2. श्री अरुण जेटली (मरणोपरांत) राजनीति दिल्ली 3. श्री अनिरुद्ध जगन्नाथ जीसीएसके राजनीति मॉरीशस 4. श्रीमती एम. मैरीकॉम खेल मणिपुर 5. श्री छन्नू लाल मिश्र कला उत्तर प्रदेश 6. श्रीमती सुषमा स्वराज (मरणोपरांत) राजनीति दिल्ली 7. श्री विश्वेशतीर्थ स्वामीजी श्री पजवरा अधोखज मठ उडुपि (मरणोपरांत) आध्यात्मिकता कर्नाटक पद्म भूषण (Padma Bhushan):

क्रम संख्या नाम क्षेत्र राज्य/देश 1. श्री एम. मुमताज अली (श्री एम) आध्यात्मिकता केरल 2. श्री सैय्यद मुअज्ज़ीम अली (मरणोपरांत) राजनीति बांग्लादेश 3. श्री मुज़फ्फर हुसैन बेग राजनीति जम्मू एवं कश्मीर 4. श्री अजॉय चक्रवर्ती कला पश्चिम बंगाल 5. श्री मनोज दास साहित्य एवं शिक्षा पुद्दुचेरी 6. श्री बालकृष्ण दोशी वास्तुकला गुजरात 7. सुश्री कृष्णम्मल जगन्नाथन सामाजिक कार्य तमिलनाडु 8. श्री एस. सी. जमीर राजनीति नगालैंड 9. श्री अनिल प्रकाश जोशी सामाजिक कार्य उत्तराखंड 10. डा. त्सेरिंग लेंडोल चिकित्सा लद्दाख 11. श्री आनंद महिंद्रा व्यापर एवं उद्योग महाराष्ट्र 12. श्री नीलकंठ रामकृष्ण माधव मेनन (मरणोपरांत) राजनीति केरल 13. प्रो. जगदीश सेठ साहित्य एवं शिक्षा संयुक्त राज्य अमेरिका 14. सुश्री पी. वी. सिंधू खेल तेलंगाना 15. श्री वेणु श्रीनिवासन व्यापार एवं उद्योग तमिलनाडु 16. श्री मनोहर गोपालकृष्ण प्रभु पर्रीकर (मरणोपरांत) राजनीति गोवा

सन्दर्भ[सम्पादन]

  1. jagranjosh.com/current-affairs/world-wildlife-day-2020-conserve-wildlife-by-preserving-wilderness-in-hindi-1583209580-2