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समसामयिकी 2020/शिक्षा से संबंधित तथ्य

विकिपुस्तक से

खेल और शिक्षा

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खेलो इंडिया यूनिवर्सिटी गेम्स का शुभारंभ भुवनेश्वर(ओडिशा) में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा 22 फरवरी,2020 को किया गया। देश में पहली बार आयोजित इस गेम्स का उद्देश्य युवाओं को खेल एवं शिक्षा के बीच संतुलन स्थापित करने में सहायता प्रदान करना है। इस प्रतियोगिता में देश के लगभग 159 विश्वविद्यालयों के 3400 एथलीट 17 विभिन्न विधाओं में हिस्सा लेंगे। ये 17 विधाएँ हैं- तीरंदाज़ी,एथलेटिक्स,मुक्केबाज़ी,तलवारबाज़ी,जूडो,तैराकी,भारोत्तोलन,कुश्ती,बैडमिंटन,बास्केटबॉल, फुटबॉल,हॉकी,टेबल टेनिस,टेनिस,वॉलीबॉल,रग्बी और कबड्डी।

इन विधाओं में रग्बी खेल भी शामिल है जो छह टीमों के बीच खेला जाएगा।

पंजाब विश्वविद्यालय (चंडीगढ़) और गुरु नानक देव विश्वविद्यालय (अमृतसर) क्रमशः 191 और 183 एथलीटों के साथ इस प्रतियोगिता में सबसे बड़े प्रतियोगी संस्थान होंगे।

शिक्षा और लैंगिक समानता

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मानव संसाधन विकास मंत्रालय (Ministry of Human Resource Development) द्वारा राज्यसभा में जानकारी दी गई कि स्कूलों में सभी स्तरों पर लैंगिक असमानता को दूर करने हेतु विभिन्न कदम उठाए गए हैं। लैंगिक समानता सूचकांक (Gender Parity Index-GPI): GPI विभिन्न स्तरों पर स्कूल प्रणाली में लड़कियों की समान भागीदारी को दर्शाता है। समग्र शिक्षा (Samagra Shiksha) अभियान जो कि स्कूली शिक्षा के लिये एक समेकित योजना है, (Integrated Scheme for School Education-ISSE) के तहत स्कूली शिक्षा में लैंगिक अंतर को समाप्त करने का प्रयास किया जाता है। वर्ष 2018-19 में स्कूली शिक्षा के विभिन्न स्तरों पर GPI की स्थिति निम्नानुसार है: Particular Primary Upper Primary Secondary Higher Secondary Gender Parity Index 1.03 1.12 1.04 1.04 (Source: UDISE+ 2018-19 provisional) GPI इंगित करता है कि स्कूली शिक्षा के विभिन्न स्तरों पर लड़कियों की संख्या लड़कों से अधिक है। स्कूली शिक्षा में लैंगिक समानता लाने हेतु समग्र शिक्षा (SamagraShiksha) अभियान के प्रावधान:

बालिकाओं की सुविधा के लिये उनके निकट क्षेत्र में स्कूल खोलना। आठवीं कक्षा तक की लड़कियों को मुफ्त में पाठ्य-पुस्तकें वितरित करने का प्रावधान। सभी लड़कियों को यूनिफार्म प्रदान करना। सभी स्कूलों में अलग-अलग शौचालयों का निर्माण। लड़कियों की भागीदारी को बढ़ावा देने हेतु शिक्षक जागरूकता कार्यक्रम। छठी से बारहवीं कक्षा तक की लड़कियों के लिये आत्मरक्षा प्रशिक्षण का प्रावधान। विशेष आवश्यकता वाली कक्षा 1 से 12 वीं तक की लड़कियों को वज़ीफा देना। दूरस्थ/पहाड़ी क्षेत्रों में शिक्षकों के लिये आवासीय भवनों का निर्माण करना। स्कूली शिक्षा के सभी स्तरों पर लैंगिक अंतर को कम करने और शिक्षा से वंचित समूहों की लड़कियों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करने हेतु कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालय (Kasturba Gandhi BalikaVidyalayas-KGBV) खोले गए हैं। अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, ओबीसी, अल्पसंख्यक और गरीबी रेखा से नीचे (Below Poverty Line-BPL) जीवन-यापन करने वाले वंचित समूहों की लड़कियों को छठी से बारहवीं कक्षा तक की शिक्षा प्रदान करने के लिये खोले गए KGBV आवासीय सुविधाओं से युक्त हैं। 30 सितंबर, 2019 तक कुल 5930 KGBV खोलने की स्वीकृति दी गई। इनमें से 4881 KGBV का परिचालन हो रहा है जिसमें 6.18 लाख लड़कियों का नामांकन किया गया।

शिक्षा के क्षेत्र में राज्यों की पहल

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  • फर्स्ट बेल पहल(First Bell Initiative)नामक ऑनलाइन कार्यक्रम द्वारा केरल राज्य सरकार द्वारा स्कूली छात्रों के लिये नियमित कक्षाएँ प्रारंभ की गई है। इसके अंतर्गत केरल इन्फ्रास्ट्रक्चर फॉर टेक्नीकल एजुकेशन (KITE) द्वारा नए शैक्षणिक सत्र हेतु कक्षाओं का राज्य सरकार के शैक्षणिक टीवी चैनल विक्टर्स पर प्रसारण किया जा रहा है। ये कक्षाएँ अन्य ऑनलाइन प्लेटफार्मों के माध्यम से भी प्रसारित की जाएंगी।

KITE राज्य सरकार के अधीन शैक्षणिक संस्थानों के आधुनिकीकरण को प्रोत्साहित और संवर्द्धित करने हेतु स्थापित एक गैर-लाभकारी संगठन (एक सेक्शन-8 कंपनी) है। सभी कक्षाओं को वास्तविक समय में KITE विक्टर्स के फेसबुक पेज़ पर और बाद में यूट्यूब चैनल पर देखा जा सकता है।

शोध के विकास के लिए भारत का प्रयास

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11 अगस्त, 2020 को नीति आयोग के अटल नवाचार मिशन (Atal Innovation Mission- AIM) ने डेल टेक्नोलॉजिज़ (Dell Technologies) के साथ भागीदारी में अटल टिंकरिंग लैब्स (Atal Tinkering Labs- ATLs) के युवा नवाचारकर्त्ताओं के लिये विद्यार्थी उद्यमशीलता कार्यक्रम 2.0 (Student Entrepreneurship Programme 2.0- SEP 2.0) का शुभारंभ किया। SEP 1.0 की सफलता के बाद SEP 2.0 की शुरुआत की गई है। SEP 2.0 से विद्यार्थी अन्वेषकों को डेल टेक्नोलॉजिज़ के स्वयंसेवकों के साथ मिलकर कार्य करने का मौका मिलेगा। इससे उन्हें संरक्षण, प्रोटोटाइपिंग एवं परीक्षण समर्थन, एंड यूज़र फीडबैक, बौद्धिक संपदा एवं विचार का पंजीकरण, प्रक्रियाओं एवं उत्पादों का पेटेंट संरक्षण हासिल करना, विनिर्माण सहयोग के साथ ही बाज़ार में उत्पाद के लॉन्च में भी सहयोग मिलेगा। विद्यार्थी उद्यमशीलता कार्यक्रम 1.0 (SEP 1.0) की शुरुआत जनवरी, 2019 में हुई थी। 10 महीने तक चलने वाले कार्यक्रम में एक देशव्यापी प्रतियोगिता (ATL मैराथन) में शीर्ष 6 टीमों को अपने नवीन प्रोटोटाइप्स को पूरी तरह कार्यशील उत्पादों में परिवर्तित करने का अवसर मिला जो अब बाज़ार में उपलब्ध हैं। इस प्रतियोगिता में विद्यार्थियों ने सामुदायिक चुनौतियों की पहचान की और ATL के अंतर्गत ज़मीनी स्तर पर नवाचार एवं समाधान तैयार किये गए हैं।

  • ‘एक्सीलेरेट विज्ञान’(Accelerate Vigyan) योजना की शुरुआत' 'विज्ञान और इंजीनियरिंग अनुसंधान बोर्ड' (Science and Engineering Research Board- SERB) द्वारा (विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग'के तहत सांविधिक निकाय) की गई है।

योजना के माध्यम से विज्ञान के क्षेत्र में करियर बनाने के इच्छुक छात्रों को शोध, इंटर्नशिप, क्षमता निर्माण कार्यक्रमों और कार्यशालाओं से संबंधित एकल राष्ट्रीय मंच प्रदान किया जाएगा।

SERB की स्थापना संसद के अधिनियम के माध्यम से 11वीं पंचवर्षीय योजना के दौरान की गई थी, जो विज्ञान और इंजीनियरिंग में बुनियादी अनुसंधान को बढ़ावा देने तथा वित्तीय सहायता प्रदान करने का कार्य करता है।

‘एक्सीलेरेट विज्ञान’ (Accelerate Vigyan) योजना का मुख्य उद्देश्य वैज्ञानिक अनुसंधान को प्रोत्साहित करना और वैज्ञानिक श्रमशक्ति तैयार करना है, ताकि अनुसंधान-आधारित करियर और ज्ञान-आधारित अर्थव्यवस्था का निर्माण हो सके।

योजना का मूल दृष्टिकोण अनुसंधान के आधार को विस्तृत करना है।

योजना के तीन व्यापक लक्ष्य निम्नलिखित हैं: वैज्ञानिक कार्यक्रमों का सामेकन करना; हाई-एंड अनुसंधान कार्यशालाओं की शुरुआत करना: जिन लोगों की अनुसंधान कार्यशालाओं तक पहुँच न हो उनके लिये अनुसंधान इंटर्नशिप के अवसर पैदा करना। योजना के प्रमुख घटक: ‘एक्सीलेरेट विज्ञान’ योजना के 2 प्रमुख घटक (Component) हैं:

  1. अभ्यास (ABHYAAS)

1. ‘अभ्यास‘ (ABHYAAS) घटक: ‘अभ्यास’ (ABHYAAS)’; ‘एक्सीलेरेट विज्ञान’ योजना का एक प्रमुख घटक है, जिसका लक्ष्य स्नातकोत्तर (Post-Graduate) एवं पीएचडी के छात्रों को उनके संबंधित विषयों में कौशल विकास को प्रोत्साहित करना है। इस कार्यक्रम के दो उप-घटक ‘कार्यशाला’ (KARYASHALA) और ‘वृत्तिका’ (VRITIKA) हैं: ‘कार्यशाला’ (KARYASHALA): यह एक हाई-एंड वर्कशॉप के रूप में कार्य करेगी। ‘वृत्तिका’ (VRITIKA): यह रिसर्च इंटर्नशिप कार्यक्रम है। हाल ही में ‘कार्यशाला’ और ‘वृत्तिका’ घटकों के तहत शीतकालीन सत्र (दिसंबर 2020 से जनवरी 2021) के लिये आवेदन आमंत्रित किये गए हैं।

  1. सम्मोहन(SAMMOHAN) घटक:

'सम्मोहन' घटक कार्यक्रम के 2 उप-घटक संयोजिका (SAONJIKA) और संगोष्ठी (SANGOSHTI) हैं। संयोजिका (SAONJIKA): इसका उद्देश्य विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी में क्षमता निर्माण गतिविधियों को सूचीबद्ध करना है। संगोष्ठी (SANGOSHTI): संगोष्टी, SERB का पूर्व में संचालित किया जा रहा कार्यक्रम है। मिशन मोड के तहत कार्यान्वयन: ‘एक्सीलेरेट विज्ञान’ योजना को मिशन मोड के तहत कार्यान्वित किया जाएगा। मिशन मोड परियोजनाओं को एक तय समय सीमा में पूरा करना होता है तथा प्राप्त किये गए लक्ष्यों के परिणामों के मापन के स्पष्ट मानक होते हैं विभिन्न मंत्रालयों/विभागों तथा कुछ अन्य सदस्यों को मिलाकर एक ‘अंतर मंत्रालयी निरीक्षण समिति’ (Inter-Ministerial Overseeing Committee- IMOC) का गठन किया गया है। IMOC योजना को कार्यान्वित करने में SERB की सहायता और समर्थन प्रदान करेगा।

  • नीति आयोग (NITI Aayog) के अटल इनोवेशन मिशन ने देशभर में स्कूली छात्रों के लिये ‘एटीएल एप डवलपमेंट मॉड्यूल’ (ATL App Development Module) लॉन्च किया। यह भारतीय स्टार्टअप प्लेज़्मो (Plezmo) के सहयोग से लॉन्च किया गया है। इसका उद्देश्य अटल इनोवेशन मिशन के प्रमुख कार्यक्रम ‘अटल टिंकरिंग लैब्स’ के तहत आने वाले समय में स्कूली छात्रों के कौशल में सुधार करना है और उन्हें एप उपयोगकर्त्ता से एप निर्माणकर्त्ता बनाना है। यह एक ऑनलाइन कोर्स है जो पूरी तरह निःशुल्क है। इसमें 6 प्रोजेक्ट-आधारित लर्निंग मॉड्यूल और ऑनलाइन पाठ्यक्रम सत्रों के माध्यम से युवा नवोन्मेषी विभिन्न भारतीय भाषाओं में मोबाइल एप बनाना सीख सकते हैं और अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन कर सकते हैं।

इसके अतिरिक्त स्कूली शिक्षकों में एप विकसित करने की क्षमता एवं कौशल निर्माण के लिये अटल इनोवेशन मिशन एप विकास पाठ्यक्रम पर आवधिक शिक्षक प्रशिक्षण सत्र आयोजित करेगा। वर्तमान में देश के 660 से अधिक ज़िलों में अटल इनोवेशन मिशन द्वारा 5100 से अधिक अटल टिंकरिंग लैब्स (ATL) स्थापित किये गए हैं। जिनमें 2 मिलियन से अधिक छात्रों को जोड़ा गया है।

  • भारत सरकार के 'विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग' के तीन स्वायत्त संस्थानों सहित भारत के शीर्ष 30 संस्थानों को ‘नेचर इंडेक्स- 2020’ (Nature Index- 2020) में शामिल किया गया है। ‘नेचर इंडेक्स’, 82 उच्च गुणवत्ता वाली विज्ञान पत्रिकाओं में प्रकाशित शोधलेखों के आधार पर तैयार किया जाने वाला डेटाबेस है,जो ‘नेचर रिसर्च’ (Nature Research) द्वारा संकलित किया गया है। ‘नेचर रिसर्च’ अंतर्राष्ट्रीय वैज्ञानिक प्रकाशन कंपनी ‘स्प्रिंगर नेचर’ (Springer Nature) का एक प्रभाग है।

‘नेचर इंडेक्स’ में विभिन्न संस्थाओं की वैश्विक, क्षेत्रीय तथा देशों के अनुसार रैंकिंग जारी की जाती है। नेचर इंडेक्स-2020 में शामिल भारतीय संस्थान: नेचर इंडेक्स-2020 में विभिन्न विश्वविद्यालयों, ‘भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थानों’ (Indian Institutes of Technology- IITs), ‘भारतीय विज्ञान शिक्षा एवं अनुसंधान संस्थानों’ (Indian Institutes of Science Education and Research- IISERs), अनुसंधान संस्थानों तथा प्रयोगशालाओं सहित 30 भारतीय संस्थानों को शामिल किया गया है। सूचकांक में DST के तीन स्वायत संस्थान 'विज्ञान आधारित कृषि के लिये भारतीय संघ', कोलकाता 7वें स्थान पर, ‘जवाहरलाल नेहरू उन्नत वैज्ञानिक अनुसंधान केंद्र’(JNCASR), बंगलौर 14 वें स्थान पर और ‘एस. एन. बोस बुनियादी विज्ञान के लिये राष्ट्रीय केंद्र’ (S. N. Bose National Centre for Basic Sciences), कोलकाता 30 वें स्थान पर हैं। वैश्विक दृष्टि से देखा जाए तो 'वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद'(CSIR), 160 वें स्थान तथा ‘भारतीय विज्ञान संस्थान’ (IISc), बंगलौर 184वें स्थान के साथ शीर्ष 500 रैंकिंग में शामिल होने वाले अग्रणी भारतीय संस्थान हैं।

नेचर इंडेक्स तैयार करते समय निम्नलिखित पहलुओं पर ध्यान दिया जाता है:-
  1. किसी संस्थान द्वारा उच्च गुणवत्ता वाले वैज्ञानिक अनुसंधान कार्य;
  2. संस्थान का विश्व स्तर पर उच्च गुणवत्ता वाले वैज्ञानिक अनुसंधान में योगदान;
  3. संस्थान का उच्च गुणवत्ता के अनुसंधान में एक-दूसरे के साथ सहयोग तथा समय के साथ किया जाने वाला बदलाव;

भारत में शोध की खराब स्थिति का कारण:-भारत की उच्च शिक्षा प्रणाली पिछले कुछ दशकों से यथास्थिति में बनी हुई है। अध्ययन सामग्री की गुणवत्ता तथा उस तक छात्रों की पहुँच सुनिश्चित करने की दिशा में कोई क्रांतिकारी प्रयास नहीं किये गए हैं। भारत की 1.3 बिलियन आबादी में से वर्ष 2015 में प्रति मिलियन जनसंख्या पर केवल 216 शोधकर्त्ता थे। भारत में अनुसंधान पर निवेश सकल घरेलू उत्पाद का लगभग 0.62 प्रतिशत है। चीन, सकल घरेलू उत्पाद का 2.11 प्रतिशत से अधिक अनुसंधान पर निवेश करता है तथा प्रति मिलियन जनसंख्या पर 1,200 शोधकर्त्ता हैं। वर्ष 2018 में PhD कार्यक्रमों के नामांकित छात्रों की संख्या 161,412 थी जो देश में उच्च शिक्षा में कुल छात्र नामांकन का 0.5 प्रतिशत से भी कम है।

भारत सरकार द्वारा किये गए प्रयास:
  1. वर्ष 2013 में शोधकर्त्ताओं की संख्या को बढ़ावा देने के लिये ‘राष्ट्रीय उच्चतर शिक्षा अभियान’ (Rashtriya Uchchatar Shiksha Abhiyan) शुरू किया गया था।
  2. वर्ष में 2015 में ‘राष्ट्रीय संस्थागत रैंकिंग फ्रेमवर्क’ (NIRF) विभिन्न मापदंडों के आधार विश्वविद्यालयों तथा संस्थानों की रैंकिंग निर्धारित करने के लिये प्रारंभ किया गया था।
  3. भारत सरकार ने ‘इंस्टीट्यूट ऑफ एमिनेंस’ (Institutes of Eminence- IoE) योजना के तहत विश्व स्तर के विश्वविद्यालय बनने के लिये 20 संस्थानों का समर्थन करने का निर्णय लिया है।
  4. वर्ष 2018 के वार्षिक बजट में 16.5 बिलियन रुपए के प्रारंभिक बजट आवंटन के साथ 'प्रधानमंत्री अनुसंधान अध्‍येता’ (Prime Ministers Research Fellowship) योजना की घोषणा की गई।
  • पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग ने परिष्कृत विश्लेषणात्मक और तकनीकी सहायता संस्थान (Sophisticated Analytical & Technical Help Institutes-SATHI) नामक एक योजना शुरू की। इसका उद्देश्य शोध कार्यों को बढ़ावा देने के लिये एक ही छत के नीचे उच्च दक्षता से युक्त तकनीकी सुविधाएँ मुहैया कराना है। जिससे शिक्षा, स्टार्ट-अप, विनिर्माण, उद्योग और आरएंडडी लैब आदि की ज़रूरतें आसानी से पूरी हो सकें। इन केंद्रों में उच्च विश्लेषणात्मक परीक्षण द्वारा सामान्य सेवाएँ प्रदान करने के लिये प्रमुख विश्लेषणात्मक उपकरणों को विकसित किया जाएगा जिससे विदेशी उपकरणों पर निर्भरता में कमी आएगी।

इनका संचालन ओपन एक्सेस पॉलिसी के तहत पारदर्शी तरीके से किया जाएगा। विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग ने पहले ही देश में तीन ऐसे केंद्र स्थापित किये हैं जो IIT खड़गपुर, IIT दिल्ली और बनारस हिंदू विश्वविद्यालय में स्थित हैं। SATHI के कार्य:-यह संस्थानों उपकरणों का रखरखाव, अतिरेक एवं महँगे उपकरणों के दोहराव की समस्याओं का समाधान करेगा। यह विभिन्न क्षेत्रों में विकास, नवाचार और विशेषज्ञता का लाभ उठाने के लिये संस्थानों के बीच सहयोग की एक मज़बूत संस्कृति विकसित करेगा।

  • विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय (भारत) के जैव प्रौद्योगिकी विभाग ने एसटीईएम- विज्ञान, प्रौद्योगिकी, इंजीनियरिंग और गणित (STEM- Science, Technology, Engineering and Mathematics) में महिलाओं की भूमिका पर एक अंतर्राष्ट्रीय शिखर सम्मेलन का आयोजन नई दिल्ली में किया।

इसका उद्देश्य विज्ञान के क्षेत्र में महिलाओं को कॅरियर बनाने के लिये STEM क्षेत्रों में उनकी भागीदारी को बढ़ावा देना है। इस शिखर सम्मलेन की थीम भविष्य की कल्पना: नई स्काईलाइंस (Visualizing the Future: New Skylines) है। इसका उद्देश्य एसटीईएम के क्षेत्र में विश्व भर की सफल महिलाओं, जिनमें वैज्ञानिक, डॉक्टर, इंजीनियर और पुरस्कृत महिलाएँ शामिल हैं, से अवगत करवाना था। एसटीईएम (विज्ञान, प्रौद्योगिकी, इंजीनियरिंग और गणित): यह 4 विशिष्ट विषयों (विज्ञान, प्रौद्योगिकी, इंजीनियरिंग और गणित) में छात्रों को शिक्षित करने पर आधारित पाठ्यक्रम है।

एक मज़बूत एसटीईएम के तहत प्रदान की जाने वाली शिक्षा महत्त्वपूर्ण विचारकों, समस्या-समाधानकर्त्ताओं और अगली पीढ़ी के नवप्रवर्तनकर्त्ताओं का निर्माण करती है। भारत उन देशों में से एक है जहाँ वैज्ञानिकों और इंजीनियरों की सबसे अधिक संख्या है। गौरतलब है कि एसटीईएम का विकास पिछले कुछ वर्षों में उल्लेखनीय रूप से बढ़ा है। नेशनल साइंस फाउंडेशन के अनुसार, आने वाले कुछ वर्षों में 80% नौकरियों में गणित एवं विज्ञान के कौशल की आवश्यकता होगी। भारत में उच्च गुणवत्ता वाली प्रतिभा होने के बावजूद परीक्षा-केंद्रित शिक्षा मॉडल के कारण कुछ ही छात्रों में नवाचार, समस्या का समाधान करना और रचनात्मकता का विकास हो पाया है। भारत के संविधान में अनुच्छेद 51A के तहत भारत के प्रत्येक नागरिक का यह कर्त्तव्य है कि वह वैज्ञानिक दृष्टिकोण, मानववाद और ज्ञानार्जन तथा सुधार की भावना के साथ विकास करें।

शिक्षा के क्षेत्र में केंद्रीय मानव संसाधन एवं विकास मंत्रालय (MHRD) के प्रयास

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  • युक्ति (YUKTI) वेब पोर्टल- युक्ति (YUKTI) का पूर्ण रूप ‘Young India combating Covid-19 with Knowledge, Technology and Innovation’ (युवा भारत ज्ञान, प्रौद्योगिकी एवं नवाचार के साथ COVID-19 का मुकाबला करें) है। इस पोर्टल के माध्यम से भारत सरकार का प्राथमिक उद्देश्य शारीरिक एवं मानसिक दोनों तरह से देश के अकादमिक समुदाय को स्वस्थ रखना है और छात्रों के लिये उच्च गुणवत्ता वाले शिक्षण वातावरण को निर्मित करना है।

यह पोर्टल मानव संसाधन विकास मंत्रालय और देश के विभिन्न संस्थानों के बीच दो तरफा संचार चैनल (Two-way Communication Channel) भी स्थापित करेगा ताकि MHRD शिक्षण संस्थानों को आवश्यक सहायता प्रणाली प्रदान कर सके।

  • MHRD द्वारा ‘प्रधानमंत्री अनुसंधान अध्येता योजना’ (Prime Minister Research Fellows- PMRF) में संशोधन किया गया है। संशोधन के पश्चात् किसी भी मान्यता प्राप्त संस्थान/ विश्वविद्यालय (आईआईएससी/ आईआईटी/ एनआईटी/ आईआईएसईआर/ आईआईआईटी के अलावा) के छात्र इस योजना के लिये पात्र होंगे, साथ ही पात्रता हेतु गेट (Graduate Aptitude Test in Engineering- GATE) परीक्षा में प्राप्त स्कोर को 750 से घटाकर 650 अंक कर दिया गया है।

‘नेशनल इंस्टीट्यूशनल रैंकिंग फ्रेमवर्क’(NIRF) द्वारा जारी रैंकिंग में शीर्ष 25 संस्थानों में शामिल NITs भी PMRF के अंतर्गत शामिल किये जाएंगे। ‘रिसर्च एंड इनोवेशन डिवीज़न’ (Research And Innovation Division) नामक एक विभाग तैयार किया जा रहा है। इस विभाग के अध्यक्ष द्वारा MHRD के तहत आने वाले विभिन्न संस्थानों के अनुसंधान कार्य का समन्वय किया जाएगा। PMRF योजना हेतु पात्रता को निम्नलिखित 2 भागों में विभाजित किया गया है:-

  1. डायरेक्ट एंट्री चैनल (Direct Entry Channel) हेतु पात्रता :-यदि उसने मान्यता प्राप्त किसी भी भारतीय संस्थान/विश्वविद्यालय से विज्ञान और प्रौद्योगिकी क्षेत्र में पूर्ववर्ती तीन वर्षों में स्नातक या परास्नातक की पढ़ाई पूरी कर ली हो या अंतिम वर्ष में अध्ययनरत हो। इसके साथ ही स्नातक या परास्नातक में CGPA अंक 8.0 या उससे अधिक तथा GATE स्कोर 650 अंक या उससे अधिक होना चाहिये।

ऐसा उम्मीदवार जो GATE परीक्षा उत्तीर्ण कर PMRF के तहत आने वाले संस्थानों से M.Tech./MS में अध्ययनरत या पढ़ाई पूरी कर चुके हैं, के प्रथम समेस्टर के कम-से-कम चार विषयों में CGPA अंक 8.0 या उससे अधिक होना चाहिये। उम्मीदवार इस योजना हेतु पात्र होगा यदि वह PMRF के तहत आने वाले किसी एक संस्थान में Ph.D हेतु चयनित हो। इसके साथ ही यदि PMRF के तहत आने वाले संस्थानों द्वारा Ph.D हेतु चयनित (साक्षात्कार के माध्यम से) विद्यार्थियों की सिफारिश की जाती है तो उस स्थिति में भी पात्रता मानी जाएगी। ऐसे उम्मीदवारों को वरीयता दी जाएगी जिनके शोधकार्य किसी प्रतिष्ठित पत्रिका में प्रकाशित किये जा चुके हों या जिन्होंने अंतर्राष्ट्रीय शैक्षणिक प्रतियोगिताओं में भागीदारी की हो।

  1. लेटरल एंट्री चैनल (Lateral Entry Channel) हेतु पात्रता :-ऐसे उम्मीदवार जो परास्नातक के बाद Ph.D में 12 महीनों से अध्ययनरत हों या स्नातक के बाद Ph.D में 24 महीनों से अध्ययनरत हों, लेटरल एंट्री के लिये पात्र होंगे। इसके साथ-साथ Ph.D कार्यक्रम में कम-से-कम चार पाठ्यक्रमों में CGPA अंक 8.5 या इससे अधिक होनी चाहिये।

PMRF के तहत आने वाले संस्थानों द्वारा उम्मीदवारों की सिफारिश की गई हो। ऐसे उम्मीदवारों को वरीयता दी जाएगी जिनके शोधकार्य किसी प्रतिष्ठित पत्रिका में प्रकाशित किये जा चुके हों।

  • इंटरप्राइजेज़ रिसोर्स प्लानिंग’ (Enterprises Resource Planning- ERP) ‘समर्थ’ (SAMARTH) को राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान, कुरुक्षेत्र में कार्यान्वित किया गया है जो विश्व बैंक द्वारा समर्थित ‘तकनीकी शिक्षा गुणवत्ता सुधार कार्यक्रम (Technical Education Quality Improvement Program- TEQIP) के तहत भाग लेने वाली इकाई है।

इसका उद्देश्य संस्थान की प्रक्रियाओं को स्वचालित करना है। इसका मिशन मानव संसाधन विकास मंत्रालय के उच्च शिक्षा विभाग द्वारा सभी विश्वविद्यालयों एवं उच्च शैक्षिक संस्थानों में छात्रों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करना है। MHRD ने ‘सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी में राष्ट्रीय शिक्षा मिशन योजना (National Mission of Education in Information and Communication Technology Scheme- NMEICT) के तहत एक ई-गवर्नेंस प्लेटफॉर्म ‘समर्थ’ (SAMARTH) विकसित किया है। ‘समर्थ’ सभी विश्वविद्यालयों एवं उच्च शैक्षिक संस्थानों को एक ‘ओपन स्टैंडर्ड ओपन सोर्स आर्किटेक्चर, सुरक्षित, मापनीय एवं विकासवादी प्रक्रिया स्वचालन यंत्र है। यह विश्वविद्यालय/उच्च शैक्षिक संस्थानों में शिक्षकों, छात्रों एवं कर्मचारियों की आवश्यकताओं को पूरा करता है। इसके तहत राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान, कुरुक्षेत्र में 38 मॉड्यूल (ऑरगैनिग्राम, संगठनात्मक इकाई, उपयोगकर्त्ता, कर्मचारी प्रबंधन, आईटीआई प्रबंधन, कानूनी मामलों के प्रबंधन, अवकाश प्रबंधन, संपदा प्रबंधन, शुल्क प्रबंधन, विक्रेता के बिल को खोजना, अनुसंधान परियोजना प्रबंधन, स्वास्थ्य सुविधा प्रबंधन, ज्ञान प्रबंधन, परिवहन प्रबंधन, प्रशिक्षण एवं नियोजन, छात्रावास प्रबंधन, खेल सुविधा प्रबंधन आदि) लागू किये गए हैं। ‘समर्थ’ के माध्यम से राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान, कुरुक्षेत्र में बेहतर सूचना प्रबंधन के माध्यम से सूचना के निर्बाध उपयोग एवं विभिन्न उद्देश्यों के लिये इसके उपयोग से यहाँ के विभिन्न कार्यों की गुणवत्ता में वृद्धि होगी।

  • MHRD ने आंध्र प्रदेश के 1200 ‘की रिसोर्सेज़ पर्सन’के लिये पहला ऑन-लाइन निष्ठा (NISHTHA) कार्यक्रम शुरू किया गया है। यह समग्र शिक्षा (Samagra Shiksha) के तहत प्रारंभिक स्तर पर स्कूल प्रमुखों एवं शिक्षकों की समग्र उन्नति (National Initiative for School Heads’ and Teachers’ Holistic Advancement) के लिये एक राष्ट्रीय पहल है।

समग्र शिक्षा (Samagra Shiksha) सीखने के परिणामों में सुधार करने के लिये MHRD का एक फ्लैगशिप कार्यक्रम है। वर्ष 2019 में निष्ठा (NISHTHA) को फेस-टू-फेस मोड में लॉन्च किया गया था। इसके बाद 33 राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों ने इस कार्यक्रम को अपने-अपने क्षेत्रों में समग्र शिक्षा (Samagra Shiksha) के तहत शुरू किया है। NCERT द्वारा राज्य स्तर पर 29 राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों में निष्ठा (NISHTHA) प्रशिक्षण कार्यक्रम पूरा किया गया है। 4 राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों (मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, जम्मू-कश्मीर एवं बिहार) में राज्य स्तर पर प्रशिक्षण अभी भी जारी है। COVID-19 महामारी के कारण अचानक लागू किये गए लॉकडाउन ने फेस-टू-फेस मोड में इस कार्यक्रम के संचालन को प्रभावित किया है। इसलिये शेष 24 लाख शिक्षकों एवं स्कूल प्रमुखों को प्रशिक्षण देने के लिये निष्ठा को NCERT द्वारा दीक्षा (DIKSHA) एवं निष्ठा (NISHTHA) पोर्टल के माध्यम से ऑनलाइन मोड के अनुकूलित किया गया है।

आंध्र प्रदेश, देश का पहला राज्य है जिसके लिये निष्ठा (NISHTHA) पोर्टल के माध्यम से 1200 ‘की रिसोर्सेज़ पर्सन’ (Key Resources Persons) के लिये एक ऑन-लाइन निष्ठा (NISHTHA) कार्यक्रम शुरू किया गया है।

ये ‘की रिसोर्सेज़ पर्सन’ आंध्र प्रदेश के शिक्षकों का मार्गदर्शन करने में मदद करेंगे जो उस समय दीक्षा (DIKSHA) पर ऑन-लाइन निष्ठा प्रशिक्षण लेंगे।

  • ऑनलाइन माध्यम से डिजिटल शिक्षा पर ‘प्रज्ञाता’ दिशा-निर्देश (PRAGYATA Guidelines) 14 जुलाई, 2020 को MHRD द्वारा नई दिल्ली में जारी किया गया। विद्यार्थियों के दृष्टिकोण को आधार बनाकर विकसित किये गए हैं जो COVID-19 के मद्देनज़र जारी लॉकडाउन के कारण घरों पर मौजूद छात्रों के लिये ऑनलाइन/डिजिटल शिक्षा पर केंद्रित हैं।

डिजिटल/ऑनलाइन शिक्षा पर जारी ये दिशा-निर्देश शिक्षा की गुणवत्ता बढ़ाने के लिये ऑनलाइन शिक्षा को आगे बढ़ाने की विस्तृत कार्य योजना प्रदान करते हैं। इन दिशा-निर्देशों में उन छात्रों के लिये जिनके पास डिजिटल उपकरण हैं और जिनके पास डिजिटल उपकरण तक सीमित या कोई पहुँच नहीं है, दोनों के लिये, एनसीईआरटी के वैकल्पिक शैक्षणिक कैलेंडर के उपयोग पर ज़ोर दिया गया है। ऑनलाइन/डिजिटल शिक्षा के 8 चरण: प्रज्ञाता दिशा-निर्देशों में ऑनलाइन/डिजिटल शिक्षा के 8 चरण- योजना (Plan), समीक्षा (Review), व्यवस्था (Arrange), मार्गदर्शन (Guide), बातचीत (Talk), असाइन (Assign), ट्रैक (Track), सराहना करना (Appreciate) शामिल हैं। ये 8 चरण उदाहरणों के साथ चरणबद्ध तरीके से डिजिटल शिक्षा की योजना एवं कार्यान्वयन का मार्गदर्शन करते हैं। प्रज्ञाता दिशा-निर्देश स्कूल प्रशासकों, स्कूल प्रमुखों, शिक्षकों, अभिभावकों एवं छात्रों को निम्नलिखित पहलुओं में सुझाव भी प्रदान करते हैं: मूल्यांकन की जरूरत से संबंधित पहलुओं में। ऑनलाइन एवं डिजिटल शिक्षा की योजना बनाते समय कक्षा की क्षमता के अनुसार सत्र की अवधि, स्क्रीन समय, समावेशिता, संतुलित ऑनलाइन एवं ऑफलाइन गतिविधियों आदि से संबंधित पहलुओं में। हस्तक्षेप के तौर-तरीके जिनमें संसाधन अवधि, कक्षा के हिसाब से उसका वितरण आदि शामिल हैं, से संबंधित पहलुओं में। डिजिटल शिक्षा के दौरान शारीरिक, मानसिक स्वास्थ्य से संबंधित पहलुओं में। साइबर सुरक्षा को बनाए रखने के लिये सावधानियों एवं उपायों सहित साइबर सुरक्षा एवं नैतिक तरीके में। विभिन्न पहलों के साथ सहयोग एवं अभिसरण में। अनुशंसित स्क्रीन समय: कक्षा

सिफारिश

प्री-प्राइमरी

माता-पिता के साथ बातचीत करने और उनका मार्गदर्शन करने के लिये तय किये गए समय को 30 मिनट से अधिक नहीं होना चाहिये।

कक्षा 1 से 12 तक

Http://ncert.nic.in/aac.html पर एनसीईआरटी के वैकल्पिक शैक्षणिक कैलेंडर को अपनाने की सिफारिश की गई है।

कक्षा 1 से 8 तक

राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों द्वारा प्राथमिक वर्गों के लिये ऑनलाइन कक्षाएँ लेने के तय दिन के अनुसार दिन में 30-45 मिनट के दो सत्रों से अधिक ऑनलाइन पढ़ाई नहीं कराई जा सकती है।

कक्षा 9 से 12 तक

राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों द्वारा तय किये गए दिनों में प्रत्येक दिन 30-45 मिनट के चार सत्रों से अधिक ऑनलाइन पढ़ाई नहीं कराई जा सकती है।

प्रज्ञाता दिशा-निर्देश देश भर में स्कूल जाने वाले छात्रों को लाभान्वित करने के लिये डिजिटल/ऑनलाइन/ऑन-एयर शिक्षा से संबंधित सभी प्रयासों को एकजुट करने की आवश्यकता पर ज़ोर देते हैं। इस पहल में स्वयंप्रभा (SWAYAM Prabha), दीक्षा (DIKSHA), स्वयं मूक्स (SWAYAM MOOCS), रेडियो वाहिनी, शिक्षा वाणी जैसे प्लेटफॉर्म को भी शामिल किया गया है।

  • प्रधानमंत्री नवीन शिक्षण कार्यक्रम- ध्रुव (‘DHRUV) का शुभारंभ किया। (10 OCT 2019 में)इसके तहत बच्चों को चिह्नित कर उन्हें देश भर के उत्कृष्ट केंद्रों में प्रख्यात विशेषज्ञों द्वारा परामर्श और शिक्षा प्रदान कर उनकी क्षमता का विकास करना है। इससे छात्र अपनी पसंद के क्षेत्रों में उच्चतम स्तर तक पहुँच सकेंगे।

इस कार्यक्रम का उद्देश्‍य प्रतिभाशाली छात्रों को उनकी क्षमता का एहसास कराना और उन्हे समाज के लिये योगदान देने हेतु प्रेरित करना है। इस कार्यक्रम का नाम ‘ध्रुव’ तारे के नाम पर ‘ध्रुव’ रखा गया है और प्रत्‍येक चयनित छात्र ‘ध्रुव तारा’ कहलाएगा। इस कार्यक्रम में दो क्षेत्र-विज्ञान और कला प्रदर्शन शामिल हैं। इसमें कुल 60 छात्र होंगे, जिसमें से प्रत्येक क्षेत्र में 30 छात्र होंगे। छात्रों का चयन सरकारी और निजी स्कूलों की 9वीं से 12वीं कक्षा तक के छात्रों में से किया जाएगा। यह कार्यक्रम का पहला चरण है जिसका धीरे-धीरे अन्य क्षेत्रों जैसे- रचनात्मक लेखन आदि में विस्तार किया जाएगा।

  • MHRD स्वयं प्रभा टीवी चैनल (Swayam Prabha TV Channel) के माध्यम से पाठ्यक्रम से संबंधित व्याख्यान प्रसारित करेगा। स्वयं प्रभा 32 DTH चैनलों का एक समूह है जो GSAT-15 उपग्रह का उपयोग कर 24X7 आधार पर उच्च गुणवत्ता वाले शैक्षिक कार्यक्रमों के प्रसारण के लिये समर्पित है।

इस चैनल को भास्कराचार्य इंस्टीट्यूट फॉर स्पेस एप्लीकेशन एंड जियो-इंफॉर्मेटिक्स (BISAG), गांधी नगर (गुजरात) से जोड़ा गया है। इस चैनल के माध्यम से एनपीटीईएल, आईआईटी, यूजीसी, सीईसी, इग्नू, एनसीईआरटी और एनआईओएस द्वारा सामग्री प्रदान की जाती है।

गांधी नगर (गुजरात) स्थित सूचना एवं पुस्तकालय नेटवर्क (INFLIBNET) केंद्र इसके वेब पोर्टल का रखरखाव करता है।

INFLIBNET केंद्र, MHRD के अंतर्गत भारत के विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC) का एक स्वायत्त अंतर-विश्वविद्यालय केंद्र है। प्रत्येक दिन कम-से-कम 4 घंटे के लिये विषय वार नई सामग्री अपलोड होगी जो दिन में 5 बार दोहराई जाएगी, जिससे छात्रों को अपनी सुविधानुसार समय चुनने में मदद मिलेगी।

  1. उच्चतर शिक्षा:-स्नातकोत्तर एवं स्नातक स्तर पर पाठ्यक्रम सामग्री जैसे कला, विज्ञान, वाणिज्य, प्रदर्शन कला, सामाजिक विज्ञान एवं मानविकी, इंजीनियरिंग, प्रौद्योगिकी, कानून, चिकित्सा, कृषि आदि जैसे विविध विषयों को कवर करती है।
  2. स्कूल शिक्षा (9-12 स्तर): शिक्षकों के प्रशिक्षण के साथ-साथ भारत के बच्चों के लिये शिक्षण एवं प्रशिक्षण के लिये मॉड्यूल जो उन्हें विषयों को बेहतर ढंग से समझने में मदद करते हैं, शुरू किये गए हैं और पेशेवर डिग्री कार्यक्रमों में प्रवेश के लिये प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी में भी उनकी मदद करते हैं।
  3. पाठ्यक्रम आधारित पाठ्यक्रम: ये चैनल भारत एवं विदेशों में जीवनभर सीखने वाले भारतीय नागरिकों की ज़रूरतों को पूरा कर सकते हैं।

गौरतलब है कि मानव संसाधन विकास मंत्रालय डिजिटल शिक्षा को बढ़ावा देने हेतु पहले से ही स्टडी वेब्स ऑफ एक्टिव लर्निंग फॉर यंग एस्पायरिंग माइंड्स (SWAYAM) पोर्टल का संचालन कर रहा है।

  • विद्यादान 2.0 (VidyaDaan 2.0)- विद्यादान ई-लर्निंग सामग्री को विकसित करने तथा योगदान करने हेतु राष्ट्रीय स्तर पर मान्यता प्राप्त करने के लिये एक सामान्य राष्ट्रीय कार्यक्रम है। जिससे गुणवत्तापूर्ण शिक्षा की निरंतरता सुनिश्चित करने हेतु स्कूल एवं उच्च शिक्षा दोनों के लिये ई-लर्निंग संसाधनों का विकास हो सके।

विद्यादान में एक कंटेंट आधारित टूल है जो किसी भी कक्षा (1 से 12 तक) के लिये राज्यों एवं संघ राज्य क्षेत्रों द्वारा निर्दिष्ट किसी भी विषय हेतु (जैसे- स्पष्टीकरण वीडियो, प्रस्तुतियाँ, योग्यता आधारित विषय-वस्तु, क्विज़ आदि) रजिस्टर करने और योगदान करने के लिये योगदानकर्त्ताओं को एक व्यवस्थित इंटरफेस प्रदान करता है। इस राष्ट्रीय कार्यक्रम में विभिन्न शिक्षाविदों एवं शैक्षिक संगठनों को पाठ्यक्रम के अनुसार ई-लर्निंग सामग्री विकसित करने और इसमें योगदान देने के लिये जोड़ा जाएगा। देश भर के लाखों बच्चों को कभी-भी और कहीं-भी सीखने में मदद करने के लिये इस शिक्षण सामग्री का उपयोग दीक्षा एप (DIKSHA App) के माध्यम से किया जायेगा। केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्रालय के दीक्षा प्लेटफॉर्म का उपयोग सितंबर 2017 से 30 से अधिक राज्यों

  • केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री ने जानकारी दी है कि नेशनल मीन्स-कम-मेरिट स्काॅलरशिप स्कीम (National Means-cum-Merit Scholarship Scheme- NMMSS) से सीनियर एवं सीनियर सेकेंड्री कक्षाओं में ड्रॉप-आउट दर को कम करने में मदद मिली है।

मई 2008 में लागू यह स्कीम केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्रालय के अंतर्गत की गई थी। इसका उद्देश्य आठवीं कक्षा में पढ़ाई छोड़ने वाले आर्थिक रूप से कमज़ोर वर्ग के मेधावी छात्रों को छात्रवृत्ति प्रदान करना और उन्हें माध्यमिक स्तर पर अध्ययन जारी रखने के लिये प्रोत्साहित करना है।

इस योजना के तहत राजकीय विद्यालय,सरकारी सहायता प्राप्त एवं स्थानीय निकाय वाले स्कूलों में अध्ययन कर रहे कक्षा नौ के चयनित छात्रों को दसवीं से बारहवीं कक्षा तक पढाई जारी रखने के लिये एक लाख नई छात्रवृत्तियाँ (12000 रुपए प्रति छात्र प्रतिवर्ष) प्रदान की जाती है।

इस योजना के तहत छात्रवृत्ति प्रदान करने के लिये छात्रों का चयन राज्यों/संघ राज्य क्षेत्रों की सरकारों द्वारा आयोजित एक परीक्षा के माध्यम से किया जाता है।

इस योजना के तहत देश भर के लगभग 16.93 लाख छात्रों को अब तक छात्रवृत्तियाँ दी जा चुकी हैं।

सभी संस्थानों के प्रमुखों ने बताया है कि NMMS योजना ने सीनियर एवं सीनियर सेकेंड्री कक्षाओं में ड्रॉप-आउट दर को कम कर दिया है।

  • MHRD ने लोकसभा में उन्नत भारत अभियान की प्रगति के बारे में सूचना दी। उन्नत भारत अभियान 2.0, उन्नत भारत अभियान 1.0 का उन्नत संस्करण है। इसे वर्ष 2018 में शुरू किया गया था। यह योजना सभी शैक्षणिक संस्थानों के लिये है, हालाँकि उन्नत भारत अभियान 2.0 के तहत प्रतिभागी संस्थानों को कुछ मानदंडों की पूर्ति के आधार पर चुना जाता है।

उन्नत भारत अभियान की अवधारणा भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (IIT) दिल्ली के समर्पित संकाय सदस्यों के समूह की पहल के साथ तब अस्तित्व में आई जब ये सदस्य लंबे समय से ग्रामीण विकास और उपयुक्त प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में कार्य कर रहे थे। सितंबर 2014 में IIT दिल्ली में आयोजित एक राष्ट्रीय कार्यशाला के दौरान विभिन्न प्रौद्योगिकी संस्थानों, रूरल टेक्नोलॉजी एक्शन ग्रुप (RuTAG) के समन्वयकों, स्वैच्छिक संगठनों और सरकारी एजेंसियों के प्रतिनिधियों के साथ विस्तृत परामर्श के बाद यह अवधारणा और अधिक परिपक्व हुई। इस कार्यशाला को काउंसिल फॉर एडवांसमेंट ऑफ पीपुल्स एक्शन एंड रूरल टेक्नोलॉजी (CAPART), ग्रामीण विकास मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा प्रायोजित किया गया था। इस अभियान की औपचारिक शुरुआत 11 नवंबर, 2014 को भारत मानव संसाधन विकास मंत्रालय द्वारा की गई थी। इस अभियान का उद्देश्य उच्च शिक्षण संस्थानों के बीच विकास एजेंडे से संबंधित आपसी तालमेल तथा संस्थागत क्षमताओं का विकास करना और राष्ट्र की आवश्यकताओं विशेष रूप से ग्रामीण आवश्यकताओं के अनुरूप प्रशिक्षण की व्यवस्था करना है।

  • भारत पढ़े ऑनलाइन अभियान(Bharat Padhe Online Campaign) की शुरुआत 10 अप्रैल 2020 को MHRD द्वारा भारत के ऑनलाइन शिक्षा पारिस्थितिकी तंत्र में सुधार हेतु लोगों के विचार जानने के उद्देश्य से एक सप्ताह तक चलने वाला इस अभियान की शुरुआत की गई। इसका उद्देश्य भारत के सर्वश्रेष्ठ युवा बौद्धिक वर्ग को आमंत्रित करना है ताकि ऑनलाइन शिक्षा की बाधाओं को दूर करते हुए उपलब्ध डिजिटल शिक्षा प्लेटफार्मों को बढ़ावा देकर MHRD के साथ सुझाव/समाधान साझा किये जा सकें एवं उपलब्ध डिजिटल शिक्षा प्लेटफॉर्मों को बढ़ावा दिया जा सके।

मुख्य बिंदु:-इस अभियान में छात्र-छात्राओं एवं शिक्षकों पर मुख्य रूप से ध्यान केंद्रित किया गया है।

  • दीक्षा पोर्टल की शुरुआत MHRD द्वारा शिक्षकों के लिये राष्ट्रीय डिजिटल माध्यम की गई। इसके द्वारा शिक्षक समुदाय को समाचार,किसी प्रकार की घोषणा,आकलन तथा शिक्षक प्रशिक्षण सामग्री उपलब्ध करवाई जाएगी। इस पर शिक्षकों को ऑफलाइन और ऑनलाइन दोनों माध्यमों से प्रशिक्षण प्राप्त होगा।

यह पोर्टल शिक्षकों को टीचर एजुकेशन इंस्टीट्यूट (Teacher Education Institutes- TEIs) में शामिल होने के उद्देश्य से शिक्षकों को स्वयं निर्देशित करने में मदद करेगा।यह नियमित स्कूल पाठ्यक्रम के बाद,NCERT पाठ्यपुस्तकों और पाठों (lessons) तक पहुँच प्रदान करता है।

  • समाधान(Samadhan) ऑनलाइन चैलेंज की शुरुआत 07 अप्रैल 2020 को भारत सरकार के मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने COVID-19 एवं भविष्य की चुनौतियों का सामना करने के लिये की। इस ऑनलाइन चैलेंज का उद्देश्य छात्र छात्राओं में नए प्रयोगों एवं नई खोज करने की क्षमता को परखना तथा उस प्रयोग या खोज का परीक्षण करने के लिये एक मज़बूत मंच उपलब्ध कराना है।
शामिल संस्थान:-इस में मानव संसाधन विकास मंत्रालय का इनोवेशन सेल एवं अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद (All India Council for Technical Education-AICTE) तथा फोर्ज (Forge) इनक्यूबेटर एवं इनोवेशियोक्युरिस (InnovatioCuris) जैसे स्टार्ट अप शामिल हैं।

इस चैलेंज में भाग लेने वाले छात्र-छात्राएँ ऐसे उपायों की खोज करेंगे जिससे सरकारी एजेंसियों, स्वास्थ्य सेवाओं, अस्पतालों एवं अन्य सेवाओं को असमय आई चुनौतियों का त्वरित समाधान उपलब्ध करवाया जा सके। इसके अलावा इस ऑनलाइन चैलेंज के द्वारा नागरिकों को जागरूक करने,उन्हें प्रेरित करने, किसी भी संकट को रोकने एवं लोगों को आजीविका प्राप्त करने हेतु मदद करने का काम भी किया जाएगा। इस कार्यक्रम की सफलता इसमें भाग लेने वाले प्रतियोगियों के विचारों पर निर्भर करती है जो तकनीकी एवं व्यावसायिक रूप से ऐसे समाधान निकालें जो कोरोनावायरस जैसी महामारी से निपटने में सक्षम हो।

  • स्कूली शिक्षा गुणवत्ता सूचकांक(School Education Quality Index- SEQI) एक समग्र सूचकांक है जो नीति आयोग और मानव संसाधन विकास मंत्रालय द्वारा संकल्पित तथा डिज़ाइन किये गए शिक्षा गुणवत्ता के प्रमुख डोमेन के आधार पर राज्यों के वार्षिक सुधारों का आकलन करता है।
इसका उद्देश्य राज्यों के फोकस को निवेश (Input) से परिणाम (Output) की ओर स्थानांतरित करने के साथ ही निरंतर वार्षिक सुधारों के लिये मानक प्रदान करना,गुणवत्ता में सुधार,सर्वोत्तम साधनों को साझा करना तथा राज्य के नेतृत्व वाले नवाचारों को प्रोत्साहित करना है।
भारत में प्रदान की जाने वाली शिक्षा की गुणवत्ता के सटीक आकलन के लिये स्कूली शिक्षा गुणवत्ता सूचकांक को दो श्रेणियों- परिणाम तथा शासन एवं प्रबंधन में विभाजित किया गया है।
सूचकांक में 34 संकेतक और 1000 अंक हैं, जिसमें सीखने की प्रक्रिया को सबसे अधिक (1000 में से 600 अंक) भारांक दिया गया है।

अक्टूबर 2019 में नीति आयोग द्वारा जारी इस रैंकिंग के अनुसार 20 बड़े राज्यों में केरल 76.6% के स्कोर के साथ सबसे अच्छा प्रदर्शन कर प्रथम स्थान पर रहा जबकि उत्तर प्रदेश 36.4% के स्कोर के साथ अंतिम स्थान पर रहा। हरियाणा,असम और उत्तर प्रदेश ने वर्ष 2015-16 की तुलना में वर्ष 2016-17 में अपने प्रदर्शन में सबसे अधिक सुधार किया है।

  • उपराष्ट्रपति एम. वेंकैया नायडू ने मानव संसाधन विकास मंत्रालय एवं सभी राज्य सरकारों से आग्रह किया कि वे सेलुलर जेल और स्वाधीनता आंदोलन से जुड़े ऐतिहासिक स्थलों में छात्रों के दौरे आयोजित करें।

अंडमान निकोबार द्वीप की राजधानी पोर्ट ब्लेयर में स्थित इस जेल का निर्माण 1896 से 1906 में अंग्रेज़ों द्वारा भारतीय स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों को कैद में रखने के लिये बनाई गई थी। इसमें 7 विंग । बर्मा से खरिदे गए प्यूस रंग (एक गहरे लाल या बैंगनी भूरे रंग का होता है,एक भूरा बैंगनी या एक "गहरा लाल भूरा"।)के ईंट से इस जेल का निर्माण किया गया।

वर्ष 1910 में वीर सावरकर को क्रांतिकारी समूह इंडिया हाउस के साथ संबंधों के चलते गिरफ्तार कर वर्ष 1911 में 50 वर्ष के कठोर कारावास की सज़ा सुनाकर सेलुलर जेल में डाल दिया।

उनके अलावा अलीपुर षडयंत्र केस,नासिक षडयंत्र केस (Nasik Conspiracy Case), लाहौर षडयंत्र केस (Lahore Conspiracy Case) और चटगाँव शस्‍त्रागार लूट केस के तहत अन्य स्वतंत्रता सेनानियों को भी सेलुलर जेल में रखा था।

वर्ष 1909 में नासिक के ज़िला मजिस्ट्रेट जैक्सन की अभिनव भारत के एक सदस्य अनंत कान्हेर ने हत्या कर दी थी। अत: उसे भी नासिक षडयंत्र केस के तहत सेलुलर जेल में रखा गया था।
अलीपुर षडयंत्र केस के तहत वर्ष 1908 में अरविन्द घोष,बारीन्द्र कुमार घोष एवं अन्य पर मुकदमा चलाया गया था, इसे मुरारीपुकुर षडयंत्र (Muraripukur Conspiracy) भी कहा जाता है।
  • 107वीं भारतीय विज्ञान काॅन्ग्रेस में वैज्ञानिक सामाजिक उत्तरदायित्व के तहत आने वाले संचार और आउटरीच कार्यक्रमों के महत्त्व पर चर्चा हुई।

भारतीय विज्ञान काॅन्ग्रेस में कहा गया है कि शोधकर्त्ताओं (जो केंद्र सरकार के किसी भी मंत्रालय द्वारा वित्तपोषित विज्ञान परियोजना पर काम कर रहे हैं) को विज्ञान को लोकप्रिय बनाने और इसे जनता के लिये अधिक सुलभ बनाने हेतु काम करना होगा। कॉर्पोरेट सामाजिक उत्तरदायित्व (Corporate Social Responsibility) की तरह वैज्ञानिक सामाजिक उत्तरदायित्व के अंतर्गत संचार और आउटरीच कार्यक्रमों की एक सूची तैयार की जाएगी। इन कार्यक्रमों में कॉलेजों में व्याख्यान देना, पत्रिकाओं में लेख लिखना आदि शामिल हैं।

अन्य देशों या संस्थाओं की पहल

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  • विश्वभर में 05 अक्टूबर को विश्व शिक्षक दिवस (World Teachers Day) मनाया जाता है। इसे अंतर्राष्ट्रीय शिक्षक दिवस (International Teachers Day) के रूप में भी जाना जाता है। यह दिवस दुनिया में शिक्षकों की स्थिति में सुधार लाने के उद्देश्य से मनाया जाता है। यूनेस्को और अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन के बीच वर्ष 1966 में हुई बैठक में इसका निर्णय लिया गया था। विश्व शिक्षक दिवस न केवल शिक्षकों के लिये बल्कि छात्रों के लिये भी एक विशेष दिन है। इस दिन, शिक्षकों और सेवानिवृत्त शिक्षकों को उनके विशेष योगदान के लिये सम्मानित किया जाता है। प्रत्येक वर्ष यूनिसेफ, यूएनडीपी, अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन और यूनेस्को द्वारा एक साथ मिलकर विश्व शिक्षक दिवस के कार्यक्रम का आयोजन किया जाता है। विश्व शिक्षक दिवस 2020 की थीम 'टीचर्सः लीडिंग इन क्राइसिस, रीइमेजनिंग द फ्यूचर' है।
  • विश्व बैंक ने हाल ही में भारत के छह राज्यों के सरकारी स्कूलों की शिक्षा पद्धति में सुधार के लिये लगभग 500 मिलियन डॉलर की स्टार्स परियोजना को मंजूरी दी है।

स्टार्स (STARS) परियोजना ‘राज्य कार्यक्रमों के लिए शिक्षण-अभिगम और परिणाम की सुदृढ़ता’ (Strengthening Teaching-learning and Results for States Program: STARS) का संक्षिप्त रूप है। इसका प्रमुख उद्देश्य भारत के छह राज्यों (यथा-हिमाचल प्रदेश, महाराष्ट्र, राजस्थान, ओडिशा, मध्य प्रदेश और केरल) में स्कूली शिक्षा की गुणवत्ता एवं शासन में सुधार लाना है। विश्व बैंक के मुताबिक, इस परियोजना से भारत के स्कूलों में मूल्यांकन प्रणाली को बेहतर बनाया जा सकता है। इसके अतिरिक्त, इस परियोजना से स्कूलों के शासन और विकेन्द्रीकृत प्रबंधन को मजबूत बनाने में मदद मिलेगी। केन्द्र सरकार की योजना ‘समग्र शिक्षा अभियान’ के माध्यम से लागू किया जायेगा। इसके द्वारा उपर्युक्त 6 राज्यों के लगभग 15 लाख स्कूलों के 6 से 17 वर्ष की आयु के लगभग 25 करोड़ छात्रों और एक करोड़ शिक्षकों को फायदा पहुँचेगा। निम्नलिखित उपायों के माध्यम से वांछित लक्ष्यों को प्राप्त करेगी- भारत के उपर्युक्त 6 राज्यों में शिक्षा सेवाओं को जिला स्तर पर प्रत्यक्ष निष्पादित किया जायेगा। शिक्षा सेवा से संबंधित विभिन्न हितधारकों (विशेषरूप से अभिवावकों एवं विद्यार्थियों) की माँगों को संबोधित किया जायेगा। अपने लक्ष्यों की प्राप्ति हेतु शिक्षकों को ट्रेनिंग आदि के माध्यम से सशक्त करेगी। स्टार्स परियोजना विद्यार्थियों के लर्निंग आऊटकम की चुनौतियों पर विशेष बल देगी।

  • जून में UNESCO द्वारा जारी की जाने वाली स्वतंत्र वार्षिक ‘वैश्विक शिक्षा निगरानी’ रिपोर्ट- 2020 के अनुसार, COVID-19 महामारी के कारण वैश्विक शिक्षा अंतराल में वृद्धि हुई है। इस रिपोर्ट को सरकारों, बहुपक्षीय एजेंसियों और निजी संस्थाओं द्वारा वित्त पोषित किया जाता है और यूनेस्को द्वारा इसे सुविधा और समर्थन दिया जाता है।
  • फरवरी 2012 में द इकोनॉमिस्ट इंटेलिजेंस यूनिट नामक संस्था द्वारा जारी वर्ल्ड वाइड एजुकेटिंग फॉर द फ्यूचर इंडेक्स (Worldwide Educating for the Future Index), 2019 में भारत को 35वाँ स्थान प्राप्त हुआ है।

यह सूचकांक छात्रों को कौशल-आधारित शिक्षा से लैस करने की देशों की क्षमताओं के आधार पर रैंक प्रदान करता है। यह रिपोर्ट कौशल आधारित शिक्षा के परिप्रेक्ष्य से महत्त्वपूर्ण दृष्टिकोण, समस्या को सुलझाने की क्षमता, नेतृत्व, सहयोग, रचनात्मकता और उद्यमशीलता तथा डिजिटल एवं तकनीकी कौशल जैसे क्षेत्रों में शिक्षा प्रणाली का विश्लेषण करती है। इस रिपोर्ट में दी जाने वाली रैंकिंग तीन श्रेणियों पर आधारित है: नीतिगत वातावरण शैक्षणिक वातावरण समग्र सामाजिक-आर्थिक वातावरण वर्ष 2019 में सूचकांक का विषय "नीति से अभ्यास तक” (From Policy to Practice) है। वर्ल्ड वाइड एजुकेटिंग फॉर द फ्यूचर इंडेक्स इस सूचकांक (इंडेक्स) और रिपोर्ट को येडान प्राइस फाउंडेशन (Yidan Prize Foundation) द्वारा प्रस्तुत किया जाता है। तेज़ी से बदलते परिदृश्य में कार्य और बेहतर जीवनयापन के लिये छात्रों को तैयार करने में शिक्षा प्रणालियों की प्रभावशीलता का आकलन करने हेतु इसे विकसित किया गया था।