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समसामयिकी 2020/COVID-19 और भारत की तैयारी

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  • चरण पादुका (Charan Paduka) मध्य प्रदेश से होकर गुजरने वाले प्रवासी मज़दूरों के लिये मध्यप्रदेश द्वारा शुरू किया गया एक अभियान है। इस अभियान के तहत, नंगे पैर जाने वाले प्रवासी मज़दूरों को उनके पैरों के दर्द को कम करने के लिये जूते एवं चप्पल प्रदान किये जा रहे हैं। यह अभियान अधिकांश स्थानों पर मध्यप्रदेश पुलिस द्वारा चलाया जा रहा है।

चरण पादुका अभियान इंदौर के राऊ पुलिस स्टेशन से शुरू हुआ।

  • वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद(CSIR) के ‘इंस्टीट्यूट ऑफ जीनोमिक्स एंड इंटीग्रेटिव बायोलॉजी’ (Institute of Genomics and Integrative Biology) तथा सेंटर फॉर सेलुलर एंड मॉलिक्यूलर बायोलॉजी (Centre for Cellular and Molecular Biology) के शोधकर्त्ताओं ने भारत में एक नए कोरोना वायरस की पहचान की है।

कोरोनावायरस का यह क्लेड/प्रकार संभवतः भारत में दूसरा सबसे प्रचलित प्रकार है और इसमें विश्व स्तर के 3.5% जीनोम शामिल हो सकते हैं। इस क्लेड/प्रकार का नाम A3i है। अब तक विश्लेषित कोरोनावायरस के 361 जीनोम में से 41% जीनोम A3i से तथा 45% जीनोम A2a से संबंधित हैं। भारत में कोरोनावायरस का सबसे प्रमुख क्लेड (Clade) A2a है। क्लेड (Clade): SARS-CoV-2 का क्लैड/प्रकार वायरस का एक समूह है जिन्हें जीनोम के कुछ हिस्सों में विशेष उत्परिवर्तन या समानता के आधार पर एक साथ समूहीकृत किया गया है। A3i के अनुक्रमण में चार स्थानों पर भिन्नता के कारण यह दूसरे वायरस से अलग है। वैज्ञानिक विश्लेषण के अनुसार, A2a की तुलना में A3i का उत्परिवर्तन बहुत धीमी गति से होता है जो इसके प्रसार को रोकने का संभावित कारण हो सकता है। इस बात का कोई प्रमाण उपलब्ध नहीं है कि A3i अत्यधिक घातक है या इससे ज्यादा मृत्यु होती है। A3i का प्रसार तमिलनाडु, तेलंगाना, महाराष्ट्र और दिल्ली में अत्यधिक है। विश्वभर में 11 प्रकार के SARS-CoV-2 की पहचान की गई है जिनमें से भारत में 6 प्रकार के वायरस चिह्नित किये गए हैं। उत्परिवर्तित होने के पश्चात् A2a फेफड़ों को अत्यधिक प्रभावित करता है। वर्तमान में दुनिया भर में A2a का प्रसार सबसे अत्यधिक है। पिछले अध्ययनों से पता चला है कि टाइप ओ (Type O) वायरस सबसे पुराना था जिसे चीन में चिह्नित किया गया था। इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (Indian Council of Medical Research-ICMR) के अनुसार, भारत में SARS-CoV-2 वायरस के तीन प्रमुख क्लेड/प्रकार प्रचलित हैं जिनके स्रोत वुहान, अमेरिका और यूरोप हैं। वर्गीकरण का महत्त्व: इस तरह के वर्गीकरण से यह जानने में आसानी होती हैं कि वायरस कितने खतरनाक हैं और उनके प्रसार की गति क्या है। ये वर्गीकरण कुछ विशेष प्रकार के टीकों से जोखिम को कम किये जा सकने की संभावना का भी पता लगाने में सहायक साबित हो सकते हैं। कोशिकीय एवं आणविक जीवविज्ञान केंद्र (Centre for Cellular & Molecular Biology- CCMB): ‘कोशिकीय एवं आणविक जीव विज्ञान केंद्र’ आधुनिक जीव विज्ञान के क्षेत्र में एक प्रमुख अनुसंधान संस्थान है। CCMB की शुरुआत 1 अप्रैल, 1977 को एक अर्द्ध-स्वायत्त संस्थान के रूप में की गई थी। उद्देश्य: आधुनिक जीव विज्ञान के क्षेत्र में उच्च गुणवत्ता वाले अनुसंधान का संचालन करना। जीव विज्ञान के अंतर-अनुशासनात्मक क्षेत्रों में नई और आधुनिक तकनीकों के लिये केंद्रीकृत राष्ट्रीय सुविधाओं को बढ़ावा देना।


स्वास्थ्य मंत्रालय अपने एकीकृत रोग निगरानी कार्यक्रम (Integrated Disease Surveillance Programme-IDSP) नेटवर्क के माध्यम से उन लोगों का पता लगाने का प्रयास कर रहा है जो उन 28 लोगों के संपर्क में आए हैं। कोरोना वायरस (COVID -19) का प्रकोप तब सामने आया जब 31 दिसंबर, 2019 को चीन के हुबेई प्रांत के वुहान शहर में अज्ञात कारण से निमोनिया के मामलों में हुई अत्यधिक वृद्धि के कारण विश्व स्वास्थ्य संगठन को सूचित किया गया। तत्पश्चात विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा इसे वैश्विक स्वास्थ्य आपातकाल घोषित किया गया। शीघ्र ही यह बीमारी चीन और दुनिया के बाकी हिस्सों में फैल गई। पहले इस वायरस को SARS-CoV-2 नाम दिया गया, जिसका बाद में COVID-19 नाम से आधिकारिक नामकरण किया गया।

पोलीमरेज़ चेन रिएक्शन (Polymerase Chain Reaction-PCR) टेस्ट COVID-19 वायरस के लिये पहला परीक्षण है, जिसके तहत सभी संदिग्ध रोगियों का परीक्षण किया जाता है। यदि इस टेस्ट में परिणाम सकारात्मक रहता है तो पुष्टि के लिये नमूना पुणे स्थित राष्ट्रीय विषाणु विज्ञान संस्थान (National Institute of Virology-NIV) को भेजा जाता है, जो कि वर्तमान में जीनोम अनुक्रमण करने वाली एकमात्र सरकारी प्रयोगशाला है।

COVID-19 और वैश्विक पहल

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WHO(मुख्यालय स्विट्ज़रलैंड के जिनेवा शहर में) के अनुसार, COVID-19 में CO का तात्पर्य कोरोना से है, जबकि VI विषाणु को, D बीमारी को तथा संख्या 19 वर्ष 2019 (बीमारी के पता चलने का वर्ष ) को चिन्हित करता है। WHO द्वारा इसका नामकरण वैश्विक एजेंसी विश्व पशु स्वास्थ्य संगठन (World Organisation for Animal Health) और खाद्य एवं कृषि संगठन ( Food and Agriculture Organization) द्वारा वर्ष 2015 में जारी दिशा-निर्देशों के अंतर्गत किया गया है। WHO के महानिदेशक टेड्रोस एडनॉम घेब्रेयसस। विश्व पशु स्वास्थ्य संगठन दुनिया-भर में पशुओं के स्वास्थ्य में सुधार हेतु उत्तरदाई एक अंतर-सरकारी संगठन (Iintergovernmental Organisation) है। इसे विश्व व्यापार संगठन (World Trade Organizatio-(WTO) द्वारा संदर्भित संगठन (Reference Organisation) के रूप में मान्यता प्राप्त है। वर्तमान में कुल 182 देश इसके सदस्य थे। इसका मुख्यालय पेरिस, फ्राँस में स्थित है। COVID एक्शन प्लेटफॉर्म विश्व आर्थिक मंच (WEF) ने कोरोनोवायरस के प्रभाव से निपटने हेतु विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के सहयोग से ‘COVID एक्शन प्लेटफॉर्म’ लॉन्च किया है। इस प्लेटफॉर्म का उद्देश्य निजी क्षेत्र की सहायता से कोरोनावायरस के प्रकोप को रोकने के लिये कार्य करना है। इस प्लेटफॉर्म का प्रमुख कार्य आपूर्ति श्रृंखला को मज़बूत बनाना है ताकि आवश्यक स्वास्थ्य उपकरण और दवाएँ समय पर उपलब्ध हो सकें। इस प्लेटफॉर्म का निर्माण विश्व भर के 200 कॉर्पोरेट लीडर्स के साथ विचार-विमर्श करके किया गया है। विश्व आर्थिक मंच एक गैर-लाभकारी एवं अंतर्राष्ट्रीय संगठन है। इसकी स्थापना वर्ष 1971 में हुई थी। इसका मुख्यालय स्विट्ज़रलैंड के जिनेवा में है। फोरम वैश्विक, क्षेत्रीय और औद्योगिक एजेंडों को आकार देने के लिये राजनीतिक, व्यापारिक, सामाजिक और शैक्षणिक क्षेत्र के अग्रणी नेतृत्व को एक साझा मंच उपलब्ध कराता है। यह एक स्वतंत्र और निष्पक्ष संगठन है।

  • ब्रिटिश सरकार के प्रमुख वैज्ञानिक सलाहकार ने ब्रिटेन में तेज़ी से फैल रही COVID-19 की चुनौती से निपटने के लिये हर्ड इम्युनिटी (Herd Immunity) के विकल्प को अपनाने के संकेत दिये हैं।

हर्ड इम्युनिटी से आशय- “किसी समाज या समूह के कुछ प्रतिशत लोगों में रोग प्रतिरोधक क्षमता के विकास के माध्यम से किसी संक्रामक रोग के प्रसार को रोकना है।” इस प्रक्रिया को अपनाने के पीछे अवधारणा यह है कि यदि पर्याप्त लोग प्रतिरक्षित (Immune) हों तो किसी समाज या समूह में रोग के फैलने की शृंखला को तोड़ा जा सकता है और इस प्रकार रोग को उन लोगों तक पहुँचाने से रोका जा सकता है, जिन्हें इससे सबसे अधिक खतरा हो या जिनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर है।

हर्ड इम्युनिटी कैसे काम करती है?

किसी संक्रामक बीमारी के प्रसार और उसके लिये आवश्यक प्रतिरक्षा सीमा का अनुमान लगाने के लिए महामारी वैज्ञानिक (Epidemiologists) एक मानक का उपयोग करते हैं जिसे ‘मूल प्रजनन क्षमता’ (Basic Reproductive Number-R0) कहा जाता है। यह बताता है कि किसी एक मामले या रोगी के संपर्क में आने पर कितने अन्य लोग उस रोग से संक्रमित हो सकते हैं। 1 से अधिक R0 होने का मतलब है कि एक व्यक्ति कई अन्य व्यक्तियों को संक्रमित कर सकता है। वैज्ञानिक प्रमाण के अनुसार, खसरे (Measles) से पीड़ित एक व्यक्ति 12-18 अन्य व्यक्तियों जबकि इन्फ्लूएंजा (Influenza) से पीड़ित व्यक्ति लगभग 1-4 व्यक्तियों को संक्रमित कर सकता है। वर्तमान में चीन से उपलब्ध प्रमाणों के आधार पर विशेषज्ञों का मानना है कि COVID-19 का R0 2 से 3 के बीच हो सकता है। कोई भी संक्रमण किसी समाज/समूह में तीन प्रकार से फैल सकता है:

  1. पहली स्थिति में जहाँ समूह में किसी भी व्यक्ति का टीकाकरण न हुआ हो ऐसे समूह में यदि 1 गुणांक वाले R0 के दो मामले आते हैं तो ऐसे में वह पूरा समुदाय संक्रमित हो सकता है।
  2. दूसरी स्थिति में यदि किसी समूह के कुछ ही लोगों का टीकाकरण हुआ हो तो उन लोगों को छोड़कर समूह के अन्य लोग संक्रमित हो सकते हैं।
  3. परंतु यदि किसी समूह में पर्याप्त लोग प्रतिरक्षित हों तो ऐसी स्थिति में समूह के वही लोग संक्रमित होंगे जो बहुत ही कमज़ोर होंगे या जिनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता मजबूत ना हो।