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सामाजिक एवं राजनीतिक जीवन/राज्य सरकार

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भारत में स्वास्थ्य सेवाएँ

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भारत में स्वास्थ्य सेवाएँ
भारत में संसार भर में सर्वाधिक चिकित्सा महाविद्दालय है,जहाँ प्रत्येक वर्ष 15000 नए डॉक्टर योग्यता प्राप्त करते हैं भारत के अधिकांश डॉक्टर शहरी क्षेत्रों में रहते हैं।जहाँ तक ग्रामिणों को पहुँचने के लिए लंबी दूरी तय करनी पड़ती है।
पिछले वर्षों में स्वास्थ्य सेवाओं में काफी प्रगति हुई है।1950में भारत में 2717 अस्पताल थे1991 में 11174 और 2000 में यह बढ़कर 18218 हो गई। भारत में करीब पाँच लाख लोग प्रतिवर्ष तपेदिक(टी.बी.) से मर जाते हैं।स्वतंत्रता प्राप्ति से अबतक इस संख्या में कोई परिवर्तन नहीं हुआ है।हर वर्ष मलेरिया के लगभग बीस लाख मामलों की रिपोर्ट प्राप्त होती है।
भारत चिकित्सा पर्यटन का मुख्य केंद्र बनता जा रहा है।वे उपचार हेतू कुछ ऐसे अस्पतालों में आते हैं,जिनकी तुलना संसार के सर्वश्रेष्ठ अस्पतालों से की जा सकती है। हम सबको पीने का स्वच्छ जल उपलब्ध नहीं करा पा रहे हैं, जो संचारणीय बीमारियाँ का कारण बनता है।21% जलजनित बीमारियाँ है।हैजा,पेट के कीडे और हैपेटाइटिस प्रमुख हैै।
भारत विश्व का चौथा सबसे बड़ा दवाई निर्मित करने वाला देश है,भारी मात्रा में दवाईयों का निर्यात होता है। भारत के समस्त बच्चोें में से आधों को खाने के लिए पर्याप्त भोजन नहीं मिलता है और वे अल्प-पोषण के शिकार रहते हैं।

तालिका के दूसरे स्तंभ से ज्ञात होता है कि उपरोक्त सकारात्मक विकास तथा हमारे देश के पास पैसा,ज्ञान और अनुभवी व्यक्ति होने के बाबजूद जनता को उचित स्वास्थ्य सेवाएँ देने में असमर्थ हैं।

सार्वजनिक स्वास्थ्य सेवाएँ
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सरकार द्वारा चलाई जाने वाली स्वास्थ्य केंद्रों व अस्पतालों की एक श्रृंखला है।हमारे संविधान के अनुसार लोगों के हित को सुनिश्चित करना और सबको स्वास्थ्य सेवाएँ प्रदान करना सरकार का प्राथमिक कर्त्तव्य।इसलिए सरकार ने सभी नागरिकों को स्वास्थ्य सेवएँ प्रदान करने की वचनबद्धता को पूरा करने के लिए इन अस्पतालों तथा स्वास्थ्य केंद्रों की स्थापना की है,इसलिए इन्हें 'सार्वजनिक स्वास्थ्य सेवा' कहते हैं।ग्राम स्तर के स्वास्थ्य केन्द्रों पर प्राय:एक नर्स और एक ग्राम स्वास्थ्य सेवक रहता है। इन्हें सामान्य बिमारियों के इलाज के लिए प्रशिक्षण दिया जाता है।ये प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र के डॉक्टरों की देखरेख में कार्य करते हैं। जिला अस्पताल सभी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों की देखरेख करता है।

सार्वजनिक स्वास्थ्य सेवाओं का अन्य महत्वपूर्ण कार्य है बीमारियों जैसे-टी.बी.,मलेरिया,पीलिया,दस्त लगना,हैजा़,चिकनगुनिया,आदि को लोगों के सहयोग से फैलने से रोकना। ग्रमीण क्षेत्रों में पंजीकृत चिकित्सा व्यवसायी (R.M.P.) मिल जाते हैं। गरीब लोगों के लिए परिवार में हर बीमारी चिंता और मुसीबत का कारण बन जाती है।उनके लिए ऐसी स्थिति बार-बार आती है।गरीब लोग पहले ही पोषण की कमी का शिकार होते हैं।ये परिवार उतना भोजन नहीं खाते,जितना इन्हें खाना चाहिए।उन्हें जीवन की आधारभूत आवश्यकताएँ जैसे पीने का पानी,घर के लिए पर्याप्त जगह,साफ वातावरण तक उपलब्ध नहीं हो पाता है।और इसलिए उनके बिमार पड़ने की संभावना अधिक रहती है।बीमारी पर होने वाले खर्चे से उनकी हालत और खराब हो जाती है। लोगों का स्वास्थ्य,जितना जीवन की आधारभूत सुविधाओं पर और उनकी सामाजिक स्थिति पर निर्भर है,उतना ही स्वास्थ्य सेवाओं के ऊपर भी।इसलिए लोगों के स्वास्थ्य को सुधारने के लिए दोनों पक्षों पर कार्य करना आवश्यक है।

केरल का अनुभव
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1996 में केरल सरकार ने राज्य के बजट का 40% पंचायतों को दे दिया। जिसका उपयोग ये पंचायतें अपनी आवश्यकताओं को योजनाबद्ध कर उनकी पूर्ती कर सकती थी।इससे गाँव के लिए पीने का पानी,आहार,औरतों के विकास और शिक्षा आदि के लिए उचित व्यवस्था सुनिश्चित करना संभव हो सका।इसके फलस्वरूप जल वितरण व्यवस्था की जाँच की गई,स्कूलों और आगनवाड़ियों के काम को सुनिश्चित किया गया।स्वास्थ्य केंद्रों में भी सुधार किया गया।इतने प्रयत्नों के बाद भी कुछ समस्याएं बनी रहीं जिन्हें दूर करने की आवश्यकता है-जौसे-दवाइयों की कमी,अस्पतालों में अपर्याप्त विस्तर,पर्याप्त डॉक्टरों का न होना आदि।

कोस्टारिका दक्षिणी अमेरिका का सबसे स्वास्थ देश
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इस देश के संविधान के अनुसार यह सेना नहीं रखेगी।इससे उन्हें सेना पर किए जाने वाले व्यय को लोगों के स्वास्थ्य,शिक्षा और अन्य आधारभूत ज़रूरतों पर खर्च करने में मदद मिली। कोस्टारिका की सरकार मानती है कि देश के विकास के लिए देश का स्वस्थ्य होना जरूरी है इसलिए वे स्वास्थ्य पर बहुत ध्यान देती है।कोस्टारिका की सरकार अपने सभी निवासियों को स्वास्थ्यके लिए मूलभूत सेवाएँ व सुविधएँ देती है,जैसे पीने का सुरक्षित पानी,सफाई,पोषण और आवास।स्वास्थ्य की शिक्षा को बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है और सभी स्तरों पर 'स्वास्थ्य संबंधी ज्ञान'शिक्षा का एक ज़रूरी भाग है।

वॉलपेपर की परियोजना

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इस मजेदार गतिविधि के माध्यम से रुचि के किसी विषय पर शोध किया जा सकता है।सर्वप्रथम शिक्षिका चुने हुए विषय का पूरी कक्षा को परिचय देती हैं और संक्षिप्त चर्चा के पश्चात कक्षा को कुछ समूहों में बँट देती हैं।समूह उस मुद्दे पर चर्चा करके तय करता है कि वॉलपेपर में क्या-क्या रखना चाहेगा। इसके बाद बच्चे अपने आप या दो-दो की जोड़ी में इकट्ठी की गई सामग्री को पढ़कर अपने अनुभवों एवं विचारों को लिखते हैं।इसके लिए वे कविताओं,कहानियों,साक्षात्कारों,विवरणों आदि की रचना कर सकते है।जो भी सामग्री चुनी,बनाई या लिखी गई,उसे समूह के लोग मिलकर देख लेता हैं।वे एक-दूसरे के लिखे हुए को पढ़कर सुझाव देते हैं।वे मिलकर यह तय करते हैं कि वॉलपेपर में क्या-क्या जाएगा और फिर उसका ले-आउट बनाते हैं। हिमाचल प्रदेश में 68 निर्वाचन क्षेत्र हैं।